RE: Hindi Sex Kahaniya कामलीला
‘खुश!’ उसके चेहरे पर इस घड़ी बच्चों जैसी ख़ुशी दिखाई दी जिसे उसका मनपसंद खिलौना मिल गया हो।
वो खुश थी तो मैं खुश था, इस हकीकत को समझने के बावजूद कि जैसा वह सोच रही थी वैसा नहीं होने वाला था।
कोई जोड़ा जो इतने क्लोज़ आये कि उनमें फिज़िकल एक्टिविटीज भी हों और वो भावनात्मक रूप से अटैच न हो, ऐसा मेरे जैसे मैच्योर, तजुर्बेकार शख्स के लिए तो किसी हद तक संभव भी था जिसके नीचे से पहले भी कई लड़कियाँ गुज़र चुकी हों लेकिन उसके जैसी कम उम्र की, नई नई जवान हुई लड़की के लिए नामुमकिन था- पर उसे ऐसा जाता कर मैं अपना काम नहीं बिगड़ना चाहता था।
हाँ, उसे इस बात का अहसास ज़रूर था कि फिज़िकल होने वाले कमज़ोर पलों में वह बहक सकती थी इसीलिए उसने मेरे जैसे ज्यादा उम्र के और तजुर्बेकार शख्स को इस अनुभव के लिए चुना था जो ऐसी किसी हालत में न सिर्फ खुद को सम्भाल सके बल्कि उसे भी बहकने से रोक सके।
यहाँ मैं ज़रूर उसकी अपेक्षाओं पर पूरा उतरने के लिए तैयार था।
‘तो चलो शुरू करते हैं- नए रोमांच की पहली घड़ी… मेरे लिए!’
मैं उसकी शक्ल देखने लगा।
‘एक मर्द का पहला स्पर्श!’ कहते हुए उसकी आवाज़ में अजीब सी उत्तेजना थी।
‘क्यों? पहले किसी को स्पर्श नहीं किया क्या?’
‘अरे वो स्पर्श अलग था… यहाँ बात और है।’
मैंने उसके हाथ थाम लिए और भरी भरी कलाइयाँ सहलाने लगा।
उसने इस पहले सेक्सुअल स्पर्श को अनुभव करने के लिए आँखें बंद कर ली थीं।
उसकी सिहरन मैं अपनी हथेलियों में महसूस कर सकता था।
मैंने कलाइयों को सहलाते हुए अपने हाथ उसकी मखमली बाहों से गुज़ारते हुए उसके गोरे गोरे गालों तक ले आया।
वह काँप सी गई।
मैं अपना चेहरा उसके चेहरे के पास ले आया कि मेरी साँसें उसके चेहरे से टकराने लगीं।
मैंने अपने होंठ उसके माथे से टिका दिए…
उसके जिस्म में एक लहर सी फिर गुज़र गई।
हालाँकि एक तरह से ये एक्टिंग थी, नकलीपन था मगर फिर भी वो अपना मज़ा ले रही थी और मैं अपना मज़ा ले रहा था।
फिर उसने मुझे परे धकेल दिया।
‘अजीब सा लग रहा था… बेचैनी सी पैदा हो रही थी। पूरे जिस्म में सनसनाहट सी होने लगी थी।’ उसने कुछ झेंपे झेंपे अंदाज़ में कहा।
‘अच्छा या बुरा?’ मैंने शरारत भरे स्वर में कहा।
‘चलो फन चलते हैं। मुझे कुछ शॉपिंग करनी है।’ मेरी बात काट कर उसने अपनी बात कही।
कुछ कहने के बजाय मैं उठ खड़ा हुआ।
फन मॉल सड़क के उस ओर ही था…
हम वहाँ आ गए जहाँ घंटे भर की छंटाई के बाद उसने एक जीन्स और एक टी-शर्ट ली।
इसके बाद उसने सहारा गंज चलने को कहा और हम वहाँ से रुखसत हो गए।
वही से वाया बटलर रोड, अशोक मार्ग होते सहारा गंज ले आया।
यहाँ भी उसने घंटे भर की मगज़मारी के बाद बिग बाजार और पैंटालून से एक एक जीन्स और टॉप खरीदा।
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