RE: Antarvasna kahani चुदाई का वीज़ा
मेके में आते ही ज्यूँ ही मैं ने अपनी अम्मी को देखा तो में उन से लिपट कर ज़रो क़तर रोने लगी.
मुझ यूँ ज़रो कतर रोता देख कर अम्मी बहुत परेशान हो गईं.
अम्मी: नबीला बेटा क्यों इस तरह रो रही हो मेरी बच्ची.
में: कुछ नही अम्मी,आप से इतने दिनो के बाद जो मिल रही हूँ,इस लिए में रो पड़ी.
मैं उन को बताती भी तो किया, कि आप की बेटी अपने ही ससुर और उन के दामाद के हाथों लूट चुकी है.
वैसे भी मेरी अम्मी दिल की मरीज़ थीं. इस लिए मैं तो उन्हे ये बात बताना भी नही चाहती थी.
मुझे जो कुछ भी कहना था तो वो अपने बड़े भाई बिलाल से कहना था.
मगर इस के लिए भी में एक दो दिन के बाद उन से बात करना चाहती थी.
इस की वजह ये थी. कि एक तो अपनी अम्मी के घर आ कर में थोड़ा सकून से इस सारे मसले पर सोच बिचार करना चाहती थी.
दूसरा ये कि अम्मी और भाई आज ही घर वापिस लोटे थे. इस लिए मेरा इरादा था कि वो एक दो दिन आराम कर लें तो फिर में आराम से अपने भाई बिलाल से इस मसले का ज़िक्र करूँगी.
में अभी अम्मी से लिपटी उसी तरह रो रही थी. कि इतने में बिलाल भाई अंदर से चलते हुए ड्रॉयिंग रूम में दाखिल हुए.
उन्हो ने भी जब मुझे यूँ अम्मी से लिपट कर रोते देखा तो वो भी परेशान हो गये.
जब अम्मी मुझ से मिल कर अंदर अपने कमरे में चली गईं. तो भाई ने भी मुझ से पूछा कि में इस तरह क्यों रो रही हूँ और में अपने ससुराल में ठीक से तो हूँ ना.
“सब ठीक है भाई” मैने भाई से नज़रें चुराते उन को जवाब दिया.
मगर बिलाल भाई मेरी आँखों के गिर्द स्याह निशानों को देख कर कम अज कम ये समझ गये थे कि में उन से झूट बोल रही हूँ.
बिलाल भाई मुझ से दो साल बड़े हैं और बड़े होने की हैसियत से मुझे बहुत ही शिद्दत से चाहते हैं.
मेरी हर तकलीफ़ को ना सिर्फ़ वही जान सकते हैं. बल्कि उस के हाल के लिए वो कुछ कर भी सकते हैं.आख़िर कार में हूँ जो उन की इकलौती छोटी बहन.
बिलाल भाई: नबीला सच सच बताओ क्या जमाल या उस के अम्मी अब्बू से कोई बात हुई है?.
भाई के इसरार पर मैने पूरी बात तो नही बताई मगर दबे लफ़्ज़ों में उन को कहा दिया कि भाई में अब वहाँ नहीं जाऊंगी
भाई ने इस की वजह पूछी तो मेने कहा कि आप को जल्द ही सब कुछ बता दूँगी.
मेरे ससुर के वापिस ना जाने की बात पर उन्हों ने कोई खास तवज्जो नहीं दी.
क्यों कि शायद वो समझ रहे थे कि में किसी मामूली बात पर अपने ससुराल वालों से वक्ति तौर पर नाराज़ हूँ.
और जब मेरा गुस्सा उतर जाएगा तो में खुद ही वापिस चली जाउन्गी .
बिलाल भाई की मेरे शोहर जमाल से भी बहुत दोस्ती थी. और इसी लिए जमाल की कॉसिश थी कि मेरे साथ साथ वो बिलाल भाई को भी अमेरिका बुला लें.
इसी लिए जमाल मेरे साथ साथ मेरे भाई बिलाल का वीसा हासिल करने की कोशिश में लगे हुए थे.
अपनी अम्मी और भाई से मिलने के बाद रात को में अपने कमरे में जा कर सो गई.
मुझे ससुराल से आए अभी एक ही दिन गुज़रा कि मेरे बेगैरती ससुर (अब्बा) का फोन आया.
अब्बा:बेटी तुम कब घर वापिस आ रही हो हम सब तुम्हारे बेगैर बहुत उदास हैं.
अब्बा ने अपनी बात कहते हुए लफ़्ज उदास पर खास तौर पर ज़ोर दिया.
तो में समझ गई कि वो दबे लफ़्ज़ों में कह रहे हैं कि असल में वो मेरी जवान चूत के बगैर उदास हो रहे हैं.
में:में अब कभी वापिस नहीं आउन्गी उस घर में.
मैने गुस्से में उन से कहा.
“चलो बेटी जब दिल चाहे आ जाना” अब्बा ने मेरे गुस्से वाले लहजे को नज़र अंदाज़ करते हुए जवाब दिया और फोन रख दिया.
मुझे आमी के घर आए अब तीन दिन हो गये थे.
उस दिन सनडे था और मैने सोचा कि आज भाई को सब बातें साफ साफ बता दूं.
और में दिल और ज़हन की गहराइयों से इस बात के लिये भी तैयार थी. कि भाई को अपनी सारी बात बयान करने के बाद में उन से कहूँ गी कि मुझे अब हर हाल में अपने शोहर से तलाक़ चाहिए.
फिर तलाक़ के बाद चाहे मेरी दूसरी शादी ना भी हो .मगर में इस अज़ब से अब हर क़ीमत पर आज़ाद होना चाहती थी.
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