RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
लंड का सुपाडा वीना की पनियाई हुई चूत के छेद को फैलाता हुआ अंदर घुसने लगा……मैने भी अपनी कमर को पूरी ताक़त के साथ नीचे की ओर पुश किया… तो मेरे लंड का सुपाडा वीना की चूत की दीवारो से रगड़ ख़ाता हुआ चूत की गहराइयों तक उतरता चला गया….”श्िीीईईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तुषार….” वीना ने अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग करते हुए कहा…वीना का पूरा बदन थरथरा रहा था….” तुषार शीईइ मेरा दूध पाइयो तुषार खाली कर दो मेरी चुचियों को उम्ह्ह्ह्ह प्लीज़ चूसो ना मेरी चुचियों को…..
मे भी तो वीना की चुचियों से दूध खींच कर निकालने को बेताब था…अगले ही पल मैने वीना के तन चुके मोटे काले रंग के एक निपल को मुँह मे भर लिया….और जितनी मेरे मुँह मे आ सकती थी…उतनी चुचि भी मुँह मे भर ली. और उसे पागलो की तरह चूसने लगा….वीना की चुचियों की नसों से बह कर मीठा दूध बाहर मेरे मुँह मे आने लगा…और मे उसे गटाकते हुए जोश मे आकर अपने लंड को तेज़ी से वीना की चूत के अंदर बाहर करने लगा….
एक पल के लिए तो मे भी भूल गया था कि, बाहर अनु टीवी देखने के बहाने हमारी चुदाई की आवाज़ें सुन रही है…जैसे ही मेरी जांघे वीना के मोटे-2 चुतड़ों से टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगी….वीना ने मुझे मेरे कंधो से पकड़ कर रुकने के लिए कहा….”अहह तुषार रूको ओह्ह्ह्ह तुषार रूको….” मे एक दम से रुक गया… और वीना की आँखो मे देखने लगा…वीना ने मेरे चेस्ट मे मुक्का मारते हुए कहा…..”बाहर अनु बैठी है..और तुम तो ना…..” कहते हुए वीना एक दम से शर्मा गयी….
मे: क्या मे तो बोलो भी चुप क्यों हो गयी….
वीना: वो क्या सोचेगी मेरे बारे मे…कि मम्मी की ठुकाइ कितनी ज़ोर से कर रहा है तुषार…श्िीीईईई तुषार मुझे बहुत अजीब सा लगता है…जब से मुझे पता चला कि, अनु अब चुदाई की आवाज़े सुनने की कॉसिश करती है….
मे: तो क्या हुआ सुनने दो ना उसे भी….वो भी तो जवान हो चुकी है….उसकी बुर भी तुम्हारी तरह पनियाती होगी…
वीना: (शरमा कर मेरे कंधे पर मुक्का मारते हुए) शरम करो….बेटी है मेरी वो…और तुम उसके बारे मे….
मे: बेटी तुम्हारी है मेरी नही….
मेने फिर से अपने लंड को धीरे-2 अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था…”धीरे -2 करो तुषार….प्लीज़ धीरे आवाज़ मत करना…” वीना ने अपनी एक चुचि को एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ से मेरे बालो को पकड़ा और मेरे होंठो को अपनी चुचि की तरफ बढ़ाने लगी….”ओह्ह्ह्ह तुषार इन्हे भी चूसो ना…..ये दो दिन से भरी हुई है….”
मे: क्यों क्या हुआ अब अजय नही पीता….
वीना: नही अब दो दिन से नही पी रहा….दो दिन से बहुत खींचाव महसूस हो रहा है….प्लीज़ इन्हे खाली कर दो….चूसो मेरी चुचियों को…अह्ह्ह्ह हां बुर मे लंड भी पेलो आह तुषार….आपका लंड बहुत बड़ा है….अह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह तुषार उम्ह्ह्ह्ह्ह आप रोज रात मेरे पास ही सोना यहाँ उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह उन्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह उन्घ्ह्ह्ह्ह्ह
मे वीना की चुचियों को चूस्ते हुए लगतार अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था…अब वीना भी अपनी गान्ड उठा-2 कर मेरा लंड अपनी चूत की गहराइयों मे लेने की कॉसिश कर रही थी….हम भले ही बहुत कम आवाज़ कर रहे थे…पर मे यकीन के साथ कह सकता हूँ कि, बाहर बैठी अनु….हमारी चुदाई की और वीना की मस्ती भरी सिसकियाँ सुन रही थी….और उसकी चूत भी ज़रूर गीली हो चुकी थी…
10 मिनिट बाद हम दोनो झड कर ढेर हो गये….मे वही उसके बगल मे लेट गया…वीना ने एक पुराना कपड़ा उठा कर पहले मेरा लंड सॉफ किया और फिर अपनी चूत….पर अभी तो रात जवान होना शुरू हुई थी….और मे लेटा हुआ अनु को अपने जाल मे फसाने की सोच रहा था…..
वीना आज फिर से कई दिनो बाद झड़ी थी….और वीना मेरे लंड और मेरे स्टॅमिना की कायल हो चुकी थी….वो मेरी बगल मे लेटी हुई मेरी चेस्ट को सहला रही थी…पर मेरा ध्यान अनु की तरफ था…अनु के नाज़ुक मखमली जिस्म के बारे मे सोचते हुए, मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था….मे जानता था कि, वीना को जल्द ही मेरे लंड की लत लग जाएगी…और मुझसे चुदवाने के लिए वो मेरे सामने अपनी गान्ड हिलाती फ़िरेगी….तभी मे अपने सपनो की दुनिया से बाहर आया….जब वीना ने मेरे फिर से खड़े हुए लंड को हाथ से पकड़ लिया….वो हैरत से मेरे लंड को देख रही थी….
उसकी आँखो की चमक मेरे फिर से खड़े हुए लंड को देख और तेज हो चुकी थी… “तुषार ये तो फिर से तैयार हो गया…..” उसने मेरे लंड को मुट्ठी मे लेकर ऊपर से नीचे करते हुए कहा…
.”तैयार मे समझा नही लंड भी तैयार होता है क्या..? “ मैने वीना को छेड़ते हुए कह…
.तो वीना ने शरमाते हुए मेरी चेस्ट मे अपने फेस को छुपा लिया…”होता है ना….” वीना ने शरमाते हुए कहा….
मे: अच्छा तो फिर तुम्हे ये भी पता होगा कि, ये किस लिए तैयार हुआ है….?
वीना: (कुछ देर चुप रहने के बाद…) बुर पेलने के लिए…..
मे: (मैने वीना की चूत को हाथ मे लेकर मसल्ते हुए कहा) तो तेरी बुर लंड पेल्वाने को तैयार है फिर से….
वीना: श्िीिइ हाआँ तुषार……
मे: अच्छा रूको फिर पहले मे ज़रा मूत कर आता हूँ…फिर तुम्हारी बुर की खुजली मिटाता हूँ…
मेने उठ कर बैठ गया….और अंडरवेर पहनने लगा…”रूको “ वीना एक दम से बोली फिर चुप हो गयी…
.”क्या हुआ….?” मैने वीना की तरफ देखते हुए कहा….
.”कुछ नही आप जाओ….” वीना ने अपने ऊपर रज़ाई ओढ़ते हुए कहा….
मे उठा कर बाहर आ गया…मेरे जिस्म पर सिर्फ़ एक अंडरवेर था…..जिसमे मेरा लंड एक दम आकड़ा हुआ था. और अंडर वेअर को आगे से फैलाए हुआ था…
जैसे ही मे बाहर आया तो अनु जो कि चारपाई पर रज़ाई ओढ़ कर बैठी हुई थी…उसने एक बार मेरी तरफ देखा….मे तो जैसे इसी पल के इंतजार मे था…मेने झट से अपने लंड को अंडरवेर के ऊपर से पकड़ कर मसल दिया…अंडरवेर मे मेरे लंड का तनाव सॉफ दिखाई दे रहा था….अगले ही पल अनु ने नज़रें झुका ली…मे वहाँ चलता हुआ बाहर की ओर जाने लगा…कुछ पलों की दूरी पर डोर था..पर डोर की तरफ बढ़ते हुए मे लगतार अनु की आँखो की तरफ देख रहा था…वो सर झुकाए हुए मेरी तरफ देख रही थी….
मे बाहर आ गया….पेशाब किया और फिर अंदर आया….फिर वही सब हुआ…मे अंदर आकर वीना के साथ लेट गया…रज़ाई मे घुसते ही मैने अपना अंडरवेर उतार फेंका और वीना को चूमते हुए उसे अपने ऊपर ले आया….अब वीना मेरे ऊपर थी दोनो घुटनो को मेरे कमर के दोनो तरफ टिकाए हुए
…”ये क्या कर रहे है….” वीना ने शायद आज तक लेट कर सीधा सेक्स ही किया था…सेक्स की कितनी पोज़ीशन होती है… उसे तो शायद मालूम भी नही था….मैने हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर सेट किया…तो उसके वजन के कारण मेरा लंड फिसलता हुआ उसकी चूत मे घुसता चला गया…..फिर मैने उसे उसकी कमर को ऊपर नीचे करने को कहा….
ये सब वीना के लिए एक दम नया था….कुछ ही पलों मे वीना किसी रंडी की तरह अपनी कमर के निचले हिस्से को ऊपर नीचे करने लगी…उसने अपने दोनो हाथों को मेरे कंधो के दोनो तरफ टिका रखा था….खुद को ऐसी पोज़ीशन मे पाकर जिसमे वो ना सिर्फ़ अपने आप को कंट्रोल कर पा रही थी….बल्कि मुझे भी….वो बेहद एक्शिकटेड हो गयी थी….मैने उसकी दोनो चुचियों को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया…और उसके निपल्स मे दूध की धार बह कर मेरे चेहरे पर गिरने लगी…ये सब देख वीना और ज़यादा मस्ती मे आ गयी….और पूरी ताक़त के साथ अपनी गान्ड को उछाल-2 कर मेरे लंड पर अपनी चूत को पटकने लगी….
वीना: ओह्ह्ह तुषार जी ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हाईए बहुत मज़ा आ रहा है…..ओह्ह उम्ह्ह्ह्ह तुसरररर देख ना मेरी बुर कैसे आपके लंड को लील रही है….उम्ह्ह अह्ह्ह अहह आह आह अहह ओह्ह्ह्ह आह तुषार…..आपका लंड बहुत मोटा है….आहह मेरे पति का तो छोटा सा है तुषार….अह्ह्ह्ह मुझे रोज चोदेगा ना….आहह मेरी बुर मे रोज लंड पेलेगा ना…..अहह अहह
वीना के चूतड़ अब मेरी जाँघो पर टकरा कर थप-2 की आवाज़ कर रही थी….वो खुद इतनी गरम हो चुकी थी….कि वो भूल गयी थी कि, अनु बाहर जाग रही है…”आह ओह्ह्ह्ह जीई…..आहह मेरी बुर पानी फेंक आह आहह लो तुषार जी मेरी बुर तो गयी…ओह्ह्ह्ह हो गाईए पानी-2 अहह…..
वीना हान्फते हुए मेरे ऊपर लूड़क गयी….वीना को इस तरह अपने लंड पर उछलता देख मेरा लंड कुछ पल पहले ही पानी छोड़ चुका था….कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद वीना मेरे ऊपर से उठ कर बगल मे लेट गयी….रात का 1 बज चुका था….वीना का मन तो नही भरा था…पर अब उसे भी नींद आने लगी थी. मे उसकी बगल मे लेटा हुआ था….मुझे अब वीना के हल्के ख़र्राटों की आवाज़ सुनाई देने लगी थी….
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