RE: Antarvasna kahani चुदाई का वीज़ा
में बता नही सकती कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था ऑर उस वक़्त में अपने और भाई के रिश्ते के मुतलक सब कुछ भूलती जा रही थी.
मुझे अगर कुछ याद रहा तो वो ये कि भाई एक मर्द है और में एक प्यासी गरम औरत.
कुछ देर मेरे मम्मो को प्यार करने के बाद भाई ने मेरी इलास्टिक वाली शलवार को भी मेरे बदन से अलग कर मुझे पूरा नंगा कर दिया.
बिलाल भाई ने बैठे बैठे अपने हाथों से मेरी गुदाज रानों को आहिस्ता आहिस्ता टच करना शुरू किया.
भाई मेरी गोश्त भरी गुदाज रानों को दबाने और मसलने लगे.
बिलाल भाई का हाथ आहिस्ता आहिस्ता मेरी रानों के उपर बढ़ते हुए आया और फिर वो अपने हाथ को मेरी फुद्दी के उपर फैरने लगे,उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ में बता नहीं सकती उन के हाथ की सरसारहात जो में अपनी पुसी लिप्स पर फील कर रही थी,
में तो सिर्फ़ आँखे बंद किये लज़्ज़त भरी साँसे ले रही थी,
में ने एक दिन पहले ही रिमूविंग क्रीम से अपनी चूत से बाल सॉफ किये थे.जिस की वजह से मेरी फुद्दी के लिप्स निहायत चिकने और मुलायम हो गये थे.
भाई के हाथ मेरी चिकनी चूत पर फिर रहे थे और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
थोड़ी देर तक वो मेरी चूत के लिप्स को अपनी उंगलियों से रगड़ते रहे ओर उन की इस हरकत से मेरी साँसें तेज होती गईं.
में अपने भाई के हाथों की बदौलत लज़्ज़त की उस मंज़ल पर पहुँच चुकी थी.जिस के बारे में अल्फ़ाज़ में इज़हार करना मेरे लिए मुश्किल ही नही बल्कि ना मुमकिन था.
में उस वक़्त सिर्फ़ एंजाय कर रही थी. इस लिए मेरे ज़हन ने अब ये सोचना ही बंद कर दिया था कि क्या ग़लत हे ऑर क्या सही.
इसी लिए मे चाहने के बावजूद ना अपने भाई को रोक पा रही थी और ना अपने जिस्म को. जो मेरे भाई के हाथों में पिघला जा रहा था.
जिस्म की आग में शायद शिदत ही इतनी ज़्यादा होती है कि इस आग में झुलस कर इंसान सब भुला देता हे, ऑर मेरे साथ भी यही कुछ हो रहा था.
भाई की उंगलियाँ मेरी चूत की सारी नर्मी,गर्मी को जाँच रही थी. जब कि भाई के होंठ मेरे नादां होंठों का रस चूसने में मसरूफ़ थे.
|