Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
10-22-2018, 11:39 AM,
#67
RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--52

गतान्क से आगे................

"हां, बाहर आ जाओ!" हॅरी किसी से फोन पर बात कर रहा था....

"अभी और कितनी दूर जाना है...", शिल्पा ने एक बार फिर गर्दन उचका कर गाड़ी चला रहे हॅरी पर निगाह डालने की कोशिश की....

"फिकर मत करो...!" हॅरी ने कहते कहते गाड़ी सड़क के बाईं और करके ब्रेकेस लगा दिए... तभी तकरीबन 25-30 साल का एक युवक ज़ीप की पिच्छली सीट खोलकर उसमें आ चढ़ा...,"हे... चलो नीचे उतर कर उस गाड़ी में बैठो...!" उसका दूसरा साथी बाहर खड़ा अपने दाँतों में से कुच्छ निकालने की कोशिश कर रहा था....

सीमा और डॉली अचंभित सी उन्न दोनो को देखने लगी.... वो दोनो उनको अच्छि तरह जानती थी.... पर साथ बैठी शिल्पा और आगे बैठे 'पोलीस वाले' की वजह से वो एक दूसरी का चेहरा ताक कर ही रह गयी....

"ये सब क्या है... अभी और कितना आगे चलना है... ये दोनो कौन हैं...?" शिल्पा ने हड़बड़ा कर एक बार फिर पूचछा.....

"सब समझ आ जाएगा.. हे हे हे...", इस बार जवाब गाड़ी में चढ़े युवक ने दिया और अपनी हथेली शिल्पा की जाँघ पर रख कर दबा दी.. और फिर गुर्राते हुए रेवोल्वेर निकाल कर कहा,"चलो नीचे...!"

"ययए... ये क्या कर रहे हो..." अपने गालों पर रेवोल्वेर की नोक सटी देख कर शिल्पा अपनी जाँघ पर रखी हथेली का विरोध करना तो जैसे भूल ही गयी.... युवकों की शकल सूरत और तेवरों से उसको वो दोनो पेशेवर मुजरिम लग रहे थे... सूखे पत्ते की तरह कांपना शुरू कर चुकी हाथ में थमी हथकड़ियों को झट से छ्चोड़ते हुए तुरंत नीचे आ गयी....,"क्क्या है ये सब...?"

नीचे खड़े युवक ने शिल्पा के नीचे आते ही उसका हाथ पकड़ लिया,"चलो.. उस गाड़ी में...!"

"ययए... ये तो कमाल हो गया यार.... तुम कैसे...?" डॉली खुशी से उच्छलते हुए सीमा के साथ लगभग भाग कर सड़क से नीचे उतर कर खड़ी की गयी गाड़ी में आकर बैठ गयी...,"आए... चल हमारी बेड़ियाँ खोल... ययएए... ये तो वही लड़का है ना जो....!" डॉली ने हॅरी को पोलीस वाले के भेष में ज़ीप से उतर कर गाड़ी की तरफ आते देखा तो अवाक रह गयी.... सीमा का भी यही हाल था.....

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"डॅमिट यार... अगर वो ज़ीप में था तो गया कहाँ.... हर चौराहे पर पोलीस है... फिर भी...." मानव झुंझला उठा था..... वह अंबेडकर चोवोक पर बॅरियर लगाए खड़े पोलीस वालों से बात कर रहा था.....

"सर आपके वी.टी. करवाने के बाद हमने हर गाड़ी को चेक किया है.... चाहे वो लाल बत्ती वाली गाड़ी ही क्यूँ ना हो....!" पोलीस वाले ने सिर झुका कर अदब से जवाब दिया... हताशा और निराशा सबके चेहरों से साफ झलक रही थी.....

"क्या उस'से पहले कोई पोलीस ज़ीप शहर से बाहर गयी है?" मानव ने पूचछा.....

"आज तो पोलीस की हर गाड़ी रोड पर है सर.... पर फिर भी हमने एहतियात के तौर पर पास वाले थानो में भी एलेर्ट कर दिया था.....

मानव ने जेब से मोबाइल निकाल कर समय देखा.. सुबह के 6:00 बजने वाले थे...,"मैं जुलना जा रहा हूँ..... तुम चौकस रहना... वो दिन निकलने पर किसी दूसरी गाड़ी से शहर के बाहर निकलने की कोशिश कर सकते हैं....." मानव ने कुच्छ और ज़रूरी हिदायतें दी और वापस गाड़ी में बैठ गया.....

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"ययए सब आख़िर चाहते क्या हैं...? तुम भी इन्न लोगों से मिले हुए हो लगता है!" जैसे ही हॅरी अकेला शिल्पा के पास आया, वो बरस पड़ी..... उसको बाहर दोनो लड़कियों के खिलखिलाने की आवाज़ें आ रही थी....

"हा हा हा हा.....बड़ी जल्दी समझ गयी तुम...! वैसे तुम्हे पोलीस में भरती किसने कर लिया....?" हॅरी अट्टहास सा करता हुआ आपाधापी में खड़ी शिल्पा के सामने बिस्तर पर पसर गया,"साले पोलीस वालों ने आज बहुत भगाया.... मुझे इतना काम करने की आदत नही है.....!"

"क्क्या मतलब...?" शिल्पा आस्चर्य से हॅरी का चेहरा घूरते हुए बोली....

"छ्चोड़ो.... आओ... थोड़ी मालिश कर दो.. मेरा बदन दुख रहा है....!" हॅरी बत्तीसी निकाल कर बोला और अपनी कमर में अटकाई हुई सी माउज़र निकाल कर टेबल पर रख दी......

ख़तरा भाँप चुकी शिल्पा भला यह मौका कैसे गँवाती... उसने फुर्ती दिखती हुए माउज़र लपक कर हॅरी की और तान दी...,"तो तुम इन्न लोगों के साथ मिले हुए हो... मैं तुम्हे छ्चोड़ूँगी नही....

"मुझे भी पोलीस वालों जितना चूतिया समझती है क्या सस्साली? इसमें गोली तेरा बाप डालेगा... मैं सब कुच्छ सब्र से करता हूँ... पर उन्न लोगों को सोन्प दिया तो तुझे कच्चा चबा जाएँगे.... समझ गयी....? अब इसको टेबल पर रख कर मेरे पास आ जा... वरना मैं उनको अंदर बुला लूँगा.....!" हॅरी ने लेते हुए ही कहा और फिर अपनी आँखें बंद कर ली.......

"मुंम्म्मय्यययी......." शिल्पा ने चुपचाप माउज़र को टेबल पर वापस रखा और रोने लगी....

"तू तो सच में चूतिया है...." हॅरी ने आँखें खोल कर टेबल से माउज़र उठाई और उसकी मॅग्ज़ाइन निकाल ली...," आज तो मैं गया था काम से.... साला भूल ही गया था कि तू पोलीस वाली है और तुझे गन चलानी आती है.... हा हा हा हा... ये ले... अब खेल ले इसके साथ... मेरा काम तो तू करेगी नही... लगता है मुझे उन्न दोनो को गिफ्ट में देना पड़ेगा तुझे.....!"

"प्ल्ज़... प्ल्ज़... मुझे छ्चोड़ दो... !" शिल्पा तुरंत हॅरी के पैरों में गिरकर गिड़गिदने लगी...,"मुझे जाने दो यहाँ से... मैं किसी को कुच्छ नही बोलूँगी.....!"

हॅरी बिस्तर पर सिरहाने को ऊँचा करके अढ़लेता सा हो गया और उसने कसमसाती हुई शिल्पा को अपनी बाहों में खींच लिया.....,"मैं लड़कियों को नही मारता... 'प्यार' करता हूँ... यही मेरा पेशा है....!"

आतंक के मारे बौखलाई हुई शिल्पा अपने आपको हॅरी के पहलू में सिमट'ते हुए पाकर विरोध तक नही कर सकी.... उसके आँसुओं से नमकीन हुए जा रहे उसके होन्ट जैसे ही हॅरी ने 'अपने' कब्ज़े में लिए; वह सिसक उठी... भय के मारे.....!

**************************************

"इसको पहचानते हो क्या? हॅरी को!" मानव जुलना कस्बे में जाकर दुकान दारों को अपने साथ लाई फोटो दिखा दिखा कर थक चुका था... उसकी उम्मीद ढीली पड़ने ही लगी थी कि एक जगह पान की दुकान पर बात बन गयी.....

"हां साहब... पर आप क्यूँ पूच्छ रहे हो?... ये तो निहायत ही शरीफ लड़का था....!"

"शरीफ माइ फुट, सस्सलाअ...!" मानव के मुँह से निकला... फिर अचानक ही उसने थयोरियाँ चढ़ा कर पूचछा..,"था मतलब?"

"मतलब अब वो यहाँ नही रहता साहब.... तीन चार साल हो गये.... घर वालों से अनबन के चलते वो घर छ्चोड़ कर चला गया था.....!"

"हूंम्म..... कौन कौन है इसके घर में... अब?" मानव ने उत्सुक होकर पूचछा...,"वो तो यहीं रहते होंगे ना...?"

"हां.... ये थोडा सा आगे चलकर पहली गली में तीसरा... नही नही... एक मिनिट... चौथा मकान है.... मम्मी पापा और छ्होटा बेटा ही रहते हैं यहाँ बस....!" दुकानदार ने अंदाज़ा लगाकर बताया....

"घरवालों से अनबन की कोई खास वजह....?" मानव ने एक और सवाल किया....

"इतना तो मालूम नही साहब.... पर लड़का बहुत शरीफ था.... राम क़ास्स्साम!"

"हूंम्म... थॅंक्स!" मानव ने कहा और दोनो पोलीस वालों को साथ लेकर आगे बढ़ गया.......

"ये आप क्या कह रहे हैं इनस्पेक्टर साहब... हॅरी तो कभी ऐसा सोच भी नही सकता...!" आलीशान बंगले में पोलीस वालों के सामने बैठे हॅरी के पिता जी मानव की बात सुनते ही उच्छल पड़े......

"देखिए में यहाँ झक मारने नही आया हूँ.... अगर आप मुझे उसके पते ठिकाने नही बताते तो मजबूरन मुझे आपको साथ लेकर जाना पड़ेगा..... फ़ायडा इसी में है कि आप उसके बारे में जितना जानते हैं, यहीं बता दें...." मानव व्याकुल हो उठा था....

"मैं मज़ाक नही कर रहा इनस्पेक्टर साहब... उस जैसा लड़का आपको शायद ही कोई और मिलेगा.... उसने तो आज तक चींटी भी नही मारी... आप खून करने की बात कर रहे हैं.....!" पिता जी ने दोहराया.....

"देखिए मैं उसका रिश्ता लेकर यहाँ नही आया हूँ जो आप उसकी तारीफों के पुल बाँधे जा रहे हैं... उसका ठिकाना बता दीजिए!" मानव ने अपने तेवर बदल कर कहा...

"सॉरी इनस्पेक्टर... मुझे पता होता तो मैं तीन साल से यहाँ बैठा उसकी राह नही देख रहा होता... उसको गले से लगाकर वापस ले आता...!" पिताजी की आँखों में आँसू उमड़ पड़े....

"तो फिर आपको मेरे साथ चलना पड़ेगा...!" मानव की तमाम कोशिशों के बाद भी हॅरी के घर वालों ने जब संतोषजनक जवाब नही दिया तो मानव कुर्सी से खड़ा हो गया....

"मुझे तो हमेशा से पता था वो ऐसा है.... आप ही सिर पे चढ़ा के रखते थे उसको.... देख लिया नतीजा... कटवा ली ना अपनी नाक... घर तक पोलीस आ गयी... अब भुग्तो... लगा लो उसको वापस लाकर कलेजे से.... अरे 'वो' बस दिखने का ही शरीफ था... पर मेरी तो आपने कभी सुनी ही नही.... पहले ही जायदाद से बेदखल कर देते तो आज ये दिन ना देखना पड़ता....." काफ़ी देर से मुँह बनाए उनकी बातें सुन रही औरत से रहा ना गया.... शायद वो हॅरी की माताजी थी.....

मानव ने तिर्छि नज़रों से देखते हुए हॅरी की माताजी की बातों का अर्थ निकालने की कोशिश की.... पर कुच्छ समझ में नही आया... अमूमन ऐसी बातें पिता के मुँह से सुन'ने को मिल जाती हैं.. पर.....

"नमस्ते अंकल!" बाहर से भागते हुए अंदर आए बच्चे पर भी मानव ने पैनी निगाह डाली.... करीब 8-9 साल का वो बच्चा आते ही अपनी मम्मी की गोद में बैठ गया......

"क्या ये आपकी दूसरी शादी है....?" मानव ने तर्कपूर्ण ढंग से सोचने के बाद पिताजी से सवाल किया.....

"चलिए.... मेरे साथ उपर चलिए.... सब बताता हूँ आपको...!" हॅरी के पिताजी ने कहा और खड़े होकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया......

"हां हां... बता दो सब कुच्छ... सारा दोष मुझ पर ही मढ़ देना... तुम्हारा बड़ा 'नाम' हो जाएगा इस'से... हॅरी तो हीरा है हीरा.... हाथ कंगन को आरसी क्या....! सब कुच्छ तुम्हारे सामने आ गया ना....! भुगतो अब...." माता जी अपने पति का इनस्पेक्टर को अकेले में उपर ले जाना बर्दाश्त ना कर सकी.... और कुच्छ ना कुच्छ बड़बड़ाती ही रही......

****************

"हॅरी हमारा बेटा नही है इनस्पेक्टर साहब!" उपर जाते ही पिताजी ने बात साफ करके मानव को चौंकने पर मजबूर कर दिया....

"'हमारा बेटा नही है' मतलब?... आपका बेटा नही है या फिर.....?"

"वो हम दोनो का ही बेटा नही है... हमने उसको गोद लिया था....!" पिताजी ने सपस्ट किया.....,"दरअसल शादी के केयी साल तक जब हम दोनो को कोई बच्चा नही हुआ तो हम दोनो ने हताश होकर बच्चा गोद लेने का फ़ैसला किया था.... पर हॅरी के घर में आने के 15 साल बाद भगवान ने मेरी बीवी की सुन ली.... मैं तब बच्चा नही चाहता था... पर.... मुझे पता था उसके बाद यही होगा.... मयूर के पैदा होने के बाद से ही सावित्री को 'हॅरी' खटकने लगा था.... पर मेरा विश्वास कीजिए इनस्पेक्टर साहब... 'वो' तो सच में हीरा था हीरा.....!" पिताजी ने अपनी नाम हो चुकी आँखों को च्छुपाने के लिए अपना मुँह फेर लिया......

"ओह्ह्ह... पर वो घर छ्चोड़ कर क्यूँ गया? क्या आपकी बीवी....?"

"हां..." पिताजी की गर्दन हां में हिली और झुकी हुई ही रह गयी...,"कोई कितना बर्दाश्त करेगा....!"

"उसको इस घर से कोई लगाव था भी या नही...?"

"था इनस्पेक्टर साहब.... वो तो मयूर को भी अपनी जान से ज़्यादा चाहता था... दरअसल नफ़रत का तो उसको पता ही नही था कि क्या होती है.... एक दिन उसकी मम्मी ने उस पर 'गोद लिया हुआ' कहकर ताने मारने शुरू कर दिए और मयूर का हक़ खाने वाला कहने लगी... उसके बाद केवल 2 दिन और ही 'वो' यहाँ रुका था बस... कुच्छ नही पता मुझे... कम से कम मुझे बता कर तो चला जाता.....!" अब तक पिताजी की आँखें बरसने लगी थी....

"ओह्ह.. आइ'म सॉरी... शायद 'इसी' नफ़रत ने उसको 'ऐसा' रास्ता इख्तियार करने पर मजबूर कर दिया..... मैं अपना नंबर. छ्चोड़ कर जा रहा हूँ... अगर आपको...."

"वो ऐसा नही कर सकता इनस्पेक्टर... मैं अब भी दावे के साथ कह सकता हूँ... आपको ज़रूर कोई ग़लतफहमी हुई है... वह मर जाएगा पर ऐसा काम नही करेगा....!"

"देखते हैं.... फिलहाल तो उसको ढूँढना है.....!" मानव ने कहकर उनके कंधे पर हाथ रखा और दोनो नीचे उतरने लगे......

..........................................

"शिवा...!" हॅरी करीब एक घंटे बाद कमरे में शिल्पा को रोती छ्चोड़ कर बाहर आया....

"जी बॉस...!" हॅरी को देखते ही शिवा तुरंत खड़ा हो गया.....

"उन्न दोनो का क्या किया?"

"बाँध के डाल दिया पिछे वाले कमरे में..... रात को ही टपकाना है ना?"

"अंदर जाकर पोलीस वाली की सी.डी. बना लो.... उसके बाद इसको दिखा भी देना...!" हॅरी ने उसको आदेश दिया.....

"पर बॉस..." शिवा पास आकर बोला.....," पोलीस वाली को धंधे में लाना ठीक नही है... लड़कियाँ तो और भी मिल जाएँगी...... ये 'साली' कभी भी फंस्वा सकती है.....!"

"भेजा नही है तो ज़्यादा टेन्षन मत लिया कर..... आज तक तुम लोग इसीलिए प्रेम की जगह नही ले पाए थे..... चल छ्चोड़... अंदर जाकर इसकी सी.डी. बना लो..... नरेश को चढ़ा देना पहले... इस साले को केमरा पकड़ना नही आता.... और हां ज़रा संभाल कर... कुँवारी थी अभी तक...." हॅरी ने मुस्कुरकर कहा तो नरेश की बाँच्चें खिल गयी....,"थॅंक यू बॉस!"

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RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास - by sexstories - 10-22-2018, 11:39 AM

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