RE: Kamukta Kahani जुआरी
तेल की धार मारकर जब वो अपने पंजे से विजय का बदन खुरचती तो उसे ऐसा लगता की स्वर्ग की अप्सरा उसके साथ खिलवाड़ कर रही है...
उसके बदन से आ रही देसी खुश्बू उसे पागल कर रही थी...
मन तो उसका कर रहा था की उसे दबोच ले, और वहीं बेड पर पटककर अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाकर उसकी चूत में उतार दे...
पर उससे पहले वो उसे थोड़ा गर्म करना चाहता था इसलिए वो आराम से लेटा रहा.
अचानक विजय को एहसास हुआ की उसका अंडरवीयर भी पायल ने तेल से गीला कर दिया है..
वो बोला : "अर्रे, तुमने तो मेरे कच्छे में भी तेल भर दिया....निकालो इसे..मेरे पीछे खुजली हो रही है...''
अब ये एक ऐसा काम था , जिसके लिए शायद वो तैयार नही थी...पर ऐसे मौके पर आकर वो अपने मालिक को एक बार फिर से ना कहकर नाराज़ नही करना चाहती थी...अभी कुछ देर पहले की डांट उसे अच्छे से याद थी.
इसलिए उसने काँपते हाथों से उनके अंडरवेर को पकड़ा और उसे नीचे खींचते हुए निकाल दिया...
ऐसा करते हुए जब विजय ने अपनी गांड हवा में उठाई तो उसका खड़ा हुआ लंड गद्दे के सहारे खड़ा हो गया और उसका लंड एक बम्बू सा बन गया और विजय की गांड एक तंबू सी बनकर हवा में लटक गयी...
उसने तुरंत नीचे हाथ डालकर अपने लंड को एडजस्ट किया
और मन ही मन अपने लंड से बोला 'रुक जा मेरे शेर..मेरे चीते...थोड़ा सब्र और कर ले..ये हिरनी की चूत जल्द मारने को मिलेगी..'
अपने मालिक की नंगी गांड देखकर पायल को बहुत शर्म आ रही थी...
विजय : ''क्या हुआ..रुक क्यों गयी....अब लगा ले तेल...जितना लगाना है...और अच्छे से रगड़ ...ज़्यादा रगडेगी, तभी मज़ा मिलेगा मुझे...''
ये सुनकर उसे एक बार फिर से जोश आ गया...
अब थी तो वो एक नंबर की बोडम महिला...
विजय के शातिर दिमाग़ की चालाकी वो पकड़ नही पाई.
अब वो बिना किसी हिचक के विजय के चूतड़ों पर भी तेल लगा रही थी...
और अचानक विजय पलट गया...
पायल जो अभी तक उसकी गांड मसल रही थी, अचानक उसके हाथ में विजय का लंड आ गया..
और उसे हाथ में पकड़ते ही वो ऐसे उछली जैसे उसने कोई साँप पकड़ लिया हो..
उसे लगा था की नंगा होने के बाद शायद शर्म के मारे साहब दूसरी तरफ पलटेंगे नही...
पर उन्होने ऐसा नही किया..वो पलट गए.
विजय : "अर्रे, तुम ऐसे क्यों डर रही हो...पहले कभी नही देखा क्या...''
पायल : "जी....जी....देखा है....पति का...कुणाल का ही बस....पर...ऐसे....आपका..''
इतना कहकर उसने आँखे दूसरी तरफ कर ली...पर अपना हाथ नही हटाया.
विजय : "मैं समझता हूँ ...पर अभी तू कुछ और मत सोच...बस मालिश पर ध्यान दे...चल..अपने जादुई हाथों का कमाल इसपर भी दिखा ज़रा..''
अपने मालिक का हुक्म सुनकर वो एक बार फिर शुरू हो गयी...
कच्चे केले जैसा विजय का कड़क लंड उसकी उंगलियों में नाच रहा था...
वो जब अपना हाथ पीछे करने लगती तो विजय फिर से उसे अपने लंड पर लाकर रख देता.
विजय के लंड में लेकरऔर पायल की चूत में कुछ - 2 हो रहा था
और तभी विजय ने अपना हाथ अचानक उसके सपाट पेट पर रख दिया...
ये एक ऐसा पल था जब पायल के शरीर ने उसके दिमाग़ की सुननी ही बंद कर दी...
वो ऐसे काँपी जैसे रज़ाई से निकले गर्म शरीर पर बर्फ़ीले हाथ छुआ दिए हो...
उसका बदन पानी की लहर के जैसे हिचकोले खाने लगा...
एक लंबी सी लहर उसकी छातियों से शुरू होकर उसके पेट से होती हुई चूत पर जाकर ख़त्म हो रही थी...
और उसके हर हिचकोले को विजय महसूस कर रहा था...
पायल के हाथ अपने आप उसके लंड पर और ज़ोर से पकड़ बनाते गये...
ऐसा लग रहा था जैसे वो विजय के लंड का गला ही घोंट देगी.
विजय ने अपने हाथ को धीरे-2 उपर खिसकाना शुरू किया...
और जल्द ही वो उसके नागपुरी संतरों पर जाकर जम गया..
पायल की आँखे बंद थी...
पर वो दबे-2 शब्दों मे गुहार सी लगा रही थी..
''ह्म्*म्म्मम....सा..साआब.....मत्तत्त....करोsssss ....ना......ऐसा.....अहह.....नाआ....''
पर उसके सहरीर को देखकर ऐसा लग नही रहा था की वो इस खेल को एंजाय नही कर रही है...
विजय : "अर्रे...मैने ऐसा क्या किया है...क्या तू ऐसे कपड़े पहन कर कामिनी मेडम की मसाज करती है...नही ना...''
ये एक ऐसा तीर था जो विजय ने इसी वक़्त के लिए संभाल कर रखा हुआ था...
शायद कामिनी ने बातों ही बातों मे उसे बता दिया था की पायल ने उसे B2B (बॉडी टू बॉडी) मसाज की है...
और इसका मतलब वो अच्छे से समझता था..इसलिए उसने आज ये मसाज करवाने का प्रोग्राम बनाया था..
पायल ये सुनते ही चोंक गयी...
उसने आँखे खोल कर विजय को देखा...
फिर सिर झुका कर बोली : "पर...साहब...वो...वो तो .... एक औरत है....उनके सामने अलग बात है....आपके सामने मैं कैसे....इस तरह...''
विजय फिर से गुस्से वाली आवाज़ मे बोला : "देख...हमारे यहाँ ऐसा कुछ नही होता...जो मेडम के साथ किया है...वैसे ही मेरे साथ भी कर...वरना अपनी और कुणाल की नौकरी कही और ढूँढ ले...समझी...''
विजय का इतना कहना था की पायल के हाथ पाँव फूल गये...
वो विजय के पाँव पकड़ कर बोली : "नही साहब ...ऐसा मत करो...मैं सब करूँगी...जो आप कहेंगे...वो सब करूँगी...''
और फिर तो जैसे उसके अंदर एक नयी सफूर्ती आ गयी....
उसने आनन-फानन में अपनी साड़ी उतार फेंकी...
ब्लाउज़ भी खोलकर नीचे गिरा दिया...पेटीकोट का नाडा खोला और उसे भी नीचे गिरा दिया...
एक मिनट के अंदर ही अंदर वो पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी उसके सामने..
अब तो विजय का दिमाग़ खराब सा हो गया...
इसी सीन को देखने के लिए वो कब से तड़प रहा था...
पायल के नंगे शरीर को इतने करीब से देखकर वो तो उसका दीवाना सा हो गया...
कुणाल जैसे मर्द से चुदने के बाद भी उसका शरीर एकदम कुँवारी लड़की जैसा था...
कसे हुए मोम्मे , सपाट पेट और एकदम नन्ही सी, बंद गले की चूत , जिसपर चमक रही बूंदे देखकर सॉफ बताया जा सकता था की वो कितनी देर से पनिया रही थी..
अब विजय को इस हाथ लगे मौके का अच्छे से फायदा उठाना था.
उसने पायल को अपने उपर खींचा और अपने शरीर पर लगे तेल को उसके शरीर पर मलने लगा...उसके बदन से रगड़ कर...
पायल के नुकीले निप्पल्स विजय को शूल की तरहा चुभ रहे थे...पर उनकी चुभन को महसूस करके उसे मज़ा ही आ रहा था.
और पायल की चूत में से निकल रही देसी घी की खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी...
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