Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
10-17-2018, 11:37 AM,
#33
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
मेरे जेहन में बार-2 जय का वो अंडरवेर का उभरा हुआ हिस्सा आ रहा था…..उसी दिन दोपहर की बात है….सन्नी भले ही स्कूल जाने लगा था….पर वो अभी भी मेरा दूध पीने की ज़िद्द करता था…..बहुत मना करने पर भी वो कई बार ज़िद्द पर अड़ जाता, और मुझे उसे अपना दूध पिलाना पड़ता…..उस दिन भी पता नही क्यों सन्नी दोपहर के 1 बजे मेरा दूध पीने की ज़िद्द करने लगा…..

मेने उसे बहुत मना किया……पर वो नही माना….जय में और सन्नी उस समय एक ही रूम में बेड पर लेटे हुए थे…..बाहर बहुत तेज धूप और गरमी थी……और एक दम सन्नाटा पसरा हुआ था….मेन डोर पहले से अंदर से लॉक था.....रूम में खिड़कियों पर पर्दे लगे हुए थे….और डोर बंद था….बस सिर्फ़ टीवी की हल्की रोशनी आ रही थी…..जिस पर जय लो वॉल्यूम में कोई मूवी देख रहा था…..कूलर की ठंडी हवा गरमी से राहत दे रही थी…

सन्नी मुझे काफ़ी देर से तंग कर रहा था…..हार कर मेने उसे अपने पास लेटा लिया. और अपने ब्लाउज के बटान खोल कर अपना राइट साइड वाला बूब बाहर निकाला और सन्नी को दूध पिलाने लगी…..में सबसे लास्ट में दीवार वाली साइड पर लेटी हुई थी…..सन्नी बीच में था, और उसके आगे की तरफ जय लेटा हुआ था…..जय अब टीवी छोड़ कर मेरी ओर देख रहा था….सन्नी की पीठ जय की तरफ थी….और हम दोनो के फेस एक दूसरी की तरफ….जैसे ही सन्नी ने मेरे निपल सक करना शुरू किया…..मेरे पूरे बदन में झुरजुरी दौड़ गयी…

मेरी बुर में फिर से कुलबुलाहट होने लगी……मेने मस्ती वाले अंदाज़ में जय को पूछा जो कि मेरी तरफ देख रहा था…..”तुम तो अभी तक अपनी मम्मा का दूध नही पीते हो….?” मेरी बात सुन कर जय शरमा गया…..और उसने सर झुका कर ना में सर हिला दिया….मेने सन्नी के बालों में अपनी उंगलियों को घुमाते हुए कहा…..”देखो बेटा जय भैया भी बड़े हो गये है……..वो अब अपनी मम्मा का दूध नही पीते….अब तुम भी ना पिया करो…ग्लास में दूध पीया करो…….” पर सन्नी तो मेरा निपल सक करने में मगन था…जय चोर नज़रों से मेरी तरफ देख रहा था…….में जानती थी कि, उसकी नज़र मेरी चुचियों पर थी. 

और वो कभी टीवी की ओर देखता तो कभी मेरी ओर……थोड़ी देर में ही सन्नी गहरी नींद में सो चुका था…..मेने जय से कहा की वो टीवी बंद कर दे, और थोड़ी देर के लिए आराम कर ले, क्यों कि लाइट का पता नही कब चली जाए…..जय ने टीवी बंद कर दिया….अब कमरे में और अंधेरा हो गया था…..खिड़की के पर्दों से लाइट बहुत कम आ रही थी…..बहुत कम रोशनी थी रूम में

में: लगता है सन्नी तो सो गया…..?

ये कह कर मेने सन्नी के मुँह से अपनी चुचि बाहर निकाली, और उसे उठा कर दीवार वाली साइड पर कर दिया…..और खुद जय की तरफ फेस करके करवट के बल लेट गयी….और अपने मम्मे को ब्रा के अंदर डालने की कॉसिश करने लगी….में जान बुझ कर ऐसे कर रही थी कि, जैसे मुझे अपनी चुचि को ब्रा के अंदर डालने में तकलीफ़ हो रही हो……मेने जय की ओर देखते हुए कहा……”जय तुम्हे तो नही पीना…….?” जय मेरी बात सुन कर शरमा कर मुस्कुराने लगा…..मेने फिर से उससे पूछा…..”जय बोलो ना में इसे अंदर करने लगी हूँ….” मेने अपने मम्मे की ओर इशारा करते हुए कहा….जय हसरत भरी नज़रों से मेरी ओर देखने लगा….मेने इस बार अपने होंटो पर मुस्कान लाते हुए अपने पास आने का इशारा किया….

जय खिसक के मेरे करीब आ गया…….”बोल पीओगे मेरा दूध…..” मेने अपनी चुचि के निपल को पकड़ कर उसकी ओर देखते हुए कहा…..और उसने अपने गले का थूक गटाकते हुए हां में सर हिला दिया….में अपना एक हाथ उसके सर के पीछे ले गयी, और उसके सर को पकड़ कर अपनी चुचि की तरफ उसके फेस को पुश किया…..अपने दूसरे हाथ से अपने चुचि को पकड़ कर अपना निपल उसके मुँह के पास कर दिया…..उसने भी बिना कोई देर किए….मेरी चुचि के निपल को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया… मेने अपनी बाजू को उसके सर के नीचे से निकाल कर अपना हाथ उसके सर पर रखा, और उसे अपने चुचियों की ओर दबा दिया….

जय अब और खिसक कर मेरे साथ चिपक कर मेरी चुचि को चूसने लगा….एक बच्चे और जवान लड़के से अपनी चुचि चुसवाने में क्या फरक होता है…….वो मुझे मेरी बुर की हालत बताने लगी थी…….मेरी बुर की फांके फडफडाने लगी…..और मेरी बुर से पानी बह कर बाहर आने लगा था….में एक दम मस्त हो चुकी थी……मेने अपने दूसरे हाथ से धीरे-2 अपना पेटिकॉट ऊपेर उठा दिया….मेने उस समय नीचे पैंटी नही पहनी हुई थी….और में नीचे हाथ डाल कर अपनी बुर को मसलने लगी….मेरे मुँह से हल्की -2 उंह उंह की आवाज़ आने लगी…..मुझे अहसास भी नही हुआ कि, कब जय ने मेरी उस चुचि को हाथ से पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया…जिसे वो साथ-2 में सक भी कर रहा था……

जैसे ही मेरा ध्यान इस ओर गया कि, जय मेरी चुचि को किसी मरद की तरह अपने हाथ से मसल रहा है…….तो मेरी बुर में तेज सरसराहट दौड़ गयी…..मेने उसके सर को अपनी बाहों में और कस के जाकड़ लिया….और अपनी एक उंगली अपनी बुर के अंदर डाल दी…..में अपनी सिसकारी को रोक नही पाई…”सीईइ उंह ओह जय….” 

जय मेरे सिसकने की आवाज़ सुन कर एक दम चोंक गया…….उसने मेरे निपल को मुँह से बाहर निकाला. जो उसके चूसने से एक दम तन कर फूला हुआ था. और मेरी वासना से भरी आँखों में देखते हुए बोला…….”मौसी क्या हुआ….” में उसकी बात सुन कर होश में आई, कि में ये क्या कर रही हूँ….अपने जिस्म की आग को ठंडा करने के लिए में अपनी ही बेहन के बेटे के साथ ये काम कर रही हूँ…..मेने अपने आप को संभालते हुए कहा…..”कुछ नही अब बस करो…..मुझे नींद आ रही है….” पर वो मुझसे कहने लगा कि “मासी प्लीज़ थोड़ी देर और दूध पी लेने दीजिए ना….बस 1-2 मिनिट” और उसने मेरे जवाब सुने बिना ही फिर से मेरे निपल को मुँह में भर लिया…..इस बार वो मेरे चुचि के काफ़ी हिस्से को मुँह में भर चुका था….

और मेरी चुचि को चूस्ते हुए, बाहर की तरफ खींचने लगा…..मेरे पूरा बदन थरथरा गया…..और मुँह से एक बार फिर से आ निकल गये…..इस बार उसने फिर से चुचि को मुँह से बाहर निकाला, और बोला “बोलो ना मौसी क्या हुआ…..” मेने काँपती हुई आवाज़ में सिसकते हुए उसे जवाब दिया…..” कुछ नही जय जल्दी कर मेरा बहुत बुरा हाल है…” उसने फिर से मेरी चुचि को मुँह से बाहर निकाला……और काँपती हुई आवाज़ में बोला….”कहाँ पर मौसी…..” अचानक से मुझे उसका लंड निक्केर के ऊपेर से मेरी नाभि में चुभता हुआ महसूस हुआ….तब तक वो फिर से मेरी चुचि को मुँह में भर चूसना शुरू कर चुका था…..

में इस क़दर मदहोश हो गयी कि, मुझे कुछ होश ना था…..मेने जय का एक हाथ पकड़ कर उसे नीचे लेजा कर अपनी टाँगों को फेलाते हुए अपनी बुर पर रख दिया…..जो एक दम पनियाई हुई थी…..जय मेरी समझ कही ज़्यादा तेज था…..जैसे ही मेने उसका हाथ अपनी बुर के ऊपेर रखा, उसने मेरी बुर की फांको के बीच अपनी उंगलियों को घुमाते हुए रगड़ना शुरू कर दिया….मेरा पूरा बदन एक दम से ऐंठ गया….फिर उसने धीरे-2 से अपनी एक उंगली मेरी बुर में घुसा दी, और अंदर बाहर करने लगा……में एक दम से मदहोश होती चली गयी. वो मेरी बुर में उंगली अंदर बाहर करते हुए, मेरी चुचि को चूस रहा था….और वो धीरे-2 मेरे ऊपेर आ चुका था…..

तभी मेरा ध्यान सन्नी की तरफ गया……कि सन्नी भी इस रूम में है…..मेने जय के सर को दोनो हाथों से पकड़ कर पीछे की ओर धकेला…….तो मेरी चुचि उसके मुँह से बाहर आ गयी…….”जय सन्नी” जय ने सन्नी की तरफ देखा जो अभी गहरी नींद में था…..और फिर मेरी तरफ देखने लगा….उसकी उंगली अभी भी मेरी बुर में थी…..में नही चाहती थी कि सन्नी उठ जाए और हमे इस हालत में देख ले……नजीबा तुम तो जानती हो कि, हमारे घर में सिर्फ़ दो रूम है……एक ड्रॉयिंग रूम जो बाहर की तरफ बैठक में है…..और एक पीछे की तरफ मेरा बेड रूम जहाँ पर सब कुछ चल रहा था………..

फिर मुझे ख़याल आया कि सन्नी स्टोर रूम में कभी नही घुसता…….क्योंकि वहाँ पर काफ़ी समान भरा होता है…..और जब सन्नी कभी ज़िद्द करता है तो उसके पापा उसे ये कह कर डराते थे कि स्टोर रूम में भूत है, अगर तंग करोगे तो में तुम्हे वहाँ बंद कर दूँगा…. इस लिए मेने जय को धीरे से कहा कि, वो स्टोर रूम में जाए…..और वहाँ पड़े बिस्तर को नीचे ज़मीन पर ही बिछा लिए……में अभी थोड़ी देर में आती हूँ….

मेरी बात सुन कर जय खड़ा हुआ, और बाहर स्टोर रूम की तरफ चला गया….में धीरे से बेड से नीचे उतरी….फिर मेने अपने ब्लाउज जो कि आधा खुला हुआ था, उसे उतार दिया….फिर अपनी ब्रा उतारी, और फिर से ब्लाउज पहन लिया….मेने ब्लाउज के बटान बंद करने के लिए टाइम नही जाया किया….फिर रूम से बाहर आकर स्टोर रूम की तरफ चली गयी….जैसे ही में स्टोर रूम में पहुँची, तो देखा कि जय ने ज़मीन पर गद्दे बिछाए हुए थे….और वो करवट के बल उन पर लेटा हुआ था……मुझे देखते ही जय खड़ा हुआ, और मुझे पकड़ कर अंदर दीवार के साथ सटा दिया…….

उसने मेरे ब्लाउज के बाहर झाँक रही चुचियों को हाथो में पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया…फिर उसने मेरी एक चुचि को मुँह में भर कर सक करना शुरू कर दिया…..”ओह्ह्ह जय हाआँ चुस्स ले मेरे बेटे हाई अपनी मासी के मम्मों को चूस ले बेटा…” मेने अपना पेटिकॉट पकड़ कर ऊपेर उठा लिया. और जय का हाथ पकड़ फिर से अपनी बुर पर रख दिया. “ओह्ह्ह जय देख ना मेरा कितना बुरा हाल है…..” जय ने मेरी बुर को मसलते हुए मुँह से चुचि को बाहर निकाला, और अपना निक्कर नीचे घुटनो तक सरका दी. और फिर मेरा हाथ पकड़ कर अपने तने हुए 6 इंच के लंड पर रख दिया…….

जय: मासी देखो ना मेरा भी बुरा हाल है…..

जैसे ही मेरे हाथ में जवान तना हुआ लंड आया…….में सब कुछ भूल गयी…..और फिर में नीचे झुकते हुए घुटनो के बल बैठी, और जय के लंड को हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी. उसके लंड टोपा एक दम लाल होकर दहक रहा था…..फिर मेने जय का हाथ पकड़ कर उसे खीचते हुए नीचे बिस्तर पर लिटाना शुरू कर दिया……और जय को अपने ऊपेर गिरा लिया. मेने अपनी टाँगों को नीचे से पूरा फेला लिया. और जय अब मेरी टाँगों के बीच में था. मेने उसके लंड को पकड़ कर अपनी दहाकति हुई बुर के छेद पर लगा दिया….

में: ओह्ह्ह्ह जय अपनी मासी की फुद्दि मार कर उसकी आग को ठंडा कर दे आज……

और फिर अपना हाथ उसके लंड से हटा लिया. और अपनी टाँगों को उसकी कमर पर लपेट लिया….जय ने धीरे-2 अपने लंड को मेरी बुर के छेद पर दबाना शुरू कर दिया…बरसो की प्यासी बुर जो एक जवान और तने हुए लंड के लिए तरस रही थी….जय के तने हुए लंड की गरमी को महसूस करके कुलबुलाने लगी…..मेने अपनी गान्ड को पूरी ताक़त से ऊपेर की ओर उछाला. जय का लंड मेरी बुर की गहराइयों में समाता चला गया…….

फिर तो जय ने भी आव देखा ना ताव उसने अपनी गान्ड को उठा-2 कर मेरी बुर के अंदर अपने लंड को पेलना शुरू कर दिया….वो किसी जवान मर्द की तरह मेरे मम्मों को मसलते हुए, अपने लंड को मेरी बुर के अंदर बाहर कर रहा था…..और फिर उसने मेरे होंटो पर अपने होन्ट रख दिए……मुझे अपने 1**** साल के भान्जे से अपने होंटो चुसवाने में शरम आने लगी……पर लंड की रगड़ बुर की दीवारो पर मदहोश कर देने वाली थी…..मेने भी शारी शरम हया छोड़ कर उसका साथ देना शुरू कर दिया….अपनी गान्ड ऊपेर की ओर उछाल कर उसके लंड को अपनी बुर की गहराइयों में लेने लगी…….

उसके 5 मिनिट के धक्कों ने ही मेरी बुर को पानी पानी कर दिया…….में झड कर एक दम बहाल हो गयी थी….थोड़ी देर बाद उसने भी अपना सारा पानी मेरी बुर के अंदर उडेल दिया……”नजीबा अब मेने तुम्हे सारी बात बता दी है…..प्लीज़ ये सब किसी से नही कहना. और हां तुम्हे जिंदगी में कभी मेरे ज़रूरत पड़े तो में तुम्हारे साथ हूँ. मुझसे एक बार कह कर देखना में तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ….”

उसके विमला भाभी मुझे अपनी चुदाई की दास्तान सुना कर चली तो गयी……पर मेरी बुर में आग और भड़का गयी थी……
पिछले दो महीने से जिस तेज़ी से मेरे जिंदगी में फेरबदल हो रहे थे……वो मेने अपनी पूरी जिंदगी में कभी नही देखे थी……राज का हमारे घर किरायेदार के टूर पर आना. और फिर उसे फातिमा के साथ सेक्स करते देखना, और फिर उसके लंड का गुलाम बन कर रह जाना. और फिर विमला भाभी का ये किस्सा….मेरी जिंदगी में इतना सब कुछ दो महीनो के अंदर हो चुका था. और यही सब सोचते हुए, ये अंदाज़ा लगाने की कॉसिश कर रही थी कि, आगे आने वाले दिनो में पता नही और क्या क्या होगा….

उस दिन के दो दिन के बाद की बात है…..नाजिया सुबह स्कूल चली गयी थी…..अंजुम उस दिन घर से थोड़ा जल्दी निकल चुके थे…..और राज भी जॉब पर जाने के लिए तैयार था….जैसे ही वो नीचे आया, तो उसने मुझसे अंजुम के बारे में पूछा, तो मेने उसे बताया कि, वो थोड़ी देर पहले ही निकल गये है……जैसे ही राज को पता चला कि अंजुम घर पर नही है. उसने मुझे बर्मडे में ही बाहों में भर लिया….और मेरे होंटो को चूसने लगा…..और साथ -2 मेरे चुतड़ों को सलवार के ऊपेर से मसलने लगा….

आज बहुत दिनो बाद मुझे राज की बाहों की गर्माहट मिल रही थी….में उसकी बाहों में जाते ही पिघलने लगी थी…..”ओह्ह्ह राज मुझे कहीं भगा कर ले चलो…..मुझे अब तुमसे एक पल भी दूर नही रहा जा रहा…..” राज ने मेरी आँखों में देखा, और मुस्कुराते हुए बोला….”मेरी जान चाहता तो में भी यही हूँ….पर में नही चाहता कि, मेरी वजह से तुम्हारा घर बर्बाद हो……थोड़ा सबर रखो…..हमे जल्द ही मौका मिलेगा….” ये कहते हुए उसने एक बार फिर से मेरे होंटो को सक किया, और जॉब के लिए चला गया….मेने मेन डोर बंद किया. और घर की सॉफ सफाई में लग गयी…..
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