RE: Antarvasna kahani चुदाई का वीज़ा
उस रात खाने के बाद में कुछ देर तक बरतन वेघरा धोने में मसरूफ़ रही.
फिर किचन की सफाई से फारिग हो कर मैने शवर लिया और फिर कुछ देर अपने कमरे में बैठ कर भाई से बात करने के लिए अपनी हिम्मत जमा की.
मुझे पता था कि आज मेरी कहानी सुन कर मेरे भाई को बहुत ही दुख हो गा.
मैने भाई से बात करने के लिए रात के वक़्त का इंतिखाब इस लिये किया. क्यों कि मुझे डर था कि दिन के वक़्त भाई कहीं गुस्से में आ कर फॉरन अब्बा और खालिद से लड़ने उन के घर ना चले जाएँ.
में किसी किसम की लड़ाई और अपनी बदनामी नहीं चाहती थी.
बस में ये चाहती थी कि भाई से मशवरा करूँ और तलाक़ ले लूँ.
क्योंकि जब से मेरे शोहर जमाल ने मुझे झूठा साबित करने की कॉसिश की थी.
उसी दिन से मैने ये सोच लिया था. कि जिस शोहर को मेरी बातों पर ऐतबार नहीं उस के साथ ज़िंदगी गुज़ारने में अब कोई मज़ा नही है.
में अपने कमरे में बैठी अपनी अम्मी के सोने का इंतेज़ार कर रही थी.
अम्मी का कमरा ग्राउंड फ्लोर पर था. जब कि बिलाल भाई घर के उपर की मंज़ल पर रहते थे.
रात के तकरीबन 11 बजे जब मुझे यकीन हो गया कि अम्मी अब सो चुकी होंगी.तो में आहिस्ता से अपने कमरे से निकली और दबे पावं स्टेर्स चढ़ती उपर चली आई.
भाई के कमरे में जलती लाइट को देख कर में मुन्तमिन हो गई कि भाई अभी जाग रहा है.
मैने भाई के कमरे को नॉक किया और कुछ देर इंतेज़ार के बाद जवाब ना पा कर में कमारे के अंदर चली गई.
मैने देखा कि भाई उधर तो मजूद नही. मगर भाई के कमरे का डीवीडी प्लेयर और टीवी ऑन हैं और टीवी स्क्रीन पर इंडियन मूवीस के गाने चल रहे थे.
में समझी कि बिलाल भाई हमें बताए बगैर मुहल्ले की दुकान से शायद सिगरेट लाने निकल गये हैं.
भाई को कमरे में माजूद ना पा कर मुझ बहुत मायूसी हुई और में वापिस जाने के लिए मूडी ही थी.कि भाई के कमरे के साथ अतेच्ड बाथरूम का दरवाजा अचानक खुला और अपने जिस्म के गिर्द तोलिया बाँधे बिलाल भाई कमरे में दाखिल हुए.
बिलाल भाई ने एक बड़ा तोलिया तो अपने जिस्म के गिर्द लपेटा हुआ था. जब कि एक और छोटे तोलिये से वो अपने सर के गीले बालों को सुखाने में मसरूफ़ थे.
में इस से पहले काफ़ी दफ़ा भाई को बगैर कमीज़ अपने घर में घूमते हुए देख चुकी थी.
इस के बावजूद हम दोनो बहन भाई एक दूसरे का यूँ इस तरह सामने करने के लिए ज़ेहनी तौर पर तैयार नही थे.
इस लिए भाई को मुझे रात के इस पहर अपने कमरे में और मुझे अपने भाई को यूँ नंगे बदन हालत में देख कर एक दम बहुत ही हर्ट हुई.
और हम दोनो अपनी अपनी जगह बुत बने एक दूसरे को आँखे फाडे देखते रहे.
चन्द लम्हो बाद मुझे ख्याल आया कि मुझे फॉरन इसी वक़्त भाई के कमरे से निकल जाना चाहिए.
“भाई में माफी चाहती हूँ कि में इस तरह आप के कमरे में चली आई” ये कहते हुए में बाहर निकलने के लिए मूडी.
में दरवाज़े से निकल ही रही थी कि भाई ने पीछे से मेरे कंधों पर हाथ रख कर कहा “नबीला रुक जाओ में अभी बाथरूम में जा कर कपड़े चेंज कर आता हूँ और फिर हम बैठ कर बातें करेंगे ”.
में: आप कपड़े पहन कर मुझे बुला लेना मैने आप से एक ज़ुरूरी बात करनी है.
मैने अपना सार नीचे झुकाते हुए बोला.
ये कह कर में फिर बाहर निकलने लगी.तो भाई मेरे सामने आ गया और कहने लगा “ रुक जाओ नबीला मुझे भी तुम से एक बात करनी है, में भी नहाते वक़्त तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था.
इस से पहले कि में मज़ीद कुछ की पाती भाई मुझे हाथ से पकड़ कर अपने कमरे में लेगया और मुझे अपने बेड पर बिठा दिया.
मुझे बेड पर बैठाने के बाद भाई ने बाथरूम में जा कर अपने कपड़े पहने की बजाय ड्रेसिंग टेबल से हेर बुरश उठाया और इसी तरह टावाल में ही मलबूस आ कर मेरे साथ बेड पर बैठ कर अपने बालों में ब्रश फेरने लगा.
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