RE: XXX Hindi Kahani मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ
रोमा- वाऊ.. आप बहुत जल्दी आ गए.. क्या बात है।
नीरज- मुझे पता था.. तुम जरूर आओगी इसलिए उस समय बात होने के बाद ही मैं यहाँ आ गया था।
रोमा- ओह्ह.. आप बहुत स्मार्ट हो.. अब यहीं बात करोगे.. या चलोगे भी.. कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी।
दोनों गाड़ी में बैठ गए और गाड़ी चलने लगी।
रोमा- मॉम को झूठ बोलकर एक घंटे के लिए आई हूँ.. अब बोलो हम कहाँ चलें..?
नीरज- तुम बोलो कहाँ जाना पसन्द करोगी.. समुद्र किनारे या किसी मॉल में.. जो तुम कहो.. वहीं चलेंगे।
रोमा- नहीं नहीं.. मैं घूमने नहीं.. आपसे मिलने आई हूँ.. और ये सब जगह तो मैंने कई बार देखी हुई हैं और दूसरी बात कोई पहचान लेगा तो मुसीबत हो जाएगी.. कोई ऐसी जगह चलते हैं.. जहाँ बस हम दोनों के अलावा कोई ना हो।
नीरज- ऐसी जगह तो मेरा फ्लैट ही है.. आराम से बैठकर बातें करेंगे.. वहाँ पर और कोई आएगा भी नहीं।
रोमा ने नीरज की बात सुनकर ‘हाँ’ में सर हिलाया और दोनों वहीं जा पहुँचे.. जहाँ पहले गए थे।
नीरज- सच रोमा.. अभी भी किस्मत पर यकीन नहीं आ रहा.. तुम जैसी अच्छी लड़की मेरी लाइफ में आ गई।
रोमा- यकीन दिलाने के लिए चींटी काटूँ क्या.. हा हा हा हा।
नीरज ने हँसते हुए रोमा को बाँहों में भर लिया।
अब दोनों एक-दूसरे को बाँहों में भरे हुए बस खड़े थे.. नीरज के हाथ रोमा की कमर पर घूम रहे थे और रोमा की साँसें तेज़ होने लगी थीं।
रोमा ने काँपते होंठों से धीरे से नीरज के कान में कहा- आई लव यू नीरज.. आज आप मुँह मीठा कर सकते हो।
बस इतना सुनना था कि नीरज ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
अब तो बस नीरज होंठों को ऐसे चूसने लगा जैसे कभी दोबारा रोमा हाथ में नहीं आएगी। उसकी वासना जाग उठी और उसके हाथ रोमा के चूतड़ों पर चले गए, वो उनको दबाने लगा।
रोमा ने जब यह महसूस किया तो जल्दी से नीरज को धक्का देकर उससे अलग हो गई, उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं।
नीरज- अरे क्या हुआ रोमा..?
रोमा- नहीं.. यह ग़लत है.. आपके हाथ कहाँ तक पहुँच गए थे.. हर बात की एक हद होती है।
नीरज- आई एम सॉरी रोमा.. मुझे नहीं पता था.. प्यार की भी कोई हद होती है.. मैं तो बस सच्चे दिल से तुम्हें प्यार कर रहा था.. आई एम सॉरी।
इतना कहकर नीरज मायूस सा होकर एक तरफ़ बैठ गया।
रोमा का दिल भर आया। उसको लगा शायद उसने नीरज को दु:ख पहुँचाया है.. वो नीरज के करीब आ गई।
रोमा- आई एम सॉरी नीरज.. मैं घबरा गई थी.. सॉरी.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मैंने पहली बार ये सब किया.. तो समझ नहीं आया कि मुझे क्या कहना चाहिए।
नीरज- नहीं रोमा.. तुम जाओ.. ग़लती मेरी ही है.. जो मैं तुम्हारे प्यार में बहक गया था।
रोमा- प्लीज़ नीरज.. मुझे और शरमिंदा मत करो.. अब मैं कभी आपको किसी बात के लिए मना नहीं करूँगी.. प्लीज़ मान जाओ ना।
नीरज मन ही मन मुस्कुरा रहा था.. अब चिड़िया जाल में फंसने लगी थी।
नीरज- नहीं रोमा.. तुम नहीं जानती.. ये प्यार ऐसा ही होता है.. आदमी कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है.. तुम ये सब नहीं समझ पाओगी।
रोमा- मैं सब समझती हूँ.. प्लीज़ मान जाओ.. मुझे एक बार आजमा कर तो देखो.. अब मैं कुछ नहीं कहूँगी।
नीरज- ठीक है.. मान जाता हूँ.. एक बात कहूँ.. मैं तुम्हें खुल कर प्यार करना चाहता हूँ.. क्या तुम मुझे इजाज़त देती हो?
रोमा- हाँ मेरे प्यारे नीरज.. जैसे प्यार करना चाहते हो.. कर लो.. मैं नहीं रोकूंगी.. आ जाओ.. अपनी रोमा को जैसे चाहो आजमा लो..
लो दोस्तो, गई रोमा काम से.. नीरज ने जो जाल फेंका.. बेचारी फँस गई जाल में.. खुद चूत ऑफर कर रही है..
नीरज ने रोमा के कंधे पकड़ लिए और बस उसको देखता रहा.. उसकी आँखों में एक अजीब सा नशा था। रोमा ने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया और बस नीरज की आँखों में देखने लगी।
नीरज ने रोमा को अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ले जाकर लेटा दिया। रोमा के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थीं।
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