RE: Kamukta Kahani जुआरी
''भेंन की लौड़ी .....तेरी माँ चोदूगा साली....कुतिया ......कामिनी ........ तेरी मोटी गांड में अपना लंड पेलुँगा साली....... अहह....... तेरे मोटे मुममे चूस्कर उन्हे सूजा दूँगा.......उम्म्म्म.......तेरे होंठों को चूस्कर सारा रस पियूँगा साली......उसमें अपना काला लंड डालकर सारा माल तेरी हलक में निकालूँगा........''
और जो बाते वो बोल रहा था, उन्हे बंद आँखो से देख भी रहा था
और कुछ ही देर में वो भरभराकर झड़ने लगा...
कुणाल को तो ऐसा एहसास हुआ जैसे उसका सारा माल कामिनी के खुले हुए मुँह के अंदर जा रहा है
जबकि वो जा रहा था उसकी मखमली सीट पर
एक के बाद एक कई पिचकारियाँ मारकर उसने अपने लंड का पानी सीट पर बिखेर दिया...
और उसे जब होश आया तो कार की सीट की हालत देखकर उसके तोते उड़ गये...
उसने जल्दी से अपना रुमाल निकालकर सीट सॉफ की, पर उसका गीलापन जल्दी जाना संभव नही था...
वो वापिस अपनी सीट पर आकर बैठ गया.
कुछ ही देर में कामिनी आती हुई दिखाई दी, जिम के बाद उसने अपने कपड़े चेंज कर लिए थे, क्योंकि अब उसे किट्टी पार्टी में जाना था..
कुणाल तो उसके बदले हुए रूप को देखकर एक बार फिर से टकटकी लगाए उसे देखता रहा...
ऐसी सुंदरता की मूरत कम ही देखने को मिलती है.
कुणाल फ़ौरन गाड़ी से बाहर निकला और उसने कामिनी के लिए कार का दरवाजा खोला..
इस बार उसकी मुस्तेदी देखकर कामिनी को अच्छा लगा..
वो अंदर घुसी और सीट पर बैठ गयी...
पर बैठते हुए उसका हाथ जब सीट पर लगा तो वहां कुछ गीलापन महसूस करके उसने तुरंत अपना हाथ वापिस खींच लिया.... इतनी देर में कुणाल ने गाड़ी स्टार्ट की और चल दिया.
कामिनी ने गोर से उस जगह को देखा और सोचने लगी की शायद उसकी जिम वाली बॉटल से पानी गिरा होगा..
पर उसे ध्यान आया की आज तो वो बॉटल लाई ही नही थी...
फिर ये कैसा गीलापन है....
कार में आ रही हल्की महक से उसे कुछ शक सा हो रहा था...
उसने एक बार फिर अपना हाथ उस सीट पर रगड़ा और धीरे से उसे अपने नाक के पास लाकर सूँघा, और उसकी नाक में एक तेज महक आ टकराई...
और वो महक इतनी तेज थी की एक पल के लिए कामिनी का सिर ही घूम सा गया...
जैसे उसने कोई देसी दारू सूंघ ली हो...
एक नशा सा चढ़ गया उसके सिर और आँखो में.
और शादी के इतने सालो में वो ये बात तो समझ ही चुकी थी की ये महक किस चीज़ की है...
बस उसे इस बात का अंदाज़ा नही था की ये इतनी तेज भी हो सकती है....
उसके दिमाग ने उबलना शुरू कर दिया...
यानी ये कुणाल उसकी कार की पिछली सीट पर बैठकर ये काम कर रहा था.
उसने वहां बैठकर मास्टरबेट किया और अपना पानी वहीं गिरा दिया....इसकी इतनी हिम्मत....उसका सारा शरीर गुस्से से काँप सा रहा था...
पर उस गुस्से के साथ-2 उसमे उत्तेजना भी थी...
जो ना जाने कब उसमें बुरी तरह से भर सी गयी थी...
शायद उसी पल से जब से उसने वो महक सूँघी थी...
ना चाहते हुए भी उसकी उत्तेजना ने उसके गुस्से को ओवेरटेक कर लिया और अब वो शांत लेकिन उत्तेजना से भरकर वहीं बैठी रही...
कुणाल अपनी ही धुन में गाड़ी चला रहा था....हालाँकि वो बेक मिरर से कामिनी को भी ताड़ रहा था पर उसके अंदर चल रहे अंतर्द्वंद को वो नही देख पा रहा था.
और पिछली सीट पर बैठी कामिनी के हाथ एक बार फिर से उस गीली सीट की तरफ सरकने लगे...
और फिर ना जाने क्या आया उसके दिमाग़ में की उसने अपनी नर्म उंगलियों को उस जगह पर रगड़ना शुरू कर दिया...
जैसे वो उस सीट से सारा रस अपनी उंगलियों में समेट रही हो....
और फिर बाहर की तरफ देखते हुए उसने अपनी उन उंगलियों को अपने होंठो के पास रखा और फिर एकदम से उन्हे मुँह में डालकर चूस लिया....
एक अजीब सा तीखा स्वाद उसकी जीभ पर आ गया...
एक ऐसा स्वाद जो उसने पहली बार महसूस लिया था...
और वो शायद इसलिए की ऐसे बस्ती में रहने वाले का वीर्य उसने पहली बार टेस्ट किया था...
आज से पहले उसने सिर्फ़ अपने कॉलेज टाइम में अपने बाय्फ्रेंड का और उसके बाद शादी के बाद अपने पति का चूसा था...
पर अब ये टेस्ट करके उसे ऐसा फील हो र्हा था जैसे वो आज तक वो बिना मसाले की सब्जी खाती आ रही थी
असली तीखापन और महक तो इसमें थी...
कल भी उसने जब कुणाल को नहाते हुए अपना लंड रगड़ते देखा था तो उसकी चूत में एक गीलापन आया था, पर अब जो हो रहा था उसके बाद तो उसकी चूत ने जो पानी निकाला था उससे नीचे की सीट तक गीली हो चुकी थी...
वो तो शुक्र था की उसने जो कपड़े पहने हुए थे उनमे गीलापन दिखाई नही देना था वरना कोई भी पीछे से देखकर बता सकता था की इस औरत की चूत रिस रही है.
कुछ ही देर में वो उस क्लब हाउस में पहुँच गये जहाँ पर किट्टी पार्टी थी....
पर कामिनी अपनी ही दुनिया में खोई हुई अपनी एक उंगली को मुँह में डाले चूस रही थी.
कुणाल कार से उतरा और उसने दरवाजा खोलकर कहा : "मेडम...मेडम...हम पहुँच गये हैं....''
तब जाकर कामिनी को होश आया...
उसने अपना हुलिया ठीक किया और अंदर चल दी...
पर जाते -2 उसे ये एहसास भी हो गया था की वो जहाँ बैठी थी वो जघा गीली हो चुकी है...
और अगर कुणाल एक बार फिर से पिछली सीट पर जाकर बैठा तो उसे ये पता चलते देर नही लगेगी की वो सीट उसकी चूत के रस की वजह से गीली हुई है...
इसलिए वो चलते-2 वापिस पलटी और कुणाल से बोली : "सुनो....तुम भी मेरे साथ अंदर चलो..कुछ खा लेना''
अब भला कुणाल कैसे मना करता...
उसने गाड़ी पार्किंग में लगाई और कामिनी के साथ अंदर पहुँच गया.
आज कुणाल का दिल कह रहा था की उसके साथ कुछ अच्छा होने वाला है
अंदर जाकर कामिनी ने कुणाल को एक कोने में टेबल पर बिठा दिया और खुद अपनी फ्रेंड्स के पास पहुँचकर उनके साथ बातें करने लगी.
कामिनी ने कुणाल की टेबल पर भी कुछ खाने का समान भिजवा दिया, और वो खुद अपनी फ्रेंड्स के साथ बैठकर खाने-पीने में बिजी हो गयी
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