Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
10-22-2018, 11:34 AM,
#43
RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--30

गतान्क से आगे........................

संदीप ने झट से अपनी शर्ट उतार फैंकी.. उसकी गोरी छाती पर हुल्‍के हुल्‍के बाल देख कर मैं रोमच से भर उठी... छाती पर दोनो और आकड़े हुए उसके 'तिल' भर के दाने मुझे बड़े प्यारे लग रहे थे.. जैसे ही उसने पास बैठ कर मेरी चूचियो को दबाना शुरू किया.. मैने झट से बैठ कर उसको नीचे गिरा लिया और उसके पाते पर हाथ फेरती हुई उसके 'दानो' को चूमने लगी....

"आ.. क्या कर रही हो अंजू..? गुदगुदी हो रही है..." वह एकदम मस्ती से छॅट्पाटा कर उठा और एक बार फिर मुझे अपने नीचे दबोच लिया...

"करने दो ना.. मुझे मज़ा आ रहा है बहुत..." अपनी छाती पर उसके हाथ का दबाव महसूस करके मैं तड़प कर गिड़गिडाई और अपना हाथ बिना देर किए उसकी पॅंट में डाल दिया और 'कछे' के उपर से ही उसके 'फुफ्कार्ते' हुए साँप का 'फन' अपनी मुट्ठी में दबोच लिया....

"ओह्ह..होह..." मेरे हाथ की मौजूदगी का अहसास होते ही संदीप के लिंग ने एक झटके के साथ अंगड़ाई सी ली.. और आकार में अचानक बढ़कर सीधा होने की कोशिश करने लगा...

"इसको चूसो ना जान... आहह... तुम्हारे 'काम' की चीज़ तो ये है..." संदीप कहते हुए अपनी पॅंट का 'हुक' खोलने लगा.. जल्द ही उसकी पॅंट उसकी टाँगों से बाहर थी और उसका 'लिंग' कछे को 'फाड़' देने पर उतारू हो गया...

संदीप मेरी ओर मुँह करके खड़ा होकर मुस्कुराने लगा.. उसका इशारा समझ कर मैं उसके आगे घुटने टेक कर बैठ गयी और कछे के उपर से ही लिंग को हाथ में पकड़ कर उसको अपने दाँतों से हल्का सा 'काट' लिया...

वह उच्छल पड़ा..,"आह.. किस मूड में हो आज? प्यार से करो ना...!"

"नही.. आज तो मैं तुम्हे कच्चा ही खा जाउन्गि..," मैने कहा और अंजाने में ही मेरे हाथ मेरी सलवार के उपर से ही मचल उठी योनि को कुरेदने लगे...

"प्यार से भी तो खा...." संदीप अचानक बोलते बोलते रुक गया... उसके पॅंट की जेब में रखे मोबाइल के वाइब्रेशन्स की 'घररर..घर्ररर..' सन्नाटे में साफ सुनाई दे रही थी..,"एक मिनिट..." उसने पॅंट की जेब से अपना मोबाइल निकाला और कोने में जाकर कॉल रिसीव की....

"कुच्छ देर चुप रहने के बाद संदीप ने सिर्फ़ इतना ही कहा..,"आधा घंटा".. और फोन काट दिया....

"किसका फोन था...?" मैने उत्सुकता से पूचछा...

"कुच्छ नही.. एक दोस्त था..!" संदीप ने जल्दी जल्दी में अपना कच्च्छा निकलनते हुए कहा...

"आधा घंटा क्या?" मैने पूचछा...

"ओफ्फो..मुझे उसके घर जाना है.. चलो.. जल्दी जल्दी करते हैं...!" संदीप मेरे पास आया और अपना लिंग मेरे होंटो से सटा दिया....

"क्या? सिर्फ़ आधा घंटा ही...!" मैं मायूस होकर बोली..,"आधे घंटे में क्या होगा..." मुझे अचानक ध्यान आया कि 'इस' काम के साथ मुझे एक और काम भी करना था.....

"ओह्हो.. एक बार तो कर लो.. बाद की बाद में देखेंगे..." कहते हुए संदीप ने घुटनो के बल बैठ कर मेरी सलवार का नाडा खींचने के लिए बाहर निकल लिया...

मैने उसका हाथ वहीं दबोच लिया..,"तुम.. तुम मुझसे सच्चा प्यार करते हो ना संदीप?"

"और नही तो क्या..? ये तुम आज कैसी बातें कर रही हो... जल्दी निकालो अपनी सलवार..!" संदीप हड़बड़कर बोला...

"नही...!" मैने मुँह बनाकर कहा....

"क्यूँ..? अब क्या हुआ?" वह घिघिया कर बोला....

"पहले मुझे 'वो' मोबाइल चाहिए...!" मैने दाँव फैंका...

"कौनसा.. ओहो.. कितनी बार बताऊं.. वो नही मिल सकता अब.. थोड़े दीनो में नया लाकर दे दूँगा.. तुम्हारी कसम... बस!" संदीप ने कहा और ज़बरदस्ती मेरा नाडा खींच कर सलवार ढीली कर दी.... मैं नीचे गिर गयी.. पर मैने जांघों को कसकर भींच कर अपनी योनि को छिपा कर रखा हुआ था...

"नयी.. तुम झूठ बोल रहे हो.. 'ढोलू' ने मना कर दिया होगा देने से... मुझे सब पता है..." मैने नाराज़गी भरे लहजे में कहा और झट से खड़ी होकर अपना नाडा फिर से बाँध लिया....

"आन्जुउउउउ.... ये क्या कर रही हो यार.. मेरे पास ज़्यादा टाइम नही है.. अब नखरे बंद करो अपने.." नंग धड़ंग संदीप जैसी ही पागल सा होकर मेरी तरफ लपका.. उसकी हालत देख कर मेरी हँसी छूट गयी...,"नही.. पहले मोबाइल की बात!" मैं खिलखिलाते हुए इधर उधर भागने लगी....

"तुम्हारी कसम जान.. ढोलू से पूच्छ लेना चाहे... आ जाओ ना..!" मेरी हँसी से हतोत्साहित होकर वो एक जगह खड़ा हो गया और अपना कच्च्छा वापस डाल लिया.. शायद उसको अहसास हो गया था कि मैं उसके नंगेपन पर हंस रही हूँ...

"ठीक है.. पुच्छवा दो पहले....!" मैं तपाक से बोली... संदीप ने मुझे कमर से पकड़ कर अपनी और खींच लिया....

"अब... जब 'वो' आएगा तो उस'से पूच्छ लेना.. मेरे पास उसका नंबर. नही है..." मेरी छातियो को वो अपनी नंगी छाती से दबाकर भींचते हुए बोला...

"फिर झूठ.. अया..." जैसे ही संदीप ने मेरी जांघों के बीच हाथ दिया.. मैं कसमसा उठी...," जब तक तुम मोबाइल वाली बात क्लियर नही करवाते.. मैं कुच्छ नही करूँगी...

उसने ज़बरदस्ती मुझे वापस वहीं पटक लिया और यहाँ वहाँ हाथ मार कर मुझे उकसाने की कोशिश करने लगा... पर मैं जानबूझ कर हँसती रही और मौका मिलते ही अपनी टाँगों के सहारे उठाकर उसको दूर पटक देती.....,"पहले मोबाइल.. बाकी 'काम' बाद में.." मैं अपनी ज़िद पर आडी रही....

तक हार कर 'वो' मुझसे दूर हट गया...," ठीक है.. मेरी कसम खाओ ये बात किसी को नही बतओगि....!"

"कौनसी बात?" उसके दूर हट'ते ही मेरा सारा बदन बेचैन सा हो उठा था....

"यही कि मैने तुम्हारी बात ढोलू से करवाई है....!" संदीप बोला...

"कब करवाई है...?" मैं अपनी आँखें सिकोड ली और उसके पास जाकर उस'से चिपकती हुई बोली...

"एक मिनिट..." संदीप ने मोबाइल निकाला और एक नंबर. डाइयल कर दिया...," हेलो भाई!"

"ये.. ये आपसे बात करना चाहती है... एक मिनिट..!" संदीप ने कहा और फोन मेरे कान से लगा दिया....

"हेलो.." मैने कहा...

ढोलू का जवाब काफ़ी देर बाद आया.. उसकी आवाज़ में हल्की सी हड़बड़ाहट थी....,"कौन?"

"मैं... अंजलि....!"

"और कौन है वहाँ..?" ढोलू ने पूचछा...

"कोई नही...!"

"ओह्ह.. मैं तो डर गया था.. तुम हमारे घर पर हो क्या?"

"ना.. ववो.. हां! मैं शिखा से मिलने आई थी.. मैने बात को सुधारा...

"शिखा कहाँ है..?"

"ववो.. दूसरे कमरे में है....!"

"बोलो.. क्या बात है...?" ढोलू जल्दी जल्दी में बोल रहा था....

"ववो.. ये संदीप फोन वापस नही दे रहा... मुझे तुमसे बात करने का दिल करता है...!" मैने मासूमियत से कहा...

"हाए मेरी जान..! ज़रा अलग होना संदीप से...!" ढोलू अचानक उत्तेजित सा लगने लगा....

"हां.. आ गयी... "मैने वहीं खड़े खड़े कहा....

"तुम्हारा सच में दिल करता है क्या.. मुझसे बात करने का...!" ढोलू पासीज सा गया था...

"और नही तो क्या? उस दिन के बाद तुम मिले ही नही हो... मेरा बुरा हाल करके छ्चोड़ गये....!" मेरी आवाज़ में कामुकता तो पहले ही थी.. अब शब्द भी कामुक हो गये....

"क्या करूँ जान.. मजबूरी है... बस थोड़े दिन रुक जाओ.. तुम्हारी सील मैं ही तोड़ूँगा...!"

"मुझसे नही रुका जाता अब.. जल्दी आ जाओ... मेरे वहाँ पता नही कैसा हो रहा है...

"हाए मेरी जान... कहाँ कैसा हो रहा है...." ढोलू का बुरा हाल हो गया लगता था..

"वहाँ.. नीचे...!" मैं संदीप की ओर मुस्कुरा कर बोली...

"हाए मेरी छम्मक्छल्लो.. एक बार बोलो.. मेरी चूत लंड माँग रही है...!"

"हां.. सच्ची...!" मेरा हाथ मेरी सलवार में घुस चुका था... संदीप अजीब सी नज़रों से मुझे घूरता रहा...

"हाँ नही.. बोल कर दिखाएक बार.. क्या माँग रही है तेरी चूत....?"

"मुझे नही पता.. तुम जल्दी आकर खुद ही देख लो..." मैं शरारत से कसमसाती हुई बोली.....

"तुम समझती नही जान.. ये पोलीस मेरी दुश्मन बनकर मेरे पिछे लगी है.. बस थोड़े से दिन और रुक जाओ...!"

"ये संदीप ना तो तुम्हारा नंबर. दे रहा है.. और ना ही मोबाइल...!" मैने शिकायती लहजे में कहा...

"वो ठीक ही कर रहा है जान.. थोड़े दिन रुक जाओ.. मैं नया मोबाइल दे दूँगा तुम्हे..!"

"कम से कम अपना नंबर. तो दे दो... मैं तुम्हे फोन तो कर लूँगी..." मैने अपनी योनि की फांकों को उंगली से कुरेदते हुए पूचछा....

कुच्छ देर ढोलू कुच्छ नही बोला... मैने एक नया पत्ता फैंका..,"मैं कल या परसों शहर आ रही हूँ... वहाँ तो मिल सकते हो ना!"

"मेरा नंबर. लिख लो... ध्यान रखना.. किसी के हाथ लग गया तो मेरी मा चुद जाएगी अच्छे से... तुम किसी को नही दोगि ना...!"

"नही.. तुम्हारी कसम...." उसके साथ बातों में खोए खोए मुझे पता ही नही चला की कब संदीप ने मेरी सलवार खोलकर नीचे सरका दी थी... जैसे ही उसने मेरे 'पेडू' से नाक' सटाते हुए मेरी 'योनि' में गरम साँस छ्चोड़ी.. मैं उच्छल पड़ी... इसके साथ ही मेरी टाँगों में जैसे जान बची ही ना हो... संदीप के हल्का सा ज़ोर लगते ही मैं पिछे गिर पड़ी... संदीप ने मेरी जांघों को हाथों में दबोच कर अपना मुँह उनके बीच घुसा दिया...

ज़ोर से सिसक कर मैने अपनी जांघें कसकर उसकी कमर के उपर रख दी..,"अया...!"

"क्या हुआ ...?" ढोलू ने मेरी सिसकी लेने का तरीका सुन कर चौंकते हुए पूचछा....

"आ.. कुच्छ नही... नीचे पता नही क्या हो रहा है...अयाया..." आनंद के मारे मरी सी जा रही मैं अपनी जांघों को खोलने भींचने लगी.. संदीप पूरे मज़े से मेरी योनि को चाट रहा था... जैसे ही उसकी जीभ की नोक मेरी 'योनि' के दाने पर आकर टिकती.. मुझे खुद पर काबू रखना मुश्किल हो जाता और मैं सिसक उठती....

"तुम हो कहाँ इस वक़्त...?" ढोलू को कुच्छ शक सा होने लगा था....

"अया... तुमसे बात करते हुए चौपाल में आ गयी हूँ... संदीप का मोबाइल लेकर...!" मैने बहाना बनाया....

"ओह्ह.. संदीप कहाँ है..?"

"घर पर ही होगा...आईईई!" मैं एक बार फिर धहक उठी... संदीप ने फांकों को चौड़ा करते हुए अपनी जीभ मेरी योनि के छेद में घुसा दी थी....

"तुम अपनी चूत रगड़ रही हो ना...?" ढोलू खुश होकर बोला....

"आअहाआनन्न!" मेरी आँखें बंद हो चुकी थी.. मेरे जवाब देने का लहज़ा बदल गया था....

"फोन पर चूत मरवावगी?" ढोलू ने पूचछा...

"अया... कैसे...?" मैं बिलबिला उठी थी... संदीप ने अचानक मेरी पूरी योनि को अपने मुँह में भरकर उसको दातों से हल्के हल्के कुतरना शुरू कर दिया था....

"ऐसे ही.. एक मिनिट.. मेरी बात का जवाब देती जाना... तुम्हे भी बहुत मज़ा आएगा... तुम्हारी चूत कैसी है?"

"अया... गोरी..."

"आ.. गोरी नही मेरी रानी... मक्खन मलाई जैसी बोलो.. बोल कर दिखाओ...!"
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