Hindi Sex Kahaniya कामलीला
09-11-2018, 11:46 AM,
#64
RE: Hindi Sex Kahaniya कामलीला
फिर वह मेरे ऊपर लद गया और मेरे होंठों को चूमते-चूसते मेरी गोलाइयों को मसलने सहलाने लगा। मैंने आँखें खोल ली थीं और उसकी आँखों में देख रही थी जो मुझे देखता जैसे कह रहा था…
बस दीदी, बैरियर टूट गया… अब आगे का रास्ता क्लियर है।
ऐसा नहीं था कि योनि में दर्द ख़त्म हो गया था लेकिन उसमे कमी ज़रूर आ गई थी और मैंने भी उधर से ध्यान हटाने के लिए उसकी पीठ को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया। 
सारा ध्यान, होंठों के चूषण और वक्ष के मर्दन और उनसे पैदा होने वाली उत्तेजना में लगाये हुए भी मैंने महसूस किया कि अपनी कसावट को हथियार बना कर विरोध करके भी मेरी योनि उसके लिंग को रोक नहीं पा रही थी।
और वह हर पल आगे बढ़ रहा था, धीरे-धीरे अंदर सरक रहा था और योनि में जगह कम होती जा रही थी।
ऐसा लग रहा था जैसे मेरे अंतर में कोई खालीपन बाकी रहा हो जो अब भर रहा हो।
यकीनन दर्द के अहसास के साथ लेकिन साथ ही उत्तेजना और प्यार से मिश्रित छुअन, घर्षण उस दर्द को कम ज़रूर कर रहे थे।
‘दीदी… पूरा चला गया।’ उसने मेरे एक वक्ष को मसलते हुए कहा।
‘हट- नहीं!’
पर वह गलत नहीं कह रहा था, मैंने हाथ लगा कर देखा तो अंदाज़ा हुआ था कि पूरा अंदर था। साथ ही उसके बालों और अंडकोषों की छुअन भी महसूस की। 
मुझे ताज्जुब हुआ कि इतना लंबा लिंग मेरी योनि में घुस कर पूरा गायब हो गया था… क्या इतनी जगह होती है उसमें, हालांकि मैं यह भी महसूस कर रही थी कि वह अंदर कहीं लड़ रहा है।

पर इस बात की ख़ुशी थी कि मैंने दर्द की बाधा पर कर ली थी और अब ये सोच कर और उत्तेजना भर रही थी कि आखिरकार मैं सहवास कर रही थी और एक परिपक्व लिंग को अपनी योनि में लिये थी।
फिर उसने उठने की कोशिश की तो लिंग बाहर निकल गया।
ऐसा लगा जैसे ‘पक’ की आवाज़ हुई हो और योनि की मांसपेशियों में बना हुआ खिंचाव एकदम छूट गया हो और थोड़ी राहत सी मिल गई हो। 
वह फिर वैसे ही बैठ कर मेरे भगांकुर को रगड़ने लगा और कुछ देर में फिर लिंग को घुसाया… ऐसा नहीं था कि दर्द न हुआ हो लेकिन इस बार आगे का लुत्फ़ पता था तो अनुभूति बहुत कम हुई।
उसने भगांकुर को सहलाते हुए ही धीरे-धीरे पूरा लिंग अंदर सरका दिया। मैं अपने हाथों से अपने वक्षों को मसलने लगी थी। 
हालांकि अंदर की कसावट अभी भी इतनी ज्यादा थी कि लग रहा था जैसे योनि ने लिंग को जकड लिया हो… जैसे लिंग अंदर फंस कर रह गया हो। 
पर उन दीवारों से चिकना पानी भी रिस रहा था जो उस फंसे हुए लिंग को अंदर बाहर सरकने में सहायता प्रदान कर रहा था।
शुरुआत में उसने धीरे-धीरे लिंग को अंदर पहुंचाया, बाहर निकाला लेकिन जल्दी ही जब फिसलन मनमुताबिक हो गई तो धक्कों में तेज़ी आने लगी। 
जल्दी ही यह स्थिति हो गई कि वह मेरे दोनों वक्षों को दबोचे, मेरी जांघों के के बीच बैठा ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था और मैं मुट्ठियों में बिस्तर की चादर दबोचे ‘सी-सी-आह-आह’ करती हर धक्के पर ऐंठ रही थी। 
हम दोनों ही नये थे, हम दोनों का ही यह पहला सम्भोग था जिसमे हम बहुत देर तक यह उन्माद कायम न रख सके और जब उसने महसूस किया कि वह चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रहा है तो मेरे ऊपर लद कर धक्के लगाने लगा।
मैंने भी उसकी पीठ दबोच ली थी और उसे इस तरह खुद से चिपकाने लगी थी जैसे खुद में ही समां लेने का इरादा रखती होऊँ।
फिर एकदम मुझे मेरी नसों में खिंचाव पैदा होता महसूस हुआ और यह खिंचाव एकदम छूटा तो ऐसा लगा जैसे मेरी नसों से कुछ निकल पड़ा हो।
शरीर एकदम से ऐंठ कर झटके लेने लगा और योनि उन क्षणों में इतनी संकुचित हो गई कि सोनू के लिए लिंग चलाना संभव न रह गया और उसने भी एकदम जैसे उस कसाव से निपटने के लिए फूल कर कुछ उगल दिया जो मुझे गर्म-गर्म लगा और उन पलों में उसने भी मुझे एकदम ‘आह’ करते हुए इस कदर सख्ती से भींच लिया कि लगा हम दोनों ही की हड्डियाँ कड़कड़ा जाएंगी। 
जब इस दशा से गुज़र चुके तो दिमाग में इतनी सनसनाहट थी कि कुछ सुध न बाकी रही।
तभी दरवाज़ा खुला और रंजना अंदर आई… उसे आते देख मैं भी उठ बैठी और सोनू भी उठ गया। 
‘चल जा, साफ़ कर जाकर अपने को!’ उसने सोनू से आँखें तरेरते हुए कहा और वह मुंह बनाता मेरी चुन्नी लपेटता बाहर चला गया। 
वह मेरे पास बैठ गई- सच बोल, आया मज़ा या नहीं?
उसके स्वर में किसी बच्चे जैसी ख़ुशी थी। 
‘हाँ!’ मैं इससे ज्यादा और क्या कह सकती थी। 
‘चल मैं तुझे साफ़ कर देती हूँ।’ वह उठ कर बाहर निकल गई और फिर वही गर्म पानी वाला बर्तन लेकर और साथ में दूसरा कपडा लिये लौटी।
‘देख तो सही, कितना वीर्य निकाला है कमीने ने!’
उसके कहने पर मैंने नीचे देखा तो ढेर सा सफ़ेद वीर्य मेरी योनि से निकल रहा था, जिसे मेरे देखने के बाद रंजना गीले कपडे से पोंछने लगी। 
वह कुछ बोलती रही और मैं अपनी सोच में पड़ी रही कि आज मुझे अपने शरीर से वह सुख हासिल हो गया जो मेरा हक़ था लेकिन आज मैंने ये वर्जना न तोड़ी होती तो क्या मैं इसे कभी हासिल कर सकती थी। 
अच्छे से मुझे साफ़ कर चुकने के बाद उसने मुझसे पूछा कि अगर मैं अब हिम्मत कर सकूं तो वह मुझे कुछ ज्ञान और दे।
मुझे भी लगा कि अब नंगी तो हो ही चुकी थी, ना-नुकुर से हासिल भी क्या था।
मैंने सहमति जताई और वह मुझे और कई प्रकार की सेक्स से जुड़ी बातें बताने लगी जिनसे मैं और ज्यादा मज़ा पा सकती थी।
मुझे ताज्जुब हो रहा था कि वह मन में कितनी बाते छुपाये थी। बहरहाल मेरी सफाई करके वह बाहर चली गई और शायद सोनू को कुछ समझाने लगी होगी।
करीब दस मिनट बाद वह कमरे में आया- दीदी, सच बोलना… मज़ा आया ना, मैंने अच्छे से तो किया न?
मैं क्या जवाब देती, शर्मा कर सर नीचे करके ‘हाँ’ में सर हिला दिया और उसने मेरी बाहें थाम लीं और मुझे अपने सीने से चिपका लिया।
थोड़ी देर हम ऐसे ही चिपके बैठे एक दूसरे के बदन की गर्माहट को महसूस करते रहे। 
फिर धीरे-धीरे पारा चढ़ने लगा।
ज़ाहिर है कि हम नग्न थे और हमारे दिमागों में सेक्स घुसा हुआ था तो और दूसरी भावना और क्या पैदा होती।
मेरे हाथ खुद-बखुद नीचे जाकर उसके मुरझाये लिंग को सहलाते उसमे तनाव पैदा करने लगे और उसके हाथ मेरे वक्ष और नितंबों पर मचलते मुझमे ऊर्जा का संचार करने लगे। 
वह फिर मेरे होंठों को चूसने लगा और मैं सहयोग देने लगी।
‘दीदी चलो कुछ नए ढंग से करते हैं।’
‘कैसे?’
वह मुझे छोड़ के चित लेट गया और मुझे देखते हुए बोला कि मैं उस पर इस तरह बैठूं कि मेरी पीठ उसके चेहरे की तरफ रहे और मेरी योनि ठीक उसके मुंह के सामने रहे। 
जब मैं इस तरह बैठी तो उसने मेरी पीठ पर दबाव डालते हुए मुझे इस तरह झुका दिया कि मैं किसी चौपाये की तरह हो गई।
उस स्थिति में मेरा मुंह उसके लिंग के सामने था। 
‘अब मैं आपकी वेजाइना को मुंह से चूसता हूँ, आप मेरे पेनिस को करो।’
मैंने साफ़ इंकार कर दिया लेकिन उसके ऊपर इस बात का कोई फर्क ही नहीं पड़ा… हालांकि रंजना मुझे जो समझा कर गई थी उसमें ये भी शामिल था पर मैं खुद को एकदम से तैयार नही कर पाई थी।
पर उसने अपनी जुबां से मेरी योनि के किनारों को छेड़ना चालू कर दिया था और मेरे शरीर में लहरें दौड़ने लगी थीं।
मैं योनि की मांसपेशियों को सिकोड़ने-छोड़ने लगी और ‘आह-आह’ करने लगी। 
अब मेरा ध्यान उसके लिंग की तरफ नये नज़रिये से गया, मैं इतनी नादान तो नहीं थी कि मुझे मुखमैथुन के बारे में पता न हो पर कभी खुद पर इसकी कल्पना नहीं की थी तो इसलिये असहज थी। 
पर अब जो सिलसिला चला है उसमे आज नहीं तो कल ये करना ही है, क्यों न इसका अनुभव भी कर लूं, अच्छा या बुरा, बिना चखे कैसे पता चलेगा।
मैंने उसके पेट पर गिरे लिंग को मुट्ठी में उठा कर जीभ से उसके अग्रभाग को छुआ। 
शिश्नमुंड के छिद्र पर एक बूंद चमक रही थी जो मेरी जीभ पर आ गई थी। लसलसी सी… तार सा बनाती और स्वाद में नमकीन सी। 
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Sex Kahaniya कामलीला - by sexstories - 09-11-2018, 11:46 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,712,100 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 570,389 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,323,465 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,006,801 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,775,616 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,182,696 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,127,762 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,649,418 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,221,367 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 305,396 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)