RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--43
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गतान्क से आगे..................
काफ़ी देर बाद जब गाड़ी शहर से भी गुजर गयी तो अंजलि से रहा ना गया," हम जा कहाँ रहे हैं दीदी...?"
"क्यूँ चिंता करते हो यार... आज की रात तुम दोनो कभी भूल नही पाओगेई... सारी रात मस्ती होगी.. देखना" सीमा ने मुड़कर पिछे देखते हुए कहा...,"एक बात तो बता... जब तू संदीप से चुद रही थी तो सुन्दर से क्या दिक्कत थी तुझे.. उसका भी ले लेती...!"
एक अंजान लड़के के सामने सीमा के मुँह से ऐसी बात सुनकर अंजलि सकपका गयी.. काफ़ी देर तक तो उस'से कुच्छ बोला ही नही गया...जब सीमा ने उसको एक बार फिर टोका तो वह हड़बड़ा कर बोली," ये क्या बात कर रही हो दीदी...?"
"अरे इस'से मत शर्मा... मस्त लड़का है ये.. कभी इसके नीचे आकर देखना... "सीमा अभी कुच्छ बोल ही रही थी कि लड़के ने उसको टोक दिया..,"एक बार फोन कर ले.... अभी अंदर जाना है कि नही... पहुँच तो गये.."
"ओह्ह... मोबाइल रह गया यार... अपना फोन निकाल कर दे एक बार.. ज्योति को बोल देती हूँ.. च्छूपा कर रख देगी...! सीमा ने अपनी जेबों में हाथ मारते हुए कहा और लड़के का फोन लेकर अपने मोबाइल पर फोन करके ज्योति को समझा दिया....
"आ गये हम... आ जाएँ क्या?" ज्योति को फोन करने के बाद सीमा ने दूसरा नंबर. मिला कर पूचछा....
"हां... मकान के सामने सड़क पर ही खड़े हैं...!" सीमा ने सामने वाले की बात का जवाब दिया.....
"2....... देख कर पागल हो जाएगा तू........ ओके.. हम आ रहे हैं...!" सीमा ने फोन पर कहा और फिर उसको वापस करती हुई बोली..,"चल.. सब ठीक है....!"
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सीमा ने मकान के बाहर से ही उस लड़के को वापस भेज दिया और दोनो को लेकर मकान में घुस गयी... अंजलि का दिल अब घबरा रहा था... हॉस्टिल से निकलते हुए जहाँ उसके रोमांच की कोई सीमा नही थी.. वहीं अब सीमा और उस लड़के की अजीब और निचले दर्जे की बातें सुन सुन कर उसके कान खड़े हो गये थे.... उसको लग रहा था कि उसने आकर ठीक नही किया...,"यहाँ तो कोई नही लग रहा दीदी... आप तो कह रहे थे कोई प्रोग्राम है...
"पूरी बारात से चुदेगि क्या तू? अंदर तो चल एकबार...!" सीमा ने बत्तीसी निकाल कर कहा....
"हाई सीमा... ये....नयी लड़कियाँ हैं क्या?"...अंदर घुसते ही उनको एक लड़की सिगरेट सुलगए हुए उनका इंतजार करती हुई मिली...
"हां.. एक दम फर्मफ़रेश!" सीमा कहकर अंजलि के गालों पर हाथ फेरती हुई हँसी और फिर शांत होकर पूचछा..,"बॉस कहाँ हैं..?"
"ऑफीस में ही बैठे हैं... तुम लेकर चलो इनको... मैं भी आती हूँ..." लड़की ने कहा और वहाँ से चली गयी....
"यहाँ.. यहाँ कुच्छ ग़लत तो नही होगा ना दीदी...!" श्वेता ने सवाल किया...
" कहा ना फिकर मत करो... ये हॉस्टिल नही; मस्ती का अड्डा है....आओ मेरे साथ...!" सीमा ने सहमी हुई श्वेता का हाथ पकड़ा और अंजलि को साथ आने का इशारा करके उपर चढ़ने लगी.....
सीमा उन दोनो को लेकर दूधिया प्रकाश में नहा रहे एक बड़े से कमरे में लेकर चली गयी... कमरे का फर्निचर आलीशान था... बीचों बीच लगे बिस्तर के पास ही चार गद्दे वाली कुर्सियाँ और उनके बीच एक टेबल रखी थी....
सीमा जाते ही अपनी शर्ट के बटन खोल कर कुर्सी पर पसर गयी..और ..,"आओ बैठो... शुरू करते हैं...मस्ती.." सीमा ने कहा और कहते ही टेबल पर रखी बोतल का ढक्कन खोलने लगी....
"ययए क्या है दीदी...शराब है क्या?" श्वेता ने घबराई आँखों से सीमा की ओर देखा....
"अरे... इसी के बाद तो प्रोग्राम शुरू होगा.. इसके बिना क्या मज़ा...." सीमा ने हंसते हुए कहा और चार में से तीन गिलास सीधे कर लिए....
"वापस चलो ना दीदी... हमें यहाँ अच्च्छा नही लग रहा सच में... आप तो अपने दोस्तों से मिलने लाई थी ना...?" अंजलि ने शंका से सीमा को घूरा....
"डॉन'ट वरी यार... सब आ जाएँगे धीरे धीरे... लो.. एक एक मारो तब तक..." सीमा ने गिलास उनकी ओर सरका दिए....
"नही दीदी.. ये सब तो आदमी पीते हैं... मैं नही पियूंगी..." गिलास अपनी तरफ बढ़ता देख श्वेता अचकचा सी गयी....
"क्यूँ...? आदमियों की गांद में क्या ज़्यादा दम होता है... ये देख मैं पी गयी.. चल उठा और सटाक जा इसको...!" सीमा ने आदेशात्मक लहजे में कहा....
"नही दीदी.. मुझसे नही पी जाएगी... आप जल्दी वापस चलो हॉस्टिल में...." अंजलि के मंन की बात श्वेता ने ही कह दी.....
"कल वाली बात भूल गयी क्या? मुझसे दोस्ती तोड़ रही है तू... तुझे पता नही कि मैं और क्या क्या कर सकती हूँ..... चल पी इसको...
"तू पी तो एक बार.. उल्टी होगी तो मैं देख लूँगी.... चल उठा और दवाई समझ कर पी जा... अंजलि... गिलास उठा ना यार.. ये क्या है?"
अंजलि कुच्छ देर हैरत से सीमा को देखती रही.. फिर अचानक खड़ी हो गयी...,"चलो दीदी यहाँ से अभी के अभी.. हमें नही करना कुच्छ भी यहाँ...!"
"अच्च्छा! तू तो बहुत बोलने लगी यार... नीचे बैठ जा... मुझे मजबूर मत कर वरना यहाँ तुम्हारा गॅंग रेप हो जाएगा... चार चार लोग जब एक साथ चोद्ते हैं तो जान भी निकल सकती है...समझी...,"सीमा आँखें तरेरने लगी थी अब," पिच्छले साल एक लड़की ने हॉस्टिल से आकर ऐसे ही ड्रामा किया था यहाँ... साली की लाश भी नही मिली आज तक... पोलीस आज तक यही समझ रही है कि वो अपने यार के साथ भाग गयी कहीं... भलाई इसी में है की गिलास उठाओ और मस्ती करो जमकर...! आज की रात नैतिकता भूल जाओ"
सीमा के धमकी देने मात्र से ही अंजलि और श्वेता दोनो थर थर काँपने लगी थी..,"प्लीज़ दीदी.. ऐसा कुच्छ मत करवाना.. मैं मर जाउन्गि...!" श्वेता ने तो हाथ जोड़ लिए....
"मैं क्या बोल रही हूँ.. गिलास उठाओ मस्ती करो... चलो.. अब पी भी लो यार.. मेरा दूसरा भी हो गया...." सीमा ने कुत्सित सी हँसी हंसते हुए दोनो को देखा तो कोई भी कुच्छ बोल ना सकी... दोनो ने खड़े खड़े ही अपने गिलास उठाए और नाक सिकोड कर एक ही साँस में दोनो ने गिलास खाली कर दिए...
"शाबाश.. बैठ जाओ... मैं फोर्स नही करना चाहती यार... फोर्स करने से मज़ा खराब हो जाता है... आओ बैठो... एंजाय करो...!" सीमा ने हंसकर कहा और अगले पैग तैयार करने लगी....
"पर दीदी... हॉस्टिल में कब चलेंगे वापस...?" अंजलि ने डरते डरते पूचछा....
"अभी पूरी रात बाकी है यार... क्यूँ फिकर करती हो.. मैं हूँ ना साथ में... लो.. ये खाओ.. जी ठीक हो जाएगा...." सीमा ने प्लेट उनकी और सरका दी.....
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"बस दीदी जी.. प्लीज़... 2 बार पी ली मैने.. और ले ली तो सच में ही मर जाउन्गि.... प्लीज़..." श्वेता की आँखों से आँसू निकल आए...
"ओके... अब तुम्हारी मर्ज़ी... मैं तो पियूंगी जी भर कर... तब तक तुम कपड़े निकाल कर फैंक दो अपने....!" सीमा ने मस्ती में अपनी कमीज़ उतारी और ब्रा के हुक खोलने लगी....
सीमा की हालत देखकर दोनो विचलित सी होती जा रही थी..,"पर.. दीदी.. आपने तो कहा था कि..."
"सब आ जाएँगे यार... बस आने ही वाले हैं.. तुम कपड़े तो निकालो अपने.. बार बार बोलनी पड़ती है तुमको बात... सुनता नही है क्या?"
सीमा की इस आवाज़ के बाद दोनो में इतना साहस नही था कि 'वो' कुच्छ और बोल पाती... दोनो खड़ी हुई और झिझकते हुए एक दूसरी से मुँह फेर कर अपने कपड़ों को बदन से अलग करने लगी..... कुच्छ ही देर बाद दोनो निर्वस्त्र कुर्सी पर बैठकर सहमी हुई एक दूसरी को देख रही थी...
तभी वही लड़की कमरे में घुसी और सीमा के कान के पास मुँह लाकर कुच्छ बोला... मोरनी जैसे कान रखने वाली अंजलि भी बात का पूरा मतलब नही समझ पाई.. पर बोलते हुए लड़की ने उसी की ओर इशारा किया था....
"कल तक कैसे रुकेंगे यार यहाँ... किसी और दिन का प्रोग्राम रख लो.....!" सीमा ने लड़की की तरफ देखते हुए कहा....
"पर बॉस ने बोला है... तुम बात कर लो...!" लड़की ने कहा....
"ठीक है.. तौलिया देना लाकर...!" सीमा उठ खड़ी हुई...
लड़की बाथरूम से तौलिया निकाल कर लाई और सीमा ने उस'से लेकर अपने कंधों पर डाल लिया...."तुम यहीं रहना तब तक....!"
"मनीषा आई हुई है.... उसको भेज देना.. मुझे अभी कुच्छ काम है....!" लड़की ने कहा और कुर्सी पर बैठ कर लज्जा से सकूचाई और भय के मारे काँप सी रही लड़कियों को घूर्ने लगी.....
इधर आ एक बार...!" सीमा अचानक ठिठक कर दरवाजे पर रुकी और इशारे से उस लड़की को बाहर अपने पास बुलाया....
"हां..?" लड़की ने बाहर आकर सीमा से पूचछा....
"डॉली..! तेरा दिमाग़ खराब है क्या? इनके सामने मनीषा का नाम क्यूँ लिया?" सीमा गुस्से से उस लड़की को झिदक्ति हुई बोली...
"पर हुआ क्या, ये तो बता..." डॉली बात को समझ नही पाई थी..
"ये अंजलि है ना..." सीमा ने बाहर से ही अंजलि की ओर उंगली से इशारा किया..," मनीषा के गाँव की ही है... वो इसके सामने कैसे आएगी......?"
"ओह.. पर मुझे पता नही था यार... कोई बात नही.. पूछेगि तो मैं बोल दूँगी की मैं किसी और मनीषा की बात कर रही थी...." लड़की ने जवाब दिया....
"कोई ज़रूरत नही है... मैं मनीषा से पूच्छ लेती हूँ.. अगर उसको कोई दिक्कत होगी तो मैं किसी और लड़की को मनीषा बनाकर भेजती हूँ.....कहाँ है वो?" सीमा ने डॉली से पूचछा....
"चल ठीक है... जल्दी भेजना... वो नीचे 4 नो. में बैठी है शायद" डॉली ने कहा और वापस पलट गयी....
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"कोई दिक्कत है क्या?" लड़की ने मुस्कुरकर अंजलि और श्वेता के सामने बैठते हुए पूचछा....
"ववो.. हम कपड़े पहन लें क्या?" अंजू ने थोड़ा झिझकते हुए पूचछा....
"क्यूँ? शर्म आ रही है क्या?" लड़की ने कहा और खिलखिला कर हंस पड़ी... अंजू और श्वेता ने प्रतट्युत्तर में अपनी पलकें झुका ली....
"यार.. ऐश ही तो करने आई हो... आज की रात सब कुच्छ भूल कर एंजाय करो...यूँ घुट कर बैठने से क्या होगा... ये सब तुम्हे रोज रोज नही मिलेगा....बाकी तुम्हारी मर्ज़ी...!" डॉली का इतना कहना था कि दोनो ने उठकर फटाफट वापस अपने कपड़े डालने शुरू कर दिए....
डॉली कुच्छ देर उनको आस्चर्य से देखती रही... अचानक उसने अपना मोबाइल निकाला और एक नंबर. लगा लिया....
"हां.. बोल डॉली!" उधर से आवाज़ आई....
"बॉस.. ये लड़कियाँ तो मेरे सामने ही शर्मा रही हैं... बाकी सब कैसे करेंगी... सीमा ने अच्छे से ट्रेंड नही किया लगता है इनको...!"
"चल मैं बात करता हूँ...! सीमा को भेज मेरे पास!" बॉस ने कहा और लड़की के जवाब देने से पहले ही फोन काट दिया...
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"मनीषा... तू तो पूरे एक साल बाद आई है... आज कैसे?" सीमा सीधी मनीषा के पास जाकर मुस्कुराते हुए बोली....
"बस ऐसे ही... कुच्छ काम था...!" मनीषा ने उसको टाल सा दिया....
"ववो.. तेरे गाँव की एक लड़की आई हुई है.... उपर मत जाना तू!" सीमा ने मनीषा को सचेत किया....
"मेरे गाँव की?" मनीषा थोड़े अचरज से सीमा की आँखों में झाँकते हुए बोली..,"कौन?"
"अंजलि..!"
"क्ककयाअ? अंजू?... वो यहाँ कैसे आई...?" मनीषा अचानक उच्छल सी पड़ी....
"मेरा केस है... क्यूँ? तेरी कुच्छ लगती है क्या?" मनीषा के चेहरे पर अचानक उभरे भावों ने सीमा को विचलित सा कर दिया था.....
"क्कहाँ है वो?" मनीषा का चेहरा लाल होने लगा था....
"यार परेशान मत हो.. उसको तेरे बारे में कुच्छ पता नही लगेगा.... मैं सब संभाल......" सीमा की बात अधूरी ही रह गयी.... मनीषा ने गुस्से से तमतमते हुए दोनो हाथों में उसका गला दबोच लिया..,"जान से मार दूँगी तुझे... है कहाँ 'वो' जल्दी बता..."
"छ्चोड़ यार.. सच में मार देगी क्या? उपर है.. स्टूडियो वाले कमरे में...!" सीमा ने बड़ी मुश्किल से अपना पीछा छुड़ाया.. मनीषा उसको छ्चोड़ते ही कमरे से बाहर भागी....
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"म्म्मMअनिशाआ तूमम?" मनीषा को अपने सामने खड़ी देख अंजलि बुरी तरह से सकपका गयी.. इस'से पहले कि वो कुर्सी से उठकर कुच्छ और बोल पाती.. एक झन्नाटे दार थप्पड़ ने उसके गालों पर अपनी उंगलियों की छाप छ्चोड़ दी....
"तुझे मैने मना किया था ना.... ऐसे चक्करों से दूर रहने को बोला था ना.. ?क्यूँ आई है यहाँ...?" इसके साथ ही मनीषा ने एक और तमाचे के साथ उसका दूसरा गाल भी लाल कर दिया...
"म्म्माइन.. मुझे तो सीमा यहाँ....!" अंजलि को ठप्पाड़ों से ज़्यादा चुभन मनीषा की अंगारे उगलती आँखों की हो रही थी... मनीषा बोलने लगी तो वह बीच में ही रुक गयी....
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"आ जाउ सर..?" सीमा ने दरवाजे पर खड़े हो कर पूचछा....
"एक मिनिट...!" बॉस ने कहकर फोन लगाया...," प्रेम! अजय को लेकर उपर चले जाओ.. मनीषा के तेवर ठीक नही लग रहे... देखना कोई गड़बड़ नही होनी चाहिए......"
"हां.. आ जाओ!" बॉस ने सीमा को अंदर बुलाया.. सीमा के कमरे में आने के बाद भी वह 'बॉस' को देख नही पा रही थी... उन्न दोनो के बीच अंधेरे की एक काली चादर पसरी हुई थी.....
"वो.. डॉली कह रही है कि लड़कियाँ झिझक रही हैं... क्या बात है...?" बॉस ने सीमा के आते ही सवाल किया....
"ववो... क्या है सर.. की दोनो लड़कियाँ नयी हैं.. कल ही हॉस्टिल में आई थी.... थोड़ा टाइम तो लगेगा ना....!" सीमा ने जवाब दिया....
"इनको अच्छे से गरम करके लाना था ना यार... खैर.. कैसे भी इनके कपड़े निकलवा कर कुच्छ शॉट्स ले लो... उसके बाद कहीं नही जाएँगी ये..."
"वो तो मैने निकलवा दिए थे.. 2-2 पैग भी पीला दिए... पर सुनील नही आया है अभी तक... मैं उसी का वेट कर रही हूँ.... ववो मनीषा को पता नही क्या प्राब्लम हो गयी अचानक.. अंजलि का नाम सुनते ही भड़क गयी..." सीमा ने कहा....
"हां... वो तो मैं देख ही रहा हूँ...? उसको अंजलि के पास भेजा किसने?!" बॉस ने सिगरेट सुलगाते हुए पूचछा....
"म्मैइन उसको मना करने ही गयी थी... पर वो तो अपने आप ही उपर भाग गयी... उसकी कुच्छ लगती तो नही है ना ये?" सीमा ने जवाब देकर पूचछा....
बॉस ने सीमा की बात टाल दी....,"तुम कल अंजलि को लेकर रेस्ट हाउस पहुँच जाओ...एक मिनिस्टर का ऑर्डर है.. कल रात का...! उसको कोई ऐसी ही पटाखा लड़की चाहिए... 50000 आज ही तुम्हे दे देता हूँ.. बाकी बाद में कर लेंगे...!"
"पर सर...... मुझे नही लगता कि आज बिना कुच्छ किए 'वो' वापस आने को राज़ी होगी... कपड़े उतारने में ही इतना टाइम लगा दिया.....
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"पर दीदी...आप यहाँ कैसे आई...?" अंजलि सहमी हुई सी मनीषा के सामने खड़ी अपने गालों को सहला रही थी.....
"वो सब बाद में बताउन्गि.... चलो मेरे साथ....!" मनीषा ने हड़बड़ी में अंजलि का हाथ पकड़ लिया.....
"कहाँ लेकर जा रही हो...? बॉस से पूच्छने दो मुझे..." डॉली ने खड़ी होकर जैसे ही अपना मोबाइल निकाला; मनीषा ने झपट लिया...," साली को कच्चा चबा जाउन्गा यहीं... चुप चाप पड़ी रह... चल अंजू...!" मनीषा अंजू का हाथ पकड़ कर पलटी ही थी कि दरवाजे पर 2 युवकों को देख कर वा ठिठक गयी...," मेरे रास्ते से हट जाओ प्रेम... ये मेरी..... ये मेरी बेहन है...!"
"ठीक है ठीक है... बॉस से तो पूच्छ लो... चलो पिछे....!" हत्ते कत्ते प्रेम ने गुर्राकार रेवोल्वेर तान दी तो मजबूरन मनीषा को अपने पैर वापस खींचने पड़े........
" बॉस! मनीषा एक लड़की को वापस लेकर जा रही है... !" प्रेम ने रेवोल्वेर मनीषा पर ताने हुए ही दरवाजे पर खड़े खड़े फोन किया....
"मनीषा को बाहर निकाल दो और दोनो के कपड़े निकलवाओ.. सुनील आ गया है.. उसको मैं उपर भेज रहा हूँ...! उसके बाद डॉली को बाहर भेज कर रूम लॉक करवा लेना...." बॉस ने आदेशात्मक लहजे में कहा...
"जी बॉस!" प्रेम ने कहकर फोन काटा और मनीषा की ओर घूरता हुआ बोला,"बॉस ने बोला है कि मनीषा कुच्छ पंगा करे तो गोली मार देना... तुम हमसे सीनियर हो.. सारी बातें अच्छे से समझती हो... चुपचाप बाहर चली जाओ.. वरना मुझे मजबूरन...."
बेबस सी खड़ी मनीषा प्रेम का इशारा समझकर बाहर निकल गयी......
"चलो... नंगी हो जाओ 2 मिनिट में... वरना..... चलो तुम भी...!" प्रेम ने एक एक करके अंजलि और श्वेता को घूरा... डॉली लड़कों के पास आकर खड़ी हो गयी थी....
घिघियाई हुई अंजलि ने श्वेता की तरफ देखते हुए अपने कमीज़ का पल्लू पकड़ लिया... श्वेता फफक फफक कर रोने ही लगी थी...
"चलो जल्दी करो!" प्रेम एक बार फिर गुर्राया....
"ज्जई..." श्वेता सिसकती हुई बुदबुदाई और अंजलि के शुरू करने के साथ ही उसने भी खुद को निर्वस्त्र करना शुरू कर दिया....
अचानक सुनील ने कमरे में प्रवेश किया...,"ये.. हाथ में रेवोल्वेर क्यूँ पकड़ रखी है भाई... रेप सीन की शूटिंग तो कल परसों होनी है ना?"
"डॉली! बाहर जा कर दरवाजा लॉक कर दे....! मैं फोन करूँ तो खोल देना...!" प्रेम ने मुस्कुरकर सुनील का स्वागत करने के बाद डॉली को बाहर जाने का इशारा किया....,"अगर ये प्यार से नही मानती तो रेप सीन आज ही शूट कर लेना... हे हे हे..."
"क्या माल है यार..." सुनील अपनी लपलपाति जीभ को होंटो पर फेरता हुआ अंजलि को घूरकर बोला.... अंजलि के हाथों में छुपे उन्मुक्त मस्त नंगे उभारों को देख कर वहाँ खड़े तीनो लोगों के मुँह में पानी आ रहा था... तब तक श्वेता भी उपर से नंगी हो चुकी थी...
"इसके साथ रेप मत करो यार... ये तो 'प्याआर' करने की चीज़ है स्साली...!" सुनील ने आगे जाकर अंजलि के नितंबों को सलवार के उपर से ही मसलता हुआ उसके उभारों को अपनी छाती पर रगड़ने लगा...,"बोल... प्यार से कर लेगी ना?"
अंजलि बिना कुच्छ बोले सकुचती हुई पिछे हटने की कोशिश करने लगी... तभी प्रेम का फोन बज उठा....
"जी बॉस!"
"अंजलि के साथ कुच्छ मत करना... उसको 'कल' के लिए बचाकर रखना है... जहाँ तक हो सके दूसरी लड़की को भी 'प्यार' से डील करने की कोशिश करो....उसको नंगी करके बिस्तर पर ले आओ!"
"जी बॉस... और कुच्छ?" प्रेम ने पूचछा....
"बस.. कुच्छ होगा तो मैं फोन कर दूँगा.... याद रखना अंजलि खुद भी कहे तो कुच्छ नही करना है... समझ गये ना...!"
"जी बॉस.. हम ध्यान रखेंगे...." कहकर प्रेम ने फोन जेब में डाला..," पीछे आजा सुनील.. अपना काम संभाल ले..... तुम में से अंजलि कौन है?"
"ज्जई... मैं..!" अंजलि को उम्मीद की हल्की सी किरण दिखाई दी....
"हुम्म... तुम्हारा नाम क्या है...?" प्रेम ने श्वेता की तरफ आँख मारते हुए पूचछा....
"ज्जई.. श्वेता...!"
"वेरी गुड! अजय!" प्रेम ने पास खड़े दूसरे लड़के को टोका...
"हां भाई...!"
"श्वेता तेरी है... अंजलि मेरी! हे हे हे"
"कोई बात नही भाई... ये भी कम नही है....!" अजय बत्तीसी निकाल कर बोला और आगे जाकर श्वेता को अपनी बाहों में उठा लिया.....
क्रमशः................
गतान्क से आगे..................
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