RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--41
गतान्क से आगे..................
"चुप करके कोने में खड़ा हो जा..!ये सुना रही है शायद.." सीमा ने सलीम को डांटा और श्वेता की ओर मुँह करके बोली,"सुना रही है ना?"
"ज्जई.. दीदी जी..!" श्वेता ने एक बार और कोने में जाकर खड़े हो गये सलीम से नज़रें चार की ओर सिर झुका कर बोली..,"सिर्फ़.. इश्स लड़के को तो भेज दो.. प्लीज़!"
"क्यूँ.. फिर क्या हो जाएगा..?" सीमा गुर्रकार बोली...
"प्लीज़ दीदी.. इसके सामने बहुत शर्म आ रही है...!" श्वेता ने अनुनय की...
"अच्च्छा.. बुड्ढे के सामने नही शरमाई.. इश्स छ्होकरे से शर्मा रही है तू?" सीमा व्यंगया करते हुए बोली....
"पर दीदी... ववो...!" श्वेता जो कुच्छ कहना चाहती थी.. सीमा के बोलते ही उसके हलक में ही घुट कर रह गया..,"सीधे तरेके से सुना दे.. वरना.. तुझे पता है मैं क्या करूँगी...!"
"ववो.. उसने हमें क्लासरूम में अकेले देख लिया था दीदी...!" श्वेता के पास और कोई चारा भी ना था....
"किसके साथ? और क्या करते देख लिया था...? शॉर्टकट मत मार खुल के बता पूरी बात...!" इस बार सीमा ने इस तरह बोला जैसे उसने अपना आपा खो दिया हो...
"ज्जई.. मीना के साथ देख लिया था.. रिसेस में...!" श्वेता ने हुलक में अटका थूक गटका...
"मीना?.. वो लड़की थी क्या?" सीमा ने गौर से पूचछा..
"ज्जई....!" श्वेता इतना बोल कर चुप हो गयी...
"अरी फिर क्या हुआ... फुल स्टॉप मत कर.. क्या कर रहे थे.. तुम वहाँ...?" सीमा ने मस्ता कर कहा,"देख.. यहाँ सारी लड़कियाँ अपनी बात शेर करती हैं मुझसे.. घबरा मत.. और सलीम तो बड़े काम का लड़का है.. इसकी तो चिंता ही छ्चोड़ दे... चल बोल.. क्या कर रहे थे तुम दोनो...?"
"ज्जई.. कुच्छ नही.. मीना ने ही बोला था मुझसे...!" श्वेता अब तक खुलकर बता नही पा रही थी...
"क्या?"
"ववो.. उसने दरवाजा बंद करके.... नही दीदी.. सलीम को बाहर निकाल दो पहले...!" श्वेता कसमसा कर बोली...
"सलीम... लूँगी उतार दे अपनी.. पहले इसकी शर्म खोलनी ज़रूरी है.. तुझसे शर्मा रही है ये...!" सीमा ने सलीम की ओर चेहरा घुमा कर कहा...
"नही दीदी.. प्लीज़.. ववो.. " अब की बार श्वेता इस'से ज़्यादा बोल पाती.. इस'से पहले ही सलीम की लूँगी उसके कंधे पर थी... शवेता ने एक पल के लिए घबराकर सलीम की जांघों के बीच झटके खा रहे काले, मूसल से लिंग को देखा और घबरा कर अपनी आँखें बंद कर ली.... सुन्दर के बाद मैने पहली बार इतना मोटा लिंग देखा था... मैं चाहकर भी उसको निहारते रहने का लालच छ्चोड़ नही पाई... सलीम लिंग को अपनी मुथि में पकड़ कर खड़ा हो गया....
"अब बोल.. बता रही है या सलीम को 'कुच्छ' करने को कहूँ....
"बता रही हूँ दीदी.. हम दोनो आपस में चिपक कर बैठे थे.. दरवाजा बंद करके..." श्वेता ने अब तक अपनी आँखें नही खोली थी....
"चिपक कर कैसे? आख़िरी बार बोल रही हूँ.. ये शर्म तुझे आज फिर चुदवा कर छ्चोड़ेगी सलीम से...!.. खुल के बोल सबकुच्छ.. अब की बार मुझे बोलना पड़ा तो मैं सलीम से बात करूँगी... समझ गयी!"
"ज्जई.. हमने स्कर्ट पहनी हुई थी... उसने कहा कि देख तुझे कितने मज़े आएँगे.. कहकर उसने दरवाजा बंद किया और मेरी शर्ट के बटन खोल कर मेरी... 'इनको' पीने लगी... मैने एक दो बार मना किया.. फिर मुझे मज़े से आने लगे... थोड़ी देर बाद उसने मेरी स्कर्ट उपर उठा कर 'वहाँ' उंगली से च्छेदना शुरू कर दिया...." श्वेता ने बोला बंद करके एक लंबी साँस ली.. और फिर शुरू हो गयी...
जैसे जैसे वा बोलती जा रही थी.. सलीम के लिंग में और अधिक तनाव आता जा रहा था....," उसने मुझे अपने 'वहाँ' उंगली घुसाने को कहा और फिर कहकर आगे पिछे करवाने लगी... तभी हेडमास्टर ने दरवाजा खटखटाया.. हम दोनो डर गये... हमने अपने बटन बंद किए और दरवाजा खोल दिया... सामने सर खड़े थे..."
"हूंम्म.. पर तुम दोनो फँसी कैसे... बटन ढंग से बंद नही किए थे क्या?" सीमा उसकी बात में पूरा इंटेरेस्ट ले रही थी....
"ज्जई.. ववो तो कर लिए थे दीदी... पर हेडमास्टर ने डाँटकर पूचछा तो मीना ने बोल दिया....!" श्वेता ने आँखें खोल कर सीमा की ओर देखा....
"क्या बोल दिया?.. ये भी तो बता!" सीमा ने पूचछा...
"यही कि हम दोनो ग़लत काम कर रहे थे....!" श्वेता ने नज़रें झुका ली....
"हेडमास्टर ने पूचछा नही क्या कि कौनसा ग़लत काम?" सीमा ने पूचछा....
"ज्जई.. ववो.. तो मीना ने अपने आप ही बता दिया था.... बिना पूच्छे ही...!" श्वेता ने बताया...
"क्या बता दिया था अपने आप.. मुझे भी तो बता ना...!" सीमा बोली...
"ज्जई.. यही कि हम दोनो एक दूसरी की.." श्वेता की ज़ुबान लड़खड़ा सी गयी थी और उसके गोरे गोरे कमसिन गालों पर लाली छा गयी...," हम दोनो एक दूसरी की चूत में उंगली......!"
"अर्रे वाह.. मीना तो बड़ी दिलेर निकली.. फिर क्या हुआ?" सीमा ने चटखारा लेकर पूचछा....
"फिर... फिर हेडमास्टर ने हमें ऑफीस में बुला कर डांटा और मीना से 'वो' सब कुच्छ लिखवा लिया जो हम कर रहे थे...."
"वेरी स्मार्ट! चल बोलती रह... तुझसे नही लिखवाया था क्या?" सीमा ने प्ूवच्छा...
"ज्जई.. बोला तो था.. पर मैने लिखा नही....!" श्वेता नज़रें नही मिला पा रही थी अब....
"फिर?"
"फिर सर ने कहा की उसी कागज पर नीचे उन्हे दोनो के घर वालों के साइन चाहियें...!" श्वेता असहज सी हो गयी थी...
"हूंम्म.. ब्लॅकमेलिंग का मामला बनता था उस पर... चल छ्चोड़.. आगे बता.. बड़ी मजेदार कहानी है यार.... फिर तुमने क्या किया...?" सीमा बोली....
"फिर मीना ने कहा की छुट्टी के बाद दोनो सर से रिक्वेस्ट करेंगे... मैं बहुत डरी हुई थी.. पर उसने कहा कि वह 'सर' को मना लेगी...!" श्वेता फिर चुप हो गयी....
"फिर क्या हुआ.. छुट्टी के बाद चोदा होगा उसने तुम दोनो को...!" सीमा ने मज़े लेते हुए पूचछा....
"नही.. मुझे सिर्फ़...... नंगी किया था यूयेसेस दिन...!" श्वेता झुरजुरी सी लेकर बोली...," मीना को.... किया था...!"
"तेरे सामने ही..?" सीमा का हाथ उसकी गोद में रखे तकिये के नीचे चला गया... और नज़रें सलीम के 'तँटानाए' हुए लिंग पर.... जहाँ मेरी भी नज़र ठहरी हुई थी... वो श्वेता की बातें बड़ी ध्यान से सुनते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहा था....
"हाँ!" श्वेता ने सिर हिलाकर जवाब दिया....
"क्यूँ चूतिया बना रही है यार... तुझे नंगी कर लिया.. और कुच्छ किया भी नही..." सीमा विचलित सी होती जा रही थी....
"अगले दिन किया था.. उस दिन तो सिर्फ़ रास्ता बनाया था....!" श्वेता भोलेपन से बोली...
"कैसे? बता ना फिर?" सीमा ने उत्सुकता से पूचछा...
"पहले 'तेल' में उंगली डुबोकर....... धीरे धीरे अंदर की थी... बाद में अंगूवथे से.....!" श्वेता सकुचा कर बोली....
"मज़ा आया था तुझे?"
सीमा ने पूचछा तो श्वेता ने 'ना' में गर्दन हिला दी....
"झूठ बोलती है.. अभी सलीम से करके दिख्वाउ 'मज़े' आते हैं या नही...?" सीमा एक बार फिर गुर्राय....
"आए थे.. थोड़े थोड़े..." श्वेता घिघिया कर बोल उठी....
"और क्या क्या हुआ था उस दिन...?" सीमा ने आगे पूचछा....
"मेरी.... छातियो को हथेली में लेकर धीरे धीरे मसला था पहले.. फिर इनको चूसा था..."
"फिर?"
"फिर 'अपना' निकाल कर दिखाया और मेरे हाथ में पकड़ा दिया...." श्वेता थोड़ी हिचक के बाद बोली...
"कैसा था...?"
"गरम गरम था दीदी...!" श्वेता की झिझक खुलती जा रही थी...
"अरे गरम तो होता ही है.. कितना बड़ा था?" सीमा झल्लते हुए बोली....
श्वेता ने झिझकते हुए कनखियों से 'सलीम' के फंफंते लिंग पर निगाह डाली और फिर थोड़ा रुक कर बोली..,"इतना नही था दीदी... इस'से छ्होटा था....!"
"अच्च्छा.. फिर?" सीमा सलीम की और देख कर हंसते हुए बोली....
"फिर मुझे नीचे बैठकर मेरे मुँह में डाला था...!"
"बोलती रह ना.. हर लाइन के बाद टोकना पड़ेगा क्या?"
"उन्होने मेरे शरीर की बहुत प्रसंशा की थी दीदी... मुझे पूरी नंगी करके मुझे हर जगह हाथ लगा कर देखा था... फिर मेरी छातियो को चूस्ते हुए उन्होने उंगली 'वहाँ' घुसाने की कोशिश की थी... मुझे बहुत दर्द हुआ तो 'उसने' मीना को अलमारी से तेल निकालने को कहा....."
"क्यूँ.. गीली नही हुई थी क्या?" सीमा उसको टोक बिना ना रह सकी...
"हो गयी थी.. फिर भी दर्द हो रहा था....." श्वेता ने रुककर सीमा की ओर देखा और फिर अपने आप शुरू हो गयी...," फिर उन्होने मेरी चूत में तेल ही तेल लगा दिया और उसकी मालिश सी करते हुए अचानक उंगली में चूत में घुसा दी..." श्वेता की आँखों में तैरने लगे वासना के लाल डोरे और उसकी बदल गयी भाषा बता रही थी कि 'वा' अब गरम हो चुकी है....," पहले बहुत दर्द हुआ था.. पर धीरे धीरे सारा दर्द ख़तम हो गया और 'अजीब' से मज़े आने लगे.... बाद में उन्होने उंगली निकाल कर मेरी चूत में अपना अंगूठा घुसा दिया... करीब पाँच मिनिट तक वो अंगूठे से ही करते रहे और बोले की 'तू' एक दो दिन में तैयार हो जाएगी... रात में खुद करना ऐसे...."
"फिर?"
"तब तक मीना ने अपने आप ही पूरे कपड़े निकल लिए थे.... उसके बाद उन्होने मीना की जमकर चुदाई की.. मेरे सामने ही......अयाया!" श्वेता की सिसकी निकल ही गयी....
"तेरा चूतिया बना गये वो.. मीना और हेडमास्टर मिले हुए थे पक्का.." सीमा हंसते हुए बोली.... और फिर चुप होने के बाद पूचछा,"तेरी चुदाई हुई या नही?"
"हुई थी दीदी... 3-4 दिन बाद उन्होने मेरी भी मीना की तरह चुदाई की... इतने दिन तक वो रोज मेरी चूत में रास्ता बनाते रहे....!"
"अब सच सच बता... मज़े आए थे ना तुझे....?" सीमा ने पूचछा....
"बहुत आए थे दीदी.. कसम से...!" श्वेता तड़प कर बोली...
"फिर कभी किया किसी और ने या....?" सीमा ने पूचछा....
"सर ने ही दो तीन बार किया था दीदी.. उसके बाद हमारे पेपर शुरू हो गये....!" श्वेता की आँखों में दोबारा मज़े ना ले पाने की कसक सॉफ झलक रही थी...
"आज फिर लेने हैं क्या? सलीम के साथ...!" सीमा उसकी और आँख मारते हुए बोली...
श्वेता की नज़र सीधी सलीम के लिंग पर टिक गयी.. कुच्छ देर टुकूर टुकूर उसको देखते रहने के बाद मन मसोस कर बोली..,"नही दीदी.. ये तो बहुत मोटा है.. इतनी जगह नही है मेरी चूत में...!"
उसकी बात सुनकर सीमा हँसने लगी..," अर्रे.. जगह तो 'लंड' अपने आप बना लेता है.. तेरा हेडमास्टर तो चूतिया था जो तीन दिन लगाए.... चल छ्चोड़.. आज से तू मेरी दोस्त है... मैं रास्ता बनवावँगी तेरी चूत में... अब देर बहुत हो गयी है... एक दो दिन सब्र कर ले.. ठीक है ना...?"
"ठीक है दीदी... ववो.. एक बात कहनी थी..." श्वेता थोड़ी सकुचा कर बोली....
"बोल ना यार...!" सीमा के होंतों पर अब भी मुस्कुराहट तार रही थी.....
"ववो.. 'टाइगर' ले जाउ क्या?"
"हा हा हा हा... ये ले...!" सीमा ने हंसकर कहा और 'टाइगर' उसकी ओर बढ़ा दिया...," जा मज़े कर!"
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"मेरा क्या होगा मेम'शब...? ये तो खड़ा का खड़ा रह गया...." सलीम ने श्वेता के जाते ही अपना 'लिंग' हाथ में पकड़ लिया.....
"साले.. ये फ्री का माल नही है... मैं पालती हूँ इसको... चल दरवाजा बंद कर दे..." सीमा ने कहा और मेरे सामने ही अपने कपड़े उतार कर खूँटि पर टाँगने लगी....
"घुसा दूँ क्या मेम'साब?" सलीम ने बिना हिचकिचाए दरवाजे बंद करके अपने लिंग पर 'बिस्तर' के कोने से कॉंडम निकाला और अपने 'लिंग' पर चढ़ा उपर चढ़ते ही 'कुतिया' की तरह झुकी हुई सीमा के पिछे पोज़िशन ले ली.... जैसे ही वह सीमा की ओर बढ़ा था.. मैं वहाँ से उठकर पिंकी के पास आकर लेट गयी थी... मेरा इतना बुरा हाल हो चुका था कि बयान नही कर सकती.....
"तू बोलता बहुत है... अब क्या हरी झंडी देख कर.... आआआआअहह!" सीमा ने बात अधूरी छ्चोड़कर कामुकता भरे लहजे में लंबी सिसकारी ली....,"एक दम पूरा नही कुत्ते... कितनी बार.... सम्झाउ तेरे को.. पहले आराम से थोड़ा थोड़ा किया कर... अया.. हाआँ.. ऐसे.... आह मरी राआअम....."
सलीम ने अपने दोनो हाथ सीमा के नितंबों पर टीका दिए और उन्हे फैलाकर आगे पिछे होता हुआ धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ने लगा... अचानक उसकी गर्दन मूडी और नज़रें सीधी मुझ पर टिक गयी... एक पल को तो मैने हड़बड़कर नज़रें चुरा ली थी... पर ज़्यादा देर तक 'कॉम्क्रीडा का लुत्फ़ उठाने से खुद को वंचित ना रख सकी.... सलीम के चेहरे की खुशी देखते ही बन रही थी.... मैने समझने में देर नही लगाई कि ये 'उसका' रोज़ का काम होगा....
मुझ पर चिरपरिचित सुरूर छाता चला गया... पिंकी के साथ पड़ा दूसरा कंबल औधते ही मैने सलवार का 'नाडा' चटकाया और सलीम की आँखों में आँखें डाले 'उंगली' अपनी 'कामरस' से तार हो चुकी 'योनि' में घुसा दी... इसके साथ ही उत्तेजना के मारे मेरे नितंब उपर उठ कर थिरकते हुए ये बयान करने लगे कि 'उंगली' से काम नही चलेगा....
थोड़ी देर पहले अगर सीमा ने सलीम को ये नही बोला होता कि 'तू' फ्री का माल नही है तो हालत ऐसी हो चुकी थी की अब तक तो सलीम के सामने 2-2 ऑप्षन होते... सलीम की नज़रों से लग भी रहा था कि 'वो' मुझ पर लट्तू है.... पर मैं मन मसोस कर रह गयी....
'सस्सला 'टाइगर' भी उधर चला गया...' मन ही मन खुद की किस्मत को कोसते हुए मैने 'योनि' के लिए छ्होटी पड़ रही उंगली के साथ उसके 'साथ वाली' को भी अंदर घुसेड दिया.... पर 'वो' बात थी ही नही...
होती भी कैसे? मेरे सामने चंद कदम की दूरी पर 'खुला दरबार' चल रहा था और मुझे खाली उंगली से काम चलना पड़ रहा था.... पर मैं लगी रही.. अधखुली आँखों से सीमा की योनि में दनादन धक्के लगा रहे सलीम को घूरते हुए....
दोनो को जमकर सिसकियाँ लेते देखने की वजह से मेरा एक बार में उस दिन मन नही भरा.... मैं लगी रही... आख़िरी बार जब सलीम दहाड़ कर सीमा के उपर गिरा तो मेरा तीसरी बार निकला था....'फिर भी मेरा तन बेचैन था....
"आज इतनी जल्दी कैसे निकल गया तेरा....?" सीमा बिस्तर पर उल्टी पड़ी पड़ी सिसकियाँ लेती हुई बोली....
"ये लड़की बड़ी सेक्सी है मेम'शाब... एक बार इसकी भी दिलवा दो ना...!" सलीम ने अपना लिंग सीमा की योनि से निकाल कर उस पर से कॉंडम हटाया और कोने में पड़े तौलिए से लिंग को पौंचछते हुए कहा.....
उस वक़्त मैने यही सोचा था कि काश सीमा उसकी बात पर गौर करके मुझ पर रहम कर ले... पर सीमा ने उसको झिड़क दिया...," ज़्यादा बे-ईमान बनेगा ना तो तेरी.... चल अब यहाँ से.. दो चार दिन में श्वेता की दिलववँगी.. जी भर कर तड़प लेने दे उसको अभी... आज वालियों में से एक और मान जाएगी.. मुझे लगता है!"
मुझे बड़ी हैरत हो रही थी.. मुझ पर इतना दुलार न्योचछवर करने वाली 'सीमा' ने मेरी मर्ज़ी तक नही पूछि.. जबकि 'वो' औरों को मानने की बात कर रही थी.... आख़िरकार मैने मौन तोड़ ही दिया...
"कर लेने दो दीदी... मेरा भी बहुत मन कर रहा है आपको देख कर...!"
"पहले किया है कभी...?" सीमा ने पूचछा....
"उस वक़्त 'ना' करना मुझे बेवकूफी लगी... कहीं मुझे भी 4-5 दिन के लिए 'टाइगर' से ट्रैनिंग देने की बात कहकर टाल ना दे...,"हाँ.. किया है दीदी...!" मैने झट से कह दिया....,"इतने ही मोटे से किया है..!"
"चल तू जा अभी.. मैं इस'से बात करके बताउन्गि...!" सीमा ने मेरी बात का कोई जवाब देने की बजाय सलीम को 'वहाँ' से तरका दिया...
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"ये कौन है...?" सीमा ने सलीम के जाते ही मुझे अपने पास बुलाकर साथ लेट'ने को कह दिया...
"ये... ये पिंकी है दीदी.. बहुत अच्छि है और बहुत प्यारी भी...!" मैने खुश होकर बताया....
"ये भी कर लेती है क्या? मुझे तो बहुत नादान लगती है....!" सीमा ने कंबल में लिपटी मस्ती से सो रही पिंकी पर निगाह डाली....
"आप ठीक कह रहे हो दीदी.. ये तो बहुत ही नादान है.. अभी तो सीखने लगी है बातें...!" मैने कहा....
"सुन.. तू बुरा मत मान'ना... मुझे पता था तेरा बहुत दिल कर रहा होगा.. पर तेरे लिए सलीम ठीक नही है... इसीलिए मैने मना कर दिया....."
"कोई बात नही दीदी.." मैने मन मसोस कर कहा.... मेरे बदन में भड़की हुई आग 'सलीम' के जाने के साथ ही ठंडी होती चली गयी थी....
"बुरा मान मत कर... तुझे नही पता मैने तेरे लिए क्या सोच रखा है.... मस्ती करनी है ना?" सीमा ने पूचछा.....
मैं बिना कुच्छ बोले उसकी बात का मतलब समझने के लिए उसकी आँखों में झँकति रही....
"बोल ना... मज़े करने हैं तो बोल...!" सीमा ने मेरी च्चती पर हाथ रख कर उसको हल्का सा दबा दिया... मैं कसमसा उठी..,"हाँ!"
"बस 2 दिन रुक जा.... हॉस्टिल से बाहर चलकर मज़े करेंगे... एक से एक स्मार्ट लड़के के साथ... सलीम को छ्चोड़!"
"पर आप कह रहे थे कि बाहर तो जा ही नही सकते... फिर..."
"भूल जा सब कुच्छ.. मैं साथ हूँ तो कुच्छ भी हो सकता है... तू देखना मैं तुझे कितने मज़े कराती हूँ....!"
"पर.. वो तो आप बोल रहे थे कि पैसों में होता है...!" मैने अपनी शंका उसको बताई.. मेरे पास पैसे थे भी तो नही....!
"तू छ्चोड़ ना यार.. बोल कितने पैसे चाहियें तुझे... मैं देती हूँ... यहाँ में लड़कियों से फोन सुन'ने के पैसे इसीलिए लेती हूं ताकि 'ये' लड़कियाँ' मुझे अच्छि 'ना' माने... फिर प्राब्लम होती है.. दबदबा रखने में.. हे हे हे.. वैसे मैं इतनी बुरी नही हूँ... लाख रुपए तो अभी भी मेरी अलमारी में रखें हैं.. तुझे जब चाहियें बता देना...!"
मैने सीमा की ओर मुस्कुरकर देखा.. उसके यही एक बात कहने से मुझे 'वो' बहुत अच्छि लगने लगी थी.....," आपकी मम्मी हमारे गाँव के पास वाले गाँव में प्रिन्सिपल हैं...." मैने मुस्कुराते हुए ही कहा.....
"मेरी मम्मी..." सीमा ने एक बार चौंक कर मुझे देखा और फिर बोली..,"अच्च्छा... तुमने उनको दिन में देख लिया होगा... है ना?"
"हाँ.. वो आपसे बात कर रही थी... मेरे बारे में उन्होने ही बोला था क्या? ध्यान रखने को....?" मैने पूच्छ ही लिया....
"नही नही.. उन्होने कुच्छ नही कहा था ऐसा... बस तुम मुझे बहुत अच्छि लगी और मैने ऑफीस में जाकर क्लर्क को बोल दिया....!"
"सच बताओ ना दीदी...?" मुझे उसकी बात पर विश्वास नही हुआ था....
"अरे सच यार.. तेरी कसम... देख तू कितनी सेक्सी है.. तेरे जैसी लड़की पूरे हॉस्टिल में नही आई आज तक...!" कहकर एक बार फिर उसने मेरे उपर आकर मेरे उभारों पर हाथ फेरा और खिलखिला कर हँसने लगी... मैं अजीब सी नज़रों से उसको देखती रही.. मुझे पूरा विश्वास था कि मामला कुच्छ और ही है.....
"सुन... तू 'ये'... सलीम वाली बात का जिकर किसी से मत करना.. समझ गयी ना.. सबको इस बात का पता नही है....!" सीमा मेरे उपर से हट'ती हुई बोली...
"ठीक है दीदी...!" और मैं क्या कहती!
"चल अब... अपनी बात सुना... किसने किया तेरे अंदर.. पहली बार....!" सीमा मुझे छेड़ती हुई बोली....
मुझे पहली बार के अपने प्रणय मिलन को सीमा के साथ शे-अर करने में कोई बुराई नही लगी... मैने दिल खोल कर पूरे चटखारे ले लेकर उसको बात बताई और फिर हम दोनो सो गये... साथ साथ ही.....!
क्रमशः......................
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