Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
10-22-2018, 11:30 AM,
#26
RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--19

गतान्क से आगे..................

"थॅंक्स! ओके, लेट'स गो.." कहकर इनस्पेक्टर ने एक ऑटो वाले को हाथ दिया..

"यूनिवर्सिटी लाइब्ररी!" इनस्पेक्टर ने कहा और उसके बैठने का इशारा करने पर हूमें अंदर बैठने को कहा... कुच्छ देर बाद हम वहाँ पहुँच गये जहाँ 'वो' हूमें ले जाना चाहता था....

एक बड़ी सी बूलिडिंग के सामने पार्क में बहुत सारे जोड़े बैठे बातें कर रहे थे.. लड़की अकेले लड़कों के साथ थी और लड़के अकेली लड़कियों के साथ.. सब मस्ती में बैठे खिलखिला रहे थे.. उनको यूँ मस्ती से एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले देख कर मेरा मंन विचलित हो गया... मैं मीनू के साथ चलते चलते सोच रही थी कि मैं कब कॉलेज में आउन्गि... गाँव में तो खुल्लम खुल्ला ऐसे सोच भी नही सकते...

"हुम्म.. यहाँ ठीक है.. आओ..!" इनस्पेक्टर ने कहा और पार्क में बाकी लड़के लड़कियों से अलग एक जगह बैठ गया...

"अब बोलो.. क्या बात है?" इनस्पेक्टर ने हमारे बैठते ही मीनू से पूचछा.. हम दोनो उस'से थोड़ी दूर हटकर बैठे थे...

"वो... आप किसी को नही बताएँगे ना?" सहमी हुई सी मीनू ने उसकी नज़रों में झाँकते हुए कहा...

"जो भी मंन में है.. बेझिझक बोल दो.. मैं ऐसा कोई काम नही करूँगा जिसस'से किसी बेकसूर पर हल्की सी भी आँच आए..." इनस्पेक्टर ने भरोसा दिलाने की कोशिश की...

"वो.. हो सकता है कि तरुण को 'एक' सर ने.... " बोलकर मीनू चुप हो गयी....

"क्या? कौन्से सर? जो कुच्छ भी तुम जानती हो.. खुल कर बताओ प्लीज़..." इनस्पेक्टर उत्सुक होकर बोला...

"तू बता दे ना अंजू... तुझे पूरी बात का पता है.." मीनू ने मेरी और देखा...

"म्‍मैइन.. क्क्कौनसी बात? " मैं हड़बड़ा कर बोली...

"वही... स्कूल वाली.. जो तुम्हारे साथ हुई थी... और जो मेडम ने तुम्हे बताया था...!" मीनू ने मेरी और देखा और नज़रें झुका ली.. उसके चेहरे से ही लग रहा था कि वो विचलित सी हो गयी है.....

"नयी.. तुम ही बता दो.... मैं नही.." मैने भी अपने आपको दूर ही रखना चाहा... जुब कुच्छ मिलना ही नही था तो मैं क्यूँ अपनी ज़ुबान को गंदा करती....

"ये क्या मज़ाक बना रहे हो तुम लोग.. बताते क्यूँ नही..." इनस्पेक्टर बेशबरा सा होकर बोला...

"ओके ओके.. बताती हूँ..," मीनू ने कहा और फिर मेरी और देख कर बेचारा सा चेहरा बनाकर बोली," प्लीज़ अंजू.. तुम बता दो ना..."

मैने मीनू की और देख कर अपना गला सा सॉफ किया और फिर इनस्पेक्टर की ओर देखने लगी.....

"अब बोलो भी... कोई तो बोलो...!"

"वववो.. स्कूल में जिस दिन हमारा पहला पेपर था..." मैने इतना ही कहा था कि मीनू वहाँ से उठ गयी," म्‍मैइन.. 2 मिनिट में आती हूँ बस..." उसने कहा और वहाँ से फुर्रर हो गयी...

"हां.. हां.. तुम बोलो... मैं सुन रहा हूँ...!" इनस्पेक्टर ने झल्लाते हुए कहा...

"वो.. एक सर की ड्यूटी हैं वहाँ...............!" यहाँ से शुरू करके मैने इनस्पेक्टर को अगले दिन मेडम के द्वारा कही गयी बात ज्यों की त्यों सुना दी... शायद ही पूरी बात ख़तम होने से पहले तक इनस्पेक्टर ने पलकें भी झपकाइं हों... पर मेरे रुकते ही वो बोला...," ओह शिट! और मैं कहाँ कहाँ दिमाग़ घुमा रहा था....." वह कुच्छ देर रुका और फिर मुझे डाँट'ता हुआ सा बोला," तुम'मे इतनी भी अकल नही थी क्या कि तुम 'उस' मास्टर के मंन की बात भी नही समझ पाई... और पता लगने के बाद भी... खैर छ्चोड़ो.. बुला लो उसको!" इनस्पेक्टर ने मुझसे कहा.....

"कहाँ है वो?" मैने नज़रें घुमा कर देखा.. हमसे दूर जाकर वह अकेली चेहरा दूसरी और किए बैठी थी....," आ जाएगी.. कुच्छ कर रही होगी..?" मैने बेचारी सी सूरत बनाकर इनस्पेक्टर को कहा....

"कुच्छ नही कर रही वो.. मुझे पता है कि 'वो' क्यूँ गयी थी....? जाओ.. जल्दी बुलाकर ले आओ!" इनस्पेक्टर ने कहा और खड़ा हो गया....

"दीदी.. चलो.. 'वो' बुला रहा है..."मैने मीनू के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा तो वो उच्छल सी पड़ी...," क्क्या..? क्क्या बोले 'वो'"

"कुच्छ नही.. सिर्फ़ मुझे डांटा था..." मैने कहा तो वो खड़ी होकर नज़रें सी चुराती हुई मेरे साथ उसके पास चली गयी.....

"हूंम्म... थॅंक्स! सच में ही बहुत काम की खबर थी... कल सुबह स्कूल में ही मिलना पड़ेगा उस'से?" इनस्पेक्टर ने चलते चलते कहा....

"पर... पर.. वो तो दो दिन से स्कूल में आ ही नही रहे...." मैने बोला....

"कोई बात नही.. मेडम से उसका कुच्छ पता ठिकाना तो मिल ही जाएगा..."

"पर.. पर आप मेरा नाम तो नही लोगे ना...!" मैने सहम कर पूचछा....

"नही... अब तुम निकलो... मुझे देर हो रही है...!" इनस्पेक्टर ने कहा और मीनू की ओर देखा.. वो नज़रें झुकाए खड़ी थी....

"ठीक है.. मेरा नंबर. याद है ना...?" इनस्पेक्टर ने पूचछा तो मीनू ने हां में सिर हिला दिया...

"गुड... कुच्छ भी खबर लगे तो मुझे फोन ज़रूर कर देना... या इसको बता देना," उसने मेरी और इशारा किया..," तुमसे बड़ी तो ये लगती है.. बात करने में.." कहने के बाद उसने अपने पर्स से कार्ड निकाल कर मुझको भी पकड़ा दिया... मैं उसकी ओर मुस्कुरा दी...

इनस्पेक्टर ने ऑटो रुकवाई और हमारी और मुस्कुरा कर चला गया....

"अब कहा चलें?" मैने मीनू से पूचछा.....

"तूने उसको सब कुच्छ बता दिया क्या?" मीनू ने मेरी बात पर ध्यान ना देकर उल्टा सवाल किया....

"हां... आपने ही तो बोला था...!" मैने उसको जवाब दिया....

"तुझे... तुझे क्या बिल्कुल भी शरम नही आई....!" मीनू मेरी और अचरज से देखती हुई बोली.....

"आ रही थी दीदी.. पर मैं क्या करती....?" मैं कुच्छ और भी बोलने वाली थी की मेरी छातियो में हुई कंपन ने मेरा ध्यान विचलित कर दिया...

"चल... अब सीधे घर ही चलते हैं... आज मूड नही है मेरा.. क्लास अटेंड करने का... अरे हाँ.. तुझे शॉपिंग भी तो करवानी है... आ...." मीनू ने कहा और सड़क पर खड़ी होकर ऑटो का वेट करने लगी........

घर पहुँचते पहुँचते जाने कितनी ही बार फोन आ चुके थे.... मैं परेशान सी हो गयी थी... मैं अपने घर ही रह गयी... ताला खोलकर उपर जाते ही मैने अपनी ब्रा में हाथ देकर फोन निकाला... और मिस्ड कॉल की डीटेल चेक करने लगी.... 10 की 10 कॉल ढोलू के नाम से थी... मैने बिस्तेर के नीचे मोबाइल छिपाया और बाथरूम में घुस गयी....

शहर जाकर आने की वजह से मैं थक सी गयी थी फिर भी जाने क्यूँ मेरा दिल रह रह कर मचल रहा था.. मंन ही मंन मैने शाम तक जी भर कर सोने के बाद मीनू के घर जाते हुए मनीषा के पास जाने का मंन बना लिया था.. बाथरूम से वापस आते ही मैने फोन को किसी अच्च्ची जगह छिपाने के लिए बिस्तेर के नीचे से निकाला ही था कि एक बार फिर कॉल आ गयी.. मैने स्क्रीन पर देखा; कॉल ढोलू की ही थी... मैने दरवाजे के पास खड़े होकर बाहर झाँका और कॉल रिसीव कर ली...

मैं काफ़ी देर दूसरी और से आवाज़ का इंतजार करने के बाद धीरे से बोली,"हेल्लूओ!"

"क्या हेलो यार? तू तो चूतिया बना गयी..." ढोलू की खुरदरी और नाराज़गी भरी आवाज़ मेरे कानो में उतर गयी...

"क्कक्या हुआ?" मैं डर सी गयी थी...

"घंटा होगा यहाँ? तूने सारा दिन फोन नही उठाया.. मैं पूरा दिन घर पर अकेला था.. सोचा था आज तुम्हारी भी च्छुटी है... फोन क्यूँ नही उठाया तूने?" उसने बेसब्री से पूचछा....

"ववो.. पर मैं आज शहर गयी थी.. मीनू के साथ...!" मैने मायूस होकर कहा...

"शहर में है तू?" उसने पूचछा....

"नयी.. अब तो घर पर ही हूँ... अभी आई हूँ बस..." मैने जवाब दिया...

"घर में? तूने सबके सामने ही फोन उठा रखा है क्या?" वो थोड़ा सा विचलित होकर बोला....

"नहिी.. मैं पागल हूँ क्या? मम्मी पापा खेत गये होंगे.. छ्होतू का पता नही...." मैने जवाब दिया....

"दरवाजा खोल के रखना.. मैं बस 2 मिनिट में आ रहा हूँ..." उसने हड़बड़ी सी में कहा.. इस'से पहले मैं कुच्छ बोलती.. वो फोन काट चुका था... मैं डर गयी.. 'घर पर तो ठीक है ही नही.. इस'से अच्च्छा तो मैं उसको रात चौपाल में ही बुला लूँगी...' मैने मंन ही मंन सोचा और उसको फोन लगाया.... पर उसने काट दिया...

मैं उसके घर आने की बात सुनकर डर गयी.. सारे गाँव को पता था कि वो कैसा लड़का है.. फिर उसका हमारे घर आना जाना भी नही था.. 'किसी ने देख कर पापा को बोल दिया तो मेरी तो ऐसी तैसी हो जाएगी...' ये सोच कर मैने उसके आने से पहले ही घर से निकल भागना ठीक समझा......

मैने खाना खाने का इरादा छ्चोड़ा और मीनू के घर जाने के लिए सीढ़ियाँ उतरने लगी.. पर मैं जैसे ही नीचे उतरी.. देखा 'वो' दरवाजे के सामने ही खड़ा है... किसी बाहर वाले को उसको मेरी तरफ देख कर दाँत निकालते ना दिख जाउ.. इसीलिए मैं भाग कर दीवार की आड़ में खड़ी हो गयी...

"उपर चल ना!" उसने अंदर आते ही कहा...

"ंमुझे अभी मीनू के पास जाना है.. ज़रूरी काम है.. मैं तुम्हे रात को कहीं बुला लूँगी.. फोन करके..." मैने सहमी हुई निगाहों से उसकी ओर देखा...

"कुच्छ नही होता.. ज़रूरी काम 15 मिनिट के बाद भी हो जाएगा.. फिलहाल इस'से ज़रूरी कुच्छ नही..." उसने अंदर से कुण्डी लगाई और मेरे पास आते ही सीधा मेरी चूचियो में हाथ मारा..," सुबह से चार बार झाड़ चुका हूँ इसको.. तेरी माचिस की डिबिया को याद करके.. अब एक बार घुसा लेने दे उसमें.. बाकी काम बाद में कर लेंगे...." उसने कहते ही अपने हाथ मेरे पिछे ले जाकर मेरे नितंबों को संभाला और मुझे ज़मीन से चार इंच उपर उठा लिया...

"यहाँ नही.. कोई आ जाएगा.. भागने का भी रास्ता नही है घर से.. छ्चोड़ दो..." मैने उसकी छाती पर कोहानिया टीका अपने आपको नीचे उतारने की कोशिश करते हुए कहा....

उसने मुझे छ्चोड़ दिया..," चल फिर.. मेरे घर आजा.. संदीप को मैं बाहर भेज दूँगा.. और कोई ......"

उसकी बात अधूरी ही रह गयी.. घर के बाहर आ चुकी पिंकी ने ज़ोर से आवाज़ लगाई...," आन्जुउउउउउउउउ!"

"ओह्ह्ह...!" मैं बुरी तरह डर गयी...

"तुम याद करके आ जाना.. थोड़ी देर में..." उसने मेरी चूचियो को अपने हाथों में दबोच कर धीरे से कहा...," मैं जाकर संदीप को बाहर भेजता हूँ..."

"नही.. इसके सामने मत निकलना..." मैं फुसफुसाई..," कमरे में छुप जाओ.. एक बार..."

वह तुरंत अंदर कमरे में चला गया.. मैने अपने कपड़े ठीक करके दरवाजा खोला....

"तत्तूम.. नीचे ही थी? इतनी देर क्यूँ लगा दी फिर.....? पिंकी ने अंदर आते ही सवाल दागा...

"व्व..वो...."

"छ्चोड़ो... मीनू दीदी बुला रही हैं... बहुत ज़रूरी काम है....!" पिंकी ने मुझे खुद ही दुविधा से निकाल लिया....

"तू.. चल.. मैं आती हूँ थोड़ी देर मैं..." मैने कहा...

"नही.. अभी मेरे साथ ही चलो... पता है? वो.. सोनू भी उसी दिन से गायब है....!" पिंकी उत्सुकता से बोली

उस वक़्त मेरा ध्यान उसकी बात से ज़्यादा उसको वहाँ से किसी तरह भेजने पर था,"तू चल तो सही.. मैं आती हूँ.. खाना भी नही खाया है अभी....!"

"कोई बात नही.. चल.. तू खा ले पहले.. फिर दोनो साथ ही चलेंगे...!" पिंकी ने कहा...

"ओह्ह.. ये तो मैने सोचा ही नही था..." मेरे मुँह से अचानक निकल गया," आजा! उपर चलते हैं...." मैने उसका हाथ पकड़ा और उपर ले गयी...

------------------------------

----------------------------

खाना खाने के बाद इस उम्मीद के साथ की ढोलू निकल गया होगा.. मैने बाहर से ताला लगाया और हम दोनो पिंकी के घर जा पहुँचे... "मीनू कहाँ है?" मैने जाते ही पूचछा...

"उपर है... मम्मी पापा दोनो आज भी तरुण के घर गये हैं... मम्मी ने ही बताया की सोनू के घर वालों को भी उसकी चिंता होने लगी है... वो उसी दिन किसी दोस्त की शादी में जाने की बात बोल कर गया था... पर आज तक नही लौटा.. उसका फोन भी नही उठा रहा कोई..." पिंकी ने उपर चढ़ते हुए जवाब दिया....

"क्या हुआ दीदी..? क्यूँ बुला रही थी मुझे..." मैने मीनू से उपर जाते ही पूचछा...

"वो सोनू भी गायब है.. कहीं तरुण के साथ उसका भी...." मीनू ने कहा...

"हां.. वो तो बताया पिंकी ने... पर हम क्या करें? मैं थोड़ी देर में अपने आप आ जाती... जल्दी किस बात की थी..." मुझे अभी तक अपने नितंबों के बीच ढोलू की उंगलियाँ महसूस हो रही थी... मेरा मूड सा खराब हो गया था... 'ना ना' करते हुए भी बदन उसके स्पर्श से ही गरम हो गया था... और शायद में कर लेती...

"वो.. फिर मम्मी पापा आ जाएँगे... हूमें 'मानव' को फोन करके बतानी चाहिए ये बात भी...." मीनू ने कहा....

"कौन मान... ओह्ह.. ऊओ हो.." मैं इतने प्यार से मीनू को मानव का नाम लेते देख गदगद सी हो गयी," ठीक है.. फिर कर लो.."

"नही.. मैं नही... तू ही कर दे...!" मीनू ने कहा....

"क्यूँ?.. आप क्यूँ नही दीदी.. कर लो ना खुद ही....!" मैने हंसते हुए कहा...

"अब ज़्यादा भाव मत खा.. पिंकी ने भी मना कर दिया... कर दे ना एक बार.... प्लीज़.." मीनू के हाव भाव से ऐसा लग रहा था कि उसको सोनू की बात बताने से ज़्यादा मानव के पास फोन मिलाकर उसकी बात पूच्छने में ज़्यादा इंटेरेस्ट है....

"ठीक है.. नंबर. बोलो..!" मैने रिसीवर उठाते हुए कहा.....

"9998970002!" मीनू के नंबर. बताते बताते मैने डाइयल भी कर दिया..," नंबर. तो बड़ा खास है दीदी..." मैने कहा ही था की तभी घंटी जाने लगी और मैं चुप हो गयी...

"हेलो!" मानव की आवाज़ मुझे सॉफ सॉफ समझ में आ गयी...

"नमस्ते सर.." मैने शुरुआत यहीं से की थी...

"कौन?... मीनू?" उधर से जवाब आया...

"नही.. मैं... ये रही मीनू!" और कुच्छ मुझे सूझा ही नही.. पता नही क्यूँ.. मैने रिसीवर मीनू की ओर बढ़ा दिया.....

"नही.. मैं नही..." मीनू ने इस तरह हाथ उठा लिए जैसे मैने उसकी तरफ रिवॉलव तान दी हो... उसके गोरे गालों की रंगत अचानक गुलाबी हो गयी.. जब मैं रिसीवर को लगातार उसकी ओर ताने रही तो हारकर उसने 'वो' हाथ में पकड़ लिया और अपने कान से लगाकर कांपति हुई सी आवाज़ में बोली..," आ...हां.. हेलो.."

"कककुच्छ.. नही.. बस.. ववो.. एक बात बताने के लिए फोन किया था..." मीनू कुच्छ देर बाद और भी शर्मा सी गयी...

"वो.. मैं... हम.. सोनू के बारे में बता रहे थे ना...?"

"वो भी उसी दिन से घर से गायब है.. शादी में जाने की बोल कर गया था.. पर आज तक वापस नही लौटा है...!"

"ववो.. वो तो पता नही... !"

"हां.. लड़का तो घटिया सा ही था... कॉलेज में हमेशा गुंडागर्दी करता रहता था..."

"नही... और कुच्छ नही पता.......... हाँ... नही... ठीक है.. हम फोन कर देंगे...." मीनू ने कहा और अचानक जाने इनस्पेक्टर ने क्या कहा 'वो' शर्मा कर झेंप सी गयी और तुरंत फोन काट दिया....

"क्या हुआ?" मैने उत्सुकता से पूचछा.....

"कुच्छ नही.. बता दिया..." मीनू बोलते हुए हाँफ सी रही थी.. उसके गालों की रंगत अब तक गुलाबी ही थी..... अचानक मेरी छातियो में कंपन शुरू हो गयी... मुझे ढोलू की याद आई... 'वो' बेचारा भी मेरी राह देख रहा होगा....," मैं 'बाथरूम' जाकर आती हूँ...." मैने कहा और उनके उपर वाले बाथरूम में घुस गयी......

'9998970002...!' फोने निकालते निकालते दोबारा आनी शुरू हो गयी कॉल का नंबर. देखते ही मेरे होश उड़ गये..... ये तो मानव का नंबर. है... मुझे याद आया कि आज सुबह भी जब मानव ने फोन किया था तभी इस पर कॉल आई थी... 'इसका मतलब... ये फोने सोनू का...?' सोच कर ही मेरे माथे पर पसीने की बूँदें झलकने लगी.... मैने तुरंत फोन ऑफ किया और बाहर निकल आई....

"दीदी... मैं घर जा रही हूँ... थोड़ी देर में आउन्गि..." मैने बाहर आते ही कहा....

"मैं भी चलूं साथ...." पिंकी ने कहकर मुझे उलझन में डाल दिया... पर मीनू मेरे कुच्छ बोलने से पहले ही बोल पड़ी," नही... तू मेरे पास ही रह जा... मैं तुझे और कुच्छ भी बताउन्गि..."

"ठीक है... तुम जाओ अंजू!" पिंकी मीनू की बात तुरंत मान गयी.....

एक बात तो मेरे मंन में भी आया की आख़िर ऐसी कौनसी बात मीनू पिंकी को बता रही है... पर उस वक़्त मेरे लिए ढोलू के पास जाना और वो मोबाइल वापस पटक कर आना ज़्यादा ज़रूरी था.... मैं नीचे उतरी और ढोलू के घर की तरफ चल दी.....

"शिखा!" मैने नीचे जाकर पड़ोसियों को सुनाने के लिए ज़ोर से एक बार शिखा का नाम लिया और दायें बायें देख कर अंदर घुस गयी..... उपर जाते ही संदीप को वहाँ बैठा देख कर मेरा माथा ठनक गया... 'वो बैठा हुआ पढ़ रहा था....," स्शिखा आ गयी क्या?" मैने हड़बड़ा कर पूचछा....

"नही.. बताया तो था कि एक दो दिन में आएगी... तुम कुच्छ..... और काम से आई हो क्या? " उसने तपाक से सीधे सीधे पूच्छ दिया....

"न्न्न..नही... मुझे याद नही रहा था... इधर से जा रही थी तो सोचा..." संदीप से नज़रें मिलायें बिना ही हड़बड़ा कर यूँही बोला और वापस बाहर आने को मूड गयी....

"सुनो तो?" संदीप ने मुझे आवाज़ दी....

"क्या?" मैने थोड़ी सी तिर्छि होकर पूचछा....

"इधर तो आओ एक बार...." संदीप ने कहा....

मैं पलटी और सोफे के पास जाकर खड़ी हो गयी....,"क्या?" मैने धीरे से कहा.....

"एक बार बैठ जाओगी तो मैं तुम्हे खा तो नही जाउन्गा ना!" संदीप ने मेरा हाथ पकड़ कर नीचे की ओर खींच लिया... बैठने के अलावा मेरे पास कुच्छ और विकल्प ही नही था..," बोलो!"

"तुम्हे.... ढोलू ने बुलाया था क्या?" संदीप ने अगर मेरा हाथ छ्चोड़ दिया होता तो मैं वहाँ खड़ी नही रह पाती... मेरे मुँह से कुच्छ ना निकला....

"ढोलू आया था अभी... मुझे कहीं बाहर जाने को बोल रहा था.. पर तभी उसका कोई फोन आ गया.. मुझे बोलकर गया था कि अगर तुम आओ तो कह देना की 'रात' वाली बात याद रखना....." संदीप अपने चेहरे को झुका कर हंसता हुआ बोला....

"क्कौनसी बात.... मैं तो.. मैं तो ये फोन वापस करने आई थी..." मैने कहकर उसके सामने ही अपनी छातियो में हाथ डाल कर फोन निकाला और उसके सामने रख दिया....

"बॅटरी डेड हो गयी क्या? " उसने स्क्रीन देख कर पूचछा....

"नही.. मैने ऑफ कर दिया..." मैं कह कर उठने लगी.. तब मुझे अहसास हुआ कि उसने मेरा हाथ अभी तक छ्चोड़ा नही है....,"छ्चोड़ दो ना..." मैने कसमसा कर अपनी कलाई को मोड़ ते हुए कहा......

क्रमशः...............................
Reply


Messages In This Thread
RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास - by sexstories - 10-22-2018, 11:30 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 8,540 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 4,035 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 2,809 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,749,947 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 576,478 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,340,597 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,024,538 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,800,093 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,202,645 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,162,019 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 6 Guest(s)