RE: Antarvasna kahani जुआरी
कामिनी और कुणाल के निकलते ही विजय भी उठ खड़ा हुआ और बंगले में जाते-2 उसने मुड़कर पायल को देखा और बोला : "मैं उपर वाले रूम में हूँ, मेरे लिए एक कप कॉफ़ी बना कर ले आओ...''
पायल ने मुस्कुराते हुए हाँ कह दी और अपने साहब के पीछे-2 अंदर आ गयी.
उपर आकर विजय ने अपने सारे कपड़े उतारे, सिर्फ़ अंडरवीयर को छोड़कर और एक बाथिंग रॉब पहन कर बालकोनी में बैठ गया..
कुछ ही देर में पायल कॉफ़ी लेकर आ गयी.
विजय : "अच्छा सुनो पायल, तुम मसाज बेड रेडी करो...मुझे मसाज करवानी है तुमसे...''
ये सुनते ही पायल चोंक गयी..
विजय (थोड़ी तेज आवाज़ में) : "क्या बुत्त बनकर खड़ी हो गयी...सुनाई नही दिया...अंदर जाकर बेड तैयार करो...मैं कॉफ़ी पीकर आ रहा हूँ बस...''
अपने मालिक की फटकार सुनकर वो काँप सी गयी...
आज पहली बार उन्होने उसके साथ इस तरह से बात की थी...
अभी कुछ देर पहले तक तो कैसे मीठी आवाज़ में बात कर रहे थे, अचानक उन्हे क्या हो गया है.
और वो सोचने लगी की उन्हे भला मसाज लेने की क्या सूझी...
कामिनी मेडम की मसाज करना अलग बात है, वो एक औरत है...पर साहब तो मर्द है....उन्हे कैसे वो मसाज देगी...क्या वो उसके सामने कामिनी मेडम की तरह नंगे होकर....
ये सोचते ही उसके बदन में झुरझुरी सी दौड़ गयी...
आज तक उसने लाइफ में अपने पति कुणाल और कामिनी मेडम को ही नंगा देखा था...
कुणाल तो उनका पति था, पर कामिनी मेडम के नंगे शरीर को देखकर भी उसे शुरू मे काफ़ी शर्म आती थी...
और कल जो उन्होने पायल के साथ किया था और उससे करवाया था, उसके बाद तो पायल की मसाज के नाम से ही चूत गीली हो जाती थी.
अब साहब को मसाज देते हुए वो क्या सोचेगी, यही सोचकर उसे कुछ -2 हो रहा था
उसने जल्दी से बेड पर एक चादर बिछाई और मसाज के लिए तेल निकाल कर ले आई.
कुछ ही देर में विजय साहब कमरे में आए, और उन्होने पायल को उपर से नीचे तक निहारा, उसने हमेशा की तरह एक काटन की साड़ी पहनी हुई थी.
विजय ने अपनी रॉब खोली और उसे साइड में फेंक दिया....
ना चाहते हुए भी पायल की नज़रें उनकी तरफ उठ गयी.
एकदम गोरे चिट्टे शरीर के मालिक थे वो,उनका रंग कामिनी मेडम से भी सॉफ था...बस थोड़ी सी तोंद निकली हुई थी, वरना शरीर एकदम कसावट लिए हुए था... उनके अंडरवीयर की तरफ देखकर वो सहम सी गयी... आज से पहले उसने सपने में भी नही सोचा था की देश के इतने बड़े मंत्री को , अपने मालिक को, वो इस तरह सिर्फ़ एक छोटे से अंडरवीयर में देखेगी.
उनके उभार को देखकर ही वो समझ गयी की उनके रुतबे की तरह वो भी काफ़ी बड़ा है..
विजय बेड पर उल्टा लेट गया...और पायल ने उनके शरीर पर तेल की धार मारकर मालिश शुरू कर दी.
उसकी नर्म उंगलियाँ और सख़्त हाथ को महसूस करके विजय कराह उठा..
''आआआआआआआआआआहह....... तुम्हारे हाथों में तो जादू है पायल....कामिनी सही कहती है, तुमसे मालिश करवाकर सारी थकान दूर हो जाती है...''
अपनी तारीफ सुनते ही वो गाँव की भोली औरत मंत्रीजी की चाशनी भरी बातों में घिरती चली गयी.
वो बोली : "वो क्या है ना साब, शुरू से ही मुझे हर काम करने का शॉंक है, अब मैने इस मालिश की प्रकटिस तो की नही है..पर कामिनी मेडम की करने से ही पता चला की मैं ये भी कर सकती हूँ ...''
विजय : "ह्म्*म्म्ममममम........करती रहो....मज़ा आ रहा है....''
फिर तो पायल अपनी ही धुन में शुरू हो गयी....
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