Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
11-02-2018, 11:28 AM,
#6
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
पता नही कैसी कशिश थी उन तस्वीरो मे लगा की बस देखता ही जाउ उनको एक लगाव सा हुवा मुझे उन चेहरो के साथ पता नही मै कितनी देर रहा उस कमरे मे मेरी तंद्रा तब टूटी जब नीचे से कोई मुझे ज़ोर ज़ोर से आवाज़ लगा रहा था मैं गॅलरी मे आया और झाँक कर देखा तो मैने लक्ष्मी को खड़ा देखा

वो अपने सर पर दोनो हाथ रखे मुझे पुकार रही थी जब मैने उसको देखा तो मेरी नज़र उसकी तनी हुवी चूचियो पर चली गयी मैने कोशिश की कि मै ऐसा कुछ ना सोचु पर मेरा मन माना ही नही कुछ देर तक उसके बोबो को देखने के बाद मैने कहा जी अभी आया और नीचे पहुच गया

तो वो बोली पता है आपको सारे गाँव मे ढूँढ कर अब इधर आई हू आपका अकेले यहाँ आना ठीक नही है कम से कम बता कर तो आते मैने कहा वो तो मै घूमते घूमते इधर आ गया लक्ष्मी बोली मालिक आप थोड़ा सा सावधानी बरते ऐसे अकेले घूमने से आपको ख़तरा है तो मैने कहा मुझ अंजान को कैसा ख़तरा तो वो बोली अब आप अंजान नही रहोगे जल्दी ही सबको मालूम हो जाएगा कि ठाकूरो का अंतिम वारिस लोट आया है और फिर गाँव मे भी कई दुश्मन है मैने कहा एक मिनिट जब मै किसी को जानता ही नही हू तो फिर दुश्मन कहाँ से हो गये तो लक्ष्मी दबी आवाज़ मे बोली की मालिक समय आने पर आपको सब पता चल जाएगा मै आपकी बातों का उतर नही दे सकती हू अभी आप घर चले भोजन का भी समय हो गया है

मैने कहा पर मेरे सवालो का जवाब कोन देगा तो लक्ष्मी बोली सब कुछ समय पर छोड़ दीजिए और अभी घर चलिए तोमै उसके साथ घर आ गया पर मेरे मन मे एक तूफान सा चल रहा था और कोई भी आसानी से मेरे सवालो का जवाब नही दे रहा था तो मै उलझ सा गया था अनचाहे ही ज़िंदगी मे एक ऐसा मोड़ आ गया था जो मुझसे झिल नही रहा था

मै अपने ख़यालो मे खोया हुवा था तो लक्ष्मी ने मेरा ध्यान तोड़ते हुवे कहा की आपको खाना परोस दू तो मैने कहा नही मुझे भूख नही है तो वो बोली भूख क्यो नही है आपं सुबह भी अच्छे से नाश्ता नही किया था मैने कहा जी मुझे सच मे भूख नही है तो वो कहने लगी की आप आराम करे मै ज़रा खेतो की ओर होकर आती हू अगर कुछ चाहिए तो नौकरो से कह देना

मैने कहा अगर आप बुरा ना माने तो मै भी आपके साथ खेत मे चलूं इधर मेरा मन भी नही लगेगा और थोड़ा घूम भी लूँगा तो लक्ष्मी ने कुछ सोचा और फिर बोली की ठीक है आ जाइए और मै उसके साथ खेतो की ओर चल पड़ा रास्ते मे लक्ष्मी मुझसे बात करती जा रही थी और लंडन के बारे मे भी पूछ रही थी वहाँ के लोग कैसे है और मै उनके हर सवाल का जवाब दे रहा था

ऐसे ही बाते करते करते हम लोग खेतो में आ गये तो लक्ष्मी ने कहा की आप बैठो मै ज़रा कुवे की मोटर चला कर ज्वार मे पानी छोड़ देती हू मैने कहा मै भी आपकी मदद करू क्या तो वो बोली आप रहने दीजिए पर मैने ज़िद की , कि नही मै भी काम करूँगा तो वो बोली की आप क्यू मुझे पाप का दोषी बनाना चाहते है आपप मालिक लोग है हम पर पाप ना चढ़ाए

तो . मै वही खड़ा हो गया और लक्ष्मी अपना काम करने लगी तभी पानी के बहाव से खेत की एक साइड की नाली टूट गयी और पानी खड़ी फसल मे जाने लगा तो लक्ष्मी ने अपने लहंगे को जाँघो तक चढ़ा लिया और कास्सी लेकर नाली को सही करनी मे जुट गयी और मेरी नज़र उसकी साँवली पर चमकीली जाँघो पर पड़ गयी तो एक पल मे ही मेरा लौडा पैंट मे खड़ा हो गया और बाहर आने को मचलने लगा

कसम से बड़ा ही मोहक नज़ारा था वो मैने सोचा काश ये अपने लहंगे को थोड़ा सा और उचा कर ले तो मज़ा ही आ जाए उसकी टाँगे बड़ी ही चिकनी और मस्त लग रही थी मुझे मेरा गला सूख गया दिल तो किया कि एक इसको यही पर पकड़ लू पर ऐसा कर नही सकता था तो बस उसकी टाँगो का नज़ारा देखता ही रहा काफ़ी देर तक वो नाली को ठीक करती रही और मै उसको देखता रहा

लक्ष्मी के पैर कीचड़ मे सन गये थे तो फिर उसने कस्सि को साइड मे रखा और खेली पर अपने पैर रख कर उनको धोने लगी तो उसका घाघरा और भी उठ गया और अब काफ़ी अंदर का नज़ारा दिखने लगा वो अपनी मस्ती मे मगन थी तो उसको ध्यान नही था कि मै उसके बदन को नज़रो से पी रहा हू ना जाने क्यो वो मुझे बड़ी अच्छी लगने लगी थी

फिर वो मेरे पास आई और बोली की आइए आगे को चलते है तो मै उसके पीछे पीछे कच्ची पगडंडी पर चल पड़ा उसके खेत दूर दूर तक फैले हुवे थे अपनी गोल गान्ड को मटकाती हुवी वो आगे आगे चले जा रही थी जैसे कोई मस्त हिरनी जंगल मे विचरण कर रही हो मेरा लंड चीख चीख कर कह रहा था कि मुझे इसकी गान्ड मे डाल दे पर मै कुछ कर नही सकता था

थोड़ा आगे जाने पर खेत दो भागो मे बॅट गये एक तरफ तो ज्वार खड़ी थी और दूसरी ओर गन्ने की फसल लहलहा रही थी पास मे ही एक झोपड़ी सी बनी थी तो लक्ष्मी मुझे अंदर ले गयी और बोली कि आप आराम करो मैं ज़रा अभी आती हू तो मैने कहा आप मुझे अकेला छोड़ कर कहाँ जा रही है तो वो बोली मै बस अभी आई पर मैने कहा की नही आप जहा भी जा रही है मुझे भी ले चलिए

तो वो अपनी चुनरिया को उंगली मे घूमाते हुवे बोली की मैने कहा ना की मै अभी आई पर मैने सोचा कही ये मुझे छोड़ के ना चली जाए तो मैने कहा नही आप के साथ ही चलूँगा तो वो झुंझलाते हुवे बोली की मुझे पेशाब करने जाना है मैने कहा तो जल्दी जाओ वो तुरंत ही झोपड़ी से बाहर निकल गयी और पीछे की तरफ चली गयी मैने देखा की दीवार मे एक खिड़की है जिस से पीछे का दिख सकता है

तो मै उत्सुकता से खिड़की से बाहर देखने लगा लक्ष्मी ने अपने घाघरे को कमर तक उपर किया और झट से नीचे मूतने को बैठ गयी मेरी नज़र उसके गोल मटोल कुल्हो के कटाव पर ठहर गयी और मेरा बुरा हाल होने लगा उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या नज़ारा था मुझे लगा कही मै अपने होश ही ना खो दूं पर अभी गजब होना तो बाकी ही था कुछ देर वो मूत ती रही

फिर वो उठी और अपनी टाँगो को थोड़ा सा चोडा कर के खड़ी हो गयी जिस से उसकी खुली टाँगो से मुझे उसकी चूत दर्शन हो गये काले घने बालो के बीच दुबकी हुवी उसकी गुलाबी रंग की चूत को इस पोज़िशन मे मै अच्छे से निहार पा रहा था एक दो सेकेंड बाद लक्ष्मी अपना हाथ चुत पर लेके गयी और जो पेशाब की एक दो बूंदे वहाँ लगी थी उनको अपने हाथ से सॉफ कर दिया

जब उसकने अपनी चूत को हथेली से दबाया तो उसके बड़े बड़े चूतड़ एक अनचाही ताल से थिरक से उठे पर ये सब ज़्यादा देर नही चला फिर उसने अपने घाघरे को नीचे किया और वापिस आने लगी मै तुरंत जंगले से हटा और चारपाई पर आकर बैठ गया पर मेरा हाल बुरा हो गया था पसीना बह चला था शरीर से और लंड तो बस गुस्से से फन फ़ना रहा था

अंदर आने पर लक्ष्मी ने कहा की मै थोड़ी सी घास काट लेती हू फिर हम घर चलेंगे मैने अपना थूक गटका और कहा की आप घास काट लो मै आस पास थोड़ा सा घूम लेता हू तो वो बोली नही देव बाबू शाम घिर आई है थोड़ी देर मे अंधेरा हो जाएगा तो आपका ऐसे अकेले रहना ठीक नही है आप मेरे साथ ही रहिए

पता नही क्यो मैं लक्ष्मी की बात नही काट पाया वो जल्दी जल्दी से घास काटने लगी और मै अपनी आँखे उसके बदन से सेकने लगा पता नही क्यो पर मेरे दिल मे उसको चोदने का ख्याल कुछ ज़ोर्से ही आ रहा था मेरा खुद पर काबू रख ना बड़ा मुश्किल हो रहा था पर मै रिस्क लेना नही चाहता था करीब घंटे भर बाद हम गाँव की तरफ हो लिए अंधेरा होने लगा था
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