RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
"ये ज़ीप यहीं मिली तुम्हे....?" मानव हाइवे पर ज़ीप बरामद होने की सूचना मिलने के कारण सीधा वहीं पहुँच गया था......
"जी जनाब...! किसी को अभी हमने अंदर भी बैठने नही दिया है.....!" हवलदार ने आकर सल्यूट बजाया....
"हूंम्म.... इसका मतलब वो यहाँ से पैदल....!" मानव टहलता हुआ सड़क किनारे पहुँचा और सड़क से नीचे टाइरन की छाप देख कर अपना सिर खुज़ाया...,"गाड़ी में गया है स्साला... कोई और अब भी उसकी मदद के लिए है....!"
"जी जनाब!" हवलदार ने टाल ठोनकी....
"ज़ीप में चेक करो कुच्छ मिल जाए तो.... एक मिनिट... स्टियरिंग मत छ्छूना.... मुझे कुच्छ और भी मामला लग रहा है...." कहते हुए मानव गाड़ी के टायरों के निशान के पास बैठ गया.... और बारीकी से निरीक्षण करते ही उसकी आँखें चमक उठी....,"तुम शहर जाने वाली गाड़ियों को भी चेक कर रहे थे क्या?"
"जी जनाब... आपका फोन आने के बाद तो हमने 'मुरारी' की गाड़ी को भी नही छ्चोड़ा... आने जाने वाले सारे वेहिकल अच्छि तरह चेक किए थे.....
"गुड.... यहाँ से वो गाड़ी घूमाकर वापस ले गये हैं... अगर वो शहर में नही घुसे तो कहीं आसपास ही हैं.... छ्होटे रास्तों पर तो वैसे भी सबने खास तौर पर चेकिंग की होगी... वो 100 % साथ वाले सेक्टर में ही मिलेंगे....!" मानव उतावला सा होकर अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ा और हेडक्वॉर्टर फोन किया....,"सर, मुझे करीब 50 पोलीस वालों की ज़रूरत है....!"
"काम'ऑन मानव... शहर में कोई आतंकवादी नही घुसे हैं... क्या करोगे इतनी फोर्स का.....?" एस.पी. साहब ने बिगड़े हुए लहजे में सवाल किया..... वो भी पोलीस वालों की हत्या और एक महिला पोलीस कर्मी की किडनॅपिंग से सकते में थे.....!
"सर मुझे घर घर की तलाशी लेनी पड़ेगी... वो लोग शर्तियाँ शहर में ही हैं...!" मानव ने ज़ोर देकर कहा....
"पागल हो गये हो क्या? घर घर की तलाशी......!"
"सॉरी सर... ई मीन सेक्टर 37 में घर घर की तलाशी.... ज़्यादा घर नही हैं यहाँ.... कुल मिलकर 4-5 घंटे का ही काम होगा.... मुझे हर व्यक्ति सिविल ड्रेस में चाहिए.....!"
"कितनी किरकिरी कारवाओगे यार... मीडीया हँसेगा हम पर.... नो! आइ वल्न'ट अल्लोव यू" एस.पी. साहब ने तल्खी से कहा.....
"प्लीज़ सर... आइ नीड युवर को-ऑपरेशन.... मैं शाम तक उन्हे गिरफ्तार कर ही लूँगा....!"
"ओ.के... मुझे उपर बात करने दो.... आइ'ल्ल कॉल यू बॅक!" एस.पी. साहब ने कहा और फोन काट दिया.....
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"काम हो गया बॉस!" शिवा अपनी चैन बंद करते हुए बाहर निकला... उस'के हाथों में वीडियो केमरा भी था.... पर बॉस... वो तो स्यूयिसाइड करने की बात कर रही है... हमने बहुत समझाया कि उसको बहुत पैसे मिलेंगे पर.....!"
"तुमसे जितना कहा जाए उतना ही किया करो.... वीडियो दिखाई उसको....?"
"जी बॉस... तभी तो...." शिवा ने सिर झुका लिया.....
"जाओ अब तोड़ा आराम कर लो.... मुझे बात करने दो उस'से.....!" हॅरी मुस्कुराया और कमरे के अंदर चला गया....
"सॉरी जान... पर क्या करता... आख़िर जान का सवाल है....!" हॅरी उसके पास जाकर बैठ गया......
"हाथ मत लगाओ मुझे... वैसे भी मुझे मारना है... तुम अभी क्यूँ नही मार देते.....!" शिल्पा बिलख उठी.....
"मुझे मारने से गुस्सा शांत हो जाएगा क्या?" हॅरी ने बत्तीसी निकाली पर रोती हुई शिल्पा रोती ही रही.....
"क्यूँ मरना चाहती हो...? सेक्स तो हर इंसान की ज़रूरत है... मैने किया था तो तुम थोड़ा थोड़ा एंजाय कर रही थी... मैने महसूस किया.... इन्न लोगों ने भी किया.. इसीलिए नाराज़ हो क्या?" हॅरी ने कहते हुए एक बार फिर शिल्पा को छ्छूने की कोशिश की तो शिल्पा बिफर पड़ी...,"अभी कसर रह गयी है तो और बुला लो... फिर सी.डी. बेचकर मुनाफ़ा कमाना और मुझे ब्लॅकमेल करना....!"
"ओह नो...! ये सब किसने कहा? साले हरामी... मुश्किल में गधे को भी बाप बनाना पड़ता है.......!" हॅरी ने गुस्से में कहा और फिर शांत होकर बोला...,"अगर में कहूँ कि ऐसा नही होगा तो...? उल्टा मैं तुम्हे एक अनोखा तोहफा देने वाला हूँ... हे हे हे...!"
उसके बाद करीब 5 मिनिट तक कमरे में सिर्फ़ शिल्पा के रोने की आवाज़ें आती रही... धीरे धीरे जब वह शांत हुई तो उसी ने चुप्पी तोड़ी..," कम से कम इस घटिया काम की वीडियो तो ना बनाते.... 2 महीने बाद मेरी शादी है... और तुम......!"
"देखो.. तुम जब चुप हो जाओगी तभी मैं कुच्छ बोलूँगा... ठंडे दिमाग़ से फ़ैसला करना.... मैं तुम्हारी प्रमोशन करवाने की सोच रहा हूँ... हे हे हे....!" हॅरी अपना पासा फैंक कर चुप हो गया... उसे शिल्पा से कुच्छ जवाब मिलने की उम्मीद थी... पर उस वक़्त शिल्पा कुच्छ और सोचने की हालत में थी ही नही......
"मुझे मार कर तो तुम्हरा गुस्सा शांत हो जाएगा ना....? प्रमोशन तो मिलेगी ही... शायद वीरता पदक भी मिल जाए... सोच लो....!" हॅरी ने कहा और अपनी माउज़र एक बार फिर उसकी ओर सरका दी....
शिल्पा ने एक बार हॅरी को घूर कर देखा और फिर अपनी नज़रें झुका ली... अरमान तो शायद उसके यही थे... पर उसको यकीन था कि माउज़र में अब की बार तो शर्तिया गोलियाँ नही मिलेंगी.....
"फ़ैसला तुम्हारा है... एक तरफ सी.डी. बन'ने के कारण तुम स्यूयिसाइड करने की बात बोल रही हो... दूसरी तरफ मैं तुम्हे प्रमोशन का चान्स और तुम्हारी सी.डी. वापस लौटने का ऑफर दे रहा हूँ... सोच लो... क्या नुकसान है...?"
"तुम..." शिल्पा की आँखों की पुतलियान आसचर्यजनक ढंग से फैल गयी..,"तुम ऐसा क्यूँ करोगे....?"
"तुम सिर्फ़ आम खाओ....! आज रात यही माउज़र तुम्हारे हाथ में होगी....वो भी फुल्ली लोडेड.... हम पाँचों का एनकाउंटर कर दो... सिर्फ़ शिवा और नरेश को ये नही बोलना है कि तुम बाद में उन्हे भी मार दोगि... मैं उनको विश्वास दिला दूँगा कि तुम उनको नही मारोगी... उसके बाद तुम्हे सिर्फ़ पोलीस के पास फोन करना है कि तुमने बड़ी बहादुरी से हम सबको मार गिराया.... सो सिंपल... मुझे मारने के बाद सी.डी. मेरी जेब से निकाल कर जला देना.....!" हॅरी ने पैतरा फैंका.....
"पर... पर तुम खुद को क्यूँ मरवाओगे....?" शिल्पा अपने साथ हुए हादसे को भूल कर हॅरी की कहानी में खोई हुई थी......
"बस... यही समझ लो कि दुनिया से मन भर गया है.... जैल नही जाना चाहता... आज नही तो कल पकड़ा ही जाउन्गा....!"
"पर तुम खुद भी तो अपने आपको और बाकी लोगों को मार सकते हो... मुझसे क्यूँ बोल रहे हो...?" शिल्पा असमन्झस में थी.....
"तुम्हारे लिए... सिर्फ़ तुम्हारे लिए... कल रात उन्न दोनो को लाने के लिए मुझे तुम्हाए साथ लाना पड़ा... और फिर आज जो कुच्छ हुआ.. उसकी कीमत अदा करके जाना चाहता हूँ.... बोलो!"
"नही... तुम मज़ाक कर रहे हो... है ना?"
"अगर तुम्हे लगता है तो.... कहो तो तुम्हारे सामने बाकी लोगों को मार कर दिखाउ? पर इस'से तुम्हारी बहादुरी कम हो जाएगी... हे हे हे...!" हॅरी हंसता रहा.. उसको समझ आ चुका था कि शिल्पा तैयार हो गयी है.....
"नही... पर तुम पागल हो क्या?" शिल्पा ने आस्चर्य से पूचछा......
"हाआँ....! हा हा हा हा हा..." हॅरी ने ज़ोर का ठहाका लगाया....,"और मेरे पास मेडिकल सर्टिफिकेट भी है... इसका... कहो तो दिखाउ?"
"नही रहने दो..." शिल्पा ने कहा और फिर हिचकिचा कर बोली...,"तो...कब?"
"आज रात को.... मैं और बाकी दोनो लड़कियाँ बँधे हुए होंगे और ये दोनो लड़के तुम्हारी मदद करेंगे.... हमें मारने के बाद जब ये दोनो हम तीनो को खोले तो तुम इनको भी.... समझ गयी ना?"
शिल्पा ने एक गहरी साँस ली.... उसको हॅरी की बातों पर विश्वास नही हो रहा था.. होता भी कैसे...?
"तैयार हो तो बोलो वरना मुझे कुच्छ और....." हॅरी बात कह ही रहा था कि शिवा और नरेश हड़बड़ाहट में भागे हुए सीधे आकर कमरे में घुस गये...,"बॉस.. मारे गये... बाहर 2 आदमी खड़े हैं... कद काठी से पोलीस वाले लग रहे हैं..... लगता है हम फँस गये......!"
"ओह.. शिट... 2 ही हैं या...?" हॅरी ने उत्तेजित होकर पूचछा....
"गेट पर तो 2 ही हैं बॉस... क्या पता बाहर....!"
"सावधानी से उनको अंदर बुला लो... वापस मत...."
"बचाआओ..... बचाअ...." शिल्पा पोलीस आने की बात सुनकर खुद को काबू में नही रख पाई.....
"स्स्साआआअलि.... कुतिया... मैं तुझे प्रमोशन दिलाने जा रहा था और तू...." हॅरी ने अपना जबड़ा भींच कर शिल्पा का मुँह दबाया और गोली सीधी उसके बायें सीने में उतार दी....
"बॉस... गोली की आवाज़ तो... अया..." शिवा को गोली मारने की वजह जब तक नरेश समझ पाता..वह भी एक भयानक चीख के साथ अपना दम तोड़ चुका था.... हॅरी पिछे वाली खिड़की से सीधा नीचे कूदा और अंदर सीमा और डॉली की ओर भागा....
जब तक पोलीस वाले हरकत में आकर दीवार कूदकर अंदर पंहूचते... कोठी में तीन गोलियाँ और चल चुकी थी.....
"हेलो..हेलो.. सर! यहाँ 375 में गोलियाँ चली हैं अंदर.. हमें लगता है वो यहीं छुपे हुए हैं... आप..!" बाहर खड़े पोलीस वाले ने तुरंत एस.आइ. के पास फोन घुमा दिया था...
"तो फोन कहे कर रहे हो यार.. अंदर जाकर पाकड़ो उनको.. हम अभी वहाँ पहुँच रहे हैं...!" उधर से फटी हुई आवाज़ आई...
"पर सर.. डंडे से हम गन का मुकाबला कैसे... कम से कम हथियार देकर तो...!" पोलीस वाला कह ही रहा था जब आख़िरी गोली चली थी...
"ओ.के. ओ.के. होल्ड ऑन दा स्पॉट.. मैं इनस्पेक्टर साहिब को सूचित करके अभी बाकी लोगों को वहीं भेज रहा हूँ... देखना कहीं पिछे से ना भाग जायें...!" एस.आइ. ने कहा..
"नही सर.. भागने का तो....," सिपाही के बोलते बोलते फोन काट गया...," काट दिया साले ने... कह रहा है अंदर जाकर पकड़ लो.. जैसे... इनकी मा की चूत.. साले खुद तो रेवोल्वेर टांगे चालान काट'ते रहते हैं... हम को बोल रहे हैं कि डंडा दिखा कर किल्लर को पकड़ लो.. हिस्स्स...!" सिपाही बड़बड़ाया...
"अब तो कोई आवाज़ नही आ रही यार... लगता है सारी गोलियाँ ख़तम हो गयी इनकी... अंदर चलकर देखें क्या...?" दूसरे सिपाही ने गेट से अंदर झाँकते हुए कहा....
"तू पागल है क्या..? क्या पता हमारे लिए बचा कर रखी हों एक आध... तुझे जाना है तो जा.. मुझे बहादुरी दिखाने का शौक नही है फोकट में... बात करता है..."दूसरा अधेड़ उमर का पोलीस वाला बड़बड़ाया..,"तू यहीं खड़ा रह.. मैं पीछे जाकर देखता हूँ..."
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इनस्पेक्टर मानव करीब 5 मिनिट में ही बताई गयी जगह पर पहुँच गया था... कुच्छ और पोलीस वाले भी तब घर में घुसे ही थे.....
"तुम उपर जाकर देखो...!" मानव ने एक साथी से कहा बंद कमरे के बाहर खड़े होकर ऊँची आवाज़ में कहा..,"तुम आज नही बच सकते! बहुत खून बहा लिया तुमने... चुपचाप बाहर आ जाओ...!"
प्रत्युत्तर में आवाज़ उपर से आई,"सिर्र्ररर... शिल्पा!"
"एक मिनिट यहीं रहना..." मानव ने कहा और उपर की और भगा... उपर कमरे में जाते ही वहाँ पड़ी तीन लाशों को देख मानव का कलेजा छल्नी हो गया,"ओह्ह माइ गॉड! बहुत कमीना है स्साला...!" मानव के मुँह से निकला और उसने हड़बड़ाहट में शिल्पा की नब्ज़ चेक की.. कुच्छ भी नही बचा था....
"ववो नीचे ही है...!" मानव गुस्से में दनदनाता हुआ वापस नीचे उतरा..,"तोड़ दो दरवाजा... इस साले को तो मैं....!"
मानव का आदेश मिलते ही एक हत्ते कत्ते पोलीस वाले ने खींच कर दरवाजे पर लात मारनी शुरू कर दी... तीन चार प्रयासों के बाद उनको दरवाजा तोड़ने में सफलता मिल गयी...,"ध्यान से...!" मानव ने निर्देश देकर अंदर पहला कदम रखते ही उसकी साँसे ठंडी पड़ गयी.. सीमा और डॉली की खून से लथपथ लाशें एक दूसरी से बँधी हुई पड़ी थी....
"अभी भी मौका है... हाथ उठाकर बाहर निकल आओ वरना....!" मानव ने कहा और धीरे धीरे दाईं तरफ वाले दरवाजे को खोला... पर वहाँ भी उसको निराशा ही हाथ लगी....
"सर यहाँ...एक और लाश...!" मानव वापस पलटा ही था कि सामने वाले दूसरे कमरे से आवाज़ आई... मानव फुर्ती दिखाते हुए कमरे तक पहुँचा और अंदर पड़ी लाश देखते ही उसके मुँह से निकला,"हररयययी?"
"साँस चल रही है सर...!सिर्फ़ बेहोश है..." पोलीस वाले ने उसकी नाड़ी छूते ही उच्छल कर कहा..,"इसके पेट में गोली लगी है...!"
"जल्दी इसको हॉस्पिटल पहुँचाओ... चार आदमी जाना साथ और हर पल इस पर नज़र रखना... बहुत शातिर है साला...! बाकी लोगों को भी चेक करो... हरी उप!" मानव उत्तेजित होकर चिल्लाया और कमरे में पिछे की और खुलने वाले दरवाजे से निकल कर सावधानी से बाहर आया.... गीली ज़मीन में पीछे वाली दीवार की तरफ जाते हुए जूतों की छाप और टपका हुआ खून सॉफ दिखाई दे रहा था.... सरसरी नज़र डालने पर ही उसको दीवार के पास एक जोड़ी जूते भी पड़े दिखाई दे गये... फौरी तौर पर ऐसा लग रहा था कि कोई जूते वहाँ निकाल कर दीवार के पार कूदा है...
"इसको किसने गोली मारी...!" मानव उधेड़बुन में वापस अंदर आया और पोलीस वालों से पूछा...,"इश्स मकान की तलाशी लेने कौन आया था...?"
"हम... ववो.. रज़बिर और मैं आए थे जनाब...!" एक पोलीस वाले ने बताया....
"जब तुम्हे शक हुआ तो क्या तुमने ये नही देखा कि घर के पिछे भागने की जगह है...!" मानव ने झल्लते हुए जवाब माँगा....
"पता था जनाब... मैं शक होते ही पिछे जाकर खड़ा हो गया था... वहाँ से कोई नही गया बाहर...!" पोलीस वाले ने झूठ बोलकर अपना बचाव किया.... पर मानव को उसके लहजे पर ही विस्वाश नही हुआ..,"कोई तो ज़रूर भागा है यहाँ से...!" मानव बोलते बोलते पिछे आ गया था..
"नही जनाब... भगा होगा तो पहले ही भागा होगा.... हमारे आने के बाद तो....!"
"बकवास बंद करो... जाकर मकान की तलाशी लो...!" मानव गहरी सोच में डूबा हुआ लग रहा था.....
"साहब.. उन्न लड़कियों की लाश के पास रेवोल्वेर पड़ी है...." एक पोलीस वाला भागते हुए मानव के पास आया....
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"बेटा... वो.. अंजलि को भेज देते तो हम घर चले जाते...!" फोन मानव के घर से आया था... आवाज़ मीनू के पापा की थी....
"ओह.. सॉरी पिताजी! मुझे तो ध्यान ही नही रहा था... आप थोड़ी देर और रुक सकते हैं क्या...?" मानव ने नरम लहज़ा करके बात की....
"वो तो ठीक है पर..." मीनू के पापा बोलते बोलते रुक गये..,"कितनी देर और?"
"मैं बस कुच्छ ही देर में फोन करता हूँ आपको...!" मानव ने बात करके फोन काटा और एक पोलीस वाले को अपने पास बुलाया...," तुम जाकर महिला थाने से अंजलि को लेकर हॉस्पिटल में आ जाओ... मैं वहीं पहुँच रहा हूँ...!"
"जी जनाब... मैं जा रहा हूँ...!" पोलीस वाले ने जवाब दिया....
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"सर... होश आ गया उसको... डॉक्टर ने कहा है आप बात कर सकते हैं...!" एक पोलीस वाले ने हॉस्पिटल के बाहर अंजलि के पास खड़े मानव को सूचना दी तो मानव के कदम तेज़ी से अंदर की ओर बढ़ चले.....
"जी तो चाहता है तुम्हारा यहीं एनकाउंटर कर दूं सस्सले...!" मानव ने अजीब सी नज़रों से उसको देख रहे हॅरी की ओर घूरकर शब्दों को चबाते हुए कहा...
"प्पर.. पर क्यूँ सर...?" हॅरी ने थोड़ा हिलने की कोशिश की और दर्द के मारे कराह कर अपना पेट पकड़ लिया...," मैने क्या किया है...? मैं तो आपका शुक्रगुज़ार हूँ कि आपने मुझे..... वो.. पिंकी ठीक है क्या?"
"बकवास बंद कर... बहुत हो गया नाटक.. स्साले... मेरी मजबूरी नही होती तो एक गोली वहीं तेरे भेजे के पार कर देता..." मानव ने आँखें निकाल कर सख़्त लहजे में कहा..,"तुझे गोली किसने मारी?"
"मुझे कुच्छ भी नही पता सर... मुझे तो 'वो' लोग एक दिन पहले ही उठाकर यहाँ लाए थे..."
"कहा ना बकवास...!" मानव बोलते बोलते अचानक बाकी बचे शब्दों को खा गया..,"अच्च्छा चल बोल... बता..पहले तू ही बोल ले...!"
"सर मुझे सच में नही पता मुझे गोली किसने मारी... मैं तो उनमें से किसी को जानता भी नही हूँ....!"
"अच्च्छा! बहुत खूब...!" मानव ने अपनी पैनी निगाह से उसके चेहरे पर उभरी शिकन का मतलब समझने की कोशिश की," क्यूँ मारी गोली...?"
"मुझे सच में कुच्छ नही पता सर... मैं...." हॅरी ने सिर झुका लिया..,"मैं और पिंकी.... पिंकी कुच्छ देर के लिए गुरुकुल से बाहर मेरे पास आई थी की उन्होने हमें उठा लिया... उसके बाद वो हमें कहीं ले गये और वहाँ से मुझे यहाँ लाकर क़ैद कर लिया था जहाँ से आप अभी... आपने मुझे बचा लिया वरना...."
"आए.. बोला ना बकवास मत कर.. जनाब तेरा यहीं रेमांड ले लेंगे अभी...... फालतू नाटक्बाज़ी करता है...!" साथ खड़े पोलीस वाले ने पॉइंट बनाने की कोशिश की....
"नही नही.. बोलने दे इसको... जी भर कर बोल ले बेटा.... चल बोलता रह!" मानव ने कहा....
"मुझे और कुच्छ भी नही पता सर... मैं और पिंकी एक दूसरे से... आप उसी से पूच्छ लो....!"
"पिंकी अब इस दुनिया में नही है...!" मानव ने पैतरा फैंका...
"किययाया...?" हॅरी के चेहरे पर अविश्वास के भाव उभर आए... ये कैसे हो सकता है सर... नही... ये नही हो सकता.....!"
"मतलब तू ये कहना चाहता है कि जिसने पिच्छले 24 घंटे में पोलीस की नाक में दम करते हुए दर्ज़न भर लोगों को मौत की नींद सुला दिया 'वो' तेरा कोई हमशकाल था... यही ना?"
"क्या कह रहे हैं आप...? मेरी कुच्छ समझ में नही आ रहा....पर पिंकी... वो कैसे..?" हॅरी ने आस्चर्य और शिकन अपने चेहरे पर लाते हुए पूचछा....
"कोई बात नही बेटा.... ठीक हो ले एक बार... सब समझ जाएगा..." मानव ने कहा और तभी उसको कुच्छ ध्यान आया... वह पोलीस वाले को इशारा करके बाहर निकल गया...
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"तुम हॅरी को कितना जानती हो अंजू...?" मानव ने अंजलि के पास आकर पूचछा...
"ठीक ठाक जानती हूँ.. क्यूँ?" अंजलि ने पलट कर सवाल किया....
"दरअसल.. मुझे लग रहा है कि कुच्छ गड़बड़..."मानव ने थोड़ा रुक कर कुच्छ सोचा और बोला...,"तुम हॅरी से पहली बार कब मिली थी....?"
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"मुरारी जी ने आपके लिए ही मेरी ड्यूटी यहाँ लगवाई है....!" मानव के बाहर जाते ही मौका देख कर पोलीस वाला अपनी औकात पर आ गया...
"क्या कह रहे हो..? मेरी कुच्छ समझ में नही आ रहा.. कौन मुरारी जी?" हॅरी ने अपनी पीड़ा पर काबू पाते हुए अंजान सा चेहरा बनाकर पूचछा...
"आप...? तो क्या तुम सच में बॉस नही हो...?"
"एक मिनिट.. दरवाजा बंद करना ज़रा....!" हॅरी के चेहरे पर अजीब से भाव आ गये....
"नही... ऐसे ही धीरे धीरे बोल दो... ये इनस्पेक्टर बड़ा घटिया है... किसी की भी नही सुनता... मुझ पर भी शक कर लेगा...!" पोलीस वाला उसके पास स्टूल लेकर बैठ गया....
"इस नंबर. पर फोन करना... ये तुम्हे सब समझा देगा..." हॅरी ने जल्दी जल्दी में एक नंबर. लिख कर उसको पकड़ा दिया....," आज रात ही इसका एनकाउंटर करवा दे... नही तो ये साला इनस्पेक्टर राम और श्याम की कहानी पर कभी भरोसा नही करेगा...! बाकी सब मैं संभाल लूँगा....!"
"हो जाएगा... पर 'वो' पैसे कहाँ से मिलेंगे...!" पोलीस वाले ने बत्तीसी निकाल ली....
"काम करने से पहले मिल जाएँगे... तू फोन तो कर एक बार...!" हॅरी अब संतुष्ट नज़र आ रहा था....
"पर ये क्या ? आपने खुद को गोली क्यूँ मारी... आप भाग भी तो सकते थे.... !"
"मेरी मति मारी गयी थी क्या जो मैं खुद को गोली मारूँगा... चूतिया लोग साथ रखेंगे तो और क्या होगा...इसकी मा की.. साली सीमा ने मरते मरते ठोक दी.... बेड के ड्रॉयर में से निकाल ली होगी आकर... दीवार पर चढ़ने की कोशिश की थी.. पर..." मानव को अंदर आते देख हॅरी चल रही बात से एक दम पलट गया," मुझे भी वो आजकल में मार ही देते... मेरी किस्मत ही अच्छि थी जो आप लोग आ गये...
"तू जितना स्याना है जनाब उसके डबल हैं... तेरी कहानी यहाँ नही चलने वाली... समझा..!" पोलीस वाला भी गिरगिट की तरह रंग बदल गया था...," पोलीस वालों को मारा है तूने... तू तो गया....!"
"बस कर..." मानव के आते ही पोलीस वाला खड़ा हो गया था....,"बाहर जा थोड़ी देर!"
"जी जनाब!" पोलीस वाले ने अदब से सिर झुकाया और बाहर निकल गया.....
क्रमशः......................
गतान्क से आगे................
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