RE: Hindi Sex Kahani मौका है चुदाई का
इतनी देर में उन्होंने अपना कमरा लगभग सेट कर लिया था और फिर भानु का कमरा भी सेट हो गया था...वो लोग अब रानी के कमरे में थे...इस कमरे में वो लोग अक्सर बाहर के लोगों के साथ मजे करते थे.....तो यहाँ तो और भी ज्यादा सामन पड़ा हुआ था......अब एयरपोर्ट के लिए निकलने में सिर्फ एक घंटा रह गया था....दोनों ने जल्दी जल्दी हाथ चलाना शुरू किया.....काफी चीजें वहां से हटा देने के बाद जब नीलू कमरे के एक कोने में कड़ी कमरे का मुआयना कर रही थी तब सोम ने सोचा की अभी सही समय है राउंड लगाने का...........नीलू ने सलवार कुरता पहना हुआ था....और जाने के पहले वो कपडे चेज करने वाली थी..यह बात सोम भी जनता था......यह दोनों ही चुदाई के समय खूब शोर करते थे..एक दुसरे को गाली देते थे...एक दुसरे को जोर से करने के लिए उकसाते थे और इनके बीच सेक्स में कुछ भी गन्दा नहीं था...यह सब कुछ करने के शौक़ीन थे...सब कुछ..........सोम जैसे ही नीलू के पीछे आ के खड़ा हुआ...नीलू भी समझ गयी की सोम का क्या मूड है......उसने बिना किसी देरी के अपनी सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार सर्र से नीचे सरक गयी...कुरते के बड़े बड़े कट उसकी जाँघों से ले के कमर तक थे.....सोम ने भी अपनी ज़िप खोल ली थी...अभी इनके पास ज्यादा रस ले के चुदाई करने का समय नहीं था..इसलिए सीधे ही चुदाई करने के सिवा कोई रास्ता नहीं था......नीलू ने अभी भी कमरे को ताकना जारी रखा था...हाँ वो अब नीलू के पलंग पर अपनी एक टांग चढ़ा चुकी थी...इससे उसकी चूत खुल गयी थी....सोम पीछे आया...उसने न थूक लगाया न कुछ..बस नीलू के पीछे आ के उसने चूत के मुंह पर अपना लंड सेट किया.......और एक पल के लिए थम गया....नीलू ने अपना बैलेंस बनाया और फिर सर को हलके से हिलाया जैसे सोम को इशारा कर रही हो की डाल दो अन्दर और सोम ने इस एक इशारे के बाद एक पल भी नहीं गंवाया और अपना पूरा ९ इन्च का लम्बा लंड नीलू की चूत में एक झटके से घुसेड दिया...........सरसराता हुआ लंड बिना किसी बाधा के पूरा जड़ तक नीलू की चूत में समां चुका था........और नीलू के मुंह से आह निकली.......यस डैडी...........इसके पहले भी यह दोनों एक दुसरे के साथ बहुत सरे रोल प्ले कर चुके थे...लेकिन आज इसी मौके पैर नीलू के मुंह यस डैडी निकलना किसी बड़े संजोग से कम नहीं था........या यह किस्मत का तरीका था कुछ संकेत करने का......पता नहीं क्या था...दोनों का ध्यान इस समय इस बात पर नहीं था....सोम ने शुरू से ही धक्कों की गति तेज रखी थी....दोनों को जल्दी से झड़ना जो था.....नीलू हर धक्के पर थोडा और झुक जाती थी सामने की तरफ और सोम हर धक्के पर उसके उपर झुकता जा रहा था.......जैसे जैसे सोम के धक्के तेज होते रहे वैसे वैसे ही नीलू की आवाज भी तेज होती रही....यस डैडी गिव इट टू मी.......यस डैडी फक मी......यस डैडी....आआआआआ.......और सोम और तेज धक्के देता जा रहा था.....और फिर नीलू ने कहा स्लैप मी....और सोम ने बिना किसी देरी के एक जोरदार थप्पड़ नीलू की गांड पर जमा दिया.....यह कोई प्यार से सहलाने वाला थप्पड़ नहीं था...बल्कि गुस्से में मारा गया थप्पड़ था...नीलू को ऐसे ही चपत पसंद थी अपनी गांड पर...और उस एक चपत ने उसका मजा दुगना कर दिया...नीलू ने फिर से हुंकार भरी ...यस डैडी हिट मी हार्ड...और उसके बाद तो सोम ने एक झड़ी लगा दी थप्पड़ों की.....नीलू की गांड दो मिनट में ही लाल हो गयी..और लंड और चूत का खेल भी पुरे जोर पर था.....नीलू बार बार उसे यस डैडी कह रही थी और सोम भी उसी जोश में उसे बुरी तरह से पेल रहा था.....और फिर दोनों ही अपनी चरम पर पहुचने वाले थे.....सोम ने नीलू की छोटी को पीछे से पकड़ लिया और जोर से खीच दिया...नीलू का सर और पीठ एक आर्क शेप में मुद गयी और सोम ने एक गहरे धक्के के साथ अपना पानी नीलू की बुर में निकाल दिया जहाँ उससे मिलने के लिए नीलू की बुर ने पहले ही अपने पानी का झरना बहा दिया था.............इतनी तेज चुदाई और जोरदार मारपीट के बाद भी दोनों थके नहीं थे......दोनों इस उम्र में भी बहुत जोश वाले थे.......लेकिन इसके पहले की दोनों कुछ कहते या सोचते पीछे से सुधा की आवाज आई....
सुधा - बेटा अब आप दोनों को निकलना चाहिए...रस्ते में अगर कहीं जाम लग गया तो मुश्किल हो जाएगी...
नीलू - हाँ हम बस जाने ही वाले थे.....
सुधा - यह लो तुम्हारे कपडे मैं ले आई हूँ.....सोमू बेटा तुम भी चेंज कर लो...लाओ यह सलवार कुरता मुझे दे दो नीलू और यह पेंटी भी उतर दो....
नीलू - पेंटी तो ठीक है रहने दो इतना टाइम कहाँ है.
सुधा - नहीं नहीं. उतार के जाओ.....यह दूसरी वाली पहन लो....वैसे भी तुम्हारी यह थोंग वाली पेंटी मुझे बड़ी अजीब लगाती हैं...यह तो एकदम दरार में घुस जाती हैं और फिर मन हो चाहे न हो रगड़ती रहती हैं अन्दर ही अन्दर...बेकार में तूफ़ान मचा देती हैं....अभी तुम लोग अच्छे काम के लिए जा रहे हो. इसलिए यह थोंग पेंटी न पहनो तुम....यह नार्मल टाइप वाली ले आई हूँ तुम्हारि अलमारी से यह पहन लो....
सोम - तुम कहाँ रह गयी थी सुधा काकी...हम लोग कितने परेशां थे....देखो न...कितना सामन फैला हुआ था...अभी तक उसी में लगे थे...
सुधा - तुम लोग मेरी बात तो सुनते नहीं हो. वरना अब तक तो सब हो गया होता....चलो कोई बात नहीं...तुम जाओ...मैं यहाँ देख लूंगी और क्या क्या करना है....लाओ सोम तुम्हारा लंड पोंछ दूं.....नीलू की बुर इतना पानी लगा देती है इस पर की टपकने लगता है...
नीलू - हाँ हाँ यह कहो न काकी की तुम्हें भी चूसने का मन कर गया है....
सुधा - तो क्या हुआ? सोम मेरा भी तो कुछ लगता है न?
नीलू - हाँ सुधा काकी..मैंने कब मना किया है...सोम तुम्हारा भी लगता है...हम सब का लगता है सोम...इस पर मेरा अकेले का हक नहीं है...हम सब का है......तुम चूस के जल्दी से साफ़ कर लो तब तक मैं रेडी हो जाती हूँ और फिर हम सीधे चले जायेंगे.......
सुधा काकी कौन है और इन दोनों से उसका क्या रिश्ता है...यह सब आगे पता चलेगा...इतनी भी क्या जल्दी है......????
घर से निकल के दोनों कार में आ गए और एयरपोर्ट की तरफ चल पड़े....उम्मीद के विपरीत दोनों ने सभी काम समय रहते निपटा लिए थे और उनके पास अभी भी काफी टाइम था की वो आराम से चल के एयरपोर्ट पहुच जायेंगे....सोम को वैसे भी तेज गाड़ी चलाना पसंद नहीं था.....दोनों बातें करते हुए एयरपोर्ट की तरफ जा रहे थे....
नीलू - जिस दिन सुबह से एक राउंड न लग जाये मेरा बदन खुलता ही नहीं है....लगता है जैसे पुरे शरीर में अकड़न सी हो...
सोम - हाँ मेरा भी वही हाल है...सुबह उठ के नाश्ता मिले या न मिले लेकिन एक बार चुदाई तो मिलनी ही चाहिए...
नीलू - सुनो वो काकी के लिए भी कुछ सामान लेना था तो मैं सोच रही थी की तुम भी साथ चलते.
सोम - ऐसा क्या सामान लेना है जो मैं भी साथ चलूँ?
नीलू - काकी ने ही कहा था की तुम्हें कह दूं बाकी तुम खुद ही समझ जाओगे...
सोम - मैं नहीं समझा...पूरी बात बताओ...
नीलू - वो दोनों बच्चे आ रहे हैं न....तो काकी ने कहा की दोनों की जांच कर लेनी चाहिए...अभी दोनों काफी दिनों तक घर में ही रहेंगे...या हो सकता है की अब वो हमेशा ही हमारे साथ रहें...तो हमारे पास काफी समय है उन्हें सब कुछ समझा के उनकी जांच करवा लेने का.....
सोम - हाँ हाँ...काकी ने एक दिन कहा तो मुझसे भी था लेकिन मैं ध्यान नहीं दे पाया...हाँ ठीक कहती हो....अभी ही सही समय है...अभी दोनों को समझा देंगे तो जांच के लिए शायद मान जाएँ...लेकिन बाद में तो उन्हें यह कहने में खुद हमें ही शर्म आने लगेगी...
नीलू - हाँ काकी भी यही कह रही थी की जितनी जल्दी जांच हो जाये उतना ही अच्चा है......
इससे पहले की यह बात आगे बढ़ पाती नीलू के सेल पर एक कॉल आ गया...यह उसकी ही एक सहेली का कॉल था...
नीलू - हेल्लो शालू कैसी हो...
शालू - एकदम मस्त हूँ यार...तू सुना कैसी है...
नीलू - मैं भी एकदम अच्छी हूँ..और बड़े दिनों बाद मेरी याद आई तुझे...
शालू - नहीं याद...कई दिनों से बाहर थी इसलिए बात नहीं हो पाई....तू सुना क्या चल रहा है...कहाँ हो अभी तुम...?
नीलू - अभी तो एयरपोर्ट जा रही हूँ....
शालू - कोई गेस्ट आ रहे हैं क्या? नयी पार्टी ओर्गेनायिज़ कर रही हो क्या? मुझे भी बताना....बहुत दिन हो गए याद अय्याशी नहीं की...
नीलू - अरे नहीं रे पगली.....मेरे बच्चे दोनों घर आ रहे हैं...उन्हें लेने जा रही हूँ...
शालू - ओह्ह ....अरे वाह यह तो बड़ी ख़ुशी की बात है....
नीलू - हाँ हम लोग भी बहुत खुश हैं.....
शालू - लेकिन यार इससे तो तुम दोनों की लाइफ एकदम बदल जाएगी...
नीलू - हाँ वो तो है...लेकिन बच्चों के साथ रहने का सुख भी तो है...
शालू - हाँ सही कह रही हो.......लेकिन बेचारे सोम भाईसाहब का क्या होगा....
नीलू - यह तुम उन्ही से पूछ लो... ( नीलू ने सेल स्पीकर पर कर दिया )
सोम - नमस्ते भाभी जी..
शालू - नमस्ते भाईसाहब कैसे हैं आप....
सोम- हम तो अच्छे हैं लेकिन आप तो हमें बिलकुल भूल ही गयी हैं...
शालू - अरे नहीं भाईसाहब ऐसा नहीं है....वो बस इधेर उधेर थोडा बिजी थी....और कोई बात नहीं...
सोम - ठीक है...मुझे लगा कहीं हमसे तो कोई खता नहीं हो गयी जो आपने इस तरह हमसे मुंह मोड़ लिया है...
शालू - अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है...और फिर कोई औरत आपके नीचे आने के बाद भला आपसे कैसे मुंह मोड़ सकती है...
नीलू - ओये मैं सब सुन रही हूँ..मेरे पति को लाइन मत मार तू...
शालू - हाँ तो कौन सा तेरे पीठ पीछे करती हूँ...तू खुद ही तेल लगा के उनका लंड डलवाती है मेरी चूत में मेरी सौतन.....
नीलू - सौतन मैं नहीं तू है मेरी......
सोम - हाँ हाँ दोनों एक दुसरे की सौतन ही बनी बैठी रहना....लेकिन अब जरा दोनों खुद पर कण्ट्रोल रखना...अब घर का माहौल बदलने वाला है.....भाभी जी आप भी थोडा ध्यान रखना.....
शालू - हाँ हाँ जरुर...आप चिंता न करें भाईसाहब...कोई परेशानी नहीं होगी मेरी वजह से..मैं धयन रखूँगा...
नीलू - अच्छा शालू हम बाद में बात करते हैं....... ( नीलू ने कॉल काट दिया )
सोम - शालू ने ठीक ही किया उस आदमी से डाइवोर्स ले के...वो तो साला किसी काम का नहीं था...
नीलू - हाँ हाँ काम के तो तुम हो...शालू का नाम सुना नहीं की लार टपकाने लगे.....
सोम - तो तुम क्यों जल रही हो...तुम्हें कौन सी कमी है....
नीलू -.मैं क्यों जलूँगी....जले मेरी जूती...मेरे सामने तो सौ शालू भी कुछ नहीं हैं....
सोम - अरे तुम्हारे सामने तो कोई भी कुछ नहीं है.....यार बड़ा मन कर रहा है एक राउंड और लगाने का...लेकिन हम लोग पार्किंग लोट में पहुच गए हैं...अब तो कुछ संभव नहीं है....
नीलू - संभव कैसे नहीं है......अभी फ्लाइट आने में कुछ देर होगी...और एयरपोर्ट पर बाथरूम तो हमेशा ही बहुत अच्छे होते हैं...आओ आज सरकार की दी गयी सेवाओं का लाभ उठायें.....हम भी तो टैक्स देते हैं...
सोम - हाँ हाँ...सही कह रही हो...अभी इतना टाइम तो है ही.....मैं जल्दी से पार्क करता हूँ.....
|