RE: Hindi Sex Kahaniya कामलीला
यहाँ उसमें ज़रा भी शर्म या झिझक बाकी नहीं रही थी और वह सब कुछ खुल कर एन्जॉय कर रही थी, जिसमें सारी चीज़ें उसने पोर्न क्लिप्स में देखी रही होंगी।
उसके मुंह से रह रह कर कामोत्तेजना से भरी सिसकारियाँ फूट रही थीं जो मेरे कानों में रस घोल रही थीं।
बिस्तर इस धींगामुश्ती के लिए छोटा पड़ गया। हम कहीं अधलेटे बिस्तर पर हो जाते कहीं बिस्तर छोड़ कर कमरे की दीवारों से जा चिपकते, कहीं ठन्डे फर्श पर लोटने लगते।
अजीब नज़ारा था… बस ऐसा लग रहा था जैसे कोई पागल प्रेमी जोड़ा ज़माने से बेखबर, अपने प्राकृतिक रूप में उस छोटी सी जगह में कामक्रीड़ा में ऐसा मस्त हो कि न दुनिया की खबर रह गई हो न अपनी।
हमारी भारी साँसें और मस्ती में डूबी सिसकारियाँ कमरे की सरहदों को तोड़ रही थीं।
इस बीच उसके नितम्बों को ज़बरदस्त ढंग से दबाते, मसलते मैंने कई बार कुछ कुछ क्षणों के लिए अपनी उंगली उसके न सिर्फ योनिद्वार में घुसाई बल्कि उसके पीछे के छेद में भी घुसाई, जिसे महसूस करके वह कुछ पलों के लिए रुकी, अटकी, झिझकी लेकिन फिर मेरे आदेशानुसार उसने उस उंगली को भी कामक्रीड़ा का एक अंग मान कर स्वीकार कर लिया।
मेरे हाथ को बार बार अपनी योनि पर ले जाकर और अपनी योनि को मेरी जांघ पर रगड़ कर उसने संकेत दिया कि वह वहाँ और ज्यादा घर्षण चाहती थी।
तो मैं बिस्तर पर चित लेट गया और उसकी योनि को उँगलियों से फैला कर, उनके बीच अपने लेटे, पेट से सटे लिंग को सेट करके, उसे अपने ऊपर बिठा लिया और उसे कहा कि वह आगे पीछे करे।
इस तरह उसकी गर्म, तपती हुई योनि को मेरे गर्म लिंग का घर्षण, उसके योनि छिद्र से लेकर, क्लिटरिस हुड तक मिलेगा और उसे बिना अंदर बाहर किये भी ज़बरदस्त मज़ा आएगा।
वो उत्तेजित अवस्था में होंठ भींचे अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी जिससे न सिर्फ उसकी योनि को स्खलन की तरफ ले जाने में सहायता मिली बल्कि इससे मुझे भी इतना आनन्द आया कि मैं भी स्खलन के उस अंतिम मुकाम की तरफ बढ़ चला।
उसकी रस से भरी बहती हुई योनि मेरे लिंग को अंडकोषों तक गीला कर रही थी।
मेरे ऊपर बैठी कामोत्तेजना में डूबी वह ऐसे आगे पीछे हो रही थी जैसे हम सामान्य सहवास कर रहे हों।
उसके वक्ष उसके हिलने के साथ आगे पीछे झूल रहे थे जिन्हे मैंने थाम लिया और जोर जोर से मसलने लगा।
पर यह पल उसके लिए ज्यादा विस्फोटक थे जो पहली बार इस दौर को जी रही थी। उसकी मानसिक दशा जल्दी ही वहाँ पहुँच गई जहाँ उसकी योनि उसके मस्तिष्क को नियंत्रित करने लगी।
वह मेरे ऊपर इस तरह झुकी कि उसके बूब्स मेरे सीने से आ लगे और वह अपने हाथ को नीचे ले जाकर मेरे लिंग के अग्रभाग को अपने ज्वालामुखी की तरह धधकते, भाप छोड़ते ढहाने में घुसाने की कोशिश करने लगी।
ज़ाहिर था कि छेद खुला हुआ तो नहीं था कि एकदम से वह घुसाने में कामयाब हो जाती।
एक तो बंद की हद तक टाइट छेद और ऊपर से उसका और मेरा इतना सारा लुब्रिकेंट… लिंग फिसल फिसल कर नीचे चला जाता या ऊपर चला जाता।
उस घड़ी ख्वाहिश तो मेरी भी हो रही थी कि वह कामयाब हो जाये और मुझे भी एक अनछुए, कुंवारे छेद में स्खलन का सुख प्राप्त हो लेकिन मुझे अपनी प्रतिज्ञा याद गई।
बावजूद इसके कि मैं सब्र वाला, तजुर्बेकार और बड़ी हद तक खुद पर नियंत्रण रखने वाला था… मुझे सम्भलने में कई पल लग गए, पर गनीमत रही कि तब तक वह लिंग को अंदर घुसाने में कामयाब नहीं हो गई।
मैंने उसकी पीठ पर पकड़ बनाई और पलटनी खाते हुए उसे नीचे ले आया और खुद उसके ऊपर हो गया।
नीचे लिंग की रगड़ जारी रखते हुए मैं उसके होंठ चूसने लगा।
‘भाड़ में जाए वर्जिनिटी… अब मेरी बर्दाश्त से बाहर है।’ वह अपने होंठों को मेरी पकड़ से छुड़ा कर हाँफते हुए बोली- इसे अंदर डालो और मुझे वैसे ही जोर जोर से फ़क करो जैसे कोई मर्द किसी औरत को करता है।
‘हाँ हाँ क्यों नहीं… पर इतनी जल्दी क्यों? अभी तो शुरुआत है। वह स्खलन का आखिरी तरीका है जो आखिर में सिखाऊँगा। अभी एक बार इस तरह भी तो मज़ा लो। मैं न कहीं भागा जा रहा हूँ न मेरा वह! सब तुम्हारा है मेरी जान। थोड़ा सब्र करो… फिर मैंने तुम्हें वैसे ही फ़क करूँगा जैसे तुम चाह रही हो।’ मैंने उसे बहलाते हुए कहा।
उसने होंठ भींच लिए।
‘क्लोज़ योर आइज़ एंड जस्ट इमैजिन… तुम्हारी दोनों टाँगें घुटनों से मुड़ी फैली हुई हैं और मैं उनके बीच तुम्हारे छेद में अपना लिंग घुसाए हुए हूँ और धक्के पर धक्के लगा रहा हूँ। तुम अपनी कमर उठा उठा कर उसे और अंदर ले रही हो और आह आह करती मुझे और जोर से धक्के लगाने को कह रही हो।’
मैं उसकी योनि पर अपने गर्म लिंग का घर्षण देते उसे कल्पनाओं की दुनिया में ले आया- फिर तुम डॉगी स्टाइल में आ जाती हो और मैं तुम्हारे पीछे आ कर अपना लिंग तुम्हारी योनि में उतार कर धक्के लगाने लगता हूँ। मेरा पेनिस बार बार तुम्हारी गहराई में जाकर तुम्हारी बच्चेदानी को छू कर आता है और मेरे पेट से बार बार टकराते तुम्हारे चूतड़ आवाज़ कर रहे हैं। तुम बेहद अच्छा महसूस कर रही हो, तुम्हें मज़ा आ रहा है… तुम्हें बहुत मज़ा आ रहा है।
‘हाँ… हाँ… बहुत मज़ा आ रहा है।’ वह कांपती लहराती आवाज़ में बड़बड़ाई- फिर से मुझे ऐसा महसूस हो रहा है जैसे कुछ निकल पड़ेगा। आह… आह, हम्म्म… बस निकलने वाला है। आह-आह…
फिर उसकी आहें जोर की सिसकारियों में बदल गईं और जिस्म इस तरह कांपने लगा जैसे झटके लग रहे हों।
उसने अपने दोनों हाथों से मुझे पीठ की तरफ से पकड़ के ऐसे सख्ती से दबोच लिया जैसे मुझे अपने अंदर समा लेना चाहती हो।
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