RE: Antarvasna kahani जुआरी
आज से पहले उसने ऐसी मदहोशी से भरी महक महसूस नही की थी.. इसलिए उसने पायल को खिसकाते हुए अपने मुँह पर लाकर बिठा दिया..
अब नज़ारा ये था की देश का एक बड़ा मंत्री, अपनी नौकरानी की नंगी चूत को चूस रहा था...
अपने मालिक के मुँह पर बैठकर, उनसे अपनी चूत चुस्वाकार इस वक़्त पायल भी अपने आप को किसी मंत्री से कम नही समझ रही थी..
कामिनी ने भी कल उसकी चूत चूसी थी, पर असली चुसाई कैसे होती है ये एक मर्द ही जानता है...
विजय की लंबी जीभ को वो अपनी अंदरूनी दीवारों पर, अपनी क्लिट पर महसूस करके सिसकारियाँ मार रही थी...
और अपने मालिक के बालों को पकड़ कर उन्हे और अंदर खींचने का प्रयत्न कर रही थी..
सॉफ पता चल रहा था की पायल के देसी बदन में विदेशी भूतनी घुस चुकी है..
अब उसके अंदर भी कुछ-2 हो रहा था, इसलिए वो खुद ही पलटकर विजय पर उल्टी होकर 69 की पोज़िशन में लेट गयी और विजय के फड़कते हुए लंड को मुँह में लेकर उसे जोरों से चूसने लगी..
सैक्सुअल टेन्षन इतनी बढ़ चुकी थी दोनो में की एक मिनट भी नही लगा उन दोनो को एक दूसरे के मुँह के अंदर झड़ने में ..
दोनो एक दूसरे का माल गटागट पी गये.
विजय ने टाइम देखा, करीब डेढ़ घंटा हो चुका था, उसने तुरंत फोन उठा कर कामिनी को फोन किया ताकि उसे पता चल सके की दोबारा लंड खड़ा करके पायल की चूत मारने का टाइम उसके पास है या नही...
पर कामिनी ने जब कहा की वो बस पहुँचने ही वाले है तो उसके सारे प्लान पर पानी फिर गया...
पर आज के लिए भी , जो कुछ भी उसने पायल के साथ किया था, वो भी कम नही था..
इसलिए दोनो ने जल्दी-2 सब समेटा, पायल वापिस अपने क्वार्टर में चली गयी...
और विजय रात के खेल के लिए नयी तरकीबे सोचने लगा.
कामिनी और कुणाल जब वापिस आए तो दोनो के चेहरे बता रहे थे की उनके अंदर क्या चल रहा है...
कामिनी सीधा ड्रॉयिंग रूम में बनी बार में गयी और एक बड़ा सा पेग बना कर गटागट पी गयी.
हर घूँट के साथ उसे महसूस हो रहा था जैसे वो कुणाल के लंड का पानी पी रही है...
वही गर्माहट
वही नशीली स्मेल....
कुणाल के लंड से निकले पानी का ध्यान आते ही उसने अपने हाथों को देखा, जिनपर थोड़ी देर पहले ही कुणाल का वीर्य गिरा था...
उसने हाथ उपर किया और उसे फिर से सूंघने लगी...
और एक बार फिर से उसकी खुश्बू में खो सी गयी.
तभी पीछे से विजय की आवाज़ आई : "ये क्या कर रही हो....ठीक तो हो ना तुम..?''
कामिनी सकपका सी गयी...
और बोली : "या या ...आई एम फाइन...बस ऐसे ही...वहां थोड़ी पी ली थी, इसलिए घर आकर दोबारा मन कर रहा था...सो आई थॉट...''
विजय : "अर्रे इट्स ओके , मैने तुम्हे कभी कुछ करने से रोका थोड़े ही है...इनफॅक्ट मैं भी अभी आने ही वाला था...''
इतना कहकर वो भी साइड वाली चेयर पर आकर बैठ गया और अपना पेग बनाने लगा..
तभी कुणाल की आवाज़ आई : "मेडम....ये ब्रीफ़केस ...आप कार में छोड़ आई थी...''
कामिनी : "ओह्ह ....ये वहीं रह गया था...मैने ध्यान ही नही दिया...''
विजय ने वो बेग लिया और उसे अपने रूम में बनी सेफ में रखने चला गया..
कामिनी की नज़रें विजय से मिली, दोनो की आँखो मे एक ना बुझने वाली आग सॉफ देखी जा सकती थी..
कामिनी : "आओ...तुम भी पी लो आज...''
कुणाल की तो आँखे ही चमक उठी...
आलीशान बार के अंदर एक से बढ़कर एक महँगी शराब की बोतले सजी हुई थी....
उपर से कामिनी मेडम के साथ पीने का मौका वो भला कैसे छोड़ सकता था....
तभी विजय भी अंदर आते हुए बोला : "हाँ , कुणाल...आ जाओ तुम भी...आज 2-2 पेग लगाते है... और वैसे भी तुमने आज ताश खेलनी थी हमारे साथ...आ जाओ, दिवाली तो 2 दिन बाद है, पर ये खेल अभी शुरू करते है...''
कुणाल अंदर आकर बैठ गया...
तभी विजय बोला : "एक काम करो, पायल को भी बुला ही लो यही पर...वो बेचारी क्या करेगी अकेली वहां बैठकर...''
कुणाल ने मन में सोचा 'हाँ साले , तू तो बोलेगा ही ऐसा...तेरी अंदर की मंशा क्या है वो मैं अच्छे से जानता हूँ ...'
पर वो कुछ बोल नही सकता था, एक तो वो नौकर और उपर से उसके मन में भी तो वही हरामीपंति चल रही थी जो इस वक़्त विजय के मन में थी..इसलिए वो चुपचाप जाकर पायल को बुला लाया...
पायल का भी दिल धड़क रहा था एक बार फिर से अपने साहब के सामने जाने से, अभी कुछ देर पहले उन्होने जिस अंदाज में उसकी चूत को निचोड़कर चूसा था, उसके बाद तो उसके पैर भी काँप से रहे थे चलते हुए...
और उनके लंड का ख़याल आते ही उसकी चूत भी गीली हो रही थी बार बार...
सभी सोफे पर आकर बैठ गये...
हालाँकि कुणाल और पायल सोफे पर, अपने मालिक-मालकिन के सामने बैठने से कतरा रहे थे, पर विजय के ज़ोर देने पर दोनो बैठ ही गये...
विजय ने कुणाल के लिए भी एक लार्ज पेग बनाया और ताश की गड्डी लेकर वो वही आ गया और खेल शुरू कर दिया.
सभी की नज़रें ताश के पत्तो से ज़्यादा अपने-2 माल के उपर थी...
यानी कुणाल की कामिनी पर और विजय की पायल पर.
हालाँकि कामिनी और पायल भी कुणाल और विजय को रह -रहकर देख ही रही थी, पर इतना नही जितना वो दोनो हरामी मर्द..
खैर, खेल शुरू हुआ, विजय ने पत्ते बाँटे, दोनो आपस में ही खेल रहे थे, कामिनी और पायल बैठकर एक दूसरे से बाते करने लगे...
कामिनी थोड़ी सी बोर हो रही थी...
और उसकी चूत में भी थोड़ी बहुत खुजली हो रही थी...
उसका मन पायल से पहले जैसी मसाज करवाने का था, इसलिए उसने पायल से अपने बेडरूम में चलने के लिए कहा...
ये सुनते ही विजय समझ गया की कामिनी के मन में क्या चल रहा है...
उसने कुछ तरकीबे पहले से सोच रखी थी, और उनमें से एक पर अमल करने का वक़्त अब आ चुका था...
उसने कामिनी को रोकते हुए कहा : "अरे, बैठो डार्लिंग, अभी मॉर्निंग में ही तो मसाज करवाई थी तुमने, इतनी जल्दी -2 कारवाओगी तो ये पायल तो थक ही जाएगी... है ना पायल ..''
पायल बेचारी अपने मालिक की बात का अर्थ समझ कर शर्माकर रह गयी..
विजय आगे बोला : "देखो भाई, मेरे दिमाग़ में एक खेल आ रहा है, ये जो ताश का खेल है, इसे थोड़ा इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए हम कुछ एक्टिविटीस करेंगे...और जो जीतेगा, उसे इनाम में वो मिलेगा जो गेम से पहले हम डिसाईड करेंगे...ओके ...''
सभी के दिमाग़ की घंटी बज उठी...
कुणाल की तो बाँछे ही खिल गयी उस बात का मतलब समझकर...
और कामिनी थोड़ी कन्फ्यूज़ सी हो गयी, क्योंकि उसे विश्वास ही नही हो रहा था की विजय जैसा,उँचे रुतबे का आदमी, इस तरह की गेम अपने नौकरों के साथ खेलेगा, जिसमें अगर वो नौकर जीत गये तो कुछ भी करवा लेंगे वो तो...
और पायल के तो उपर से ही निकल गयी वो सारी बातें..
.इसलिए बिना कुछ बोले वो चुपचाप बैठी रही..
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