RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--39
गतान्क से आगे..................
"तो तुम दो रह गयी... अब भी सोच लो.. मैने पहले ही बहुत टाइम दे दिया है तुम दोनो को.. बाद में ये मत कहना कि सीमा दीदी ने ये क्या किया.. एक मिनिट और दे रही हूँ...!" सीमा ने दूसरी तरफ रह गयी दोनो लड़कियों को घूरते हुए कहा...
पर उन्न लड़कियों की ज़ुबान ने कोई हरकत नही की.. वो ऐसे ही सिर झुकाए खड़ी रही.. हां! एक दूसरी के पिछे छिप्ने की कोशिश में दोनो पिछे दीवार की तरफ खिसकती जा रही थी... सीमा द्वारा दिए एक मिनिट में और कुच्छ नही हुआ.. सिवाय उनके कोने में जाकर एक दूसरी से चिपक कर खड़े होने के....
सीमा दीवार घड़ी की तरफ लगातार ऐसे घूर रही थी जैसे कोई रॉकेट छ्चोड़े जाने का काउंटडाउन चल रहा हो... सीमा के अलटिमेटम के बाद जैसे ही सेकेंड वाली सुईन ने एक चक्कर पूरा किया.. सीमा बोली..,"ज्योति.. 'टाइगर' निकाल कर ला...!"
"जी दीदी...!" ज्योति थोड़ी सकुचा कर बोली और खड़ी होकर अलमारी की तरफ लपकी...
"मम्मी कसम दीदी जी.. मैने आज तक कुच्छ नही किया... मुझे छ्चोड़ दो...! कास्साम से दीदी जी.. मैने कभी ग़लत बात नही....." सीमा के मुँह से 'टाइगर' निकाल कर लाने की बात सुन एक लड़की ने फूट फूट कर रोना शुरू कर दिया...
"चुप!" सीमा ने लड़की को जैसे ही घूरा... उसका बात उसके हलक में अटक कर रह गयी..," अभी मैने तेरा पकड़ा ही क्या है जो इतनी...!"
सीमा कुच्छ कह ही रही थी कि ज्योति 'टाइगर' छुपा कर लाई और सीमा को पकड़ा दिया...
"इसको पहचानती हो ना?" सीमा ने 'टाइगर' को बिस्तेर पर सीधा खड़ा करके पूचछा और मुस्कुरा कर लड़कियों के चेहरों को पढ़ने लगी....
मुझे लगता है कि सबका वही हाल हुआ होगा जो 'टाइगर' को देख कर मेरा हुआ था... 'उस' को नज़र भर कर देखते ही मेरे बदन के 'उस' हिस्से में अचानक चीतियाँ सी रेंगने लगी.. ज़्यादा देर तक उस पर नज़रें गड़ाए भी ना रह सकी.. 'डर' था कहीं दूसरी लड़कियाँ मेरी ललचाई नज़रों को पढ़ ना लें....
दरअसल 'टाइगर' 20 रुपए वाली 'मोमबत्ती' था जो सीमा (शायद) की अद्भुत और बेजोड़ कारीगरी का सबूत बनकर हमारी नज़रों के सामने 'तना' हुआ खड़ा था... बड़े ही सुन्दर वास्तु-कौशल का परिचय देते हुए 'उस' मोमबत्ती को लगभग 8 इंच लंबे और इतनी ही गोल परिधि वाले 'लिंग' में बदल दिया गया था.. 'टाइगर' की मंडी भी एकदम लिंग के सूपदे की तरह लग रही थी; बाकी हिस्से से थोड़ी 'मोटी' और आगे थोड़ा पैनापन लिए हुए... मुझे तो वो एकदम सुन्दर के लिंग का हू-बहू 3डी मॉडल लगा था.. बस नीचे लटकने वाले 'गोलों' की जगह मोमबत्ती का स्टॅंड ज्यों का त्यों छ्चोड़ दिया गया था.. 'वो' भी शायद इसीलिए छ्चोड़ा गया होगा कहीं बदहवासी में 'टाइगर' अंदर ना खो जाए....
विडंबना कि उस घड़ी में भी कमरे में मौजूद हर लड़की रह रह कर तिरछि नज़रों से 'टाइगर' को निहारने का लालच छ्चोड़ नही पा रही थी... पर कुच्छ बोलने का साहस भी कोई नही कर पा रही थी....
"इधर आ..!" सीमा ने तीखे तेवरों से सुनयना को उंगली से अपने पास आने का इशारा किया.. बेढंगे कदमों से हड़बड़ाहट में चलकर सुनयना सीमा के पास आकर खड़ी हो गयी...,"ज्जजई... जी क्या दीदी जी?"
"बोलती क्यूँ नही...?...मेरी तरफ देख! जानती है ना इसको...?" सीमा ने गुर्रकार पूचछा...
"आ.हाआँ दीदी जी.. पता है...?" सुनयना की इस बार नज़रें चुराने की भी हिम्मत नही हुई....
"तो बताती क्यूँ नही...? बोल जल्दी.. इसका नाम बता...!"
"ज्जई.. ये 'वो' है...!" सुनयना ने नज़रें झुका कर झुरजुरी सी ली....
"वो क्या तेरी...." सीमा ने शब्दों को चबाते हुए कहा और फिर तैश में बोली..," खीरे को यहाँ रख दे.. साथ में लेकर सोने का इरादा बना लिया है क्या?"
सीमा के कहते ही खीरा सुनयना के हाथों से छ्छूट कर फर्श पर गिर पड़ा...
"ले.. पकड़ इसको.. हाथ में लेकर पहचान ले.." सीमा ने 'टाइगर' उठाकर झिझक रही सुनयना की मुथि में पकड़ा दिया..," ज़्यादा टाइम वेस्ट मत कर.. मुझे और भी काम हैं.. सामने करके नाम बता इसका.. नही तो..."
"ज्जई.. Pप्पेनिस!" सुनयना ने आख़िरकार बोल ही दिया...
"ज़्यादा अँग्रेजन मत बन.. हिन्दी में समझा दे.. वरना इसको तेरे 'वहाँ' घुसे..."
सीमा ने अपनी धमकी पूरी भी नही की थी कि लड़खड़ाती हुई ज़ुबान से सुनयना ने बोल ही दिया...," ज्जई.. लिंग!"
"चल उधर हट.. तेरे बस का कुच्छ नही है.. मुझे पता चल गया तू गंडवी है एक नंबर. की...सस्सली शरमाती है...." सीमा ने उसके हाथ से 'टाइगर' छ्चीन लिया....,"तू आ.. क्या नाम है तेरा..?" सीमा ने उसी ग्रूप से एक और लड़की को बुलाकर 'टाइगर' उसके हाथ में थमा दिया...,"बता.. क्या नाम है..?"
लड़की को जल्दी पिच्छा च्छुड़वाना था शायद... बेचारी ने 'टाइगर' हाथ में लेते ही ऊँचा उठाया और झट से बोली...,"लौदा.....!"
मैं उसके बेबकीपाने पर अचरज से उसकी ओर देख ही रही थी की सीमा ज़ोर ज़ोर से हंसते हुए बिस्तर पर लोटपोट होने लगी.. उसके साथ ही ज्योति और आरती भी खिलखिला उठी थी.... मेरी समझ में माजरा आया नही था.. नाम पूचछा था.. अगली ने नाम बता दिया.. हँसने वाली क्या बात है इसमें....!
जी भर कर उसकी रॉनी सूरत को देख कर पेट पकड़ कर हंस रही सीमा थोड़ी देर बाद कुच्छ शांत हुई और बोली..,"मैने तेरा नाम पूचछा था चूतिया..." और कमरे में ठहाका गूँज उठा....
"ज्जई नही दीदी.. मैने समझा आप... मेरा नाम तो धीरज है...!" लड़की की सूरत देखते ही बन रही थी....
सीमा की हँसी अब तक बंद नही हुई थी...,"ठीक है.. अब इसका नाम बता..!" सीमा ने हंसते हंसते दूसरी लड़कियों की और देखा...
इस बार धीरज की आवाज़ से 'वो' जोश' गायब था जो उसने 1 मिनिट पहले दिखाया था..,"ज्जई.. इसका नाम.. लौदा है...!"
"चल शाबशह.. पूरे नंबर. दिए तुझे... ऐसे ही बेबाक रहना.. नही तो दुनिया मा चोद देगी तेरी...." सीमा ने उसके हाथ से लौदा ले लिया... और दूर सहमी खड़ी लड़कियों की और देख कर बोली..,"तुम्हे मैं कुच्छ नही कह रही.. डरो मत! मज़ा लेना है तो खड़ी रहो.. जाना है तो बोल दो...!"
दोनो में से कोई कुच्छ नही बोली.. एक बार एक दूसरी की आँखों में देखा और फिर से सिर झुका लिया....
"जल्दी बोलो.. मज़े लेने हैं या जाना है..?" सीमा ने एक बार फिर पूचछा...
"जाना है दीदी...!" एक ने बोल ही दिया...
"और तुम्हे...?" सीमा ने दूसरी की ओर देखा...
"मुझे भी.. अगर आप जाने दो तो...." आवाज़ में घबराहट सी लिए दूसरी लड़की के मुँह से निकला....
"मैं ही तो बोल रही हूँ... पर ध्यान रखना... कल को मुझसे काम भी पड़ेगा... आज के बाद इस कमरे में पैर रख दिए तो टांगे तोड़ दूँगी...!"
"मैं नही जा रही दीदी...!" दूसरी लड़की ने एकदम से अपनी बात बदल दी...
"ठीक है..." सीमा मुस्कुराते हुए बोली और फिर पहली लड़की की ओर देखा..,"तू?"
लड़की ने गर्दन ना में हिलाई और अपना सिर झुका लिया....
"शाबाश...!" सीमा ने कहा और दूसरी 'टीम' में से तीसरी लड़की को आगे बुलाया....
"ले पकड़!" सीमा ने उसके हाथों में टाइगर पकड़ा दिया...,"चल नाम बता..!"
"जी.. मेरा.. या इसका..?" लड़की ने संभाल कर बोला....
"अच्च्छा.. तुम तो बहुत स्मार्ट हो यार..!" सीमा ने व्यंगात्मक लहजे में कहा और फिर बोली..," अपना और इसका नाम साथ साथ बता... और कुच्छ नही बोलना... समझ गयी ना....?"
"ज्जई..."
"तो बता ना फिर...?"
लड़की ने नज़रें झुका ली...," जी.. कामना.." और थोड़ा रुक कर बोली...,"लौदा!"
"ये नही.. ये तो बता दिया इन्न दोनो ने.. कोई दूसरा नाम बता...!" सीमा आसानी से किसी का पिच्छा नही छ्चोड़ना चाहती थी...
कामना के चेहरे पर मायूसी और कामुकता; दोनो का आवरण था...," लंड!"
"किसने बताया...?" सीमा ने पूचछा....
"ज्जई.... बस ऐसे ही.. एक दीवार पर लिखा देखा था...!"
"क्यूँ.. तेरा यार चूतिया है या गूंगा.. उसने नही बताया...?"
"जी..." लड़की पानी पानी हो गयी...,"उसने भी बाद में बताया था.. एक बार..."
"चल छ्चोड़... काम क्या है इसका... ये बता...!" सीमा बोली..
कामना अपनी मुथि में 'टाइगर' को कसकर भींचे खड़ी थी...,"ज्जई.. सेक्स करते हैं..!"
"याररररर... फिर अँग्रेज़ी... मैने हॉस्टिल में आज तक इतनी शर्मीली लड़कियाँ नही देखी... कैसे रहोगी यहाँ... परसों तो इतनी देर में एक लड़की ने अपनी चूत में घुसा कर भी देख लिया था.... लगता है तुम्हे मुझे ही ये सब सिखाना पड़ेगा...!" सीमा ने कहते हुए उन्न लड़कियों को कसा और फिर सबसे पिछे छिप्कर खड़ी लड़की का रुख़ किया..,"आगे आजा यार... शर्मा मत.. अभी तो बहुत कुच्छ बाकी है...!"
लड़की सीमा की बात का मतलब समझ गयी और आगे आकर बिना कहे ही कामना के हाथ से 'टाइगर' झपट लिया.....
"क्या नाम है तेरा?"
"ज्जई.. प्रमिला..!" लड़की बिना झिझक के बोली...
"और ये तूने हाथ में क्या पकड़ लिया प्रमिला!" सीमा अपनी आवाज़ को हद से भी ज़्यादा मीठी करके बोली और बत्तीसी निकाल दी....
"ज्जई.. लोला!" प्रमिला धीरे से बुदबुदाई....
"थोड़ी तेज बोल यार..."
"जी लोल्ला!" प्रमिला ने कहा और शरमाते हुए भी मुस्कुरकर सीमा को खुश करने की कोशिश की....
"क्या करते हैं इसका.. ये भी बता दे अब!" सीमा ने चटखारा लिया....
"मैं बता दूँ तो आप गुस्सा तो नही करोगी ना...दीदी?" प्रमिला ने सीमा को मक्खन सा लगाते हुए कहा...
"लो बोल... अरे मैं ही तो पूच्छ रही हूँ मेरी भोली भली छम्मक छल्लो.. मैं क्यूँ गुस्सा करूँगी भला... चल बता.. पुच्च्च.."
"इसको अपनी चूत में लेते हैं दीदी...!" प्रमिला ने बिना हिचकिचाए बड़ी हिम्मत करके बोल दिया....
"अच्च्छा...." सीमा खुश होकर बोली..,"शाबाश... फिर क्या करते हैं..?" सीमा आलथी पालती मारकर बैठ गयी....
"फिर.. दीदी....." प्रमिला शायद समझ गयी थी कि सीमा इतनी जल्दी किसी को नही छ्चोड़ने वाली... जाने कैसे हिम्मत करके उसने पहली बात बोल दी थी.... अब की बार उसकी आवाज़ में थोड़ी हिचकिचात सी लगी...,"फिर.. इसको आगे पिछे करते हैं दीदी...!"
"ओह तेरी तो.. अभी से ही तू पिछे भी करने लगी..." सीमा कहकर हँसी तो सबने उसकी ताल से ताल मिलाकर हँसना शुरू कर दिया.... चाहे किसी की बात समझ में आई हो या नही.. पर मैं अब भी नही हँसी थी... मुझे सबकुच्छ बड़ा वाहयात सा लग रहा था....
"नही दीदी.. मेरा मतलब.... ऐसे.." प्रमिला ने अपनी जांघों के बीच सलवार के उपर 'टाइगर' को रखा और उसको उपर नीचे करके दिखाते हुए अपनी बात पूरी की..," आगे पिछे करते हैं....!"
जी भर कर हंस लेने के बाद जैसे ही सीमा चुप हुई.. कमरे में सन्नाटा च्छा गया.. सबके होन्ट वापस सील गये...," फिर क्या होता है...?"
"ज्जई.. क्या?" प्रमिला को इतने सवालों की उम्मीद नही थी....
"अरी आगे पिछे करते हैं.. फिर.. आगे बता?" सीमा ने समझाया....
"ज्जई.. फिर बच्चे हो जाते हैं...!" प्रमिला ने शॉर्टकट दे मारा...
"क्यूँ? तू तेरे बाप ने ऐसे ही 'लॉल्ले' से पैदा की थी क्या..?" सीमा ने एक बार फिर बकवास सा डाइलॉग मारा और लड़कियों ने उस'से पहले ही हँसना शुरू कर दिया....
"दीदी.. मेरा मतलब 'असली' वाले से करते हैं तब...!" प्रमिला झेंप कर बोली....
"कितने असली लिए हैं तूने....?" सीमा ने तुरंत अगला सवाल दाग दिया...
प्रमिला ने सकपका कर सीमा को देखते हुए कुच्छ कहना चाहा ही था कि दरवाजे पर खटखट हुई....
"ला इसको इधर दे...!" सीमा ने प्रमिला के हाथ से 'टाइगर' लिया और तकिये के नीचे छिपा लिया...," आराम से बैठ जाओ सब.. वहाँ..!" सीमा ने दूसरे बेड की और इशारा किया जहाँ पिंकी लेटी थी... मैं तो पिंकी को भूल ही गयी थी.. अब देखा तो पाया 'वो' तो कंबल में घुसी सो रही थी...
ज्योति ने दरवाजे पर जाकर सीमा की ओर देखा और उसके इशारा करने पर कुण्डी खोल दी... मैं देख कर हैरान रह गयी.. लड़कियों के होस्टल में लड़का भी आ सकता है?
"सीमा में'शाब... बड़ी मेडम आ रही हैं.. यही बताने आया था...!" लड़के ने कहा और अपनी बत्तीसी निकाल दी....
"ठीक है.. कोई बात नही... मॅ'म के जाने के बाद आना एक बार.. समझ गये ना..!" सीमा ने बैठे बैठे कहा....
"हे हे हे... कुच्छ काम है क्या में'शाब!" लड़का जांघों के बीच अपनी लूँगी के उपर ही खुजाता हुआ बोला....
"तेरी गांद में ये दे दूँगी ज़्यादा बोला तो...!" सीमा ने 'टाइगर' निकाल कर उसको डराया.. और गुस्सा सा करती हुई बोली...,"ज़्यादा मत बोला कर तू...!"
"हे हे हे..." लड़के पर सीमा की बातों से कोई फ़र्क नही पड़ा.. शायद उसकी आदत हो गयी होगी...,"आ जाउन्गा मेम'शाब... बताओ ना.. मुझे कुच्छ करना है क्या?" लड़के के हाथ अभी तक अपनी लूँगी पर ही थे और नज़रें एक एक करके सारी लड़कियों को देखते हुए मुझ पर आकर टिक गयी थी.....
"तू जाता है या....." सीमा ने कहा और अजीब से ढंग से हँसने लगी...
"बाइ मेम'शाब... मैं आ जाउन्गा.. हे हे हे...!" लड़के ने कहा और बाहर चला गया....
"हम जायें क्या दीदी...?" यूयेसेस लड़के के जाते ही एक लड़की खड़ी हो गयी....
"क्यूँ?" सीमा ने उसको घूरा...
"नही.. ववो.. बड़ी मेम आ रही हैं ना.. इसीलिए पूच्छ रही थी...!"
"तो क्या हो गया..? तुम मेरे पास हो यार... ये गुरुकुल मेरे बाप का है...." सीमा ने छाती चौड़ी करके बताया... "अगर तुम मेरे साथ हो तो किसी से डरने की ज़रूरत नही.... समझी!"
"जी दीदी जी..." एक साथ सभी लड़कियों ने संगीतमय ढंग से गुनगुनाते हुए कहा... लगता है अब सब अच्छे से समझ गयी थी....
gataank se aage..................
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