RE: XXX Hindi Kahani मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ
राधे ने मीरा की कही बात को संभालते हुए कहा- अरे इसका मतलब है.. मैं ऐसे आदमी को जानती हूँ.. जो तुम्हें बच्चा देगा.. समझी.. अब जाओ अपना काम करो.. मुझे थोड़ा आराम करना है।
ममता- बीबी जी.. अगर सच में ऐसा हो जाए.. तो मैं आपका अहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगी।
ममता के बाहर जाते ही राधे ने मीरा को आँख दिखाई- तुम पागल हो क्या.. सीधे-सीधे मेरा नाम ले दिया।
मीरा- तो क्या हुआ.. बेचारी कितनी दुखी है.. तुम उसको बच्चा दे दोगे.. तो क्या बिगड़ जाएगा।
राधे- अरे मेरी भोली मीरा.. उसकी नजरों में राधा एक लड़की है.. अब उसको थोड़ी पता है मेरे बारे में।
मीरा- ये तो मैंने सोचा ही नहीं.. पापा को पता चल गया तो वो मर ही जाएँगे।
राधे- हाँ मेरी रानी.. अब समझी ना.. बात को ममता का भी कुछ सोचता हूँ इसकी बातों ने गर्म कर दिया.. उसको बोलो कि आज उसकी छुट्टी.. जाओ उसके बाद हम अपनी रासलीला करेंगे।
मीरा भी गर्म थी.. उसने ममता से कहा- दोपहर का खाना बनाकर तुम चली जाना.. रात को हम बाहर खाएँगे।
ममता भी जल्दी जाने की ख़ुशी में जल्दी से सब काम निपटा कर फ्री हो गई।
बारह बजे तक उसने खाना बना दिया राधे और मीरा ने खाना खा लिया।
मीरा- अच्छा ममता.. बर्तन धोकर तुम चली जाना.. मुझे नींद आ रही है.. मैं तो सोती हूँ।
राधे- तुम सो जाओ.. मैं थोड़ा बाहर जाकर आती हूँ।
ममता बर्तन धोने में लग गई.. राधे बाहर चला गया और मीरा कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गई।
कोई 20 मिनट बाद ममता ने मीरा को कहा- मैं जा रही हूँ।
ममता जब बाहर निकल रही थी.. राधे घर में आ रहा था। उसने ममता से कहा- जल्दी ही वो उसके लिए कुछ करेगी।
ममता खुश होकर चली गई।
राधे जब कमरे में गया तो मीरा नाईटी पहने हुए बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी, वो राधे बिना कोई आवाज़ किए सीधा बाथरूम में चला गया।
हाय दोस्तो.. क्या यार, कहानी में इतने खोए हुए हो.. मुझे याद भी नहीं करते.. अरे मेरी बात जाने दो.. नीरज को तो याद कर लो.. उसका क्या हाल है.. चलो देख लेते हैं। राधे को बाथरूम में लंड हिलाते रहने दो.. हम वापस पीछे चलते हैं.. जब नीरज ने रोमा को घर ड्रॉप किया था।
रोमा को ड्रॉप करने के बाद नीरज बहुत खुश था। करीब 15 मिनट बाद ही उसने रोमा को कॉल कर दिया।
नीरज- हैलो..!
रोमा- हाय.. अरे अभी तो मुझे छोड़ कर गए हो.. क्या हुआ जनाब.. क्या भूल गए?
नीरज- भूला कुछ नहीं हूँ.. तुम्हें थैंक्स बोलना चाहता हूँ और एक जरूरी बात भी करनी है।
रोमा- अरे किस बात का थैंक्स.. मैंने तो बस आपको सच बताया है और जरूरी बात क्या है?
नीरज- क्या शाम को मुझसे मिल सकती हो.. प्लीज़ गलत मत समझना.. तुमसे कोई जरूरी बात करनी है।
रोमा- क्या बात है.. फ़ोन पर बता दो ना.. शाम को मेरा आना जरा मुश्किल है।
नीरज- कोई बात नहीं.. फिर जब तुम मिलोगी.. तब बता दूँगा।
रोमा के मन में हलचल पैदा हो गई आख़िर क्या बात होगी।
रोमा- अच्छा ठीक है.. ऐसा करती हूँ.. कल आप 10 बजे स्कूल से थोड़ा दूर जो पीसीओ है ना.. वहाँ आ जाना.. मैं वहीं मिलने आ जाऊँगी।
नीरज- लेकिन उस टाइम तो तुम स्कूल में रहोगी ना?
रोमा- नहीं.. कल मैं स्कूल नहीं जाऊँगी.. मेरे मौसाजी के यहाँ उनकी बेटी की सगाई है.. हम सब वहाँ जाएँगे.. तो रास्ते में वहीं आपसे मिल लूँगी।
नीरज- ओके.. तो मैं पक्का वहाँ आ जाऊँगा।
सुबह नीरज समय पर वहाँ पहुँच गया और रोमा का इन्तजार करने लगा। थोड़ी ही देर में सामने से उसे रोमा आती हुई दिखाई दी।
रोमा ने हरे रंग का शॉर्ट स्कर्ट और सफ़ेद टॉप पहना हुआ था। उसकी चाल के साथ उसके मम्मे भी थिरक कर कत्थक कर रहे थे और उसकी गाण्ड ऐसे मटक रही थी.. जैसे कोई तराजू हो.. कभी ये पलड़ा ऊपर.. कभी वो पलड़ा ऊपर..
रोमा मुस्कुराती हुई नीरज के पास आ गई।
रोमा- हाय.. कैसे हो आप?
नीरज- बिल्कुल भी अच्छा नहीं हूँ।
रोमा- क्यों क्या हुआ.. प्लीज़ बताओ ना..
नीरज- यहीं सुनोगी क्या.. रास्ते में खड़ी होकर?
रोमा- ओके कहीं और चलते हैं चलो..
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