Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
11-02-2018, 11:30 AM,
#13
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
फिर मुझे नाश्ता करवा कर लक्ष्मी चली गयी और कुछ देर बाद मैं भी उनके घर से बाहर निकल आया मैने ड्राइवर से कहा कि मालकिन जब आए तो तुम कह देना कि तुम ही मुझे हवेली लेकर गये थे और बाहर चल पड़ा पिछले दिनो जो बारिश हुवी थी उस से प्रकृति जैसे शृंगार कर उठी थी गाँव महक उठा था ठंडी ठंडी हवा चल रही थी पेड़ो पर कोयल कूक रही थी ऐसा वातावरण मैने तो कभी नही देखा था मैं थोड़ी दूर आगे चला तो मैने देखा कि उसी चोपाल पर कुछ लोग बैठे है तो मैं भी वही जाकर बैठ गया

मैने उन लोगो को नमस्ते किया और उनकी बात चीत मे शामिल हो गया कुछ लोगो ने कहा मुसाफिर तुम किसके मेहमान हो तो मैने राइचंद जी का नाम ले दिया मैं उनको बताना नही चाहता था कि मैं ठाकुर यूधवीर सिंग का पोता हू उनकी बातों से पता चला कि गाँव को पानी पहुचाने वाली लाइन टूट गयी है और सबको पानी के लिए नदी का सहारा लेना पड़ रहा है कई अधिकारियो के आगे गुहार लगाई पर बस आश्वासन ही मिला है कोई भी लाइन को ठीक नही कर रहा

तो मैने कहा कि पर गाँव मे पानी की टंकी तो होगी ना एमर्जेन्सी के लिए तो वो बोली कि नही टंकी भी नही है तब मुझे पता चला कि ये काफ़ी पिछड़ा हुवा गाँव है मैने कहा आप मुझे उस अधिकारी का नाम बताए जो पानी का डिपार्टमेंट संभालता है मैं आपकी समस्या को दूर करवाउन्गा तो वो लोग मेरा उपहास उड़ाते हुवे बोले मुसाफिर जब पूरे गाँव से कुछ ना हुवा तो तुम अकेले क्या कर लोगे मैने कहा एक कोशिश तो कर ही सकता हू

उनकी बातों मे मसगूल हुवा तो समय का ध्यान ही नही रहा एकाएक मुझे याद आया कि वकील साहब आ गये होंगे हवेली तो मैं वहाँ से अपने घर चल पड़ा मैं वहाँ पहुचा तो वकील के साथ वहाँ पर कुछ लोग और थे वकील ने मेरा इंट्रो उनसे करवाया तो उनमे से एक ज़िले के कलेक्टर थे और एक तहसीलदार था मैने कहा बताइए मैं आपके लिए क्या कर सकता हू

तो वकील ने कहा कि देव बाबू जब मैने डीसी साहिब को बताया कि हवेली का वारिस लॉट आया है और फिर कुछ फॉरमॅलिटीस भी करनी थी तो ये पर्सनली आपसे मिलने आए है फिर हमारी बाते होने लगी तो पता चला कि गाँव के दूसरी तरफ नाहरगढ़ की सीमा पर हमारी कोई 50 एकड़ ज़मीन है जिसपर वहाँ के ठाकुर खानदान का क़ब्ज़ा है अब तो डीसी साहब चाहते थे कि वो मामला आराम से सुलझाया जाए और ऐसी परिस्थिति ना हो जिस से की प्रशासन को प्राब्लम हो

तो मैने कहा सर आप किसी भी प्रकार की टेन्षन ना ले मैं तो अभी आया हू और मुझे अभी कुछ भी नही पता कि मेरा क्या क्या कहाँ कहाँ है एक बार मैं सबकुछ देख लूँ जान लूँ फिर आप जैसे कहेंगे वैसा ही कर लेंगे डीसी साहब मेरी बात सुनकर खुश हो गये और बोले आप से मिलकर अच्छा लगा कोई काम हो तो याद करिएगा तो मैने कहा सर आपकी मदद तो चाहिए ही चाहिए

वो बोले आप तो बस हुकम करिए मैने कहा कि सर गाँव की पानी सप्लाइ की लाइन टूटी पड़ी है और अधिकारी ठीक नही कर रहे है तो उन्होने तुरंत ही फोन मिलाया और अगले दिन तक लाइन ठीक करने का हुकम सुनाया मैने उनको धन्यवाद दिया उनके जाने के बाद मैं वकील से मुख़्तीब हुवा तो उसने फिर से मुझसे कई पेपर्स पर साइन करवाए घंटो बाद उसने कहा कि सर अब आप लीगली हवेली और सारी प्रॉपर्टी के मालिक हो गये है तो बस मैं मुस्कुरा कर रह गया

मैं वकील से बात कर ही रहा था कि तभी राइचंद जी भी आ गये उन्होने कहा कि देव बाबू सारा काम हो गया है कल शाम तक हवेली मे बिजली लग जाएगी और कुछ दिनो मे ये हवेली फिर से रहने लायक हो जाएगी राइचंद जी ने घर फोन किया और कोई आधे घंटे बाद लक्ष्मी हम सब के लिए चाइ नाश्ता ले कर आ गयी और हम कुछ और बातों पर चर्चा करने लगे

कल मुझे राइचंद जी के साथ शहर जाना था कुछ काम थे जो मेरे बिना नही हो सकते थे तो अगले दिन हम शहर चल पड़े उन्होने कहा आप को जो भी कार पसंद हो आप खरीद लीजिए मैने कहा मुझे इन सब चीज़ो की कोई आवश्यकता नही है पर वो बोले नही कार तो चाहिए ही ना और फिर कही आना जाना हो तो वो मुझे एक बड़े कार शोरुम मे ले गये और हम ने दो कार खरीदी

मैने कुछ नये कपड़े भी खरीदे और थोड़ा ज़रूरत का सामान भी लिया रात होते होते हम वापिस गाँव आ गये पूरा दिन बेहद थका देने वाला था तो आते ही मैं सीधा सो गया हवेली की सॉफ सफाई करवाई जा रही थी मैने बता दिया था कि किन दो कमरो मे रहूँगा तो उनके इंटीरियर का काम चालू था इधर राइचंद जी मुझे हर बारीकी का ज्ञान करवा रहे थे उन्होने मुझे बताया कि कितनी ज़मीन है मेरे पास और कहाँ कहाँ है मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था कि मेरे पुरखे मेरे लिए इतना कुछ छोड़ कर गये है

गाँव की पानी की लाइन ठीक हो गयी थी और पानी की टंकी मैने मेरी तरफ से बनवा दी थी दिन ऐसे ही गुजर रहे थे अक्सर मैं गाँव की चोपाल पर चला जाता था लोगो को ये तो पता चला था कि हवेली का वारिस आया है पर उनको ये नही पता था कि मैं ही ठाकुर देव हू और मैने भी इस बात का ज़िक्र करना आवश्यक नही समझा 24 घंटे राइचंद साथ रहता तो फिर गोरी से भी नज़र दो-चार नही हुवी थी और लक्ष्मी के तो कहने ही क्या थे
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