Mastram Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
10-04-2018, 11:37 AM,
#24
RE: Mastram Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
जयसिंह और मनिका ने अपना लगेज बेड की एक तरफ बनी एक अलमारी के पास नीचे रखा हुआ था. पहले तो वे सिर्फ दो ही दिन रुकने के इरादे से आए थे, सो उन्होंने अपना सामान ज्यादा खोला नहीं था. फिर जब उनका रुकने का पक्का हो गया तो मनिका को लगा था कि शायद उसके पिता अपना सामान उसमें रखें और जयसिंह, जिनके पास ज्यादा सामान नहीं था, ने मनिका उसे यूज़ कर लेगी (और वे उसका सामान छेड़ लेंगे) करके अलमारी खाली छोड़ दी थी. मनिका ने अपना सामान सेट् करने के बाद भी जब पाया कि जयसिंह फोन पर ही लगे हुए थे तो उसने वैसे ही देखने के लिए अलमारी खोल ली थी.

अलमारी में कुछ एक्स्ट्रा लिनन (चादर तौलिए इत्यादि) था और एक ओर उसके शॉपिंग बैग्स रखे हुए थे.

जयसिंह से लड़ाई हो जाने के बाद मनिका ने अपना खरीदा हुआ सामान यह कर के नहीं खोला था कि वो सब उन्होंने उसे दिलाया था. फिर जब उनके बीच सुलह हो गई थी तो ख़ुशी के मारे उसके दीमाग से यह बात निकल गई थी जबकि जयसिंह ने बीच में एक बार उसकी शॉपिंग को ले कर उसे कुछ कहा भी था. जयसिंह ने वह बैग्स लाकर उनके लगेज के पास ही रखे थे लेकिन शायद हाउस-कीपिंग (कमरे की साफ़ सफाई करने वाले) में से किसी ने उठाकर उन्हें अलमारी में रख दिया था. मनिका ने सारे बैग्स निकाले और उत्साह से बेड पर बैठ एक-एक कर उनमें से अपनी लाई चीज़ें निकालने लगी. जयसिंह की पीठ उसकी तरफ थी और वे कुर्सी पर बैठे अभी भी फोन पर लगे थे.

अपने नए कपड़े देख-देख मनिका खुश होती बैठी रही, 'ओह वाओ...मेरे वार्डरॉब में कितनी सारी नई ड्रेसेस आ गईं हैं...सबको दिखाने में कितना मजा आएगा...हहा...’अपनी सहेलियों की प्रतिक्रियाएँ सोच वह आनंदित हो रही थी. 'पर...मम्मी देखेंगी जब..? फिर से वही लड़ाई होगी...खर्चा कम...ढंग के कपड़े...और तेरे पापा...ले-देके यही चार बातें हैं उनके पास...’मधु से लड़ाई अभी भी उसके जेहन में ताज़ी थी और उसके विचार घूम-फिर के फिर उन्हीं बातों पर लौट आए थे. 'बट पापा ने कहा कि वे सँभाल लेंगे...हाह... पापा के सामने फ़ुस्स हो जातीं है मम्मी की तोप भी...हीहाहा...अरे कल पापा ने कहा था कि उन्हें तो दिखाया ही नहीं कि क्या कुछ शॉप कर के लाई हूँ..?' मनिका ने अपने सामने फैली पोशाकों पर एक नज़र घुमाते हुए सोचा और मुस्काते हुए एक ड्रेस उठा ली थी.

कुर्सी पर बैठे हुए जयसिंह को बाथरूम का दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ तो आई थी पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया था और अपने असिस्टेंट को ऑफिस में आ रही दिक्कतों को हैंडल करने के इंस्ट्रक्शन देते रहे,

'पापा...’ बाथरूम का दरवाज़ा खुला और आवाज़ आई.

जयसिंह ने कुर्सी पर बैठे हुए ही मुड़ कर पीछे देखा और फोन में बोले, 'हाँ माथुर, जो मैंने कहा है वो कैरी आउट करो और कोई दिक्कत हो तो कल मुझे कॉल कर लेना, अभी थोड़ा बिजी हूँ...’ माथुर ने उधर से कुछ कहा था लेकिन जयसिंह फोन काट चुके थे.

'औकात में रहना है.' उनके दीमाग ने लंड को संदेश भेज चेताया था.

मनिका ने बाथरूम में जा कर अपने नए लिए कपड़ों को पहना था, वह एक पल के लिए नर्वस हुई तो थी के 'पता नहीं पापा क्या सोचेंगे?' पर फिर उसे अपनी माँ की समझाइशें याद आ गईं और अपनी माँ को चिढ़ाने (जबकि वे वहाँ नहीं थीं) के चक्कर में उसने कपड़े बदल लिए थे. बाथरूम के शीशे में उसने अपने-आप को निहारा था और अपनी चटख लाल स्लीवलेस टी-शर्ट और काली शार्ट स्कर्ट को देख उसके संकोच ने फिर एक बार उसे आगाह किया था, लेकिन उसे जयसिंह की बात याद आ गई थी 'कपड़े ही तो हैं...’ और वह मुस्कुराती हुई बाहर निकल आई थी. उसने यह नहीं सोचा था कि कपड़ों के अंदर जिस्म भी तो होते हैं.

जयसिंह कुछ समझ पाते उससे पहले ही मनिका बाथरूम के दरवाज़े से बाहर निकल आई थी,

'तो पापा? कैसी लग रही हूँ मैं? ये ड्रेस ली थी मैंने...मतलब और भी हैं, पहन के दिखाती हूँ अभी...पहले ये बताओ कैसी है?' मनिका ने चहक कर पूछा.

'अच्छी है...' जयसिंह ऊपर से नीचे तक उसे देखते हुए बोले, मनिका को हल्की सी लाज भी आई पर वह खड़ी रही.

उसकी गोरी-गोरी बाँहें और जांघें देख जयसिंह को पहली रात याद आ गई थी 'ओह्ह मैं तो भूल ही गया था कि कितनी चिकनी है ये कमीनी...’ मनिका का स्कर्ट उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर तक का था.

'पापा मेरी पिक्स तो क्लिक कर दो इन ड्रेसेस में प्लीज...फ्रेंड्स को भेजूंगी और जलाऊँगी... हीही...' मनिका ने अपना फोन उनकी तरफ बढ़ाया.

लेकिन जयसिंह ने उसके बोलते ही अपने फोन, जो अभी उनके हाथ में ही था, का कैमरा ऑन कर लिया था. मनिका ने अपना फोन पास रखे टेबल पर रख दिया और पोज़ बनाते हुए बोली,

'अच्छा फिर मुझे सेंड कर देना पिक्स बाद में...'

'हम्म...’ जयसिंह उसका फोटो खींचते हुए बोले. चिड़िया पिंजरे में आ बैठी थी.

अब मनिका बारी-बारी से कपड़े बदल-बदल उनके सामने आने लगी और जयसिंह उसके फोटो लेने लगे, मनिका ने स्कर्ट के बाद उनको अपनी नई जीन्स पहन कर दिखाईं थी और उसके बाद दो जोड़ी डेनिम हॉट-पैंट्स (डेनिम या कपड़े से बनी शॉर्ट्स) पहन कर आई थी, उसकी ज्यादातर नई टी-शर्ट्स स्लीव्लेस हीं थी. जयसिंह का लंड उनके हर एनकाउंटर पर उछाल मार रहा था लेकिन जयसिंह भी मनिका के बाथरूम में चेंज करने को घुसते ही लंड को शांत करने के प्रयास चालु कर देते थे ताकि बात हाथ से निकलने के पहले ही संभाली जा सके.

उसके बाद मनिका एक काली पार्टी-ड्रेस पहन कर बाहर निकली थी, ड्रेस का कपड़ा सिल्की सा था, जयसिंह देखते ही तड़प गए थे. ड्रेस में क्लीवेज थोड़ा सा गहरा था (इतना ज्यादा भी नहीं कि कुछ दिखे) जिससे मनिका की क्लीवेज-लाइन का थोड़ा सा आभास मिल रहा था और ड्रेस की लंबाई भी इस बार पहले वाले स्कर्ट और हॉट-पैंट्स के मुकाबले कम थी. पर सबसे ज्यादा उत्तेजक बात यह थी कि ड्रेस के चिकने कपड़े ने मनिका के बदन से चिपक कर उसके उभारों को तो निखार ही दिया था लेकिन साथ ही उसकी ब्रा-पैंटी की आउटलाइनस् भी साफ़ नज़र आ रहीं थी.

मनिका ने जब पहली कुछ ड्रेसेस पहन कर उन्हें दिखाईं थी तो पहले वह अपने-आप को शीशे में अच्छे से देख-भाल कर फिर बाहर आती थी लेकिन बार-बार कपड़े बदल कर आने के कारण हर बार उसका ध्यान जल्दी से बाहर आने की तरफ बढ़ता गया था और इस बार वह ड्रेस पहनते ही एक नज़र अपने आप को देख बाहर आ गई थी जबकि उसकी ड्रेस का कपड़ा उसके बाहर आते-आते ही उसके बदन से चिपकना शुरू हुआ था (क्योंकि चिकने मैटेरियल से बने कपड़े में बदन से होने वाले घर्षण से ऐसा होता है). फोटो खींचते वक्त जयसिंह का हाथ एकबारगी काँप गया था.

मनिका के पास दिखाने को अब और कोई ड्रेस नहीं बची थी सो वह खड़ी रही व इस बार जयसिंह ने उसके ज्यादा ही फोटो ले लिए थे.

'बस पापा इतनी ही थीं...’ मनिका ने उन्हें बताया.

'बस? इतने से कपड़ों का बिल था वो..?’जयसिंह ने हैरानी जताई.

'हाहाहा...मैंने कहा था ना पापा...क्या हुआ शॉक लग गया आपको?' मनिका ने हँसते हुए उनके थोड़ा करीब आते हुए कहा.

'नहीं-नहीं...पैसे की फ़िक्र थोड़े ही कर रहा हूँ. मुझे लगा और भी ड्रेस होंगी...’जयसिंह ने मुस्का कर कहा और उसे अपनी गोद में आने का इशारा किया. मनिका इतनी कातिल लग रही थी के लाख न चाहने के बाद भी वे अपने लंड की डिमांड को अनसुना नहीं कर सके थे. पर इस बार मनिका ने ही उन्हें बचा लिया,

'और तो पापा दो पर्स लिए थे मैंने और एक वॉच...एंड और क्या था..? हाँ बेल्ट और...सैंडिलस्...’ मनिका सोच-सोच कर गिनाने लगी, पर वह उनकी गोद में नहीं बैठी थी क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि उसने अंदर पैंटी पहन रखी थी जबकि इन ड्रेसेस के अंदर नीचे अमूमन बॉय-शॉर्ट्स (शॉर्टसनुमा पैंटी) पहनी जातीं हैं. अगर वह जयसिंह की जांघ पर बैठ जाती तो नीचे से खुली ड्रेस ऊपर उठ जाती जिसमें उसके अंडरवियर के एक्सपोज़ हो जाने का खतरा था. मनिका को यह आभास अजीब सा लगा था पर इस बार उसने अपने चेहरे पर शरम की अभिव्यक्ति नहीं होने दी थी, आखिर बेटी तो वह भी जयसिंह की ही थी.

'अच्छा-अच्छा ठीक है.' जयसिंह ने अपनी शॉपिंग लिस्ट सुनाती मनिका को थमने के लिए कहा और एक बार फिर अपने पास बुलाया, पर मनिका ने पीछे हटते हुए कहा,

'पापा मैं चेंज कर के आती हूँ...फिर मुझे पिक्स दिखाना.'

जयसिंह ने भी फिर से उसे नहीं बुलाया और थोड़ी राहत महसूस की थी. फिर उन्हें याद आया,

'मनिका...!'

'जी पापा?' मनिका बाथरूम के दरवाजे पर पहुँच रुक गई थी.

'वो मेरी दिलाई चीज़ तो तुमने दिखाई ही नहीं पहन कर...’ जयसिंह ने मुस्कुराते हुए कहा.

'कौनसी चीज़...? ओह्ह...हाँ पापा...भूल गई मैं...रुको.' मनिका एक पल बाद समझ गई थी और बेड की तरफ जा कर झुक कर वहाँ रखे कपड़ों में लेग्गिंग्स की जोड़ी खोजने लगी. जयसिंह ने देखा कि उसने अपना एक घुटना मोड़ कर बेड पर रखा हुआ था और उसका दूसरा पैर नीचे फर्श पर था, वह आगे झुकी हुई थी सो उसकी कमर और नितम्ब ऊपर हो गए थे और साथ ही वह ड्रेस भी, जयसिंह का बदन एक बार फिर से गरमा गया था. उन्होंने अपने बचे-खुचे विवेक का इस्तेमाल कर कैमरा वीडियो मोड पर कर लिया था और उस मादक से पोज़ में झुकी अपनी बेटी की गांड का वीडियो बनाने लगे.

कुछ दस सेकंड यह वाकया चला जिसके बाद मनिका ने सीधी होकर मुस्कुराते हुए जयसिंह को अपने हाथ में ली हुई लेग्गिंग्स दिखाई थी और पहन कर आने का बोल बाथरूम में चली गई थी. जयसिंह ने फटाफट वीडियो बंद कर दिया था और उसके जाते ही जल्दी से अपने फोन की गैलरी में जा कर देखा क़ि वो सेव तो हुआ था के नहीं? वीडियो सेव हो गया था लेकिन गैलरी में उसकी थंबनेल (फोटो या वीडियो की झलक देता आइकॉन) देख मनिका को जयसिंह की कारस्तानी का साफ़ पता चल जाना था. जयसिंह ने जल्दी से वीडियो और साथ ही अभी ली हुई तस्वीरों का बैकअप ले उस वीडियो को वहाँ से डिलीट कर दिया था.

मनिका को लेग्गिंग पहन कर बाहर आने में थोड़ा वक्त लग गया था. खड़े-खड़े इतनी पतली पजामी पैरों में पहनने में उसे थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. तब तक जयसिंह ने भी अपनी सेफ साइड रख ली थी. मनिका ने ऊपर से एक टी-शर्ट डाली और इस बार बिना आईना देखे ही बाहर आ गई. जयसिंह, जो अभी उसकी गांड को अपने मन से निकालने की कोशिश करने में लगे ही थे, पर कहर बरप पड़ा था.

एक तो जयसिंह ने पहले ही लेग्गिंग दो साइज़ छोटी ले कर दी थी उस पर उसका कपड़ा बिल्कुल झीना था तिस पर उसका रंग भी लाइट-स्किन कलर जैसा था; और मनिका यह सब बिन देखे ही बाहर निकल आई थी.
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