RE: Antarvasna kahani जुआरी
कामिनी का तो अब ये हाल हो चुका था की उसका मन कर रहा था की आगे बड़े और उसके कड़क लंड को पकड़ ले...
पर उसकी हिम्मत नही हो रही थी...
उसने कुणाल की तरफ देखा तो पाया की वो भी उसी की तरफ देख रहा है.
उसने हड़बड़ाकर आँखे नीचे कर ली
कुणाल बोला : "अरे,क्या बात हो गयी मेडम...जो चीज़ देखने में अच्छी लगे तो उसे पकड़ लेना चाहिए...''
कामिनी का पूरा शरीर एक बार फिर से सुन्न सा होकर रह गया....
ये क्या बात कह दी थी कुणाल ने...
उसके ड्राइवर ने.
पर उसकी इस बदतमीज़ी से भरी बात को सुनकर भी उसका खून नही खोला था, बल्कि चूत का पानी खोल गया, और वो पहले से ज़्यादा गीली होकर रिसने लगी थी.
कुणाल शायद उसकी मनोदशा समझ चुका था, इसलिए खुद ही पहल करके उसके करीब आकर खड़ा हो गया..
इतने करीब कीउसका पेंट से बाहर निकला हुआ लंड , कामिनी की कमर से टच कर रहा था...
कामिनी तो काँप सी गयी...
कुणाल ने उसका हाथ पकड़ कर धीरे से अपने लंड पर रख दिया.
कामिनी के हाथ काँप से रहे थे,एकदम ठंडे हो चुके थे उसके हाथ...
पर जैसे ही वो उसके गर्म डंडे से टकराए, वो सिसक उठी और उसकी मुट्ठी में कुणाल का लंड बंद होता चला गया...
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआआआआआआआअहह ...मेडम जी......... क्या नर्म मुलायम हाथ है आपके....''
कुणाल ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर अपने लंड को एक बार फिर से आगे पीछे करना शुरू कर दिया...
कामिनी तो बिना पलक झपकाए उसके लंड को ही देखे जा रही थी....
और अचानक कुणाल के लंड से फव्वारा निकल कर उसके कपड़ों पर गिरने लगा...
''आआआआआआअहह ओह......मेडम जी.........अहह''
कामिनी के हुस्न का जादू ही इतना गज़ब का था की कुणाल एक मिनट में ही झड़ गया...
शायद इसलिए भी की वो काफ़ी देर से अपने लंड को मसल रहा था...
उपर से कामिनी के हाथ लगने के बाद वो अपने पर कंट्रोल ही नही कर पाया...
और उसके उपर झड़ता चला गया...
जब कामिनी ने उसके लंड को पकड़ा था तो कुणाल ने उसे वहीं चोदने तक की भी योजना बना ली थी...
पर इतनी जल्दी झड़ने के बाद अब उसे अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था...
पर अब कुछ नही हो सकता था, क्योंकि जैसे ही कुणाल झड़कर साइड में हुआ, कामिनी मेडम का फोन बजने लगा, वो उनके पति विजय का फोन था...
फोन उठा कर उसने बोला की बस आने ही वाले है, और कुणाल को जल्दी चलने का कहकर वो कार में आकर बैठ गयी...
कुणाल ने पानी की बॉटल निकाल कर अपने हाथ-मुँह सॉफ किए...
पर कामिनी ने वैसा कुछ नही किया.
गाड़ी में बैठकर कुणाल ने देखा की कामिनी के चेहरे के एक्शप्रेशन पहले से ज़्यादा सैक्सी हो चुके हैं...
और वो रह-रहकर अपनी उंगली को चूस रही है...
कहने की ज़रूरत नही थी की वो अपने कपड़ों पर गिरे कुणाल के वीर्य को इकठ्ठा करके चूस रही थी.
कुणाल के लिए इतना ही बहुत था की चिड़िया ने उसका दाना चुग लिया है...
अब जल्दी ही मौका देखकर वो अपना आख़िरी पासा फेंकेंगा..
पर उससे पहले तो आज की रात का जशन भी बाकी था, घर पहुँचकर उसने विजय के साथ जुआ भी तो खेलना था...
वो जुआ जो उसके और विजय के दिल में चल रही इच्छाओं को आख़िरी मुकाम पर पहुँचाने वाला था.
पर उन्हे ये नही पता था की उनके पीछे नेताजी ने क्या खेल, खेल दिया है.
दरअसल विजय का कामिनी को भेजने का मकसद ही यही था की वो पायल पर हाथ सॉफ कर सके..
और वैसे जाना उसे ही था उस काम के लिए, जो दरअसल एक बड़े प्रॉजेक्ट से मिली घूस का हिस्सा था, पर विजय ने कामिनी को ये कहकर की वो जाएगा तो किसी को शक हो जाएगा, उसे भेज दिया
वैसे भी दूसरे मंत्री की बीबी, सुरभि, कामिनी की अच्छी दोस्त थी...
और फोन पर विजय ने अपने मंत्री दोस्त को समझा भी दिया था की कामिनी की अच्छे से खातिरदारी करे, दोनो हरामी थे, इसलिए वो मंत्री भी उसकी चाल समझ गया की घर पर ज़रूर कुछ ख़ास इंतज़ाम किया है विजय ने...इसलिए उसने अपनी बीबी को बोलकर, उसे ज़्यादा देर तक रोका भी और उसे वोड्का भी पिलाई...
और पीछे जो विजय बाबू ने किया उसका तो जवाब ही नही था.
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