Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
10-22-2018, 11:32 AM,
#41
RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
-----------

घर पहुँचे तो वहाँ सिर्फ़ 'छोटू' और मम्मी ही थे.. मम्मी पिंकी को देखते ही हंसते हुए बोली... अंजू को तो लगता है तुमने गोद ले लिया.. अब तो ये वहीं रहती है...!"

"मम्मी कहती हैं कि मीनू और अंजलि बहने लगती हैं.. दोनो एक जैसी सुंदर हैं.. मैं क्या सुन्दर नही हूँ चाची...!" पिंकी मम्मी के पास बैठ कर बोली...

"कौन कहता है मेरी बेटी सुन्दर नही है..?" मम्मी पिंकी को दुलर्ते हुए बोली..,"तू तो इन्न दोनो से सुन्दर है..!" मम्मी ने पिंकी को गले लगाया तो पिंकी का चेहरा खिल उठा..,"सच चाची?"

"और नही तो क्या झूठ बोल रही हूँ मैं.. ऐसा करती हूँ.. मैं अंजलि देकर तुझे रख लेती हूँ.. तू सच में बहुत प्यारी है...!" मम्मी ने उस'से अलग होते हुए कहा....

"चाची.. मैं अब शहर में कंप्यूटर सीखने जवँगी.. आप अंजू को भी मेरे साथ भेज दिया करोगे ना....?" पिंकी मौका ताड़ कर बोली...

"इस बारे में तेरे चाचा से बात करना बेटी.. मैं कुच्छ नही कह सकती..." मम्मी ने साफ साफ जवाब दे दिया...

"मम्मी.. हम नीचे बैठे हैं..!" मैने मम्मी को बोला और पिंकी को इशारे से अपने साथ नीचे बुला लिया... मम्मी कुच्छ नही बोली और अपना काम करती रही...

नीचे आते ही मैने मोबाइल ऑन किया तो उस पर एक मेसेज आया हुआ था..' कॉल मी ऑन दिस नंबर. मीनू!'

"ये किसका नंबर. है?" मैं अंजान नंबर. देख कर सोच में पड़ गयी...

"उसी का होगा ज़रूर.. मिला कर देखो...!" पिंकी तुरंत बोल पड़ी...

"नही.. अभी नही.. मैं बाद में मिला लूँगी..." मैने कहा...

"क्यूँ..? अभी क्यूँ नही..?" पिंकी मुझे घूरते हुए बोली...

"ववो.... पिंकी.. वो उल्टी सीधी बातें करता है... तुम्हारे सामने में नही करूँगी बात....!" मैने जवाब दिया...

"मिलाओ ना प्लीज़.. मैं कुच्छ नही बोलूँगी.. तुम्हारी कसम.. अभी मिलाओ...!"

"वो बात नही है पिंकी.. 'वो' बहुत गंदी बातें करता है.. तुम्हे अच्च्छा नही लगेगा..." मैने कहा...

पिंकी कुच्छ देर चुपचाप मेरे पास बैठी रही.. फिर अचानक उसको कुच्छ ध्यान आया..,"तुम सुबह क्या बोल रही थी?"

"क्या?" मुझे कुच्छ ध्यान नही आया..

"वही.. हॅरी के बारे में...!"

"अरे.. वो तो मैं यूँही मज़ाक कर रही थी... छ्चोड़ उस बात को..." मैं टालते हुए बोली... अब मेरे पास करने के लिए 'ज़्यादा' मजेदार 'काम' था....

"नही.. हमारी शर्त लगी है.. तुम्हे अपनी बात सही करके दिखानी ही पड़ेगी...!" पिंकी तुनक्ते हुए बोली...

"छ्चोड़ ना.. क्यूँ बेचारे को... हे हे हे..." मैं अपनी बात बीच में ही छ्चोड़ कर हँसने लगी....

"नही.. मैं देखना चाहती हूँ कि 'वो' भी दूसरों के जैसा निकलता है या नही....!"

"ठीक है... पहले ये काम तो हो जाने दो... देख लेना...!"

"तो करो फोन... अभी के अभी...!"

"कहाँ..?"

"सोनू के पास... मैं भी सुनूँगी...!" पिंकी का व्यवहार मेरे लिए अविश्वसनीय था...

"पिंकी..! वो बहुत गंदी बात करता है.." मैने उसको चेतावनी दी....

"कोई बात नही.. मैं भी सुनूँगी....!" पिंकी अपनी बात पर आड़ गयी......

"देख लो.. मुझे उसकी सारी बातें सुन'नि पड़ेंगी.. बाद में मुझे कुच्छ बोलना मत.." मैने आख़िरी बार पूचछा.....

"ठीक है.. मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ.." पिंकी ने जाकर दरवाजे की कुण्डी लगा दी और मेरे पास वापस आकर बोली..,"हॅंडफ्री कर लो...!"

मेरे मंन में धक धक सी हो रही थी.. पता नही पिंकी उसकी बात सुनकर कैसी प्रतिक्रिया दे.. पर अब मुझे उतना भी डर नही लग रहा था.. मैने नंबर. डाइयल करके फोन को हॅंडस्फ्री कर दिया... नंबर. डाइयल करने के बाद मुझे ही पहले बोलना पड़ा..,"हेलो!"

"कौन?" उधर से सोनू की आवाज़ आई...

"मैं......... मीनू!" मैने जवाब दिया..

"क्या हाल हैं मेरी जान!" उसने बेशर्मी से कहा.. मैने पिंकी की आँखों में देखा.. पर कुच्छ बोली नही...

"आज के बाद में तुम्हे इसी नंबर. से फोन करूँगा... ये मेरा नया नंबर. है....!" सोनू ने कहा...

"ठीक है..!" मेरे मुँह से निकला...

"अब बताओ.. क्या सोचा..?" उसने आगे कहा..

"क्या..? एमेम.. मेरा मतलब.. किस बारे में... ?" मैने एक बार फिर पिंकी को देख कर कहा...

"भाई.. एक मिनिट रोक गाड़ी.." सोनू ने गुस्से से कहा और कुच्छ देर बाद फिर से उसकी आवाज़ फोन पर उभरी..,"साली.. तेरी मा चोद दूँगा मैं... कितनी बार बोलूं अब... साफ साफ बता तूने क्या सोचा..?

मैने हड़बड़ा कर पिंकी की ओर देखा.. उसका चेहरा तमतमा सा गया था..

"पर.. तुम हो कौन? ये तो बता दो प्लीज़..." मैने कहा...

"बेहन की लौदी.. इस'से तुम्हे क्या मतलब है...? तू बस इतना समझ ले कि मेरा लौदा तरुण के लंड से मोटा भी है और लंबा भी... एक बार तेरी मक्खन जैसी चूत में फँस गया तो जिंदगी भर बाहर निकालने को नही बोलॉगी.. जल्दी बोलो तुमने सोचा क्या है..? मेरे पास फालतू का टाइम नही है....."

सोनू की बात पूरी होने से पहले ही पिंकी चुपचाप उठकर कमरे से बाहर चली गयी थी.. मैने दरवाजा बंद किया और वापस चारपाई पर आकर लेट गयी....," प्पर.. म्मै तो आजकल कॉलेज भी नही आती..!" मैने चदडार से अपने आपको ढक लिया....

"वो सब तो मैं देख लूँगा.. पहले ये तो बताओ तुम तैयार हो या मैं तुम्हारी फोटो गाँव की गलियों में चिपका दूं...!"

हाए राम.. मैं तो कब की तैयार ही थी... पर प्लान के हिसाब से चलना ज़रूरी था..," नही.. प्लीज़.. ऐसा मत करना... जैसा तुम कहोगे.. मैं वैसा ही करने को तैयार हूँ.... पर.. तुम्हे.. बुरा मत मान'ना प्लीज़.. तुम्हे क्या मिलेगा इस'से...?"

"मैं पाँच मिनिट में ठिकाने पर जाकर फोन करता हून..." सोनू ने कहा और अचानक फोने काट दिया.. मैने देखा.. 'लंबू' के नाम से 7 मिस्ड कॉल्स आई हुई थी..... मैं घर से निकली और भागी भागी मीनू के पास पहुँची.. पिंकी उसके साथ ही बैठी थी..

"दीदी.. वो.. मानव का फोन आ रहा है...! हॅंडस्फ्री कर लेना.." मैने मोबाइल मीनू को पकड़ा दिया... अब भी मानव की कॉल आ रही थी.. मीनू ने बिना मेरी बात सुने कॉल रिसीव करके उसको कान से लगा लिया....,"हेलो सर..!"

"क्या?" मीनू आस्चर्य से बोली.. और हॅंडस्फ्री कर लिया..,"तो कौन है 'वो?"

"पता नही.. पर आज 'सोनू' की लाश नदी से मिली है.. उसका खून तो हफ़्ता भर पहले ही हो गया लगता है...!"

हम सब की आँखें फटी की फटी रह गयी... तीनो हैरान सी एक दूसरी की आँखों में देखने लगी....

"सुनो!" मानव की आवाज़ फोन पर उभरी..,"मामला इतना हल्का नही है.. जितना मैं सोच रहा था.. तुम उस'से फिलहाल बात करना बंद कर दो.. कातिल बहुत शातिर है.. हमें उसके सामने आकर ग़लती करने का इंतजार करना पड़ेगा..!अब तक हम उसकी लोकेशन तक ट्रेस नही कर सकें हैं... अभी रखता हूँ.. बाद में फोन करूँगा...."

"एक मिनिट.. कुच्छ बताओ तो क्या हुआ? और सोनू मर गया है तो ये कौन है जो फोन कर रहा है...?" मीनू ने हड़बड़ा कर पूछा...

"निसचीत तौर पर अभी कुच्छ नही कह सकता.. पर जहाँ तक अंदाज़ा लगाने का सवाल है.. ढोलू और ये 'नया' सोनू ही उन्न दोनो के कातिल हैं... मैं आज ही 'मास्टर' को फिर से उठवा रहा हूँ.. पर जब तक 'ढोलू' गिरफ्तार नही हो जाता.. ये गुत्थी सुलझनी मुश्किल है...!" उधर से मानव की आवाज़ आई...

"म्मै.. उसके दूसरे दोस्तों के नाम बताउ? अगर उनमें से किसी को..." मीनू बोल ही रही थी कि मानव ने बीच में ही टोक दिया..,"नही.. मैं कॉलेज और गाँव में उनके हर दोस्त को खंगाल चुका हूँ... पर उनमें से किसी को कुच्छ नही पता... वैसे भी यह किसी कॉलेज टाइप लड़के का काम नही है.. जो भी है.. 'वो' हद से ज़्यादा चालाकी बरत रहा है... अब तो मैं पहले ढोलू को पकड़ने पर दिमाग़ खराब कर रहा हूँ.. वहीं से उसकी पूंच्छ हाथ में आएगी...!"

"ढोलू को मैं पकड़वा सकती हूँ..." मेरे मुँह से अचानक निकल गया.. और शायद मानव को सुन भी गया...,"ये कौन है?"

"अंजू!" मीनू ने कहा...

"फोन देना एक बार इसको..!" मानव की आवाज़ उभरी...

"ज्जई..." मैं बोली....

"तुम कैसे पकड़वा सकती हो उसको...?" मानव ने पूचछा....

"ज्जई.. पक्का नही है.. पर मुझे विश्वास है कि मैं उसको पकड़वा सकती हूँ..!" अब मैं अपनी बात से पिछे कैसे हट'ती...

"पर कैसे?" मानव खिसिया कर बोला...

"मैं उसको बुला सकती हूँ...!" मैने कहा...

"हे भाग.. ओहूऊ.." शायद मानव मेरी बात समझ गया...," पर 'वो' इतना पागल नही है कि तुम्हारे बुलाने पर गाँव में आ जाएगा... उसको अच्छि तरह मालूम है कि गाँव में घुसते ही 'वो' मेरी चपेट में आ जाएगा.... तुम शहर आ सकती हो क्या?"

"कल मेरा पेपर है...! उसके बाद... मीनू पूच्छ लेगी पापा से...!" मैने कहा...

"उसका नंबर... तुम कहाँ से लॉगी.. उसने तो नंबर. बदल रखा है... तुम फोन करोगी तो उसको शक होगा... नही.. ये प्लान काम का नही है.. वो तुम्हारे लालच में अपनी जिंदगी दाँव पर नही लगाएगा...!" मानव ने कहा तो मुझे लगा जैसे 'वो' मेरे अल्हड़ यौवन को गाली दे रहा है...

"वो आप मुझ पर छ्चोड़ दो.. नंबर. मैं संदीप से ले लूँगी.. और ढोलू के पास उसी के फोन से एक बार फोन भी कर लूँगी...!" मैने ज़ोर देकर कहा....

"तुम्हे तो अब तक पोलीस में भरती हो जाना चाहिए था.." मानव ने व्यंग्य सा किया..," पर संदीप तुम्हे नंबर. क्यूँ देगा भला..."

"मैने कह दिया ना कि ले लूँगी मैं.... आपको कल तक मैं ही उसका नंबर. दे दूँगी.. और बोलो...!" मैने अकड़ कर कहा...

"तुम तो पोलीस वालों की भी कुच्छ लगती हो.. ठीक है.. पहले मुझे ढोलू का नंबर. पता करके दिखाओ.. अगर ऐसा हो गया तो शायद 'ढोलू' तुम्हारे जाल में फँस ही जाए...." मानव की आवाज़ में उम्मीद सी लगी....

"ठीक है.. आज रात तक ही उसका नंबर. आपको ला दूँगी...!" इस बात से बेख़बर कि मानव सब समझ रहा है कि मैं क्या देकर नंबर. लाउन्गि; मेरी आवाज़ में रौब सा था....

"ठीक है.. नंबर. मिलते ही मुझे कॉल करना!.. एक बार मीनू को फोन देना....!" मानव ने कहा तो मीनू बोल पड़ी..,"जी..!"

"देखो ना.. ये लड़की कितनी समझदार है.. तुम भी तो कुच्छ समझो ना यार.. मेरे दिल की बात...!" मानव ने रोमॅंटिक अंदाज में कहा तो मीनू के गालों पर लाली आ गयी.. हॅंडस्फ्री बंद करना उसको ध्यान नही रहा था.. और अब उसका चेहरा देखने लायक था..,"लंबू!" मीनू ने कहा और झट से फोन काट दिया.....

"पता नही क्या बना रहता है...?" मीनू ने अपने गालों को पिचका कर कहा तो मैं और पिंकी खिलखिला कर हंस पड़े....

---------------------------------------

"मुझे संदीप के पास जाना पड़ेगा...!" मैने बोल कर पिंकी के चेहरे की ओर देखा... पिंकी अजीब सी नज़रों से मुझे देखती रही.. पर अब उसके पास 'ना' कहने का कोई बहाना बचा नही था... वो कुच्छ नही बोली...

"तुम भी चल रही हो क्या?" मैने दोनो से पूचछा....

"चलो.. शिखा दीदी से भी मिल लेंगे..." कहकर दोनो खड़ी हो गयी.....

-----------------------------------------------------------------

"शिखा!" संदीप के घर के बाहर जाकर मीनू ने आवाज़ लगाई तो उपर से उसकी आवाज़ आई...,"कौन?"

आवाज़ पहचान कर हम तीनो उपर चले गये... हमको देखते ही शिखा के पास बैठा पढ़ रहा संदीप 'वहाँ' से खिसक कर कमरे में भाग गया..

"देखो कैसे भाग गया..? इतना शर्मिला है ये भोन्दु!" शिखा हंसते हुए बोली..,"बैठो यार!"

"हाँ.. वो तो है..!" जवाब मीनू ने दिया.. मैं पिंकी के कारण कुच्छ बोल नही पाई...

"भैया भाभी नही हैं क्या?" नालयक मीनू ने बैठते ही काम की बात छेड़ दी...

"भाभी तो मायके में ही हैं.. 'ढोलू' का कुच्छ पता नही.. पोलीस भी आ चुकी है 2 3 बार घर पर...

"क्यूँ?" मीनू ने यहाँ समझदारी की बात कर दी.. अंजान बने रहकर...!

"वो कह रहे हैं कि तरुण के मामले में पूचहताच्छ करनी है.. अब 10 नंबारी होने के बाद तो पोलीस ऐसे ही उठाती है.. बात बात पर.. इसीलिए कहीं छिप गया होगा भाग कर... वैसे वो तो अगले दिन शाम तक भी यहीं था.. उसके किसी दोस्त ने फोन कर दिया.. तब भागा है यहाँ से...." शिखा मायूस सी दिखने लगी...

"श...वो सोनू.." मीनू कुच्छ बोलने वाली थी कि मैने पहले ही बोल दिया..," सोनू भी गायब है काई दिन से.. कुच्छ पता लगा क्या?" मेरे बोलते ही मीनू ने इस तरह मुझे देखा जैसे थॅंक्स बोल रही हो.. वो कुच्छ और ही बताने वाली थी...

"नही उसका भी कुच्छ पता नही... घर वालों को तो उसकी चिंता हो रही है.. कहीं.. मैं चाय बनाकर लाती हूँ.. तुम बैठो...!" शिखा उठकर खड़ी हुई तो मैं मौका देख कर अंदर संदीप के पास जा पहुँची....,"क्या कर रहे हो..?"

"मरवावगी क्या मुझे..? निकलो यहाँ से...!" संदीप मुझे देख कर आहिस्ता से बोला...

"मुझे 'वो' करना है.. मेरे नीचे खुजली सी हो रही है संदीप.. क्या करूँ?" मैने बेशर्मी से अपनी सलवार पर हाथ रख के कहा...

"कहा ना जाओ यहाँ से.. पिंकी भड़क गयी तो अभी शिखा को बोल देगी..." संदीप मेरी चूचियो को घूरता हुआ अपनी जांघों के बीच मसल्ने लगा....

"चली जाउन्गि.. पर मेरा क्या होगा.. अब.. तुमने ये कैसी आग लगा दी...!" मैने तड़प कर कहा.. पर मेरी तड़प 'आक्टिंग' नही थी....

संदीप ने कमरे के बाहर देखा और जल्दी से अपना हाथ से मेरी सलवार के उपर से ही एक बार मेरी योनि की फांकों को टटोल कर वापस खींच लिया..,"हाए.. क्या करूँ जान.. तड़प तो मैं भी रहा हूँ.. कहते हैं कि दूसरी बार करने में ही असली मज़े आते हैं.. पर अब नही हो सकता.. दीदी सारा दिन यहीं रहती हैं.. और एक दो दिन में भाभी भी आ जाएँगी...."

"चौपाल में आ जाओ ना.. 2 घंटे बाद!" मैने खुद ही रास्ता निकाला...

"क्या? " खुशी से संदीप की बाँच्चें खिल गयी..,"ये तो मैने सोचा ही नही था.. तुम पक्का आ जाओगी ना...?"

"हाँ.. तुझे नही पता मेरी ये अब सारा दिन गीली रहती है... मैं पक्का आ जाउन्गि.. 9 बजे...!"

"थॅंक यू जान.. मज़े हो जाएँगे अब तो...!" संदीप ने खुश होकर एक बार और मेरी योनि की दरार को कुरेद दिया...

"आहह... " मैं सिसक उठी..,"वो.. वो फोन दे दो जो ढोलू ने मुझे दिया था...!" मैने कहा..," मैं फोन कर दूँगी तुम्हे...!"

"पर.. वो तो नही है... अब! ढोलू पूच्छ रहा था तुमने वापस क्यूँ किया...?"

"ववो.. तब मुझे डर लग रहा था... दे दो ना प्लीज़..!" मैने याचना सी करते हुए कहा...

"सच कह रहा हूँ.. मेरे पास नही है 'वो'.. ढोलू ने उसको तालाब में फैंकने को कहा था.. मैने फैंक दिया.. तुम्हारी कसम.... नही तो तुम्हे क्या मना करता...! पर किसी को बताना मत..." संदीप अधीर सा होकर बोला....

"ठीक है.. रात 9 बजे पक्का आ जाओगे ना!" मैने पूचछा....

"तुम्हारी कसम जान.. मैं 9 बजे से पहले ही वहाँ आ जाउन्गा...." संदीप ने कहा और मौका सा देख कर सलवार के कपड़े समेत मेरी योनि के अंदर उंगली ठूंस कर निकाल दी.... मैने उचक कर सिसकी सी ली और उसकी उंगली निकालने के बाद अपनी सलवार का कपड़ा 'योनि' में से निकाला और उसकी और मुस्कुरकर बाहर निकल आई...

मेरे कुच्छ देर बाद ही संदीप कमरे में से निकला और बाथरूम में घुस गया.....

क्रमशः................
Reply


Messages In This Thread
RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास - by sexstories - 10-22-2018, 11:32 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,710,479 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 570,150 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,322,851 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,006,049 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,774,787 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,182,037 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,126,207 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,645,743 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,219,804 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 305,247 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)