RE: Antarvasna kahani चुदाई का वीज़ा
जब मैने देखा कि भाई किसी तरह भी मेरी बात सुनने और मेरे मसले पर तवज्जो देने पर आमादा नही हो रहा तो मेरे दिल में एक ख्याल आया और में बोली.
में: भाई क्या क़िस्मत का हाल हाथ की लकीरों से मालूम किया जा सकता है.
बिलाल भाई: बिल्कुल सही तो नही मगर काफ़ी हद तक काफ़ी सारी बातों का अंदाज़ा हो जाता है.
में: भाई आप मेरा हाथ देख कर बता सकते हो कि मेरी क़िस्मत में क्या है.
बिलाल भाई: अच्छा में कोशिस करता हूँ कि तुम को सही सही बता सकूँ.
अपने भाई के जवाब पर मैने अपना हाथ उन के सामने फैला दिया.
भाई ने मेरी हाथ आहिस्ता से पकड़ अपनी गोद में रख लिया. और मेरी हाथ की लकीरों को बगौर देखते हुए मुझे मेरी किस्मेत का हाल बताने लगे.
उस लम्हे एक ऐसी बात हुई जिस ने मेरे जिस्म का सारा खून ही खुश्क कर के रख दिया.
बिलाल भाई जब मेरा हाथ अपनी गोद में रख कर मुझे मेरी किस्मते हाल बता रहे थे.
तो मेरे हाथ के बिल्कुल नीचे तोलिये में क़ैद भाई का सख़्त और गरम लंड उछाल उछल कर मुझे अपनी मौजूदगी का अहसास दिला रहा था.
मुझे भाई के लंड को यूँ पहली बार अपने हाथ से टच होता हुआ महसूस कर के शरम तो बहुत आई.
मगर इस के बावजूद पता नही मुझे उस वक़्त क्या हुआ कि मैने सब कुछ जानते बुझते अपनी हथेली की पोज़ीशन चेंज नही की.
भाई ने मेरे मुतलक कुछ बातें सहीं बताई और कुछ के मुतलक उन्होने सिर्फ़ तुक्का ही लगाया.
बिलाल भाई मेरा हाथ देखते हुए मुझे मेरी किस्मत का हाल बताने में मसरूफ़ तो थे. मगर में इस दौरान उन की आवाज़ मे लरज़िश सॉफ महसूस कर रही थी.
उसी वक़्त कमरे में रखे टीवी पर “लबों को लबों से मिलाऊ” वाला गाना चलना शुरू हुआ.
भाई की नज़रें स्क्रीन पर चलते हुए इस गाने पर जम गईं.
फिर ना जाने भाई को क्या सूझा कि मेरा हाथ देखते देखते भाई ने अचानक मेरे हाथ को अपनी गोद में रखा. और अपने दोनो हाथों से मेरे चेहरे को थामते हुए बोले “क्यों ना आज हम दोनो भी अपने लबों को एक दूसरे के लबों से मिला लें नबीला”
ये कहते हुए भाई ने मेरे चेहरे को अपने क़रीब किया और फिर अचानक मेरे होंठों पर अपने होंठ जज़्ब कर दिए.
में: भाईईईईईईईईईईईईई आप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प.
मेरी बात अभी मेरे मुँह में ही थी कि भाई के होंठों ने अपने होंठो से मेरी ज़ुबान को ताला लगा दिया.
में सोच भी नहीं सकती थी कि वो कभी इस तरह मेरे होंठों पेर किस करेंगे.
मैने जल्दी से भाई को एक धक्का दे कर अपने आप से थोड़ा अलग किया.
में: भाई ये आप क्या कर रहे हैं. क्या आप भूल गये हैं कि में आप की बहन हूँ.
भाई फिर तेज़ी से मुझ पर झपटा और मुझे अपने बाजुओं की गिरफत में क़ैद करते हुए बोला. “नबीला तुम मेरी बहन तो हो मगर कमाल हो. में शवर के दौरान तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था. और मेरी किस्मत देखो कि तुम खुद चल कर मेरे पास आ गई हो”
में: भाई ये ठीक नही हम दोनो बहन भाई है.
बिलाल भाई: नबीला मुझ पता है कि जमाल के बगैर तुम परेशान और बेकरार हो. कोई बात नही में हूँ ना.
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