RE: Antarvasna kahani जुआरी
कामिनी ने कुणाल को धक्का देकर ज़मीन पर लिटा दिया और खुद उसके चेहरे पर सवार हो गयी...
और अपनी चूत से लेकर गांड तक की लकीरों पर उसकी जीभ की कलम से एक नयी कहानी लिखवाने लगी..
अपने नौकर के साथ इतने रफ्फ तरीके से बर्ताव करता देखकर इंद्राणी भी कामिनी की तारीफ करे बिना नही रह सकी...
कामिनी की नज़रें कुणाल के लंड पर भी थी....
कामिनी की हर हरकत और गाली को सुनकर वो धीरे-2 खड़ा होने लगा...
बाकी बचा हुआ काम कामिनी ने उसके लंड को मुँह में लेकर कर दिया...
उसके चेहरे पर बैठे-2 ही वो पलटकर उसके लंड की तरफ हुई और 69 की पोज़िशन में उसके काले सांड़ जैसे लंड को निगल कर उसे चूसने लगी..
लंड कामिनी ने चूसा था पर रस इंद्राणी को अपने मुँह में महसूस हुआ था...
ऐसा रसीला सीन उसने अपनी लाइफ में कभी नही देखा था.
कुछ देर तक दोनो उसी पोज़िशन में चुसाई करते रहे और फिर कामिनी एकदम से उछलकर खड़ी हो गयी और बेड पर जाकर घोड़ी बन गयी...
ज़मीन पर लेटा हुआ कुणाल किसी शिकारी की तरह उठा और दबे पाँव से अपने शिकार की तरफ बढ़ने लगा...
इंद्राणी तो उसके लश्कारे मार रहे लंड को देखकर फिर से मोहित हो गयी...
अभी कुछ देर पहले ही वो उसकी चूत में झड़ा था पर सिर्फ़ आधे घंटे में ही उसका लंड दोबारा चूत मारने को तैयार था...
स्टेमीना हो तो ऐसा...
वरना ना हो.
कुणाल ने अपना लंड सीधा लेजाकर उसके सुनहरे छेद पर टीका दिया...
कामिनी का चेहरा बिस्तर में धंसा हुआ था पर फिर भी उसकी दबी हुई सिसकारी सुनाई दे रही थी...
इतने मोटे लंड को अपनी गांड में लेना आसान काम नही था...
इसलिए उसने चादर को मुँह में दबोच कर अपनी चीख को निकालने से बचाया हुआ था...
साली ठरकी औरतों में लंड लेने की भी ललक होती है और दर्द ना हो इसका भी डर बना रहता है.
कुणाल ने एक करारा झटका मारा और उसका काला चेतक कामिनी की गांड में दौड़ता चला गया..
और मुँह में चादर दबाने के बावजूद उसकी चीख निकल ही गयी..
''आआआआआआआआआआआआआआआहह मररर्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी....... उफफफफ्फ़ इतना मोटा है ये तो....... दर्द हो रहा है..... निकालो इसे कुणाल...निकालो...''
पर अब कुणाल कहाँ मानने वाला था....
उसने कामिनी की गांड का स्टेयरिंग पकड़ कर अपना बचा खुचा लंड पूरा ज़ोर लगाकर अंदर घुसेड दिया...
बेचारी छटपटा कर रह गयी...
इतनी बेदर्दी से उसके शरीर के साथ आज तक नही खेला गया था...
भले ही वो छटपटा रही थी, मना कर रही थी पर अंदर से उसे बहुत मज़ा मिल रहा था..
कुणाल ने अपना पूरा लंड उसकी गांड में घोंप ही दिया...
कामिनी को तो लग रहा था जैसे वो उसकी नाभि तक पहुँच कर टक्कर मार रहा है...
इतने मोटे और लंबे लंड को अपने अंदर लेकर वो धन्य हो गयी थी..
फिर तो कुणाल ने उसकी रेल ही बना दी...
ऐसे तेज झटके मारे उसे की उसकी सिसकारियाँ और चीखे भी ख़न-खनाकर सुनाई दे रही थी....
'' अह्ह्ह उफ्फ्फ मममम अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह या ममममम या इस्स्स्स मममममममम उफ्फ्फ्फ़ ''
और अंत में आकर वो जब झड़ने को हुई तो उसकी लटक रही चूत से अपने आप अमृत बरसने लगा...
गांड पर मिल रही घिसाई का सेंक उसकी चूत तक भी पहुँच गया था और वो चूत में बिना कुछ डाले ही झड़ती चली गयी...
इंद्राणी के लिए ये दृशय किसी काल्पनिक कहानी जैसा था...
चूत को बिना छुए ही कुणाल ने कामिनी को झाड़ कर रख दिया था...
वो तो पक्की वाली दीवानी बन चुकी थी उसकी...
और उसने मन में सोच भी लिया था की वो उसे अपने घर भी बुलाया करेगी..
कुणाल ने कामिनी को पीठ के बल लिटाया और उसके पैरों को अपने कंधे पर रखकर अपना लंड एक बार फिर उसकी गांड में उतार दिया,
''ओह मेंसाआआआआब...... बड़ा टाइट छेद है आपका...... अब तो रोज मारूँगा इसे भी.....अहह''
थोड़ी देर में कुणाल भी झड़ गया...
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