Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
10-22-2018, 11:35 AM,
#49
RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--34

गतान्क से आगे..................

करीब 7 बजे सोनू अकेला ही मेरे पास आया था..

"तरुण को क्यूँ नही लाया?" मैने सोनू से पूचछा...

"भाई.. ववो.. घर पर मिला नही.. मैं देखने गया था.. पढ़ने गया होगा... बात क्या है?"

"स्कूल में क्या लाफद हुआ था आज.. पेपर के बाद?" मैने पूचछा...

"स्कूल में?.. आपको कैसे पता...?" सोनू हड़बड़ा कर बोला...

"मुझे सब पता है.. अंजू के साथ दूसरी लड़की कौन थी मास्टर के पास...?" मैने पूचछा...

"भाई.. ववो.. पिंकी.. मीनू की बेहन.. पर आपको कैसे पता लगा...?"

"तू छ्चोड़ इन्न बातों को... पूरी बात बता मुझे....!" मैने गुर्रा कर कहा...

"भाई.. ववो.. तरुण के पास किसी का फोन आया था.. की स्कूल के कमरे में एक मास्टर हमारे गाँव की 2 लड़कियों के साथ चुदाइ कर रहा है " सोनू ने बताया...

"किसका?" मैने पूचछा....

"भाई.. ये तो पता नही... फिर हमने स्कूल में जाकर पिछे के रोशन दान से उनकी वीडियो बना ली...!"

"अब क्या करोगे?" मैने पूचछा....

"कककुच्छ नही भाई.. वो तो बस ऐसे ही....!" सोनू ने झूठ बोला....

"अच्च्छा.. चूतिया बना रहा है मेरा.. सीधे तरीके से नही बताएगा तू.. तेरी मा बेहन करनी पड़ेगी.. लाख रुपए नही माँगे तुमने मास्टर से....!"

सोनू ने इस पर अपना सिर झुका लिया...,"हां भाई ववो तरुण ने ही..."

" कोई पंगा नही करना यहाँ.. चुपचाप 'वो' वीडियो ख़तम कर दो.. मास्टर मेरा खास है...!" मैने कहा....

"पर भाई.. तरुण नही मानेगा.. वो तो कह रहा था कि लंबा हाथ मारूँगा.. तीनो चिड़िया जाल में हैं...!"

"मानेगा कैसे नही सस्सला.. तीनो कौन?" मैने उस'से पूचछा....

"वही... मीनू, पिंकी और अंजलि.....!" उसने बताया...

"जाल में हैं मतलब..? और मीनू कैसे आई जाल में..?"

"भाई.. तरुण ने उसके भी नंगे फोटो खींच रखे हैं एक बार.... कह रहा था कि उन्न तीनो को ब्लॅकमेल करके उनके साथ 'ब्लू फिल्म' बनाउन्गा... एक पार्टी है उसके पास.. जो ऐसी ही फिल्में बनाने का धंधा करती है... वो बता रहा था कि सारा काम वो ही करेंगे... उसको बस लड़कियों को उन्न तक लेकर जाना है... 5-10 लाख का काम बता रहा है....." सोनू ने बता दिया....

"अच्च्छा.." मेरी आँखें आस्चर्य से फटी रह गयी.... ऐसी कौनसी पार्टी है यार... तू जानता है उनको...?"

"नही.. मैने पूचछा था.. पर उसने बताया नही... मेरे बस मास्टर वाले पैसों में से आधे हैं...." सोनू ने बताया....

"तू उनका पता कर ना! मैं और भी लड़कियाँ दे दूँगा.. 50-50 कर लेंगे.." मैने कहा...

"कहा ना भाई.. मैने पूचछा था.. वो बताएगा नही.. बाकी आप बात कर लेना....!"

"फोन कर एक बार उसको.. अभी बुला ले.. और फोन लेता आएगा अपना...." मैने कहा तो सोनू ने फोन मिला दिया.. करीब 8:30 - 9:00 का टाइम होगा.... तरुण ने फोन उठा लिया...

"तरुण यार.. ढोलू बुला रहा है तुझे अभी....!" सोनू ने कहा....

"अभी तो बिज़ी हूँ यार... कल मिल लूँगा.. बोल देना...!" तरुण की आवाज़ आई....

"तू अभी आजा यार..बहुत ज़रूरी बात है.... और मोबाइल लेते आना अपना...!" सोनू ने कहा तो तरुण के कान खड़े हो गये..,"क्यूँ?"

"वो यार.. वो उस मास्टर की भाई के साथ उठ बैठ है... वीडियो डेलीट करनी पड़ेगी हमें...!" सोनू ने कहा...

"क्यूँ? साले तूने उसको क्यूँ बता दिया...?" तरुण गुस्से से बोला...

"मैने कुच्छ नही बताया यार... तू आ तो जा एक बार... यहीं बैठ कर बात कर लेंगे...." सोनू ने कहा....

"मैं अभी घर से चलूँगा... तू 15 मिनिट में पुरानी चौपाल के पास आ जा... वहाँ से दोनो साथ चल पड़ेंगे....!" तरुण ने कहा....

मेरे इशारा करने पर सोनू ने फोन काट दिया.... मुझे लालच आ गया था...," यार जब हमें इतने पैसे मिल रहे हैं तो मास्टर से लेने की क्या ज़रूरत है...?"

"वो तो ठीक है भाई.. आप देख लेना जैसे ठीक समझो.. बात कर लेना उस'से.. पर वीडियो डेलीट कर दी तो उन्न दोनो को ब्लॅकमेल कैसे करेंगे...?" सोनू ने कहा....

"नही करेंगे डेलीट.. मैं मास्टर को बोल दूँगा कि कर दी... पर मास्टर से पैसे मत माँगना...!" मैने कहा...

"ठीक है भाई... आप बात कर लेना तरुण से....!" सोनू ने कहा...

"मुझे कितना दोगे....?" मैने पूचछा...

"भाई, अब मैं क्या बताउ...! आप तरुण से कर लेना बात...." सोनू ने कहा...

"मा की चूत तरुण की ... मैं उसका मोबाइल ही छ्चीन लूँगा... जो कोई भी पार्टी होगी.. उसके नंबर. पर फोन तो करेंगी ही.. मैं अपने आप सेट्टिंग कर लूँगा... तू बता...!" मैने उसकी राई पूछि....

"क्या?"

"तू कितने लेगा..? तरुण को हटा बीच में से....!" मैं बोला....

"देख लेना भाई.. 50-50 कर लेंगे..." सोनू ने कहा....

"ठीक है.. तू जा तरुण के पास... उसको यहाँ छ्चोड़ कर घर चला जा.. मैं अपने आप बात कर लूँगा....

"मैं घर नही जाउन्गा भाई... आज रात एक लेफ्डा करना था.. घर पर शादी के बारे में जाने की बात बोल रखी है...." सोनू ने कहा....

"कैसा लेफ्डा...?" मैने पूचछा...

"ववो.. भाई एक गर्ल फ्रेंड है.. उसके घर कोई नही है आज.." सोनू ने हंसते हुए कहा....

"कौन है...?" मैने पूचछा...

"ववो.. पर्सनल है भाई...!" सोनू एक बार फिर हंसा....

"हुम्म... चल ठीक है.. तू उसको ले आ और जाकर ऐश कर..... !" मैने कहा....,"अपना फोन मुझे दे जा तब तक....?"

"फोन! क्यूँ भाई?"

"दे तो साले... टाइम पास कर लूँगा तब तक..." दरअसल में उसके फोन में किस किस के नंबर. हैं.. ये देखना चाह रहा था... और ये भी की उसमें वीडियो है ना नही..... मुझे उस पर भरोसा नही था......

सोनू मेरे पास फोन रख कर चला गया.......

------------------------------

----------------

करीब आधे घंटे बाद सोनू मेरे पास हांफता हुआ आया..,"भाई.. लेफ्डा हो गया... मैं तो गया.... तरुण को किसी ने मार दिया..." सोनू पूरी तरह पसीने से भीगा हुआ था....

उसकी बात सुनकर मेरे भी होश ऊड गये....,"क्या? किसने?" मैं बिस्तेर से उच्छल ही पड़ा था.....

"पता नही भाई... मैं काफ़ी देर उसका इंतजार करने के बाद चौपाल में पेशाब करने गया था... वहाँ मैं उस'से ठोकर लग कर गिर पड़ा.... मैने ये टॉर्च जलाकर देखा तो वो खून से लथपथ वहाँ मरा पड़ा था... मैं तो भाग आया भाई...!" सोनू काँप रहा था....

"फिर तू क्यूँ इतना डरा हुआ है..? किसने मारा होगा उसको...?" मैने पूचछा....

"मुझे चौपाल से बाहर निकलते हुए किसी ने देख लिया... और पहचान भी लिया.. मेरा नाम पुकारा था उसने..." सोनू थरथरते हुए बोला....

"किसने?"

"पता नही भाई.. मेरे तो होश उड़े हुए थे... मैं तो भागते हुए ही यहाँ तक आया हूँ...." सोनू ने कहा......

" तेरी तो गयी भैंस पानी में... मेरे पास नही आना चाहिए था तुझे... ऐसा कर भाग जा कुच्छ दिन के लिए... थोड़े दिन में सब शांत हो जाएगा... पोलीस ने उठा लिया तो तू करने खाने लायक नही रहेगा....!" मैने उसको सलाह दी....

"ठीक है भाई.. मैं जा रहा हूँ अभी....!" सोनू ने कहा और मेरे घर से चला गया.... उसके बाद मुझे उसका कुच्छ पता नही... जब माथुर का फोन दोबारा मेरे पास आया तो मैने उसके घर फोन किया.. उसकी बीवी ने बताया कि वो तो थाने गये हैं... मैं डर गया कि कहीं पोलीस मुझे भी ना लपेट ले... बस! इसीलिए मैं गायब हो गया....

उसके 2 दिन बाद ही एक आदमी के फोन मेरे पास आने शुरू हो गये... 'वो मीनू और दोनो लड़कियों के बारे में जानकारी माँग रहा था... मैने उसको मीनू के घर का नंबर. दिया था.. और कुच्छ नही...! पूरा 'काम' बन जाने पर उसने मुझे 2 लाख रुपए देने का वादा किया था.... मैं उस'से कभी मिला नही हूँ.... पर उसने अपना नाम 'सोनू' ही बताया था.. पर मैं जानता था कि ये 'वो' सोनू नही है......

********************************

दो बार डाइयरी पढ़ने के बाद भी हमारी समझ में कुच्छ नही आ रहा था....," फोन किसने किया होगा दीदी?"

"कौनसा फोन?" मीनू भी अब तक भय से जकड़ी हुई सी थी....

"वोही.. कि मास्टर स्कूल के कमरे में....." मैं बोली....

"क्या पता...? हो सकता है सोनू झूठ बोल रहा हो.... मुझे तो ये सारी कहानी झूठी लगती है... या तो सोनू ने ढोलू को झूठी कहानी सुनाई है.. या फिर ढोलू ही असली बात छुपा रहा है....!" मीनू बोली... पिंकी आँखें फ़ाडे हम दोनो को देख रही थी....

"और मनीषा?" मैने पूचछा...

"वो क्यूँ झूठ बोलेगी.. उसको क्या पड़ी है.....?" मीनू ने तपाक से बोला....

"कुच्छ भी हो सकता है दीदी... पर 'उस आदमी का कैसे पता लगेगा जो 'सोनू' बनकर आपके पास फोन कर रहा है... तरुण का फोन भी उसके ही पास है... मुझे तो लगता है कि उसने ही तरुण का खून किया है.....!" मैने कहा.....

"उसका तो कल के बाद से फोन भी नही आ रहा.. नही तो एक एक घंटे में 10 10 मिस्ड कॉल्स आती थी.... मेरा तो दिमाग़ चकरा रहा है... अब क्या होगा भगवान...?" मीनू अपने घुटनो पर हाथ रख कर छत की ओर देखने लगी......

सहसा उसकी आँखों में आँसू उमड़ पड़े.. और बरबस ही पिंकी की आँखें भी नम हो गयी.. वा उठी और जाकर मीनू के आँसू पोंच्छने लगी,"कुच्छ नही होगा दीदी.. बस करो अब.. जो होना था हो चुका...!"

"मुझे नही पता था कि मेरी ग़लती से ये सब हो जाएगा.. ना ही मैं 'तरुण' से दोस्ती करती और ना ही ये सब होता... सब कुच्छ मेरी वजह से ही हुआ है.. तुम दोनो को भी मुसीबत में डाल दिया....!" मीनू की आँखें जैसे पिघलने सी लगी थी.. उनसे टपक रहे आँसू अचानक बरसने से लगे थे.....

"बस करो ना दीदी.. प्लीज़.. मुझे भी रोना आ रहा है.. 'वो' लंबू सब ठीक कर देगा.. देखो! उसने अभी तक मम्मी पापा को कुच्छ बताया भी नही.. 'वो' भी अच्च्छा आदमी है...." पिंकी भोलेपन से मीनू की गाल से अपने गाल सताती हुई बोली....

"वो आया नही अभी तक.. कहीं चला ना गया हो!" मैने कहा....

"फोन करके देख लो दीदी!" पिंकी ने आइडिया दिया....

"नही.. आ जाएगा जब आना होगा... गाँव में ही बैठा होगा तो? .. ऐसे फोन करना ठीक नही है...!" मीनू कुच्छ सोचते हुए बोली....

"ववो.. हम हॅरी के पैसे दे आयें दीदी...?" पिंकी ने मौका सा देख कर पूचछा...

"नही.. आज नही.. पिच्चे से वो आ गया तो...?" मीनू बोली...,"पर दे आना ज़रूर.. ऐसे किसी के पैसे रखते नही हैं....!"

"तो शाम को चले जायें?" पिंकी ने फिर पूचछा..,"इसके जाने के बाद!"

"चली जाना अम्मा.. अभी से क्यूँ दिमाग़ चाट रही है....!" मीनू थोड़ा सा झल्लाकर बोली.. और अचानक बदल गये पिंकी के चेहरे के रंग को देख कर हँसने लगी..," अच्च्छा चली जाना.. मानव के जाने के बाद.. ठीक है..?"

पिंकी ने अपना सिर झुकाया और 'हाँ' में हिला दिया.......

*****************************************

हम पूरा दिन इंतजार करते रहे... दिन ढलते ढलते शाम के 5:00, 6:00, 7:00 भी बजे और फिर रात के 8:00 भी.... पर मानव अब तक वापस नही आया था.. इस बीच में घर होकर भी आ गयी थी.. पर पापा ने कुच्छ खास डाँट नही पिलाई.. दरअसल मुझसे ज़्यादा उन्हे मीनू और पिंकी पर भरोसा था... शायद इसीलिए आज फिर रात को मीनू और पिंकी के साथ सोने की बात पर वो खाली बड़बड़ा कर रह गये... मना नही किया... मैने कह दिया था कि चाचा चाची घर पर नही हैं... इसीलिए वो मुझे बुला रही हैं.....

"मुझे लगता है 'वो' चला गया होगा.... वरना अभी तक तो आ ही जाता....!" मैने कहा...

"नही.. ऐसे कैसे चला जाएगा... उसकी डाइयरी भी तो यहीं रखी है..." मीनू ने दरवाजे से बाहर आहट सी सुनते हुए कहा...,"लगता है आ गया...!" उसने हड़बड़ाहट में खड़ी होकर अपनी चुननी ठीक की.....

पिंकी ने बाहर झाँक कर देखा...,"नही.. कोई और ही गया है.. वो तो बाइक पर आएँगे... आवाज़ नही सुनाई देगी क्या?"

"हाँ...!" मीनू ने सहमति में सिर हिलाया...,"ये बात तो है.. हो सकता है चले भी गये हों... मैं फोन करूँ...?"

"हां करके देख लो दीदी.. फिर हम भी आराम से सोने की तैयारी करें..." मैने कहा...

मीनू ने उनको फोन करने के लिए अपने तकिये के नीचे से फोन निकाला ही था की हमें बाइक की आवाज़ सुनाई दी.. मीनू ने फोन वापस च्छूपा दिया..,"देखना...!"

"हां शायद आ गये...! बिके हमारे ही घर के आगे रुकी है...!" हम सबने बाइक के रुकने की आवाज़ सुनी....

"हे भगवान..!" मीनू ने पता नही ऐसा क्यूँ कहा था.. एक बार फिर वो चारपाई से खड़ी हो गयी और अपनी चुननी ठीक करने लगी... डाइयरी उसने पहले ही अपने हाथ में ले ली थी..... तभी मानव सीधा अंदर आ गया और आते ही चारपाई पर पसार गया....

"क्क्या हुआ?" मीनू ने हड़बड़ा कर पूचछा....

"कैसे लोग हैं यार इस गाँव में... पूरे दिन से किसी ने खाने के लिए नही पूचछा... चाय पीला पीला कर ऐसी तैसी कर दी सालों ने...." मानव बैठता हुआ बोला... वह बहुत थका हुआ लग रहा था....

हम तीनो हक्के बक्के से होकर एक दूसरे की आँखों में देखने लगे थे.. ऐसी भाषा में मानव....

"हम अभी बनाकर लाते हैं...!" मीनू ने सकपका कर कहा और मेरा हाथ पकड़ कर सीढ़ियों की और खींच लिया.... पिंकी भी हमारे पिछे पिछे आ गयी...

"जा पिंकी.. दरवाजा तो बंद करके आ.. कोई देखेगा तो क्या सोचेगा.. इस वक़्त.." मीनू ने पिंकी को वापस नीचे भेज दिया....

"ये पीकर आया है क्या?" मीनू ने मुँह बनाकर मुझसे पूचछा...

"लग तो मुझे भी ऐसा ही रहा है दीदी.. बहकी बहकी सी बातें कर रहा है....!" मैने उसकी बात का समर्थन किया....

तभी पिंकी हँसती हुई लोटपोट सी होती उपर आई...,"दीदी.. लंबू गाने गा रहा है...!"

"क्याअ?" हम दोनो के मुँह से एक साथ निकला...

"हाँ... ये कहीं पीकर तो नही आया है?" पिंकी ने भी आते ही हमारी बात पर मोहर लगा दी....

"मैं बताती हूँ इसको.. यहाँ पीकर आने की हिम्मत कैसे हुई...?" मीनू तुनक कर बोली...

"रहने दो दीदी... पी भी ली होगी तो.. खाना खाकर चले जाएँगे.... हमें क्या?" मैं समझाते हुए बोली....

"दारू पीना कोई अच्छि बात है क्या?" मीनू इस तरह भड़क रही थी जैसे 'मानव' उसका कोई अपना हो.....

"छ्चोड़ो ना.. चलो खाना बनाते हैं....!" पिंकी बोली....

"मैं नहा लेती हूँ एक बार.. सब्ज़ी मैने बना दी थी... तुम रोटियाँ बना लॉगी ना?" मीनू मुझसे बोली...

"हां.. बना लूँगी....!" मैने कहा और पिंकी को लेकर किचन में घुस गयी.....

"बस अंजू.. उसकी और मत बनाना.. मना कर दिया उसने!" पिंकी किचन में आकर प्लेट मेरे साथ वाली स्लॅब पर रखती हुई बोली....

"हमारी तो बना लूँ..?" मैने रोटी बेलते हुए पूचछा...

"रहने दो ना! उसके जाने के बाद गरम गरम खा लेंगे.. बस करो!" पिंकी के कहा... तभी मीनू भी नाहकार किचन में आ गयी...,"गया वो?"

"नही.. अभी तो खाना खा रहे हैं...." जवाब पिंकी ने दिया था... मैने मुड़कर देखा तो मीनू को देखती रह गयी... बड़ी प्यारी और सेक्सी लग रही थी वो.. हल्क नाभि रंग का लोवर उसकी जांघों से बिल्कुल चिपका हुआ था.. उपर उसने शॉल औध रखा था इसीलिए मैं उस वक़्त देख नही पाई थी कि उसने क्या डाल रखा है... पर उसका चेहरा पुर्नमासी के चाँद की तरह ही खिला हुआ था... उसकी मुस्कान सॉफ बता रही थी कि उसके मंन से अनहोनी के डर का साया गायब होकर कुच्छ पल के लिए ही सही पर अब सतरंगी सपनो से सराबोर हो च्छुका है...

"ऐसे क्या देख रही है... पहले कभी देखा नही क्या?" मुझे अपनी और लगातार घूरते पाकर मीनू हड़बड़ा सी गयी...

"नही बस ऐसे ही..." मैं हल्क से मुस्कुरा दी..,"नीचे चलें....!"

"चलो.. वो इंतजार कर रहा होगा.. जाना भी है उसको....!" मीनू ने कहा और हम तीनो लाइन बनाकर नीचे चल पड़े.. सबसे आगे पिंकी थी और सबसे पिछे मीनू.....

मानव दीवार के साथ तकिया लगाकर अढ़लेता सा हो डाइयरी के पन्ने पलट रहा था... हमारे नीचे जाते ही सीधा होकर बैठ गया....,"पढ़ा इसको...?"

मीनू ने जवाब के लिए मेरी और देखा.. आख़िरकार मुझे बोलना ही पड़ा..,"हां.. पर..."

"क्या लगता है?" मानव ने मुझे बीच में ही टोक दिया...

"ववो.. हमें तो लगता है कि ढोलू झूठ बोल रहा है... या फिर सोनू ने उसको झूठ बोला होगा...!" मेरे कुच्छ बोलने से पहले ही मीनू बोल पड़ी....

"बैठो ना यार.. खड़ी क्यूँ हो तुम..?" मानव ने इस तरह कहा मानो 'वो' हमारे घर में नही; हम उसके घर में हों... खैर.. हम तीनो पहले की तरह लाइन में एक चारपाई पर एक दूसरी से सत्कार बैठ गये.....

"हो सकता है मनीषा ही झूठ बोल रही हो...?" मैने बैठते ही कहा....

"हां.. लगा था मुझे भी.. पर झूठ बोलने के लिए कोई वजह होनी चाहिए... अभी इसको छ्चोड़ो.. पहले असली मुद्दे पर बात करो... अब हमें कोई मामले की तह तक पहुँचा सकता है तो वो है ये 'नया सोनू! जो यहाँ फोन कर रहा है..." मानव ने कहा....

"पर कल से तो कोई फोन आ ही नही रहा उसका?" मीनू तुरंत बोली....

"हुम्म.. उसको ढोलू के पकड़े जाने की खबर मिल गयी होगी.. और ये भी की उसको किस तरह पकड़ा गया है... हो सकता है वो इसीलिए गायब हो गया हो... देखते हैं...."

हुमने सहमति में सिर हिलाया....

"अभी मैं उस लड़के के गाँव जाकर आया हूँ.. जिसके नाम पर इस सोनू ने कनेक्षन ले रखा है... वो तुम्हारे ही कॉलेज में पढ़ता है और शहर में किराए पर कमरा लेकर रह रहा है... आज वो गाँव में ही आया हुआ है.. कम से कम 'वो' तो सोनू नही है... और ना ही शायद उसको इस गोरखधंधे के बारे में कुच्छ पता है... उसको ये भी मालूम नही कि उसके नाम पर किसी और ने कनेक्षन ले रखा है.. अभी मैने उसको डिसकनेक्षन की रिक्वेस्ट डालने से मना कर दिया है...पर एक बड़ी मजेदार बात सामने आई है..." मानव बोलकर हमारी ओर देखने लगा....

"क्या?" मैं और मीनू एक साथ बोले....

"उसने प्रिन्सिपल मेडम के घर कमरा ले रखा है... जो उस दिन स्कूल में मुझे मिली थी...."

"तो?" मीनू ने कहा.. बात मेरी भी कुच्छ समझ में नही आई.....

"तो का तो बाद में पता चलेगा... पर जिस तरह से मास्टर ने उसके सामने ही उसके चरित्रा का गुणगान किया था.. मुझे लगता है कि हमें 'वहाँ' कुच्छ मिल सकता है... हो सकता है कि उस मेडम ने ही 'प्रिन्स' की आइडी सोनू को दी हो...!"

"प्रिन्स कौन?" मीनू ने मानव को टोकते हुए कहा....

"वही जो उसके घर में रह रहा है..... हो सकता है तुम भी जानती हो उसको.. वो तो तुम्हे अच्छि तरह जानता है....!" मानव ने जवाब दिया....

"ओह्ह.. वो प्रिन्स.. हां मैं जानती हूँ.. वो तो बहुत ही शरीफ लड़का है...!" मीनू बोली....

"तुम तो तरुण को भी शरीफ मानती थी.. तुम्हारा क्या है?" मानव ने उसका मज़ाक सा उड़ाते हुए कहा... मीनू बग्लें झाँकने लगी....

"खैर छ्चोड़ो... ढोलू के अनुसार सोनू ने उसको ये बताया था कि किसी ने उनको फोन करके स्कूल में बुलाया था... अगर ऐसा हुआ है तो हो सकता है कि मेडम ने ऐसा किया हो.. आजकल मेडम जो नंबर. यूज़ कर रही हैं.. वो दो दिन पहले का ही लिया हुआ है... उनका पुराना नंबर. भी मैने ले लिया है.. घर जाकर तरुण की कॉल डीटेल में 'वो' ढूँढना पड़ेगा...!" मानव हमे एक एक बात खोल कर बता रहा था....

"आप.. मेडम के पास भी गये थे क्या?" मीनू ने पूचछा...

"नही.. और अभी जाउन्गा भी नही... मैं नही चाहता कि मैं असली मुजरिम को बच निकलने का कोई मौका दूँ... अगर मेडम इस ग़मे में शामिल भी हैं तो वो बस एक मोहरा भर होंगी... हमें 'असली मुज़रिम' तक पहुँचना है.. जो इस खेल का ग्रॅंडमास्टर है.... मेडम के दोनो नो. मैने बातों बातों में प्रिन्स से लिए हैं...

"पर मेडम तरुण को फोन कैसे करेंगी.. 'वो तो उनको जानती भी नही..." मैं खुद को बोलने से रोक नही सकी....

"कुच्छ कह नही सकते... तरुण का ये कहना कि उसके पास कोई 'पार्टी' है.. और मेडम का अजीब सा चरित्र... कुच्छ भी हो सकता है... हालाँकि अभी सब कुच्छ अंदाज़ा ही है.. पर अब अंधेरे में ही तीर मारने पड़ेंगे.. क्या करें?" मानव गहरी साँस लेते हुए बोला.....

"तो क्या सच में ही तरुण को सोनू ने मार दिया होगा... पैसे के लालच में...?" मीनू ने कहा....

"हो भी सकता है और नही भी... " मानव ने कंधे उचकाते हुए कहा..," दरअसल हमें तरुण की बॉडी से कोई फिंगरप्रिंट नही मिला.. और ना ही वो चाकू जिसस'से तरुण का मर्डर किया गया... लेटर्स पर भी सिर्फ़ तरुण की ही उंगलियों के निशान हैं.... पर घान्वो की गहराई बता रही है कि काम किसी तगड़े आदमी का है.. सोनू हो सकता है.. पर ज़रूरी नही... मुझे ढोलू लग रहा था पर उस'से भी कुच्छ नही मिला.. बुल्की मामला कुच्छ और उलझ सा गया.... कुल मिलाकर जब तक मामले की जड़ तक नही पहुँच जाते.. कुच्छ भी सॉफ नही होगा... और जड़ मिलेगी इस नये सोनू के हाथ आने से... अभी मैं सिर्फ़ उसी पर फोकस कर रहा हूँ...!" मानव कहकर चुप हो गया.....

"आप.. लेट नही हो रहे...?" मीनू ने थोडा झिझक कर कहा....

"क्यूँ.. किसलिए?" मानव ने इस तरह प्रतिक्रिया दी जैसे मीनू की बात उसकी समझ में आई ही ना हो....

"नही.. ववो.. मेरा मतलब है की.... 9:30 बज गये हैं...." मीनू ने जैसे तैसे अपनी बात पूरी की....

"ओह्ह्ह.. अच्च्छा.. सॉरी.. चला जाता हूँ!" मानव ने इस तरह कहा मानो उसको ज़बरदस्ती निकाला जा रहा हो... खड़ा होकर मुस्कुराया और बोला..,"मेरी डाइयरी..!"

"ये लो...!" मीनू ने डाइयरी तुरंत उसके हाथ में थमा दी....

मानव ने एक बार और मीनू को देखा और बाहर निकल गया....

"बुला लो ना दीदी... बुरा मानकर गये हैं.. हम उपर सो जाएँगे.. मैं नही बताउन्गि मम्मी पापा को..." पिंकी याचना सी करती हुई बोली....

मीनू असमन्झस से मेरी और देखने लगी.. पर कुच्छ बोली नही....

"मुझे नही पता.. मैं वापस बुलाकर लाती हूँ...!" पिंकी ने मीनू की ओर देखकर कहा और जब उसने कुच्छ नही कहा तो बाहर भाग गयी....

मानव भी शायद ऐसी ही कुच्छ कामना कर रहा था... पिंकी के एक बार कहते ही उसने बाइक बिना स्टार्ट किए अंदर बरामदे में लाकर खड़ी कर दी.... और मुस्कुराता हुआ कमरे के अंदर आ गया..,"अगर तुम मुझे वापस नही बुलाती तो मैं इस दिन को हमेशा याद रखता... इतनी रात को घर से निकाल दिया....!"

"नही.. ववो.. मम्मी पापा होते तो..." मीनू ने आगे कुच्छ नही कहा....

"ठंड में बाइक चला कर देखना कभी.. पता चल जाएगा अपने आप....!" मानव ने कहा और वापस उसी चारपाई पर बैठ गया.....

"हम खाना खाकर आ जायें..?" मीनू नज़रें झुकाए हुए ही बोली....

"हां क्यूँ नही...!" मानव मीनू के चेहरे को देख मुस्कुराता हुआ बोला...

क्रमशः....................
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