Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
09-17-2018, 02:02 PM,
#60
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
सुबह मेरी आँख भी देर से खुली जब आँख खुली और मैने बगल मे मनीष को टटोलते हुए हाथ उनकी तरफ घुमाया तो वो जगह खाली थी मनीष को वहाँ पर ना पाकर मैं फॉरन अपनी जगह से उठ कर खड़ी हुई और जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी. मैने अपने कपड़े पहने ही थे की बाथरूम का दरवाजा खुला और मनीष नहा कर बाहर निकलते हुए दिखाई दिए.

“आप बड़ी जल्दी उठ गये” मैने अपने बालो को सही करते हुए कहा

“अरे तुम उठ गयी… हां जान.. पापा के साथ जाना है कुछ सामान ले कर आना है” मनीष ने मेरे बगल मे आ कर मेरे गालो पर अपने ठंडे ठंडे हाथ लगाते हुए कहा.

“तो आप ने मुझे क्यू नही उठाया?” मैने मनीष को बॅग से उनके कपड़े निकाल कर देते हुए कहा.

“तुम सो रही थी जान” मनीष ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा और फिर मेरी तरफ देख कर बोले कि “तुम भी नहा लो और जल्दी से तैयार हो कर मा के साथ काम मे हाथ बटाओ.. उन्हे ये ना लगे की तुम सहर मे रहती हो तो गौने के रीति रिवाज भूल गयी”

“ओके.. मैं अपने कपड़े ले कर अभी नहा कर तैयार हो जाती हू फिर दोनो एक साथ चलते है” मैने अपने कपड़े निकाल कर मनीष की तरफ देखते हुए कहा.

थोड़ी ही देर मे हम दोनो तैयार हो कर बाहर आ गये मैने मा और पिता जी के पैर छुए और उनसे आशीर्वाद ले कर मा के साथ रसोई मे नाश्ता बनाने के लिए चली गयी जहा पर अनिता पहले से ही मौजूद थी.

“अरे वाह भाभी जी आप इतनी सुबह सुबह.. मुझे तो लगा था कि आप 7-8 बजे से पहले सो कर नही उठोगे पर आप तो बड़ी जल्दी उठ जाते हो” अनिता ने मेरी चुटकी लेते हुए कहा.

जिसके जवाब मे मैने केवल उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया और उसके साथ सुबह के नाश्ते का जल्दी जल्दी इंतज़ाम करने लग गयी. नाश्ता तैयार करके हम सबने एक साथ ही नाश्ता किया विकास भी उठ कर तैयार हो के नाश्ते की टेबल पर आ गया था. नाशता करने के बाद मनीषा पिता जी के साथ निकल गये और मैं घर पर बाकी के काम जो मम्मी जी ने मुझे बताए थे करने लग गयी.

काम ख़तम करने के बाद मैं मम्मी जी के पास आ कर उनसे और कामो के बारे मे पूछने लग गयी तो मम्मी जी ने मुझे बता दिया कि अभी तो कोई काम नही है धूप भी ज़्यादा हो गयी है शाम को छत पर कंडे पड़े हुए है वो कंडे हटा कर छत पर जगह करनी है क्यूकी रिश्तेदार अगर ज़्यादा हो गये तो छत पर इंतज़ाम आसानी से कर दिया जाएगा.

मैं वहाँ से फ्री हो कर अपने कमरे मे बैठी ही थी कि मुझे कल की अमित की हरकत याद आ गयी जिसकी वजह से अनिता की साड़ी खराब हो गयी थी मैने जल्दी से वापस अपने कमरे मे आ कर अनिता की साडी को सॉफ किया और वही सूखने के लिए डाल दिया. थोड़ी ही देर मे अनिता मेरे कमरे मे आ कर मुझसे बोली “भाभी जी क्या कर रहे हो ?”

“कुछ नही” मैने अनिता की तरफ देखते हुए कहा.

“चलो अच्छा है फिर तो आप को अपने साथ ले चलती हू” उसने मुस्कुराते हुए कहा.

“कहाँ ले चलती हू ?” मैने चोन्क्ते हुए उस से कहा.

“पास ही मे चलना है भाभी जी टेलर मास्टर की दुकान पर सूट दिया था सिल्ने के लिए वही सूट ले कर आना है” उसने अपनी पूरी बात करते हुए कहा.

“धूप मे जाओगी ?” मैने गर्मी को देखते हुए कहा.

“हन.. पास मे ही उसकी दुकान है 1घंटे मे वापस आ जाएगे. अकेले जाती इस से अच्छा सोचा आप को साथ ले लू तो आप को भी गाँव मे घूमने हो जाएगा और मुझे भी आप का साथ मिल जाएगा” उस से मक्खन लगाने वाले अंदाज मे कहा.

“ओके.. मम्मी जी से बोल देती हू” मैने आगे बढ़ते हुए कहा.

“कोई ज़रूरत नही है वो मैने पहले ही ताई जी को बोल दिया है की मैं आप को अपने साथ ले जा रही हू” उसने इठलाते हुए अंदाज मे जवाब दिया.

“कोई बात नही मैं मम्मी जी को एक बार और बता देती हू.” मैने अपनी तसल्ली करने के लिए कहा.

“ठीक है” उसने कहा और हम दोनो कमरे से बाहर निकल आए.

कमरे से बाहर निकलते ही सामने से मुझे अमित आते हुए दिखाई दिया. वो मुझे देख कर अपने दाँत दिखाता हुआ चला आ रहा था.

अमित मेरे पास तक आता इस से पहले ही विकास ने उसे आवाज़ दे कर अपने पास बुला लिया. विकास का उसको बुलाना.. मुझे अंदर ही अंदर डर लग रहा था की पता नही कही अमित विकास को कल के बारे मे कुछ बता ना दे.. “क्या सोचने लग गयी भाभी ..!” अनिता ने मुझे सोच मे डूबे हुए देख कर मेरे कंधे को ठप-थपाते हुए कहा. मैने अपनी सोच से बाहर निकल कर एक झलक उसकी तरफ देखा “क्या हुआ भाभी अब चलो भी ऐसे क्या देख रहे हो मेरी तरफ” अनिता ने कहा और मेरा हाथ पकड़ कर आगे की तरफ बढ़ गयी.

मैं अपनी सोच से बाहर निकल कर अनिता के साथ चल दी. क्यूकी मैने भी मनीष के साथ यहाँ पर आने से पहले खूब सारी शूपिंग की थी.. जिनमे तीन चार अच्छी अच्छी साडी भी थी लेकिन समय कम होने के कारण और कोई अच्छा टेलर ना होने के कारण मैं उन साडी के ब्लाउस और पेटिकोट नही सिल्वा पाई थी इस लिए सोचा कि अनिता के साथ साथ मैं भी अपने पेटिकोट और ब्लाउस सिल्वा लू.. मैने भी अपनी साडी के ब्लाउस और पेटिकोट के कपड़े ले लिए.

धूप काफ़ी तेज थी और उस टेलर की शॉप थोड़ी दूर थी इसलिए हम दोनो ने रिक्शा कर लिया. रिक्शे मे बैठ कर हम दोनो टेलर की दुकान की तरफ चल दिए. वो रिक्शा चलाते हुए बार बार पलट कर मेरी तरफ देखे जा रहा था. मुझे बड़ा अजीब लग रहा था एक तो गर्मी की वजह से पूरी सड़क सुनसान दूसरा गाँव मे खेत और कच्ची सड़क.. मेरा दिल पता नही एक अंजाने डर से बैठा जा रहा था.

वो बार बार मेरी कभी अनिता की तरफ पलट कर देखे जा रहा था जब मुझसे रहा नही गया तो मैने उसको बोल दिया “ये बार बार पीछे मूड कर क्या देख रहे हो सामने देख कर रिक्शा चलाओ चुपचाप”

वो मेरी बात के जवाब मे कुछ नही बोला और अपनी बत्तीसी निकाल कर दिखाने लगा. और फिर रिक्शा चलाने लग गया. उसने थोड़ी ही देर मे आगे जा कर रिक्शा रोक दिया. उसके यूँ अचानक रिक्शा रोक देने से मैं थोड़ा घबरा गयी.. लेकिन अपनी घबराहट को च्छूपा कर मैने गुस्से मे उस से कहा “ये रिक्शा बीच मे क्यू रोक दिया है..!”

“मेंसाब् वो बड़ी ज़ोर से पेशाब आ रहा है. पेशाब कर लू फिर चलता हू” कह कर वो रिक्शे से नीचे उतर गया. और मेरी तरफ देखने लग गया. उसके रिक्शे से उतरते ही मेरी नज़र उसके पुराने गंदे से पाजामे के उपर गयी जहाँ उसके लिंग वाली जगह पर टेंट सा बना हुआ था. “मेडम जी आप की इजाज़त हो तो कर लू” उसने मेरी तरफ देख कर अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहा.

“ठीक है जल्दी करो और यहाँ से चलो” मैने कहा तो वो हस्ता हुआ थोड़ी ही दूरी पर जा कर खड़ा हो कर पेशाब करने लग गया. अनिता चुप चाप मेरे बगल मे ही बैठी हुई थी. वो जिस तरह से खड़े हो कर पेशाब कर रहा था ऐसा लग रहा था कि वो अपने लिंग को पकड़ कर हिला रहा हो. वो हमारी ही तरफ बार बार पलट कर देख रहा था. मैने अपनी आँख वहाँ से हटा ली. ना चाहते हुए भी मेरा ध्यान एक बार फिर से जैसे ही उस की तरफ गया, वो शायद अपना पाजामा बाँध रहा था. उसको पाजामा बांधता देख कर मुझे तसल्ली हुई. कि अब वो चलेगा. वो जैसे ही पास आया मैं उस से बोली “अब जल्दी से चलो हम काफ़ी लेट हो रहे है”

“जी मेम्साब बस चलते है" उसने कहा और वापस रिक्शा चलाने लग गया.
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