RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
उसने जहर भरी नज़रो से मेरी ओर देखा और कहा कि मुझे नही बताना कोई रास्ता-वास्ता तुमको अपने आप चले जाना और अपने गट्ठर को उठा कर बड़बड़ाती हुई आगे की ओर चली गयी मेरी तो समझ मे ही नही आया कि इसको क्या हुआ तो मैं भी आहिस्ता आहिस्ता उसी औरत की दिशा मे चल पड़ा जब मैने उस गाँव मे कदम रखा तो शाम ढल रही थी गाँव मे हर कोई मेरे भेस को ही देखे क्योंकि मैं बाहर से आया था तो लोग थोड़ी अजीब नज़रो से मुझे देख रहे थे
चोपाल पर कुछ बुजुर्ग बैठे थे मैने उनको राम राम किया और उनके पास बैठ गया उन्होने कहा मुसाफिर कहाँ से आए हो और किसके घर जाओगे तो मैने कहा बाबा मैं बड़ी दूर से आया हू और मुझे ठाकुर यूधवीर सिंग की हवेली जाना है हवेली का नाम सुनते ही उनके चेहरो का रंग जैसे उड़ सा गया तभी एक बुड्ढे ने पूछा कि बेटे तुम अजनबी आदमी तुम्हारा वहाँ क्या काम तो मैने कहा कि बाबा मुझे वहाँ से बुलावा आया है
उस बुजुर्ग की बूढ़ी आँखो मे कई सवाल दिखे मुझे उन्होने कहा बेटा हवेली तो वो किसी जमाने मे हुआ करती थी पर आज तो बस एक इमारत ही रह गयी है मैने कहा बाबा मुझे तो वही बुलाया गया है कुछ सवाल मेरे मन मे भी है इसी लिए तो मैं इतने दूर से यहाँ आया हू तो उन्होने कहा कि बेटा गाँव के दूसरी ओर पहाड़ो के पास है ठाकुर की हवेली पर बेटा अब रात घिरने को आई है तुम आज यही गाँव मे रुक जाओ
सुबह मैं किसी को तुम्हारे साथ भेज दूँगा वो तुम्हे वहाँ तक छोड़ आएगा तो मैने कहा बाबा आप मुझे मुनीम राइचंद के घर पहुचा दीजिए तो उन्होने कहा कि बेटा राइचंद जी को कैसे जानते हो तो मैने कहा कि उन्होने ही मुझे इस गाँव मे बुलवाया है तो वो बोले बेटा तुम कॉन हो तो मैने कहा बाबा बताया तो था कि मैं मुसाफिर हू फिर उन्होने एक लड़के को मेरे साथ भेज दिया मैने राइचंद के घर का दरवाजा खटखटाया
तो जिस औरत ने मुझे कुँए पर पानी पिलाया था उसी ने दरवाजा खोला और मुझे देखते ही मुझ पर बरस पड़ी और बोली कि अरे तुम ,तुम मेरे घर तक कैसे आए हम हवेली के बारे मे कुछ नही जानते जाओ चले जाओ यहाँ से और गुस्सा करने लगी मैने कहा जी आप मेरी बात तो सुनिए मुझे मुनीम राइचंद जी से मिलना है उसने अपनी कजरारी आँखॉको फैलाते हुवे कहा कि तुम मुनीम जी को कैसे जानते हो
मैने कहा मैं उन्हे नही जानता वो मुझे जानते है उन्होने ही मुझे यहाँ बुलाया है तभी अंदर से आवाज़ आई लक्ष्मी कॉन है किस से बात कर रही है तो उसने मुझे अंदर आने को कहा और अपने बैठक मे ले गयी वहाँ पर एक 45-50 साल का आदमी बैठा था रोबीला इंसान था मैने हाथ जोड़कर उनको नमस्ते किया तो वो बोले मैने आपको पहचाना नही तो मैने कहा जी मेरा नाम देव है ये सुनते ही जो पान के बीड़े की पेटी उनके हाथ मे थी वो उनके हाथ से नीचे गिर गयी
उनकी आँखे हैरत से फैल गयी उन्होने अपने चश्मे के शीशे को बनियान से पोन्छा और कहा ज़रा फिर से बताना तो मैने कहा जी मैं देव हूँ उन्होने मुझे अपने सीने से लगा लिया उनकी आँखे पानी से भर आई वो बोले मुझे पता था कि आप ज़रूर आएँगे उन्होने कहा लक्ष्मी देख क्या रही है इनका स्वागत कर आज हमारे द्वार पर देख कॉन आए है
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