RE: XXX Hindi Kahani मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ
शाम तक सब नॉर्मल रहा.. ममता अब ठीक हो गई थी.. उसने रात का खाना बनाया और घर चली गई।
इधर मीरा और राधे भी नॉर्मल ही थे.. बस इधर-उधर की बातें और टीवी में अपना समय पास किया।
दोस्तो, यहाँ सब देख लिया.. मगर वहाँ शाम को रोमा ने क्या किया.. यह आपको बता देती हूँ।
स्कूल से घर आने के बाद रोमा बेचैन सी हो गई थी। उसके दिमाग़ में बस नीरज ही घूम रहा था।
उसने जैसे-तैसे जुगाड़ लगा कर अपनी माँ से कहा- मॉम मैं वो टीना के पास जाकर आती हूँ.. मुझे उससे कुछ नोट्स लेने हैं।
तो उसकी माँ ने उसे जाने दिया और वो सीधी पहुँच गई.. अपने यार नीरज के पास.. अब कहाँ और कैसे.. यह आप जानते ही हो.. तो आगे का हाल सुनो..
नीरज- ओह्ह.. रोमा ‘आई लव यू’ मुझे पता था.. तुम जरूर आओगी..
रोमा- पूरा दिन मैंने कैसे निकाला.. ये मैं ही जानती हूँ नीरज.. आपने क्या कर दिया मुझे… मेरे जिस्म में आग लगी हुई है.. उफ़.. कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा.. अब मैं क्या करूँ?
नीरज- मेरी जान.. तुम्हें कुछ नहीं करना है.. तुम यहाँ आ गई हो ना.. अब जो करूँगा.. मैं ही करूँगा..
इतना कहकर नीरज ने रोमा को बाँहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगा। इधर रोमा जो शरमीली बन रही थी.. अबकी बार उसका हाथ सीधे लौड़े पर गया और वो उसको मस्ती से मसलने लगी।
नीरज- क्या बात है जान.. बड़ी जल्दी में हो.. सीधे लण्ड पर हाथ मार रही हो.. क्या इरादा है?
रोमा- ज़्यादा बात मत करो.. मेरे पास समय कम है.. माँ को झूट बोलकर आई हूँ.. कि अभी वापस आती हूँ.. अब बस जल्दी से तुम अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दो.. बड़ी आग लगी हुई है.. आह्ह.. उफ़फ्फ़..
दोस्तो, यह है हवस की आग.. जो आप देख रहे हो.. ‘ना.. ना..’ कहने वाली रोमा अब लौड़ा लेने के लिए तड़प रही है.. और कम उम्र में यही होता है.. एक बार चुदाई का चस्का लगा नहीं कि बस लड़की गई काम से.. और खास कर नीरज जैसे लड़कों के मज़े हो जाते हैं..
देखो अब नीरज का कमाल..
नीरज ने जल्दी से रोमा को नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया। उसको भी नई-नई कुँवारी चूत मिली थी.. तो उसका हाल भी रोमा जैसा ही था। अब दोनों नंगे बिस्तर पर लिपटे हुए थे.. जैसे चंदन के पेड़ से साँप लिपटा होता है।
रोमा एकदम पागल सी हो गई थी.. ना जाने.. उसमें इतनी उत्तेजना कैसे पैदा हो गई.. वो बस नीरज को चूमे जा रही थी और लौड़े को तो ऐसे चूस रही थी.. जैसे उसमें से अभी अमृत निकलने वाला हो और उसे पीकर वो अमर हो जाएगी।
रोमा का ये रूप देख कर तो नीरज भी हैरान हो गया था।
नीरज- उफ़.. आह्ह.. अरे मेरी जान.. आह्ह.. आज क्या हो गया है तुम्हें.. उफ़.. आह्ह.. चूसो आह्ह..
रोमा ने लौड़ा मुँह में पूरा ले रखा था और एक हाथ से वो अपनी चूत को सहलाए जा रही थी। कुछ देर बाद रोमा ने लौड़ा मुँह से निकाला और नीरज को बिस्तर पर लेटा दिया.. खुद लपक कर उसके मुँह पर बैठ गई..
नीरज समझ गया कि रोमा चूत को चटवाना चाहती है।
अब नीरज भी बड़े प्यार से उसकी चूत चाट रहा था.. कुछ देर बाद नीरज ने रोमा को नीचे लेटाया और लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया। वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गया था.. सो स्पीड से रोमा को चोदने लगा और रोमा भी उसका साथ देने में लगी हुई थी..
दोनों की उत्तेजना भड़की हुई थी और ये चुदाई ज़्यादा देर नहीं चल पाई। नीरज का लौड़ा चूत की गर्मी को सहन नहीं कर पाया और मोमबत्ती की तरह पिघल गया।
अरे.. अरे.. नहीं.. पिघल गया का मतलब.. झड़ गया और रोमा भी उसके साथ झड़ गई।
रोमा कुछ देर वैसे ही पड़ी रही और नीरज भी उसके साथ चिपक कर पड़ा रहा।
अब रोमा को घर जाने की जल्दी थी और चूत की आग पूरी तरह कम नहीं हुई थी.. तो वो दोबारा नीरज को तैयार करने लगी और जल्दी ही दोनों फिर से चुदाई की दुनिया में खो गए।
इस बार नीरज ने रोमा को पहले अपने लौड़े पर कुदवाया.. बाद में उसे घोड़ी बना कर चोदा और उसकी चूत को बड़े मज़े से चोदता रहा।
मजेदार चुदाई के बाद रोमा ने समय देखा और नीरज से कहा- तुम प्लीज़ मुझे जल्दी से मेरे घर के पास छोड़ आओ.. माँ को आधा घंटा बोल कर आई थी.. और एक घंटा से ऊपर हो गया है।
दोनों तैयार होकर गाड़ी में जाकर बैठ गए।
रोमा- ओह्ह.. नीरज अब जाकर मेरी चूत को आराम मिला है.. पता नहीं अब रोज-रोज मैं कैसे आ पाऊँगी..
नीरज- मेरी जान.. मेरा भी हाल तुम्हारे जैसा हो गया है.. प्लीज़ कैसे भी करके रोज आ जाना.. नहीं तो मैं तुम्हारे बिना तो मर ही जाऊँगा..
रोमा- नीरज प्लीज़.. दोबारा ऐसी बात मत कहना.. मैं आने की कोशिश करूँगी.. तुमने मुझे किसी को बताने से मना किया है.. नहीं तो मेरी फ्रेण्ड हमारी मदद कर सकती है।
नीरज- कौन फ्रेण्ड.. वो.. जो तुम्हारे साथ थी.. हाँ उसको बता दो.. ये सही रहेगा.. वो हमें मिलने में मदद कर सकती है।
बातों-बातों में कब रोमा का घर आ गया.. पता भी नहीं चला..
रोमा- नीरज बस यही रोक दो.. आगे मैं चली जाऊँगी..
नीरज- कल आओगी ना.. मेरी जान?
रोमा- ठीक है मेरे जानू.. आ जाऊँगी.. अब जाओ.. कोई देख लेगा..
नीरज वहाँ से चला गया और रोमा अपने घर आ गई.. वैसे उसकी माँ ने उसको गुस्सा किया.. मगर उसने कुछ बहाना करके माँ को शान्त करा दिया।
रात को मीरा और राधे बातें कर रहे थे तभी दिलीप जी आ गए।
मीरा- ओह्ह.. पापा हम आपका ही इन्तजार कर रहे थे।
दिलीप जी- अरे मैंने फ़ोन पर बताया तो था.. मुझे देर हो जाएगी.. तुम दोनों खाना खा लेना..
राधा- नहीं पापा.. आप इतने दिनों बाद आए हो.. तो हमने सोचा साथ ही खा लेंगे।
खाने के दौरान दिलीप जी ने एक ऐसी बात कही कि राधे के गले से निवाला नीचे नहीं उतरा..
दिलीप जी- अरे मीरा.. पता है विनोद अंकल का बेटा यूके से आ गया है.. विनोद कह रहा था.. उनके बेटे के लिए राधा का हाथ चाहिए..
राधा- उहह उहहू उहहुउ..
मीरा- अरे दीदी क्या हुआ.. पानी पी लो ना.. लो पी लो.. आराम से हाँ..
दिलीप जी- अरे क्या हुआ राधा.. शादी के नाम से घबरा गई क्या..
राधा- ऐसी बात नहीं है पापा.. मैं अभी तो कितने साल बाद आई हूँ.. आप मुझे दोबारा अपने से दूर करना चाहते हो।
मीरा- हाँ पापा.. दीदी सही बोल रही हैं। अभी तो ठीक से मैंने दीदी से बात भी नहीं की.. हम इतनी जल्दी अलग नहीं होंगे.. बस आप उनको मना कर दो..
दिलीप जी- अरे मेरी बच्चियों.. तुम दोनों का प्यार देख कर मेरा दिल ख़ुशी से भर गया। तुम मेरी बात पूरी तो सुनो पहले.. मैंने भी विनोद को यही कहा कि अभी तो राधा आई है.. और उसकी उमर ही क्या है.. कुछ साल बाद बड़ी धूम-धाम से उसकी शादी करूँगा.. मगर अभी फिलहाल मैं पहले अपनी बेटी को उसके हिस्से की ख़ुशी दूँगा।
इतना सुनते ही दोनों के चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए और दोनों पापा से गले लग गईं।
यह प्यार भरा नज़ारा कुछ देर चला.. उसके बाद नॉर्मल बातें हुईं और दिलीप जी ने सफ़र की थकान कह कर.. सोने का बोल दिया.. वो दोनों भी अपने कमरे में चली गईं।
मीरा ने दरवाजा बन्द किया और बिस्तर पर जाकर बैठ गई।
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