RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--40
गतान्क से आगे..................
"चल अब दरवाजा बंद कर दे.. हो गया 'पोपो' का राउंड!" बड़ी मॅ'म के जाते ही सीमा ने ज्योति की ओर इशारा किया... दरअसल प्रिन्सिपल मॅ'म आई थी... उनके आते ही पिंकी और सीमा को छ्चोड़ कर हम सब बिस्तर से उठ खड़ी हुई थी... मॅ'म ने अंदर आते ही सीमा की और देख कर पूचछा था," सब ठीक है ना बेटी..?" और जवाब में सीमा की मुस्कुराहट देख कर चली गयी थी....
"चलो, आ जाओ!" दरवाजा बंद होते ही सीमा ने लड़कियों को अपने पास बुला लिया... सीमा की पूचहताच्छ से बची हुई दोनो लड़कियाँ बाकी चारों के पिछे छिप कर खड़ी हो गयी...
"अब इसका डेमो कौन दिखाएगा?" सीमा ने 'टाइगर' हवा में लहराते हुए लड़कियों से सवाल किया...
हर बार की भाँति लड़कियाँ इस बार भी एक दूसरी का चेहरा देखने लगी... किसी के मुँह में शब्द नही थे...
अचानक सीमा का ध्यान कोने में खड़ी एक दूसरी के कानो में ख़ुसर फुसर कर रही लड़कियों पर पड़ा...,"तुम वहाँ क्यूँ खड़ी हो अभी भी.... आगे आ जाओ अब!"
"नींद आ रही है दीदी... हम जायें क्या?" दोनो में से एक लड़की मिमिया कर बोली...
"कहा ना आगे आ जाओ.. तुम तो मेरी नर्मी का नाजायज़ फ़ायडा उठाने लगी हो.. यहाँ आओ चुपचाप.. हां... " सीमा के बोलना शुरू करते ही दोनो लड़कियाँ आगे सरक कर बाकी चारों के साथ खड़ी हो गयी थी... उनके सामने आते ही सीमा ने बोलने वाली लड़की की तरफ 'टाइगर' बढ़ा दिया...,"ले पकड़ इसको!"
'टाइगर' को अपनी तरफ बढ़ता देख 'वो' लड़की फड़कते हुए इस तरह पिछे हटी मानो 'टाइगर' सचमुच का टाइगर हो...,"कास्साम से दीदी जी.. मैने कुच्छ नही किया...!" लड़की रोनी सूरत बना कर दो कदम पिछे हटी और अपने हाथों को कमर के पिछे छिपा कर 'टाइगर' को टुकूर टुकूर देखने लगी.... तभी दरवाजे पर दस्तक हुई... सीमा अपना हाथ वापस खींच कर ज्योति से बोली..,"खोलना.. सलीम आया होगा..!"
'वो सलीम ही था... जिस अंदाज में गया था.. उसी में प्रकट हुआ... बत्तीसी निकाले हुए.. अपने हाथ को 'लूँगी' पर टिकाए हुए...," मैं आ गया मेम'शाब!"
सीमा ने उसकी बात का कोई जवाब दिए बिना 'टाइगर' वापस लड़की की ओर बढ़ा दिया..,"ले! पकड़ती है या असली वाला टाइगर पकदाउ?"
सलीम की मौजूदगी में कमरे में मौजूद हर लड़की असहज हो गयी थी.. यहाँ तक की मैं भी... जहाँ पहले लड़कियों की नज़र ज़्यादातर समय 'टाइगर' पर ही टिकी हुई थी.. वहीं अब ज़्यादातार लड़कियाँ कनखियों से असली 'टाइगर' वाले सलीम की ओर देख देख कर लजा सी रही थी...
लड़की शायद सीमा की धमकी का मतलब समझ गयी थी.. काँपते हाथ को आगे लाकर उसने 'टाइगर' को अपने अंगूठे और एक उंगली से ऐसे पकड़ा जैसे हम लड़कियाँ 'उसे' किए हुए 'नॅपकिन' को पकड़ कर 'वहाँ' से हटती हैं.... नज़रें ज़मीन में गड़ाए वा 'टाइगर' को अपने शरीर से ज़्यादा से ज़्यादा दूर रखने की कोशिश में हाथ को उपर ही उठाए हुए थी....
"क्या हुआ? डर लग रहा है क्या? अच्छि तरह मुट्ठी में पकड़ इसको...!" सीमा हंसते हुए भी गरज कर बोली....
"मुझे... मुझे घिन आ रही है दीदी जी..." लड़की ने सहमी हुई नज़रें उपर उठाकर सीमा को याचना की दृष्टि से देखा....
"अच्च्छा!" सीमा कटाक्ष सा करती हुई बोली...,"घिन आ रही है तुझे... तुझे पता है 'ये' हॉस्टिल की 'जान' है... कल को तू ही इसको 5 मिनिट के लिए माँगने आएगी..." सीमा ने गुर्रटे हुए कहा.... और फिर बोली...,"चलो अभी जाओ.. बाकी बातें कल सुबह करूँगी.... तू यहीं रुकना अभी...!" सीमा ने उस लड़की को वहीं रोक लिया जिसने 'टांका' टूट'टने की हामी भरी थी.....
बाकी लड़कियों ने राहत की साँस ली और एक एक करके कमरे से बाहर निकल गयी.... सलीम का हाथ अपनी लूँगी से हट नही पा रहा था... वह भूखी नज़रों से कभी मुझे और कभी उस लड़की को देखने लगा....
"हां.. अब बता.. क्या नाम है तेरा?" सीमा ने अपने सामने सहमी खड़ी लड़की से पूचछा....
"ज्जई.. स्वेता!"
"हुम्म.. और तेरा टांका कैसे टूटा?" सीमा ने नाम सुनते ही अगला सवाल कर डाला....
"ज्जजई..." लड़की ने हड़बड़कर पहले सलीम की और देखा ओर फिर सीमा की और देख कर अपना सिर झुका लिया....
"इस'से शरमाने की ज़रूरत नही है... ज़्यादा शरमाएगी तो इसकी लूँगी उतरवा दूँगी तेरे सामने... समझी!" सीमा ने धमकी सी दी....
"ज्जई.. दीदी.. आप अकेले में कुच्छ भी पूच्छ लो... प्लीज़.. रिक्वेस्ट है!" लड़की घिघिया कर बोली....
"सलीम!" सीमा ने सलीम की ओर देख कर उसका नाम पुकारा....
"जी.. मेम'शब.. खोल दूँ क्या?" सलीम अब भी ऐसे ही बत्तीसी निकाले अपनी लूँगी के उपर से खुरच रहा था 'अपने' टाइगर को.....!"
लड़की सलीम की बात सुनकर घबरा गयी और झट से उसने उगल दिया....,"ज्जई.. वो... स्कूल में हो गया था एक बार...!"
"पूरी बात बताने का इरादा है या सिर्फ़ टाइम वेस्ट कर रही है मेरा...!" सीमा को इतनी सी बात से शांति नही हुई...
"ज्जई.. बता रही हूँ..." स्वेता ने बेचारा सा मुँह बनाकर सलीम की ओर देखा...,"पिच्छले साल स्कूल में हेडमास्टर ने...." स्वेता की ज़ुबान बीच में ही अटक गयी......
"ओह तेरी तो.. मास्टर से मज़े ले लिए... जवान था क्या?" सीमा ने चटखारा लेकर पूचछा तो स्वेता ने 'ना' में गर्दन हिला दी....
"तो?" सीमा ने फिर पूचछा....
"40.. 50 साल का..." श्वेता ने दबे सुर में बताया.....
"क्या बात है... बुड्ढे ने तुझे फँसाया या तूने बुड्ढे को...!" सीमा हँसती हुई बोली..... श्वेता के लब हिल नही पाए....
"मैं आख़िरी बार पूच्छ रही हूँ... वरना...." सीमा ने गुर्रटे हुए कहा और ज्योति और आरती से बोली..,"तुम लोग बाहर जाओ.. लगता है सलीम की लूँगी उतरवानी ही पड़ेगी.....!"
"नही दीदी जी.. बता रही हूँ ना... उसने हमें देख लिया था.... क्लास रूम में..." स्वेता के बताते बताते ज्योति और आरती बाहर जा चुकी थी...!"
"दरवाजा बंद कर ले सलीम..." सीमा ने सलीम को कहा और फिर मुझे देख कर बोली..," तुम्हे भी जाना है तो जाओ बेशक...!"
"नही ठीक है दीदी..." मैने फीकी सी मुस्कान सीमा की ओर फैंकी...
"उतार दूं मेम'शब!" सलीम की उत्सुकता देखते ही बन रही थी.....
क्रमशः...............................
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