Mastram Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
10-04-2018, 11:36 AM,
#14
RE: Mastram Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
'हाहाहा.' जयसिंह ने ठहाका लगाया और बोले 'क्यूँ घर नहीं जाना तुम्हें?'

'नहीं...' मनिका ने आँखें मटका कर कहा था. जयसिंह मुस्का दिए और उसके गले में अपना हाथ डाल उसे अपने साथ लगा कर बैठा लिया.

ड्राईवर उन्हें कनॉट-प्लेस में बने पी.वी.आर. प्लाजा ले गया था. मनिका पहली बार मल्टीप्लेक्स में फ़िल्म देखने आई थी. उसने वहाँ रखा मूवी टाइमिंगस् का कार्ड उठाया.

'पापा!' कार्ड देखते ही मनिका का उत्साह दोगुना हो गया था.

'क्या हुआ इतना एक्साईटमेंट?' जयसिंह ने भौंऐ उठा कर पूछा.

'पापा, "जाने तू या जाने ना" रिलीज़ हो गई! मैं तो भूल ही गई थी यहाँ आ कर कि ये इसी मंथ रिलीज़ होने वाली है. आई सो वांट टू वॉच इट.' मनिका की आँखों में ख़ुशी चमक रही थी.

'अच्छा तो चलो फिर यही देखेंगे हम भी...' जयसिंह ने मुस्कुरा कर कहा. उन्होंने जा कर टिकट्स ले लीं और मनिका के साथ हाथों में हाथ डाले थिएटर के अंदर चल दिए.

मनिका ने पहली बार इतना अच्छा मूवी-हॉल देखा था, उनके बाड़मेर में तो ले देकर एक-दो सिनेमा थे जिनमें सिर्फ बी-ग्रेड फ़िल्में लगा करतीं थी. एक दो बार अपनी मौसी के यहाँ जयपुर जाने पर जरूर उसने थिएटर में फ़िल्में देखीं थी पर इस जगह की तो बात ही कुछ और थी. वहाँ का क्राउड भी मॉडर्न और टॉप-क्लास था. वे अपनी सीट्स पर जा बैठे,

'कितना मजा आ रहा है ना पापा?' उत्साह भरी मनिका ने जयसिंह से जानना चाहा.

'अभी तो फ़िल्म शुरू ही नहीं हुई...खाली लाल पर्दा देख कर ही मजा आ रहा है तुम्हें?' जयसिंह ने आदतवश् मनिका को चिढ़ाया.

'ओह पापा क्या है...मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है यहाँ.' मनिका ख़ुशी-ख़ुशी इधर-उधर नज़रें दौड़ते हुए बोली.

कुछ देर बाद फ़िल्म शुरू हो गई. फ़िल्म चले थोड़ा ही वक़्त हुआ था कि पी.वी.आर. स्टाफ का एक बन्दा उनसे खाने-पीने के लिए स्नैक्स का ऑर्डर लेने आ गया. मनिका पर उनकी सर्विस का इम्प्रैशन और बढ़ गया था. उन्होंने पॉपकॉर्न, कोल्डड्रिंक और नाचोस् ऑर्डर किए. कुछ देर बाद खाने का सामान भी आ गया. मनिका को बहुत मजा आ रहा था और ऊपर से फ़िल्म भी अच्छी थी.

जयसिंह को पॉपकॉर्न और मसाले भरे नाचोस् खा लेने से प्यास लग आई थी, उन्होंने कोल्डड्रिंक भी नही मँगवाई थी. उन्होंने फ़िल्म देखने में डूबी मनिका को हौले से बताया कि वे पानी पीने जा रहें हैं जिस पर मनिका ने उन्हें अपनी कोल्डड्रिंक ऑफर कर दी. जयसिंह एक पल ठिठके और फिर मनिका के हाथ से ग्लास ले ली. मनिका की जूठी स्ट्रॉ (पाइप) पर मुहँ लगा कर उन्होंने कोल्डड्रिंक का सिप लिया. मनिका के होंठों से निकली स्ट्रॉ ने उनके लिए कोल्डड्रिंक की मिठास और बढ़ा दी थी.

इंटरवल हो जाने पर जयसिंह ने मनिका को यह कहकर एक कोल्डड्रिंक और ले दी थी कि उसकी पहली कोल्डड्रिंक तो आधी उन्होंने ही ख़त्म कर दी थी और बाद में जब मनिका ने एक बार फिर उन्हें कोल्डड्रिंक ऑफर की तो उन्होंने ख़ुशी-ख़ुशी हाथ बढ़ा दिया था.

जयसिंह मनिका के साथ कनॉट-प्लेस एक कैफ़े में बैठे थे. मनिका ने फिल्म के दौरान स्नैक्स खा लेने के बाद लंच लेने में असमर्थता जाहिर की थी सो वे आज हल्का-फुल्का खाना खाने आए थे. मनिका को फिल्म बहुत पसंद आई थी और बाहर आने के बाद से वह जयसिंह से उसी के बारे में बातें कर रही थी.

'पापा मूवी कितनी अच्छी थी ना?' मनिका ने उनसे पूछा.

'हाँ बहुत अच्छी थी.' दो कोल्डड्रिंक उसके साथ पीने के बाद जयसिंह को तो फिल्म अच्छी लगनी ही थी.

'कितना अच्छा कॉन्सेप्ट था ना?' मनिका बोल रही थी 'सच अ स्वीट मूवी.'

'हम्म...आई एम ग्लैड के तुम्हें मूवी अच्छी लगी मनिका.' जयसिंह ने हामी भरी.

मनिका वह रोमेंटिक फिल्म देखने से जरा भावुक हो रही थी, जयसिंह की बात सुन कर उसके मन में एक सवाल आया जो एक-दो बार पहले भी उसके मन में उठ चुका था.

'पापा?'

'हम्म?'

'एक बात पूछूँ?' मनिका ने अपनी कॉफ़ी में चम्मच घुमाते हुए कहा.

'हाँ क्या बात है बोलो..?' जयसिंह ने कौतुहल से पूछा.

'आजकल आप मुझे मेरे नाम से ही क्यूँ बुलाते हो?' मनिका ने उनकी तरफ देखा.

'हैं? तो और किसके नाम से बुलाऊं तुम्हें..?’जयसिंह उसका आशय समझ गए थे पर उन्होंने जानबूझकर उसे बहलाने की कोशिश की थी.

'अरे मेरा मतलब है आप मुझे मनिका-मनिका कह कर बुलाते हो, पहले तो मेरे निकनेम मणि से बुलाया करते थे?' मनिका ने हल्की से मुस्कान के साथ सवाल किया था.

जयसिंह को इस तरह के सवाल की उम्मीद नहीं थी. वे एक पल के लिए थोड़ा घबरा गए थे पर उन्होंने उसे यह जाहिर नहीं होने दिया. 'उम्म्म...' उन्होंने जल्दी से अपने दीमाग के घोड़े दौड़ाए. सच बोलने में ही उनकी भलाई थी 'वैल...'
जब जयसिंह ने कुछ पल बाद भी सवाल का जवाब नहीं दिया था तो मनिका का भी कौतुहल जाग गया.

'बताओ ना पापा क्या रीज़न है?' वह अब उनकी आँखों में आँखें डाले हुए थी.

'वैल तुम्हारी बात तो सही है कि आजकल मैं तुम्हें मनिका कहने लगा हूँ...मे-बी इसलिए...' जयसिंह थोड़े रुक-रुक कर बोल रहे थे.

'क्या पापा? इतना क्या मिस्टीरियस रीज़न है?' मनिका अब पूरी तरह से इंटरेस्टेड थी उनका जवाब सुनने में.

'अह्...रीज़न शायद यही है कि यहाँ आने से पहले हम एक-दूसरे से इतना घुले-मिले नहीं थे, आई मीन ऑब्वियस्ली हम घर पर साथ ही रहते हैं लेकिन...आफ्टर कमिंग हेयर हम...' जयसिंह उसे बताने का स्ट्रगल कर रहे थे जब मनिका ने उनकी मुश्किल खुद ही हल कर दी,

'येस पापा आई क्नॉ आप क्या कहना चाह रहे हो. यहाँ आने के बाद से वी हैव बिकम लाइक फ्रेंड्स...है ना?'

'एग्सैक्टली.' डूबते हुए जयसिंह को बस एक तिनके का सहारा काफी था 'सो इसीलिए मैं तुम्हें मनिका बुलाने में थोड़ा ज्यादा कम्फ़र्टेबल फील करता हूँ क्यूँकि तुम्हें मणि कहने पर फिर मुझे भी तुम्हें, एक पैरेंट की तरह, रोकना-टोकना पड़ेगा ऐसा फील होता है.'

जयसिंह ने बहुत ही शानदार तरीके से अपने शब्दों को पिरोया था और साथ ही इस पूरे वार्तालाप के बीच उन्होंने न तो एक बार भी मनिका को सीधे-सीधे अपनी बेटी कहा और ना ही अपने आप को उसका पिता. उन्होंने देखा मनिका भी हाँ में सिर हिला रही थी,

'ओह पापा. यू आर सच अ कूल पर्सन यू क्नॉ...मैं भी कल यही सोच रही थी कि हाओ वेल यू हैव ट्रीटेड मी...आई मीन आपने हमेशा मेरा ख्याल रखा है पर यहाँ आने के बाद यू हैव बिकम अ फादर एंड अ फ्रेंड टू मी...’मनिका ने चेहरे के साथ-साथ हाथों से भी अपने भाव प्रकट करते हुए कहा.

'हाहाहा... नॉट अ फादर मनिका.' जयसिंह ने मनिका को आँख मारी ' नहीं तो चलो घर वापस मणि.' उन्होंने बात मजाक करने के अंदाज़ में कही थी पर उनका इरादा उसे दोबारा ऐसा कहने से रोकने का था.

'ओह नो पापा... यू प्लीज कॉल मी मनिका ओनली.' मनिका ने भी मजाक-मजाक में झूठी चिंता जता कर कहा.
'हाहा...' जयसिंह हँस दिए.

'पापा यू क्नॉ व्हॉट? मेरे माइंड में एक बात आई अभी...’मनिका मुस्कुराई, उसकी आँखों में चमक थी.
'अब क्या?' जयसिंह ने झूठ-मूठ का डर दिखाया.

'ओह पापा स्टॉप एक्टिंग ओके...मैं सोच रही थी की वी हैव बिकम फ्रेंड्स लाइक जय एंड अदिति इन द मूवी वी सॉ...और इट्स सो फनी कि आपका नाम भी जय है...हाहा...' मनिका ने हँसते हुए कहा.

'हाहा...एक तो तुम्हारा मूवी का भूत नहीं उतर रहा कबसे...' जयसिह मन ही मन खुश हो बोले.

'हेहे...आई क्नॉ पापा. मुझे बहुत अच्छी लगी मूवी बताया ना आपको.' उसने दोहराया.

बातें करते हुए उन्होंने अपनी डाइट खत्म कर ली थी. जयसिंह ने उठ कर मनिका की तरफ अपना हाथ बढ़ाया और टोह लेते हुए कहा,

'चलो मणि, अभी तुम्हारी शॉपिंग तो बाकी ही पड़ी है.'

मनिका ने उनका हाथ थाम उठते हुए मुहँ बनाया और इस बार आग्रहपूर्वक कहा था, 'पापा प्लीज कॉल मी मनिका ना...’और उनके साथ कैफ़े से बाहर निकल चली.
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