Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
10-22-2018, 11:37 AM,
#57
RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--42

गतान्क से आगे..................

"हॅपी ब'डे!" सुबह सोते हुए अचानक पिंकी ने अंजलि को पकड़कर झकझोर सा दिया... देर रात तक जागने रहने के कारण अंजलि जागने के बाद भी उनीनदी सी थी...,"उन्ह.. क्या है? थोड़ी देर और सोने दे ना...!" उसने कसमसा कर कहा.....

"अरे.. आज तेरा ब'डे है.. चल उठ जल्दी...!" पिंकी ने अंजलि की नींद तोड़ने के लिए उसके पेट पर अपनी कोहनी रख कर दबा दी...

"ऊई मम्मी... क्या करती है यार...?" अंजलि ने च्चटपटा कर उसकी कोहनी हटाई और बैठ कर अपनी आँखें मसल्ने लगी...

"कितने साल की हो गयी तू?" पिंकी ने पूचछा...

"अठारह की... क्यूँ?" अंजलि ने उसको अपनी उमर बता कर पूचछा....

"कुच्छ नही.. बस ऐसे ही पूचछा है..." पिंकी ने कहा और मुस्कुरा दी...

"ये कहाँ गयी...?" अंजलि ने अपनी साइड में खाली बिस्तेर देख कर पूचछा...

"पता नही... यहीं होगी बाहर... तुझे पता है.. सुबह सारी लड़कियों को ग्राउंड में इकट्ठा करते हैं... हमें कोई जगाने ही नही आया... तू सो रही थी, इसीलिए मैं भी नही गयी...!" पिंकी ने बताया...

"पिंकी!" अंजलि ने उसकी बात सुन'ने के बाद कहा..,"यार, मुझे भी बहुत बुरा लगा था जब उसने तुझे कमर दबाने को कहा... हम अपना कमरा चेंज कर लेंगे...!"

"तो क्या हो गया.. मुझसे बड़ी हैं.. एक आध बार काम बोल भी देंगी तो कर दूँगी... वैसे ये कमरा सब कमरों से अच्च्छा है... मैं इस कमरे में नही होती तो मेरे साथ भी दीदी कल ऐसा ही करती ना...?" पिंकी ने मन मसोस कर कहा....

"तू तो सो गयी थी ना...?" अंजलि ने हैरत से पूचछा.....

"हां... सुबह मैं बाहर निकली तो कल वाली लड़कियों में से एक ने बताया कि उनके साथ बहुत बेकार बातें की थी दीदी ने... 'वो' नही रहेगी यहाँ.... ऐसा बोल रही थी... एक बात पूच्छून...?"

"हाँ... पूच्छ...!"

"तुम वो... वो डाइयरी क्यूँ लिख रही हो?" पिंकी ने पूचछा तो अंजलि के होश उड़ गये...

"सीसी..कौनसी डाइयरी?"

"वही.. जो तेरे बॅग में रखी है... तेरा सामान निकाल कर अलमारी में रख रही थी तो मुझे मिली..."

"त्त..तूने 'वो' पढ़ ली?" अंजलि हड़बड़ा गयी...

"थोड़ी सी पढ़ी थी... तुमने उसमें पता नही कैसी कैसी गंदी बातें लिख रखी हैं... मैने बीच में ही छ्चोड़ दी...." पिंकी मुस्कुरकर बोली...

"मैं बताउन्गि तुझे...! कहाँ है मेरी डाइयरी...." अंजलि तुनक सी गयी....

"मैने च्छूपा दी.. बाद में पढ़ कर दूँगी.... हे हे हे..."

"देख.. चुपचाप 'वो' डाइयरी दे दे... वरना मैं...." अंजलि अपनी बात पूरी करती.. उस'से पहले ही दरवाजे पर एक लड़की आकर खड़ी हो गयी...,"पिंकी कौन है.. उसके गार्डियन आए हैं नीचे....!"

"पर... पापा तो कल आने थे..." पिंकी कहकर उठी और खुशी से झूमते हुए अपनी चप्पल ढूँढने लगी....

"रुक.. मैं भी तो आ रही हूँ...!" पिंकी को बाहर भागते देख अंजलि भी झट से उठी और अपना मुँह धोने लगी....

"आ जाओ.. मैं नीचे ही हूँ..." पिंकी ने एक पल ठिठक कर कहा और फिर भाग गयी....

*********************************8

"तुम...?" हॅरी को सामने पाकर पिंकी का बुरा हाल हो गया था.. गेस्ट रूम में हॅरी कुर्सी पर बैठा हुआ उसको देख कर मुस्कुरा रहा था...,"क्यूँ? तुम्हे खुशी नही हुई?"

"न्नाही.. ववो.. मैं तो बस... तुम मुझसे मिलने कैसे आ गये... यहाँ तो मम्मी पापा ही मुझसे मिल सकते हैं बस... और आज तो सॅटर्डे है... आज के दिन भी मिल सकते हैं क्या?" पिंकी हड़बड़ा कर बोली....

"मैं तो किसी और काम से आया था... प्रिन्सिपल मेडम से मिलने... सोचा... तुमसे भी मिलता चलूं...!" हॅरी प्यार से उसके चेहरे को निहारता रहा..,"आओ बैठो ना...!"

आअस्चर्य और झिझक के मिले जुले भाव पिंकी के चेहरे पर देखे जा सकते थे.. तभी अंजलि भागती हुई गस्ट रूम में घुसी और हॅरी को वहाँ पाकर वापस पलट गयी....

"म्‍मैइन.. 2 मिनिट में आ जाउ?" पिंकी हॅरी के सामने खुद को रात के कपड़ों में देख शर्मा रही थी....

"नही.. अभी तो मुझे जल्दी है... तुम बस दो मिनिट बैठ जाओ...!" हॅरी ने उसको अपने पास आने का इशारा किया....

"ऐसे ही जाना था तो मुझे क्यूँ बुलाया यहाँ....?" पिंकी ने मुँह बना लिया...

"एक 'किस' लेने के लिए... दे दो ना?" हॅरी शरारत करता हुआ बोला....

हॅरी के मुँह से सीधी बात सुनकर शर्म से पिंकी के गाल गुलाबी हो गये...," ऐसी बात मत करो.. मैं चली जाउन्गि..." पिंकी अपनी झिझक च्छुपाने के लिए उसकी तरफ कमर करके खड़ी हो गयी....

हॅरी चुपके से उठा और दरवाजा बंद करके वहीं अपनी कमर सटा कर खड़ा हो गया,"ऐसे कैसे चली जाओगी... एक 'किस' तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी आज!"

बंद कमरे में एक बार फिर हॅरी के सामने खुद को पाकर पिंकी का कुँवारा यौवन मचल उठा... नज़रें उठाकर उसने क्षण भर के लिए हॅरी से नज़रें चार की और फिर उसके लब थिरक उठे...,"ंमुझे जाने दो ना... डर लग रहा है.. कोई आ जाएगा...."

"तुम इधर तो आओ एक बार..." हॅरी ने उसकी और अपने हाथ फैलाए...

पिंकी ने छलक्ते यौवन को संभालने की कोशिश करते हुए एक हाथ छातियो को च्छूपाते हुए अपने चेहरे पर रखा और नज़रें झुकाए हुए रेंगती हुई सी उसके पास जा पहुँची..,"क्क्या?"

"एक बार अपने होंटो पर होन्ट रखने दो ना जान!" हॅरी ने उसकी कलाई को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया.... प्रतिरोध की गुंजाइश ही नही बची थी... पिंकी का बदन हॅरी की बाहों के दायरे में सिमटा हुआ था... हॅरी के दोनो हाथ पिंकी की कमर पर थे और पिंकी के दोनो हाथ लज्जा वश अपनी और हॅरी की छाती के बीच...

"नही.. होंटो पर नही प्लीज़... मुझे..!" अपनी उखड़ी साँसों को नियंत्रित करने की कोशिश करते हुए पिंकी ने अपना चेहरा उठा कर आँखें बंद कर ली... भला ये रज़ामंदी नही तो और क्या था... हॅरी ने उसको आगे कुच्छ बोलने ही नही दिया और थोड़ा झुक कर पिंकी के रसीले आधारों पर अपने होन्ट टीका दिए...

"अया..." पिंकी बावली सी होकर कराह उठी... हॅरी के हाथ जैसे ही नीचे सरकते हुए उसके नितंबों पर जाकर टीके.. काम तृष्णा बुझाने की ललक ने पिंकी को अपनी आइडियां उपर उठा अपने हाथों की दीवार को दोनो के बीच से अलग करके हॅरी के गालों को थाम लेने पर राज़ी कर ही लिया.... अपनी उभरती हुई चूचियो को हॅरी के सीने में धंसता हुआ पाकर पिंकी का रोम रोम दाहक उठा... नितंबों पर हॅरी के हाथों की जकड़न ने ऐसी आग लगाई की पिंकी सिसक उठी... उसके ऐसा लगा जैसे यही जन्नत है... नितंबों, चूचियो और आधारों के स्पर्श का असर जाने कैसे पिंकी की योनि तक जाकर उसको पिघलने लगा...

पूरे 2 मिनिट तक पिंकी के मन-बदन को झकझोर कर रख देने वाले अहसास के बाद जैसे ही हॅरी उस'से अलग हुआ, पिंकी अजीब सी नज़रों से उसको देखने लगी.. मानो पूच्छ रही हो,"रुक क्यूँ गये?"

"तुम कितनी मीठी हो पिंकी? मैं इस चूमबन को जिंदगी भर नही भुला पाउन्गा... तुम्हे कैसे लगा...?" हॅरी ने पूचछा तो पिंकी जैसे होश में आई... शरमाई और घबराई हुई सी पिंकी ने एक बार फिर नजरारें चुरा ली...,"अब तुम चले जाओगे क्या?"

"हां.. जाना पड़ेगा.. यहाँ तुम्हारे साथ तो नही रह सकता ना...? मौका मिलते ही फिर आउन्गा...!"

"कब?" पिंकी के सवाल में कुच्छ ऐसा भाव था.."जल्दी आना!"

"जल्द ही... मैं तो यहाँ आता रहता हूँ...!" हॅरी ने दरवाजा खोल दिया...,"कोई प्राब्लम हो तो बता देना...!"

"अपना... अपना नंबर. दे दो ना... मैं फोन करूँगी...!" पिंकी अब भी चेहरा झुकाए बोल रही थी.. नज़रें मिलना उसको दुश्वार लग रहा था...

"नंबर...?... अच्च्छा लिख लो... फोन तो करोगी ना...?" हॅरी मुस्कुरकर बोला....

"हां... एक दीदी के पास मोबाइल है.. उस'से मिस कॉल करूँ तो तुम कर लेना...!" पिंकी ने हॅरी से पेन लेते हुए अपने हाथ पर नंबर. लिख लिया....

"तुम उसका ही नंबर. दे दो.. मैं खुद कर लूँगा...."

"मेरे पास नंबर. नही है उसका... मैं शाम को फोन करूँगी...!"

"ठीक है.. अब मैं चलूं...?" हॅरी ने वापस जाकर अपना बॅग उठाया....

पिंकी ने सकुचते हुए हॅरी को देखा और फिर अपनी गर्दन हिला दी... हॅरी के जाने के बाद भी काफ़ी देर तक वह गुमसूँ सी उस जगह को देखती रही जहाँ वो कुच्छ देर पहले अपने 'यार' की बाहों में थी....

"अयाया!" पिंकी ने काफ़ी देर बाद एक लंबी साँस ली और ग्वेस्टर्म से निकल गयी....

***********************************************************

"ययए किसलिए आया था...? क्या बात हुई?" अंजलि उसका चेहरा पढ़ने की कोशिश करती हुई बोली....

"ये.. बड़ी मॅ'म को जानता है... उसी के पास आया था...!" पिंकी की आँखें चमक उठी...

"तुझसे क्या कह रहा था... क्या बात हुई..? तुमने दरवाजा क्यूँ बंद किया था एक बार...?" अंजलि अधीर हो रही थी.. कुच्छ मसालेदार सुन'ने को...

"कुच्छ नही.. उसने ही किया था जान बूझ कर.. 'क़िस्सी' माँग रहा था..."

"फिर.. तूने दी या नही..."

"ले ली उसने... मैं तो मना कर रही थी.. वो माना ही नही..." पिंकी शर्मा गयी...

"कहाँ पर?" अंजलि खुश होकर हंस दी...

"आए... तुम पिंकी हो ना?" दरवाजे से अचानक अंदर आई सीमा कुच्छ हड़बड़ी में लग रही थी....

"आ...हां दीदी!" पिंकी अचानक संभलते हुए बोली....

"तुमने पहले क्यूँ नही बताया यार...!" सीमा उसके पास आकर उसकी कमर पर हाथ रख कर बैठ गयी....

"बताया तो था दीदी.. पर क्यूँ पूच्छ रही हो?" पिंकी ने अचकचा कर पूचछा...

"तुम तो मेडम की ख़ासमखास लगती हो यार... मेडम ने तुम्हारा खास ध्यान रखने को बोला है....!"

"अच्च्छा... ववो.. हॅरी ने बोला होगा...!" पिंकी खुशी से झूम उठी...

"नही.. हॅरी कौन? मुझे तो मेडम ने बुलाकर बोला है!" सीमा सफाई देती हुई बोली....

"आपको नही दीदी.. हॅरी ने बड़ी मॅ'म को बोला होगा.. मेरा ध्यान रखने को...!"

"हूंम्म.. अब मुझे आरती को वापस बुलाना पड़ेगा... तुम दोनो अड्जस्ट कर लॉगी ना उसके साथ...?" सीमा ने दोनो की ओर बारी बारी से देखते हुए सवाल किया...

"हाँ.. पर उसको क्यूँ बुला रही हो.. '13' नंबर. वालियों ने टिकने नही दिया क्या उसको..!" अंजलि ने सवाल किया....

"अरे 13 नंबर. वालियों की.... मुझे अपने लिए भी तो चाहिए ना काम करवाने के लिए... तुम दोनो को तो कह नही सकती...!" सीमा मुस्कुरकर बोली और फिर अंजलि का हाथ पकड़ लिया..,"आज चलना है क्या..?"

"कहाँ?" अंजलि ने पूचछा तो पिंकी भी गौर से सीमा की ओर देखने लगी....

"वहीं यार... बोला था ना कल...!"

"पर कल तो चाचा जी आने वाले हैं..... आज कैसे?"

"कहाँ जा रहे हो.. मुझे भी तो बताओ ना...?" पिंकी ने उत्सुक होकर पूचछा...

"अरे सुबह तक वापस आ जाएँगे.. चिंता मत कर तू... आज खास प्रोग्राम है... चलना है तो बोल.... एक और लड़की चल रही है...?!" सीमा पिंकी के सवाल को नज़रअंदाज करते हुए बोली....

"मैं आपको थोड़ी देर मैं बता दूँगी दीदी...!" अंजलि असमन्झस में पड़ गयी थी...

"ठीक है... सोच कर बता देना... पर ऐसा मौका फिर नही आएगा..." सीमा ने कहा और अपने बालों को झटकती हुई कमरे से बाहर चली गयी....

"कहाँ जा रही है..? मुझे भी तो बता ना?" पिंकी जान'ने को व्याकुल हो उठी....

"किसी को बताएगी नही ना तू?" अंजलि ने पूचछा....

"आज तक बताई है कोई बात?" पिंकी ने अंजलि को घूरा....

"नही पर.... 'वो' ये मुझे हॉस्टिल से बाहर घुमा कर लाने की बोल रही है... रात को...!" अंजलि ने बता ही दिया....

"तू पागल हो गयी है क्या? रात को हॉस्टिल से बाहर... वो भी 'ऐसी लड़की के साथ... क्या पता कहाँ फँसा देगी तुझको...!" पिंकी ने गुस्से से अंजू को लताड़ सी लगाई....

"ऐसा कुच्छ नही होगा... रात रात की तो बात है.. सुबह तक वापस आ जाउन्गि मैं...!" अंजलि ने समझाने की कोशिश की....

"पर क्यूँ जा रहे हो... ये तो बताओ.. मैं भी चालूंगी...!"

"तू नही पागल... ना!"

"क्यूँ? तुम जा रही हो तो मैं क्यूँ नही.. मैं भी चालूंगी तेरे साथ...!"

"समझा कर यार... आज मैं जाकर देख लेती हूँ... फिर कभी चल पड़ना...." अंजलि ने समझाने की कोशिश की....

"पर.. जा क्यूँ रही है तू...?"

"ववो.. वो घूम फिर कर आ जाएँगे बस... और कुच्छ नही...!" अंजलि ने सकपकाकर बात बनाई....

"नही.. मैं तुझे अकेले नही जाने दूँगी....!" पिंकी आड़ गयी..,"तू जाएगी तो मैं भी जाउन्गि.... बस!"

"वो तू सीमा से पूचछा... लेकर तो उसको ही जाना है ना?" अंजलि झल्ला उठी....

**********************************************************

"दीदी... मैं भी चलूं क्या...? तुम लोगों के साथ घूमने...." सीमा के आते ही पिंकी ने सवाल किया....

सीमा कुच्छ देर पिंकी की ओर देखते हुए कुच्छ सोचती रही और फिर 'ना' में गर्दन हिला दी....,"ना! तुझे नही जाना...!"

"पर क्यूँ दीदी? अंजलि भी तो जा रही है...." पिंकी बिगड़ कर बोली....

"तुझे नही जाना.. कह दिया ना... बाद में देखूँगी कभी....!" सीमा ने दो टुक जवाब दे दिया....

"ववो.. एक फोन करना है दीदी... कर लूं क्या?" पिंकी ने हताश होकर अपनी बात बदल दी....

"ले मार ले...बाहर जाकर बात कर ले... किसी को बोल मत देना ये बात.. सीक्रेट है.... समझ गयी?" सीमा ने कहकर उसकी तरफ मोबाइल उच्छाल दिया... पिंकी फोन लेकर बाहर निकल गयी....

"तूने इसको क्यूँ बताया यार...!" सीमा पिंकी के जाते ही अंजलि पर गुस्सा करती हुई बोली.....

"ये किसी को कुच्छ नही बताएगी दीदी.. इसके पास पहले के भी मेरे कयि राज हैं.. आप चिंता मत करो... और फिर इसको तो बताना ही पड़ता ना... इसको तो पता लगना ही था....!" अंजलि ने जवाब दिया.....

"ऐसे कैसे पता लगता.. मैं इसको कोई बहाना करके रात को दूसरे कमरे में सुला देती... उसके बाद हमें निकलना था... आइन्दा किसी को भी ऐसे मत बताना...!" सीमा तुनक कर बोली...

"ठीक है दीदी.. आगे से मैं ध्यान रखूँगी...." अंजलि ने कहा और फिर पूचछा....,"कितने बजे जाना है...?"

"10 बजे के बाद!" सीमा ने टका सा जवाब दिया.....

***************************************

"मत लेकर जाओ मुझे.... मैने हॅरी को बोल दिया... कल 'वो' मुझे लेकर जाएगा...!" अकेली होते ही पिंकी ने अंजू पर ताना सा मारा....

"क्या? तू रात को उसके साथ जाएगी..." अंजलि उच्छल सी पड़ी...,"पर वो कैसे लेकर जाएगा तुझे...?"

"मुझे नही पता.... मैने आज रात के लिए बोला था.. उसने कल का वादा किया है.. आज वो फ्री नही है...!"

"पर हॉस्टिल से कैसे लेकर जाएगा तुझे?"

"क्यूँ.. जब सीमा लेकर जा सकती है तो 'वो' क्यूँ नही... वो' बड़ी मॅ'म को जानता है.. उसको बोल कर ले जाएगा....!"

"और.... और 'वो' तुझसे 'प्यार' करने लगा तो?" अंजलि ने कहकर बत्तीसी निकाल दी....

"ऐसे कैसे कर लेगा 'प्यार'... शादी से पहले मैं ऐसा वैसा कुच्छ नही करने वाली...!" पिंकी ने कहा और शर्मा गयी....

"तो तू उस'से शादी करेगी?"

"और नही तो क्या?.. मीनू लंबू से करेगी तो उसको मेरी भी सेट्टिंग करवानी पड़ेगी...!" पिंकी ने तुरुप का पत्ता फैंका....

*********************************

रात करीब 10 बजे जैसे ही सीमा अंजलि और श्वेता को लेकर खेल के मैदान वाले पिच्छले गेट पर पहुँची.. गेट्कीपर ने बिना कुच्छ बोले चुपके से दरवाजा खोल दिया... बाहर थोड़ी ही दूर एक गाड़ी पहले ही उनके इंतजार में खड़ी थी...

"हाई जानेमन!" सीमा के अगली सीट पर बैठते ही ड्राइवर ने कहा तो सीमा ने उसकी तरफ झुक कर उसके होंटो को चूम लिया...,"चलो जल्दी... सुबह तक वापस भी आना है"

क्रमशः......................
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