RE: Hindi Sex Kahaniya कामलीला
मुझे लगा कि कहीं नशे में लुढ़क न जाये और रात का मज़ा ही किरकिरा हो जाये… मैंने मोबाइल किनारे रखा और उसे थाम लिया।
‘अपना दिमाग मुझमें लगाओ, अपनी वेजाइना से उठती लहरों में लगाओ।’ मैंने उसे अपनी बाँहों में लेते हुए कहा।
और अगले पलों में हम एक दूसरे को रगड़ने में लग गए, एक दूसरे को चूमने, सहलाने, चुभलाने, दबाने, मसलने में लग गए और कुछ ही पल गुज़रे होंगे कि उसके नशे से शिथिल पड़ते शरीर में कामोत्तेजना की ऐसी गर्माहट पैदा हो गई कि शराब का नशा कहीं पीछे छूट गया।
रह गया तो वासना का नशा… जो सर चढ़ कर बोल रहा था।
मैंने अपने होंठों से कुछ बाकी न रखा था और जब उसके भगोष्ठ और भगांकुर को होंठ और जीभ से ज़बरदस्त ढंग से चूस और चाट रहा था तो उसने बेचैनी से मुझे ऊपर खींच लिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चूमने रगड़ने लगी।
‘यार आज करो!’ चूमाचाटी के बीच नशे से थरथराती आवाज़ में उसने कहा- उफ़… मैं और नहीं बर्दाश्त कर सकती। मुझे भी इस डंडे को अपने जिस्म में लेने का सुख चाहिए। कुछ करो, कैसे भी करो।’
एक तो शराब का नशा और उसमे जवानी का नशा, यौनांग से उठती मादक लहरें और उत्तेजना से कंपकपाते शरीर। जिस्म की गर्माहट ऐसी कि बुखार भी पीछे छूट जाए।
यहाँ खुद पर नियंत्रण बनाए रखना मेरे लिए बेहद मुश्किल था और उसके लिए तो खैर नामुमकिन ही था।
हम एनल सेक्स कर सकते हैं… अगर तुम चाहो।’ मैंने खुद को थोड़ा सँभालते हुए कहा।
‘करो… कुछ भी करो… कहीं भी घुसा दो पर इसे मेरे अंदर कर दो।’
‘क्या यहाँ कोई ऐसी चीज़ है जो बाहरी लुब्रिकेंट का काम कर सके- जैसे तेल, जेली?’
‘मस्टर्ड आयल है, कभी कभी मैं हाथ पैरों में लगाती हूँ।’
‘दे दो… ऐसे ही नहीं कर सकते। उसे पहले ढीला करना पड़ेगा।’
उसने मेरे ऊपर से हटते हुए साइड टेबल की दराज़ से क्रीम का छोटा डिब्बा निकाल कर मुझे थमा दिया।
मैंने उसका ढक्कन हटा कर उसे टेबल पर ही रख लिया और बेड पर उसी तरफ मुंह करते हुए ऐसे लेटा कि ज़रूरत पड़ने पर मैं तेल ले सकूं।
मैंने उसे अपने ऊपर इस तरह आने को कहा कि वह चौपाये जैसी पोज़ीशन में रहे, उसके घुटने मेरी पसलियों के गिर्द रहें और उसकी योनि मेरे मुंह पर रहे और खुद उसका मुंह वहाँ रहे जहाँ मेरा लिंग था।
ये 69 पोज़ीशन थी जो इस खेल की नई खिलाड़ी के लिए कुछ अजीब थी।
मैंने उसके नितम्बों को अपने चेहरे के सामने अपनी सुविधानुसार एडजस्ट किया और दोनों को सहलाते दबाते उसकी योनि में मुंह डाल दिया।
मैं न सिर्फ उसकी क्लिटरिस के साथ उत्तेजक ढंग से छेड़छाड़ कर रहा था बल्कि उसके बंद छेद को भी जीभ से दबा रहा था।
धीरे धीरे उसकी सीत्कारें का क्रम बढ़ने लगा।
इस पोजीशन में मेरा लिंग ऐन उसके मुंह के सामने था और उसे आमंत्रित कर रहा था।
वह तीन दिनों से पोर्न मूवी देख रही थी तो क्या इतना भी न समझी होगी कि वह उसके गीले मुंह के लिए कोई वर्जित फल नहीं बल्कि एक लज्जतदार चीज़ है जो मुझे वैसा ही सुख देगी जैसे इस वक़्त उसे मिल रहा है।
मैं अपना काम करते हुए दिमाग वहीं लगाए था कि कब वह अपनी झिझक और शर्म की बाधा को तोड़ के मेरे भाई को अपने मुंह की क़ुरबत बख्शती है…
और जब उसकी योनि ने उसके दिमाग पर नियंत्रण बना लिया तो उसने एकदम से लिंग को मुंह में दबोच लिया और बेताबी से ऐसे चूसने लगी जैसे आइसक्रीम चूस रही हो।
शिश्नमुंड के छेद पर मौजूद प्रीकम की बूँदों ने उसे रोका होगा लेकिन उसने कामयाबी से यह बाधा पार कर ली तो अब कोई अड़चन ही नहीं थी जो उसे यूँ ज़बरदस्त ढंग से लिंग चूषण करने से रोक सके।
उसके मुंह से बहती लार को मैंने अपने अंडकोषों और उनसे होकर अपने गुदाद्वार तक जाते महसूस किया था।
चूषण के साथ ही वह मेरे अंडकोषों को भी अपनी उँगलियों से सहलाने लगी थी।
अब उधर मेरा ध्यान देना मेरी सेहत के लिए ठीक नहीं था वर्ना मेरा पारा भी चढ़ने लगता अतएव मैंने अपना सम्पूर्ण ध्यान उसके चूतड़ों और योनि पर केंद्रित कर लिया और बड़ी लगन से योनि चूषण करते हुए अब अपनी दो उंगलियाँ सरहाने रखे तेल में डुबा लीं और उसके पीछे वाले सिकुड़े सिमटे छेद को सहलाने दबाने लगा।
‘तुम इस छेद को बिलकुल ढीला छोड़ दो… इसे किसी भी हालत में सिकोड़ोगी नहीं।’
उसने एक ‘आह’ भरी सिसकारी के साथ सहमति जताई।
मैं उसे योनि से चार्ज तो कर ही रहा था… जिससे उसके दर्द पर उसकी उत्तेजना हावी रहे। और जब लगा कि उँगलियों पर लगा तेल चुन्नटों से होता अंदर तक पहुँच चुका होगा तो अपनी बिचली उंगली थोड़ा दबाव देते अंदर उतार दी।
उसके जिस्म की अकड़न में एक पल के लिए ठहराव आया तो सही लेकिन एक उन्नीस साल की लड़की के लिए उंगली कोई मायने नहीं रखती थी और वह मैं कल भी कर चुका था।
मैंने जीभ से अपना काम करते हुए उंगली को गहराई में ले जाकर उसके रेक्टम की प्रवेशद्वार वाली दीवारों को सहलाने रगड़ने लगा, उंगली को गोल गोल घुमाते हुए।
‘आह, ओफ्फो… यह भी अच्छा लग रहा है… कितने… मज़े देते हो तुम… आह… और करो… ऐसे ही… और.. आह… मज़ा आ रहा है…’वह अस्फुट से शब्दों के साथ टूटती लड़खड़ाती आवाज़ में बोली।
उसे एन्जॉय करते देख मैंने दूसरी उंगली भी छेद में उतार दी।
उसके मुंह से दर्द भरी कराह निकली और उसने कुछ पलों के लिए छेद को सिकोड़ा मगर फिर ढीला छोड़ दिया और ऐसा लगा जैसे अपना ध्यान लिंग चूषण पर लगा लिया हो।
अच्छा ही था… इससे मुझे आसानी होती।
मैं दोनों उंगली अंदर ही रखते हुए इस तरह चलाने लगा कि एक बाहर की तरफ आ रही होती तो दूसरी अंदर की तरफ जा रही होती। इस तरह न सिर्फ उसे रगड़न मिल रही थी बल्कि छेद भी दो उँगलियों का आदि होकर ढीला हो रहा था।
एक सख्त कसे हुए छल्ले को मैं अपनी उँगलियों पर महसूस कर सकता था।
हालांकि यह पोज़ीशन ऐसी थी कि मैं उँगलियों पर तवज्जो देता तो मुझे अपना मुंह उसकी योनि से पीछे खींचना पड़ता और मुंह पर तवज्जो देता तो उँगलियों को गति नहीं दे सकता था।
दूसरे इस तरह मेरे पंजे यूँ मुड़े हुए थे की जॉइंट की हड्डी दर्द करने लगी थी।
अंततः मैंने उसे अपने ऊपर से हटा दिया।
खुद उठ कर उसी साइड में जिधर तेल रखा था, बेड से नीचे खड़ा हो गया और गौसिया को उसी तरह चौपाये की पोजीशन में रखते हुए एकदम किनारे खींच लिया।
उसकी कमर पर दबाव बना कर उसे इस तरह नीचे कर दिया कि उसके बूब्स और चेहरा गद्दे में धंस गए और इस तरह उसके नितम्बों वाला हिस्सा ही उठा रह गया जो मेरे एन सामने था और उसके दोनों गीले और बह रहे छेद बिल्कुल सही पोजीशन में मेरे सामने थे।
मैंने उँगलियों पर तेल लेकर उसके छेद में टपकाया और उसे उँगलियों से अंदर करते हुए, साथ ही दोनों उंगलियाँ भी अंदर उतार दीं।
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