Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
10-22-2018, 11:34 AM,
#46
RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--31

गतान्क से आगे............

"सर्र.. ववो...!"

"चुप करके बैठो यार.. दिखता नही क्या? ऑटो चला रहा हूँ...!" मानव ने मुझे बोलते ही टोक दिया....,"और ययए.. सर सर.. कहना छ्चोड़ दो... अभी मैं ऑटो वाला हूँ... ठीक है...!"

अभी हम शहर के बीचों बीच ही चल रहे थे..,"नही सर.. वो मैं पूच्छ रही थी कि....."

"फिर सर.. अकल नही है क्या..? मुझे सर वर मत बोलो.. सारा खेल खराब करओगि क्या...?" मानव ने मुझे फिर झिड़क दिया...

"तो क्या बोलूं?" मैने चिड़ कर पूचछा....

"भैईय.. नही नही.. भैया कैसे बोल सकती हो...!" मानव अपने आप ही हँसने लगा... कहा ना.. कुच्छ मत बोलो.. अभी चुप चाप रहो... मुझे ऑटो वाला समझ कर बैठी रहो...."

"पर.. ऑटो वाले तो आप लग ही नही रहे...!" उसके सामने लगे आईने में उसकी शकल निहारती हुई मैं बोली...

"क्यूँ..?" मानव ने झट से ऑटो रोक दिया...,"क्या खराबी है मुझमें...?"

"ना.नही.. वो.. आपके बाल.. आपका चेहरा.. ये सिर पे बाँध लो..!" मैने झेंपटे हुए पिछे सीट पर पड़ा मैला सा तौलिए जितना कपड़ा आगे बढ़ाते हुए कहा....

"हां.. ये बात तो सही है..." मानव ने शीशे में अपनी शकल देख कर कहा और फिर कपड़ा मेरे हाथ से लेकर सिर पर लपेटने लगा..,"दिमाग़ तो बहुत है तुझमें.. बस सही जगह लगाती नही है.... अब बोल क्या कह रही थी....?"

"वो मैं कह रही थी कि.. कहीं वो मुझे ले गये तो?".....

"ऐसे कैसे ले जाएँगे.. मैं किसलिए हूँ साथ.. बस एक बात का ध्यान रखना... मैं तुमसे किराया मांगू तो कह देना कि दे तो दिया था मैने...!"

"ठीक है..." मैं उसकी बात का मतलब समझे बिना ही बोली..,"पर मुझे बहुत डर लग रहा है.. आप..मुझसे दूर मत जाना...!"

"तुम फिकर मत करो.. वो दोनो पोलीस वाले भी हमारे पिछे पिछे ही हैं... एक बात बताओ.. रेवोल्वेर चलानी आती है...?"

"नही.. मैने तो बस एक बार 'ढोलू' के पास रखी देखी थी... "मैने जवाब दिया...

"मतलब चलानी नही आती ना?" उसने फिर पूचछा...

"कह तो रही हूँ.. मैने तो....!"

"फिर ठीक है... लो ये अपने पास रख लो... " उसने कुर्ते के अंदर से एक रेवोल्वेर निकल कर मुझे पकड़ा दी...,"कभी भी ख़तरा लगे तो ये उन्न पर तान देना सीधी....!"

"पर.. पर मैं इसको छिपाउंगी कहाँ.. ये तो बहुत भारी है...!" मैने उत्सुकता से पूचछा......

"ओफफो.. तुम तो पका देती हो.. अब ये भी मैं ही बताऊं क्या?.. लाओ.. वापस दो.. मुझसे दूर मत होना...!" कहकर मानव ने वापस रेवोल्वेर मेरे हाथ से झटक ली.. मैं उसका मुँह देखती रह गयी... उसने फिर से ऑटो चलानी शुरू कर दी...,"वहाँ ये मत दिखाना कि तुम मुझे जानती हो.....!"

"ठीक है.. मैं मुँह चढ़ा कर बोली.....

"काले का ढाबा तो यही है..." मानव ने ऑटो की स्पीड कम करते हुए कहा.. हम शहर से बाहर खेतों में आ गये थे....

हमारी ऑटो रुकते ही ढाबे के दूसरी और से दो लड़के भागते हुए हमारी तरफ आए... आते ही उनमें से एक ने पूचछा..,"तू अंजू है..?"

मैं अचानक सिहर सी गयी... मेरे सारे शरीर में कंपन सी शुरू हो गयी.. सच में ही मैं हद से ज़्यादा डर गयी थी.. मानव के साथ होने पर भी मेरे पसीने से छ्छूटने लगे.. मैने एक बार घबराहट में मानव की ओर देखा और फिर अपनी गर्दन हिला दी....

"आजा नीचे... भाई के पास चलना है ना...?" उसी लड़के ने फिर पूचछा और फिर दूसरे लड़के को देख कर आँख मारते हुए बोला...,"क्या आइटम है यार.... प्रियंका जैसी लगती है.. नही?? हे हे हे..."

मैने डर के मारे सहमे हुए ही आईने में मानव की ओर देखा.. उसने मुझे आँखों ही आँखों में नीचे उतरने का इशारा किया... मैं हड़बड़ाई हुई सी नीचे उतरी ही थी कि एक ने मेरा हाथ पकड़ लिया....,"आजा.. अपना भी नंबर. लग जाए तो... हाए...!"

"किराया तो देती जाओ मेडम!" लड़के ने जैसे ही मेरा हाथ पकड़ा.. मानव बोल पड़ा...

"आ.. इतनी चिकनी लौंडिया से भी कोई किराया लेता है क्या..? बहुत अच्छि बोहनी हो गयी तेरी.. जा अब घर जाकर सीट को सूंघ पूरा दिन.. चल अपना काम कर...!" मेरे कुच्छ बोलने से पहले ही वो लड़का मानव के पास जाकर खड़ा हो गया....

"लेकिन भाई साहब... मेरी रोज़ी का सवाल है.. किराया तो देना ही पड़ेगा इसको....!" मानव ऑटो से नीचे आकर खड़ा हो गया....

तभी दोनो पोलीस वाले भी आकर तमाशबीनो की तरह हमारे पास बाइक रोक कर खड़े हो गये....,"क्या हो गया भाई?"

"दे ना यार इसको.. चलता कर.. क्यूँ बेमतलब का लोचा करवा रहा है..." दूसरे लड़के ने जेब से 10 रुपए निकाल कर मानव की ओर बढ़ा दिए....

"ये क्या भीख दे रहे हो... ? 100 रुपए में बात हुई थी....!" मानव तैश में आकर अपनी बाहें उपर करने लगा....

"100 रुपए.. साले तुझे क्या हम विदेशी लगते हैं... बस स्टॅंड से ही तो लेकर आया है... चूतिया बना रहा है.. 100 रुपए....!" मेरा हाथ थामे जो लड़का खड़ा था.. उसने कहा....

"आबे.. मैं कौनसा फोकट के माँग रहा हूँ.. 100 रुपए में बात हुई थी.. पूच्छ लो मेडम से!" मानव बोला....

तभी दूसरा लड़का मानव के कान के पास जाकर सिर उठाकर धीरे से बोला...," तेरा टाइम अच्च्छा है भोसड़ी के.. लॅफाडा करने का मूड नही है हमारा.. वरना तेरी गांद में गोली ठोक देता अभी... भाग जा वरना...!"

उस लड़के की बात सुनकर दोनो पोलीस वाले एक दम बाइक से नीचे आ गये थे.. पर मानव के हाथ का इशारा पाकर रुक गये...,"क्यूँ लड़ाई कर रहे हो भाई... दे दो ना बेचारे के पैसे.. जो बात हुई थी....!"

"आए.. चलो अपना रास्ता नापो.. यहाँ कोई रामलीला नही हो रही..." लड़का मेरा हाथ छ्चोड़ कर पोलीस वालों से बोला और जेब में हाथ डाल कर मोबाइल निकाल लिया... उसके नंबर. डाइयल करते ही तुरंत उधर से फोन उठा लिया गया.. आवाज़ मुझ तक सॉफ सॉफ आ रही थी.. वो ढोलू ही था...,"आ गयी क्या?"

"आ तो गयी भाई.. उस ऑटो वाले को कुच्छ खुजली है.. 100 रुपए माँग रहा है यहाँ तक के.... साला मान ही नही रहा.... मेरा तो मंन कर रहा है कि...." लड़के ने कहा....

"ना.. वहाँ तमाशा मत करो... ऐसा करो.. तू उसके साथ ही ऑटो मैं लेकर बैठ जा लौंडिया को... यहीं दे देंगे उसको खर्चा पानी... ले आ अपने साथ ही.. बाइक तेजा ले आएगा....!"

"ठीक है भाई.. ये सही है....!" लड़का बोला और उधर से फोन कट गया....

"थोड़ी आगे तक चलना पड़ेगा... 200 दे देंगे... बोल!" लड़के ने मानव को घूरते हुए कहा....

"ठीक है.. पर पूरे 200 ही लूँगा... आओ.. बैठो...!" मानव कहकर ऑटो में बैठ गया... मैं तो मानव से भी पहले ऑटो में आ चुकी थी.. मेरा दिल बुरी तरह धड़क रहा था....

उस लड़के के बताए अनुसार रोड पर ही एक जगह मानव ने ऑटो रोक दी... लड़का ऑटो से उतरते ही बोला..," हां! रुपए लेगा ना तू?"

"हाँ.. और पूरे 200 रुपए...!" मानव ने ठोक कर कहा....

लड़का जाने क्या सोच कर हंस पड़ा.. ,"आजा.. मेरे साथ आजा.. तू भी क्या याद रखेगा...साले!" उसने कहा और मेरा हाथ पकड़ने लगा....

"छ्चोड़ दो.. मैं चल रही हूँ अपने आप...!" मैने उसका हाथ झटका और मानव के साथ साथ चलने लगी.....

"आए हाए.. तेरे नखरे..! क्या करती है तू...?" लड़के ने अपने होंटो पर जीभ फेरते हुए कहा..... मैने कोई जवाब नही दिया... तभी हम एक ट्यूबिवेल के साथ बने 2 कमरों वाले मकान के आगे जाकर रुक गये.. वो लड़का अंदर घुस गया था...

"आ ना.. डर क्यूँ रही है...? " लड़के ने मुड़कर कहा..और फिर मानव की तरफ देख कर बोला..,"तू भी आजा चिकने.. अब फट गयी क्या? ले ले 200 रुपए भाई से.. आजा.. पूच्छ.. हा हा हा...."

मानव ने दाई तरफ देखा... वो दोनो पोलीस वाले भी बाइक ऑटो के पास रोक कर तेज़ी से हमारी ओर चले आ रहे थे... मानव झट से अंदर घुस गया.... मैं अभी भी उस'से पीछे थी.....

लड़के के पिछे मानव जैसे ही दरवाजे पर जाकर खड़ा हुआ.. मेरी नज़र सीधी अंदर तीन और लोगों के साथ बैठे ढोलू पर पड़ी... चारों बीच में गिलास रखे ताश (कार्ड्स) खेल रहे थे.. वो खाली कछे में बैठा था और उसकी तोंद सॉफ दिख रही थी....

"ले आया... ढोलू मुझे देखते ही खुश होकर खड़ा हो गया और कछे पर हाथ मारते हुए मानव की ओर देखा...,"ये...?"

"भाई ऑटो वाला! अब 200 माँग रहा है..साला... हे हे हे.."

"तो मैं क्या आरती उतारू अब.. जा दूसरे कमरे में ले जाकर दे दो....जितने माँग रहा है..!" ढोलू ने कहा और फिर नज़रें फाड़ कर कुच्छ देर मानव की ओर घूर्ने के बाद बोला...," ओ तेरी बेहन को चोदु साले... थानेदार को ले आया...!" ढोलू की सिट्टी पिटी गुम हो गयी... उसने कहा और पिच्छले दरवाजे से निकल भागा....

ढोलू की बात सुनकर वहाँ बैठे सभी लोगों के कान खड़े हो गये... वो तो उठ भी ना सके... जैसे ही मैने कहा कि वही ढोलू है... मानव मेरे बारे में भूल कर सीधा पिच्छले दरवाजे से ही निकल कर ढोलू के पिछे दौड़ गया....

मानव को अपनी तरफ आता देखा तो तीनो के होश ही ऊड गये थे.. पर जैसे ही मानव उनके उपर से कूद कर पिछे गया.. उनकी जान में जान आई और 'वो' तीनो उठकर मेरी तरफ भागे... मैं खड़ी खड़ी थर थर काँप रही थी... पर वो मेरी और नही.. अपनी जान बचाने को बाहर की ओर भागे थे.. पर 'वो' बच ना सके.. बाहर निकलते ही उनमें से दो को उन्न पोलीस वालों ने दबोच लिया.. और तीसरा अपनी तरफ रेवोल्वेर का मुँह देख अपने आप ही गिर पड़ा... पर जो लड़का मुझे लेकर आया था.. उसका कहीं पता नही चल पाया......

----------------------------

करीब 15 मिनिट बाद मानव ढोलू को लेकर वहीं आ पहुँचा... उसने ढोलू की उंगलियाँ अपनी उंगलियों में फँसा रखी थी.... ढोलू का सारा शरीर पसीने से तर हो गया था और वो बुरी तरह हाँफ रहा था.... तभी वहाँ पोलीस की जीप सायरेन बजाते हुए आ पहुँची....

पसीने से तर मानव के चेहरे पर अनोखी चमक थी... मेरे पास आते ही वह हानफते हुए बोला..,"थॅंक यू मेम्शाब!"

मानव को देखकर ही मेरी जान में जान आई.. मुझे नही पता था कि अब क्या होने वाला है...! पोलीस वालों ने तीनो को ज़ीप में डाल लिया...," बैठो जनाब!"

"यार.. वो.. ऑटो भी तो वापस करके आनी है.. तुम चलो हम आते हैं..." मानव ने कहा....

"वो हम भिजवा देंगे जनाब.. आप फिकर ना करो...!" पोलीस वालों में से एक ने कहा.....

"समझा करो यार...! चलो तुम... मैं आता हूँ.. कहकर मानव मुस्कुरा दिया... वो पोलीस वाले भी अजीब ढंग से मुस्कुराए और अपनी ज़ीप मोड़ने लगे... मैं उनकी मुस्कुराहट का मतलब समझ गयी थी.. पर मुझे विश्वास नही था कि मानव मेरे साथ ऐसा करने की सोच भी सकता है... मैने घूर कर मानव की तरफ देखा......

"एक बात पूच्छू..?" मानव ट्यूबिवेल पर अपने हाथ पैर और चेहरा धोने के बाद मेरी तरफ मुड़कर बोला....

"क्या?" मैं अपनी जगह पर ही खड़ी रही.....

"ववो... आओ बैठो ना थोड़ी देर... साले बहा... सॉरी.. आदत हो जाती है पोलीस में... बहुत भगाया कुत्ते के बच्चे ने....!" मानव एक जगह बैठ कर सुसताने लगा... मैं कुच्छ ना बोल सकी... वहीं खड़ी रही....

"बैठो ना यार.. थोड़ी देर बैठ जाओ..." मानव ने खड़ा होकर मेरा हाथ खींचा और अपने पास बैठा लिया...

"कैसा लगता हूँ मैं?" मानव ने पूचछा...

मैं कुच्छ देर तो मुँह से कुच्छ निकल ही ना पाई... पर जब वो मुझे देखता ही रहा तो मेरे मुँह से निकल गया.,"क्या मतलब?"

"मतलब क्या यार.. सिंपल.. कैसा लगता हूँ मैं...?" मानव ने फिर पूचछा....

"पोलीस वाले या ऑटो वाले..?" मैने मुँह पिचका कर कहा.. मुझे उसके अरमानो पर शक पैदा होने लगा था....

"हा हा हा.. तो तुम मज़ाक भी कर लेती हो...." थोड़ी देर मानव हंसता रहा फिर एक दम गंभीर होकर बोला...," मैं तुम्हारे बारे में ग़लत सोच रहा था.. तुम वैसी नही हो जैसी तुम तुम्हारी आँखों में देखने पर लगती हो...!"

"क्क्या मतलब?" मैं सिहर सी गयी थी....

"मतलब कि तुम बहुत बहुत अच्छि हो.. बहूऊत अच्छि..." मानव मुस्कुराया...

सच कहूँ तो ये बात सुनकर मुझे उस वक़्त उतनी खुशी नही हुई जितनी हो सकती थी.. मेरे मंन में अजीब सा डर पैदा हो रहा था.. मानव को लेकर... मैने नज़रें झुका ली.....

"एक बात पूच्छ लूँ.. किसी को कहना नही....!" मानव ने कहा तो मेरा दिल धड़क उठा...,"क्या?" मैने धीरे से नज़रें झुकाए हुए कहा...

"ववो.. तुम ग़लत मत सोचना... ववो.. मीनू मेरे बारे में बात करती है क्या?"

"ऑश..." मेरी जान में जान आई...," हां.. कभी कभी.. मैं उसकी ओर देख कर मुस्कुरा पड़ी....

"क्या बात करती है..?" उसने उत्सुकता से पूचछा....

"उम्म्म.. यही.. केस के बारे में ही.. वो मुझे सब बताती है... कब आपको फोन करके क्या बताया.. और.. आपकी प्लॅनिंग... सब!"

"ये नही यार.. और कुच्छ.. और कुच्छ जैसे.... चलो छ्चोड़ो.. तुम नही समझोगी...!" मानव खड़ा हो गया...,"आओ चलते हैं.... पिंकी भी वेट कर रही होगी....!"

मैं मानव के पिछे पिछे चल पड़ी... मीनू के बारे में उसने क्यूँ पूचछा.. वो तो मैं साफ साफ समझ ही गयी थी... मानव का ये कहना कि तुम बहूत अच्छि हो.. अब मेरे दिल को गहरा सुकून दे रहा था.....

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"लो भाई.. बहुत बहुत धन्यवाद..." मानव ने ऑटो से उतार कर ऑटो वाले से कहा और उसके हाथ में 500 रुपए पकड़ा दिए....

"ये किसलिए साहब?" वो चौंक कर खुश होते हुए बोला....

"रख ले यार.. तुझे ऑटो की सर्विस तो करवानी ही पड़ेगी लगता है..." मानव ने उसकी पीठ थौन्क कर कहा और फिर तपाक से बोला..,"अभी मत बैठ यार.. बाथरूम में चल... ये कपड़े पहन कर थाने गया तो फोटो छप जाएगी अख़बार में..." मानव हंसता हुआ बोला तो ऑटो वाला झेंप सा गया...,"हाँ साहब.. ये तो मैं भूल ही गया था.....!"

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मैं सीधी बस-स्टॅंड के अंदर गयी.. हॅरी एक जगह बैठा था और पिंकी उसके पास खड़ी होकर बाहर की ओर ही देख रही थी... मुझे देखते ही वो भाग कर बाहर आई....

मैं उसके पास आते ही मुस्कुरकर बोली..,"हो गया काम!"

पर पिंकी ने कोई प्रतिक्रिया ना दी.. उसकी सूरत रोने जैसी लग रही थी... मैने एक बार हॅरी की तरफ देखा और फिर उस'से बोली,"क्या हुआ पिंकी?"

"कुच्छ नही.. मुझसे बात मत करो..." पिंकी चिड़ कर बोली....

तभी हॅरी हमारे पास आ गया..,"मैं जाउ अब?"

मैने उसको देख कर अपना सिर हिला दिया..," हाँ जाओ... पर इसको क्या हो गया...?"

"पता नही.. मार्केट से चोवमीन खाकर आए थे.. तब से ऐसे ही बैठी है.. पेट खराब हो गया शायद... गोली लाकर दूँ क्या?" हॅरी ने प्यार से पूचछा...

"नही.. मुझे नही चाहिए कुच्छ....!" पिंकी तुनक कर बोली और अपना मुँह फेर लिया....

"वैसे मुझे भी गाँव ही जाना है.. तुम कहो तो मैं इंतजार कर लेता हूँ..." हॅरी ने उसके तेवरों पर ध्यान नही दिया.....," मीनू को फोन करके देख लो..."

"पर हमारे पास नंबर. तो नही है... हां.. एक मिनिट..." मैं भाग कर बाहर गयी.. वहाँ शायद मानव मेरा ही इंतजार कर रहा था.....,"वो.. मुझे मीनू के पास फोन करना है... उसका नंबर.?" मैने पूचछा....

"वो बस दो मिनिट में आ रही है यहीं.. बात कर्वाउ क्या?" मानव ने पूचछा....

"नही रहने दो फिर तो...." मैने बोला ही था कि मीनू मुझे हमारी ही ओर आती दिख गयी...

"पिंकी कहाँ है..?" उसने आते ही पूचछा......

"यहीं है अंदर... ववो.. हमने ढोलू को पकड़ लिया!" मैने गर्व से बताया....

"हाँ.. ववो.. बता दिया इन्होने...!" मीनू लगातार सिर झुकाए खड़ी थी..," हम जायें अब?"

"हाँ.. तुम चलो... मैं शाम को फोन करके बताता हूँ.. सारी बात...!" मानव ने कहा...

"ठीक है..." मीनू ने कनखियों से एक बार मानव की सूरत देखने की कोशिश भर की और मेरा हाथ पकड़ कर अंदर चल दी... पिंकी अभी भी मुँह फुलाए खड़ी थी... मैने हॅरी की बात उसको बताई....

मीनू कुच्छ देर सोचने के बाद बोली...,"ठीक है.. चलते हैं.. अब क्या काम बचा है...?"

"ठीक है.. मैं पार्किंग से गाड़ी लेकर आता हूँ.. बाहर आ जाओ तब तक..!" हॅरी ने कहा और हमसे दूर चला गया.....

पता नही पिंकी कितनी देर से अपना दुखड़ा छिपाए बैठी थी.. जैसे ही हॅरी हमसे दूर गया.. पिंकी दहाड़े सी मार कर रोने लगी....

"क्या हुआ पिंकी.." मीनू ने अचानक चिंता में डूब कर पिंकी के गालों को सहलाते हुए पूचछा.....

"ववो..."पिंकी रोते रोते हॅरी की ओर मासूम सी सूरत बनाते हुए उंगली करके बोली..," वो मेरे 100 रुपए का चीनुमीनु खा गया...!" पिंकी ने कहा और मोटे मोटे आँसू टपकाने लगी.....

"चाउमीन खा गया?.." एक पल तो मीनू भी सकपका गयी.. फिर थोड़ा खिज कर बोली..,"बस कर अब.. यहाँ तमाशा क्यूँ कर रही है.. तूने दिए ही क्यूँ उसको पैसे?"

आसपास के लोगों को अपनी ओर घूरते देख कर पिंकी सहम गयी और उसने तुरंत अपने आँसू पौंच्छ लिए..,"मैने कहाँ दिए थे उसको पैसे..! वो तो.. वो तो मैने उसको सिर्फ़ यही कहा था कि चलो 'समोसा' खायें...!"

"फिर?" मीनू उसकी शकल देख मुश्किल से अपनी हँसी रोक पा रही थी....

"फिर क्या? कहने लगा मुझे भी भूख लगी है... समोसे में क्या होगा.. ये कहकर वो मुझे बाहर बड़े होटेल में ले गया.... वहाँ जाकर उसने 2 चीनुमीनु और 2 'ठंडे' मंगवा लिए... 'ठंडा' तो मैं कभी पीती भी नही...." कहते ही सुबाकी रोकने की कोशिश में पिंकी की हिचकी निकल गयी... थोडा साँस लेकर वह फिर बोलने लगी..," खाने के बाद अपनी जेब पर हाथ मारकर बोला.."ओह्हो.. पर्स तो गाड़ी में ही रह गया.. " पिंकी ने मुँह बनाकर मटकते हुए उसकी नकल की..,"बेशरम ने मुझसे पैसे माँग लिए...."

मीनू और मैं पिंकी के अंदाज पर खिलखिलाकर हंस पड़े.. पिंकी गुस्से से हमारी और देखने लगी थी तभी मीनू हंसते हुए ही बोली..," तो क्या हो गया... उसका पर्स गाड़ी में रह गया होगा.. दे देगा तेरे पैसे... क्यूँ मातम मना रही है....?"

"नही देगा वो.. मुझे पता है.. उसने अपनी 'गोली' के पैसे काटने के लिए ही किया है ऐसा... देने होते तो अब तक दे ही ना देता... मैं आधे घंटे से उसको याद दिला रही हूँ ये बोल बोल कर की गाड़ी कहाँ है..? मैने उसको गाड़ी में चलने को भी बोला.. पर वो चला ही नही.. ऐसे ही टालता रहा...." पिंकी अब भी गुस्से में थी....

"तो क्या हो गया.. तूने भी तो खाया है ना उसके साथ.. 'चीनुमीनु' हे हे हे.." मीनू हंस कर बोली..,"और ईडियट 'वो' चाउमीन होता है.. चीनुमीनु नही!"

"कुच्छ भी हो.. पर मुझे 'वो' थोड़े ही खाना था... मुझे तो..." तभी हॅरी हमारे पास ही आ पहुँचा...,"तुम आए नही बाहर.. मैं वेट करके आया हूँ..."

"हमें नही जाना अभी.. हम तो शॉपिंग करके आएँगे...!" पिंकी मुँह चिडा कर बोली...

"कोई बात नही.. मैं भी तुम्हारे साथ चल पड़ता हूँ..... अगर दिक्कत ना हो तो.. वैसे बस में ही जाना है तो अलग बात है....!" हॅरी बेचारा सा मुँह बनाकर बोला....

"नही.. तुम भी साथ चलो..!" पिंकी अचानक बोल पड़ी......

"चलो फिर....!" कहकर हॅरी खुश होकर हमारे साथ चल पड़ा.. मीनू उसके साथ थोड़ी असहज महसूस कर रही थी... इसीलिए 'वो' बहुत कम बोल रही थी....

गाड़ी में बैठ कर हम शहर में घुसे ही थे कि पिंकी अचानक चहक सी उठी..,"मुझे चॉकलेट लेनी है....!"

"ओके.. " हॅरी ने तुरंत एक दुकान देखकर गाड़ी साइड में लगाकर खड़ी कर दी...,"मैं लेकर आता हूँ.. कितनी लाउ?"

मीनू बोलने ही वाली थी कि बीच में बैठी पिंकी ने उसका हाथ पकड़ कर दबा दिया...,"कितने की आती है..?"

"ववो.. तो डिपेंड करता है...." हॅरी बोला...

"ठीक है.. 100 रुपए की ले आओ!" बोलते ही पिंकी ने अपनी हँसी रोकने के लिए अपने होंटो को कसकर भींच लिया.. और मेरी और देखने लगी...

"ठीक है..." हॅरी बोलकर जैसे ही पलटा.. पिंकी तालियाँ पीट'ते हुए हँसने लगी..,"अब चखाउन्गि इसको मज़ा!"

"शर्म नही आई तुझे बेशर्म.." मीनू चिड कर बोली....

"मुझे क्यूँ आएगी शर्म.. कंजूसों के साथ ऐसा ही करना चाहिए... अब मैं पूरा बदला लूँगी..... अभी तो मुझे जलेबिया, समोसे और गोलगप्पे भी खाने हैं.... हे हे हे..." पिंकी का चेहरा चमक उठा....

उस दिन पिंकी ने जो कुच्छ हॅरी के साथ किया.. याद करके आज भी पेट में बल पड़ जाते हैं... हॅरी 'और कुच्छ' कहते कहते थक गया था.. पर पिंकी की फरमाइशे ख़तम नही हुई.... गोलगप्पे और समोसा खाने के बाद जब पेट में जगह नही बची तो पिंकी ने 2 किलो देसी घी की जलेबियाँ पॅक करवा ली... अब भी शायद उसका मंन भरा नही था... पर मीनू ने इस बार उसको कसकर डाँट पीला दी..,"घर चल एक बार.. तुझे देखती हूँ में... आज के बाद आना तू मेरे साथ शहर में...!"

इस बार हेरी ने 'और कुच्छ कहा तो पिंकी ने बिना कुच्छ कहे अपना सिर झुका लिया... हॅरी की मुस्कुराहट साफ बता रही थी कि उसको मालूम था पिंकी उसको तंग करने की कोशिश कर रही है.... पर वह पिंकी का भी उस्ताद निकला....

शहर से बाहर जाते ही हॅरी ने 100 का नोट निकाल कर पिछे बढ़ा दिया..,"पिंकी; ये तुम्हारे 100 रुपए...!"

अचानक पिंकी का चेहरा पीला पड़ गया.. उसको शायद लगा कि उसकी शैतानी पकड़ी गयी है.. वह झेंप कर बोली..,"नही.. रख लो!"

"अरे रख लो क्या..? मैं तो भूल ही गया था.. अभी याद आया...! ये लो.. पाकड़ो!" कहकर हॅरी ने नोट पिछे ही छ्चोड़ दिया....

उसके बाद तो गाँव तक पिंकी की आवाज़ तक नही निकली... हम दोनो हंस हंस कर पागल हो रहे थे.. पर शायद हमारी हँसी का राज हॅरी समझ नही पाया होगा...

क्रमशः........................
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