RE: Hindi Chudai Kahani हिटलर को प्यार हो गया
दिपु और बॉब्बी दोनो दिपु के घर में बैठे थे और उनके सामने रखे पीसी में विकी रीत को चोद रहा था. रीत का नंगा जिस्म देखकर दोनो के लंड पॅंट में पूरे तने हुए थे. उन्होने पूरी चुदाई देखी और फिर पीसी बंद कर दिया. दिपु जो कि कुछ गुस्से में था बोला.
दिपु-यार बॉब्बी ये हिट्लर ने ठीक नही किया उसने हमारे साथ वादा किया था कि मैं सब को रीत की दिलाउन्गा मगर साला अब मुकर गया और उस से खुद ही शादी करने चला है. भले ही साला उस से शादी करले मगर रीत की चूत और गान्ड तो हम फाड़ कर ही रहेंगे. भले ही मुझे उसके लिए कुछ भी करना पड़े.
बॉब्बी-अरे यार मुझे ये सब सही नही लग रहा.
दिपु-क्या सही नही लग रहा तुझे.
बॉब्बी-यही कि हम हिट्लर और रीत के साथ ऐसा करे आख़िर हिट्लर हमारा दोस्त है.
दिपु-क्यूँ साले उसने कोन्सि दोस्ती निभाई हमेरे साथ जो हम उसकी दोस्ती का ख़याल करे. उसने भी हमें धोखा दिया.
बॉब्बी-नही दिपु उसने जो किया वो धोखा नही है. आख़िर वो प्यार करता है रीत से और तभी उस से शादी कर रहा है. इस से पहले जितनी भी लड़कियाँ उसकी जिंदगी में आई हम सब ने मिलकर उन्हे चोदा मगर रीत की बात अलग है यार उसने हिट्लर की ज़िंदगी में आकर उसे हिट्लर से हीरो बना दिया. और यहाँ तक दोस्ती निभाने की बात है तो उसने खूब दोस्ती निभाई है हमारे साथ. साले जब तुझे जिम्मी के ग्रूप ने पीटा था तो हिट्लर ने अकेले ही तेरे लिए उन सब की पिटाई की थी साले तू इतनी जल्दी भूल गया क्या. और इस से पहले भी कितने ही मौको पर उसने हम दोनो का साथ दिया है. उसने तो एक दोस्त होने के पूरे फ़र्ज़ अदा किए है दिपु उसने हमें कोई धोखा नही दिया और अगर हम अब रीत के साथ ऐसा करेंगे तो ये सबसे बड़ा धोखा होगा हमारा उसके साथ. मैं तो ये सब नही करूँगा दिपु आगे तुम्हारी मर्ज़ी है.
दिपु का चेहरा भी अब शांत पड़ चुका था वो अब अपने अतीत में खो चुका था कितने ही मौको पर विकी ने उसकी मदद की थी और मैं उसके साथ ये सब करने चला था. नही नही मुझे ऐसा नही करना चाहिए. यही सोचता हुया वो बोला.
दिपु-बात तो तेरी सही है यार. हवस मेरे पर इतनी भारी हो चुकी थी कि मुझे अपने यार के एहसान तो दिख ही नही रहे थे. मैं तो अंजाने में उसके साथ इतना बड़ा धोखा करने चला था. नही मैं ये कभी नही करूँगा. उसने अपना पीसी ऑन किया और वो क्लिप डेलीट कर दी. और बॉब्बी को गले लगा लिया अब उसकी आँखों में भी आँसू आ चुके थे.
बॉब्बी-अबे चल उठ अब शॉपिंग के लिए चलते हैं हमें अपने हिट्लर की शादी में भी तो जाना है.
डिपु उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा और उठ कर उसके साथ चल पड़ा.
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विकी और रीत की शादी की तैयारी हो चुकी थी. पूरे घर में चहल पहल थी. प्रीति भाग भाग कर काम कर रही थी क्यूंकी उसे अपनी भाभी का बेसब्री से इंतेज़ार था कि कब वो लाल जोड़े में सजकर उनके घर आए और कब वो उस से मिले. प्रीति को अगर बेसब्री थी रीत के आने की तो विकी का भी यही हाल था वो सोच रहा था कि कब रीत उसके साथ उसके बिस्तेर में होगी. और वो उसे जी भर कर प्यार करेगा. दिपु, बॉब्बी और हिट्लर के कुछ और दोस्त बार बार हिट्लर को सलाह दे रहे थे कि सुहागरात में ऐसे करना वैसे करना. विकी भी उनकी सलाहें सुन रहा था और हँस देता था.
आख़िरकार वो लम्हा आ ही चुका था जिसका सब को इंतेज़ार था. पूरे रसम और रिवाज के साथ विकी और रीत की शादी हो चुकी थी और अब वो लाल रंग के लहंगे में क़ैद वो अप्सरा विकी के घर उसकी पत्नी बनकर आ चुकी थी. सब के चेहरे उसे देखकर खुशी से खिल उठे थे. प्रीति और विकी तो खुश थे ही. लेकिन विकी के मम्मी पापा भी इतनी सुंदर और सुशील बहू पाकर फूले नही समा रहे थे. रीत को काफ़ी देर तक तो प्रीति और उसकी कुछ सहेलियों ने उलझाए रखा और दूसरी तरफ विकी को उसके दोस्तों की सलाहें अभी तक चालू थी. रात के 11 बज चुके थे तब रीत ने जाकर अपने कपड़े चेंज किए और एक रेड कलर का ही सलवार कमीज़ पहन लिया जो कि उसके गोरे जिस्म पे काफ़ी हॉट लग रहा था. उसने अपने आप को खूब तैयार किया और जाकर उस बेड पे बैठ गई जो कि स्पेशल उसकी सुहागरात के लिए सजाया गया था. उसने अपनी चुन्नी से अपने चेहरे पे घूँघट कर लिया और विकी का इंतेज़ार करने लगी.
कुछ ही देर में दरवाज़ा खुला और विकी अंदर आया और उसने दरवाज़े पे अंदर से कुण्डी लगा दी.
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