Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
11-02-2018, 11:30 AM,
#15
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
मैने कहा ये उधर रहेगा तो मुझे भी अकेला पन महसूस नही होगा तो कुछ सोच कर चंदा ने हां करदी मैने कहा ठीक है नंदू तुम कल से आ जाना और मैं हवेली आ गया गर्मी बहुत थी तो मैं नाहया और थोड़ी देर लेट गया पता नही कब नींद आ गयी नींद आई तो अपने साथ सपना भी ले आई काफ़ी दिनो बाद ऐसी घेरी नीड आई थी और सपना भी जबरदस्त

सपने मे मैं लक्ष्मी की चूत मार रहा था आख़िर आजकल बस यही तो मेरी एक इच्छा थी और जैसे ही मेरा होने को हुआ किसी ने मुझे जगा दिया अपनी आँखे मल्ता हुवा मैं उठा तो देखा कि मेरी आँखो के सामने लक्ष्मी ही खड़ी थी उसने कहा यहाँ क्यो सोए पड़े हो तो मैने देखा कि मैं बरामदे मे पड़े तख्त पर ही सो गया था उसने कहा कि जल्दी तैयार हो जाओ आम के बाग मे चलना है

मैने नीचे देखा तो लॅंड ने निक्कर मे टॅंट बनाया हुवा था लक्षी की नज़र जब उस पर पड़ी तो एका एक उसके होंठो पर एक मुस्कान आ गयी मैने कहा क्या हुवा वो बोली कुछ नही तुम जल्दी चलो मैने कहा तुम बैठो मैं अभी आता हू और फिर थोड़ी देर बाद पैदल पैदल ही बाग की ओर चल पड़े लक्ष्मी ने अपने घाघरे को नाभि से काफ़ी नीचे बाँधा हुवा था तो उसका पुरा पेट और नाभि चिकनी कमर को देखकर मुझ पर जैसे नशा सा छाने लगा

मैं कुछ रुक सा गया और उसके मादकता से भरपूर चौड़े नितंबो को हिलते हुवे देखता रहा तभी वो पीछे को पलटी और बोली रुक क्यो गये जल्दी जल्दी चलो पर उसको कौन बताए कि जब वो ऐसे बिजलियाँ गिराते हुवे चलेगी तो फिर हम जैसो को होश कहाँ रह जाएगा और एक मेरा लंड था जो कि बैठने का नाम ले ही नही रहा था मैने निक्कर मे हाथ डाला और उसको अड्जस्ट किया थोड़ी दूर आगे जाने के बाद मैने कहा मैं पेशाब कर लूँ

वो बोली ठीक है और थोड़ा सा आगे जाके खड़ी हो गयी मैने अपनी निक्कर नीचे की और अपने तने हुवे लंड को बाहर निकाल लिया जैसे ही उसे खुली हवा लगी वो किसी साँप की भाँति फुफ्कारने लगा मैने तिरछी नज़रो से देखा कि लक्ष्मी चोर नज़रो से मेरी ओर ही देख रही है तो मैं थोड़ा सा और टेढ़ा हो गया ताकि वो अच्छे से मेरे लिंग का दीदार कर सके

फिर लंड से पेशाब की धार निकली और नीचे धरती पर गिरने लगी मैने देखा की लक्ष्मी बड़ी गहरी नज़रो से मेरे लंड को ही देखे जा रही थी फिर मैं उसके पास आया और बोला कि चलो जल्दी से फिर हम बाग मे आगये मैने आज तक ऐसा बाग नही देखा था पता नही कितनी दूर तक फैला हुवा था वो काफ़ी घने घने पेड़ थे और सभी पेड़ो पर ताज़ा आम लटक रहे थे पर मुझे उन आमो से ज़्यादा इंटेरेस्ट लक्ष्मी के आमो मे था

वो बोली ये तुम्हारा बाग है पता है कोई तुम्हारे लिए काम नही करना चाहता कोई चौकीदार नही है तो पता ही नही है कि कितनी चोरी हो रही है रोज अब तो बस जल्दी से कुछ लोग काम करने वाले मिल जाए तो किसी तरह से नुकसान रुके मैने कहा आप फिकर ना करे मैने गाँव के लोगो से बात की है कुछ लोग तो तैयार हो जाएँगे ही

हम चलते चलते थोड़ा और आगे की तरफ निकल आए लक्ष्मी बोली आम खाओगे मैने कहा खा लूँगा अगर आप खुद तोड़ कर खिलाओगी तो वो बोली पर मैं कैसे तोड़ पाउन्गी पेड़ तक तो मेरा हाथ पहुचेगा ही नही मैने कहा वो मुझे नही पता अपने हाथो से तोड़ कर खिलाओ तो खाउन्गा वो बोली तुम भी ना जाने कैसी कैसे ज़िद कर लेते हो मैने कहा और आप भी कभी ज़िद पूरी नही करती हो

कुछ देर बाद वो बोली ठीक है आज मैं तुम्हे अपने हाथो से ही आम तोड़कर खिलाउन्गी तुम एक काम करो मुझे उठा कर उपर करो क्या पता कोई आम मेरे हाथ लग ही जाए मैने कहा पर आप इतनी भारी हो मैं आपको कैसे उठा पाउन्गा तो वो बोली अरे कहाँ भारी हू मुनीम जी के खाट पकड़ने के बाद तो मैं कितनी दुबली हो गयी हू तो मैने कहा क्यो मुनीम जी क्या आपको मोटा होने की घुट्टी पिलाते थे क्या तो लक्ष्मी के गाल लाल हो गये वो बोली इस बात को तुम अभी नही समझोगे

मैने कहा मैं क्यो नही समझूंगा और फिर आप तो हो ही समझने के लिए तो लक्ष्मी बोली अच्छा छोड़ो इस बात को और मुझे उपर करो मैने कहा जी अभी करता हू वो बिल्कुल मेरे सामने खड़ी थी तो मैने उसके भारी भारी चुतड़ों पर से उसको उठाया और उपर कर दिया वो बोली थोड़ा सा और उपर उठाओ तो मैने थोड़ा सा और किया अब हुआ ये कि उसके मोटे चूतड़ मेरी नाक के सामने आ गये

वो उपर आम तोड़ने लगी उसके कूल्हे मेरे इतने पास थे कि मुझे पता नही क्या हुवा मैने अपना चेहरा उसके कुल्हो की दरार पर सटा दिया और अपने मूह से उनको दबाने लगा आगे की तरफ मेरे हाथ जो कि उसकी ठोस जाँघो पर थे मैने उसकी जाँघो को कसकर दबा दिया लक्ष्मी के मूह से एक आह निकल गयी मैने कहा क्या हुवा वो बोली कुछ नही तुम मुझे अच्छे से पकड़ना कही गिरा ना देना

मेरी नाक उसकी दरार मे घुसने को बेताब हो रही थी लक्ष्मी थोड़ा कसमसाने लगी पर मैं अपनी नाक को वहाँ पर रगड़ता रहा मुझे पता था कि उसने अंदर कच्छि तो पहनी नही है उसकी गान्ड के इतने करीब होने के एहसास से ही मैं उत्तेजित हो गया था तभी लक्ष्मी बोली कि मैं ऐसे आम नही तोड़ पा रही हू तुम मुझे पलटो और उन छोटी वाली टहनी की तरफ चलो तो मैने उसे उतारा और उधर ले जाकर फिर से उपर कर दिया

पर अबकी बार वो ऐसी उपर हुई कि उसकी चूत मेरे मूह पर थी अब मैं तो पागल ही होने वाला था मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था उसकी चूत बिकलूल मेरे मूह पर ही थी मैने सोचा कि अभी सही मोका है इधर एक किस कर दूं तो मैने अपना मुँह उसकी योनि पर रख दिया जैसे लक्ष्मी को अपनी चूत पर मेरे होठ महसूस हुए उसके बदन मे कंपन होने लगा मैने कहा क्या करती हो आराम से खड़ी रहो ना वरना गिर जाओगी वो अजीब सी आवाज़ मे बोली कि सही तो खड़ी हू

पीछे मैं धीरे से उसके चुतड़ों को छेड़ने लगा था मैं बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो चुका था और पता नही कैसे मैने उसकी योनि पर अपने दाँत गढ़ा दिए लक्ष्मी का बॅलेन्स बिगड़ गया और वो मुझे लिए लिए ज़मीन पर आ गिरी वो मेरे उपर थी उसका घाघरा कमर तक उठ गया था और उसकी चूत मेरे लंड पर अपना दबाव डालने लगी थी लक्ष्मी उठना चाहती थी पर मैने उसको अपनी बाहों मे दबा लिया अब वो मेरे सीने से बिकुल चिपक गयी थी

पर जल्दी ही वो अपनी स्थिति को भाँप गयी और उठ गयी उसने अपने घाघरा को सही किया मैं भी खड़ा हो गया मेरी निगाह उसके तेज़ी से उपर नीचे होते सीने पर गयी तो फिर मैं अपने होश-हवास भूल गया मैने लक्ष्मी को पेड़ के तने के सहारे लगाया और पागलो की तरह उसके काटीले होंठो को पीने लगा मैने उसको मजबूती से पकड़ लिया और उसको किस करते ही जा रहा था

मैने उस एक पल मे ही सोच लिया था कि चाहे अब कुछ भी हो जाए अब पीछे नही हटना आज लक्ष्मी की चूत मारनी ही मारनी है मैं अपना एक हाथ नीचे ले गया उसके घाघरे के नाडे को खोल दिया एक पल मे ही घाघरा उसके पैरो मे आ गिरा लक्ष्मी भी समझ गयी थी कि अब बात हद से आगे बढ़ गयी है तो उसने मुझे धक्का दिया और अपने से दूर कर दिया

और अपने घाघरे को उठा कर कमर तक चढ़ा लिया पर वो नाडा नही बाँध पाई मैं फिरसे उसके पास गया तो वो बोली देव रुक जाओ मैं उसके पास गया और बोला नही आज मैं नही रुक सकता मुझे आपकी ज़रूरत है मैं आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था मैने उसको फिर से किस करते हुवे कहा कि प्लीज़ एक बार मुझे करने दो नही तो मैं मर जाउन्गा वो बोली पर ये ग़लत है ऐसा नही हो सकता मैं किसी और की अमानत हू मैने कहा हाँ पर आपके पति शायद आपको फिर कभी ये सुख नही दे पाएँगे

और मैने भी कई बार आपकी आँखो मे प्यास देखी है जब मैने आपको कपड़े बदलते हुवे देखा तो बड़ी मुश्किल से खुद को रोका पर आज मुझे ना रोको मैं अपना हाथ उसकी जाँघो के जोड़ पर ले गया और उसकी फूली हुवी चूत को मसल्ने लगा जैसे ही मैने उसकी चूत को मसला लक्ष्मी सिसक उठी और उसी पल मैने उसके निचले होठ को अपने होंठो मे दबा लिया उसके रसीले होंठो को मर्दन करते हुवे मैने उसकी चूत मे अपनी बीच वाली उंगली सरका दी

उसकी चूत अंदर से बहुत ही गरम थी मैं अपनी उंगली को अंदर बाहर करने लगा लक्ष्मी भी अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी कुछ देर चूत मे उंगली करने के बाद मैं अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और उसकी चोली को भी खीच कर अलग कर दिया अब वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी मैने अपनी निक्कर नीचे की और लक्ष्मी का हाथ अपने लंड पर रख दिया उसने अपनी मुट्ठी मे मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको दबाने लगी

आज पहली बार किसी ने मेरे लंड को छुआ था औरत का स्पर्श पाते ही वो बुरी तरह से भड़क गया कुछ देर तक लक्ष्मी ने मेरे लंड को सहालाया और फिर ज़मीन पर घुटनो के बल बैठते हुए मेरे लंड को अपने होटो मे दबा लिया मेरे लिए बिल्लकुल ही नया अहसास था ये वो अपनी जीभ मेरे लंड पर फेर रही थी मेरा पूरा बदन एक अजीब से अहसास मे डूबे जा रहा था मैने अपने हाथ उसके कंधो पर रख दिए और अब वो मेरे लंड को जोरो से चूसने लगी

बड़ा ही मज़ा आ रहा था मुझे लंड चूस्ते चूस्ते वो मेरे अंडकोषो को भी अपनी मुट्ठी मे भर के दबाने लगी थी तो मैं क्या कहूँ एक अलग ही मस्ती मेरे तन बदन मे बढ़ने लगी थी 8-10 मिनिट तक वो मेरे लंड को अपने मूह मे ही लिए रही और फिर मेरा पूरा बदन एक आनंद मे डूबता चला गया लंड से सफेद पानी निकला और लक्ष्मी के मूह मे गिरने लगा जिसे वो गाटा गॅट पी गयी

मेरे तो घुटने ही कांप गये थे लगा कि किसी ने बदन की सारी ताक़त को निचोड़ डाला हो लक्ष्मी ने अपने घाघरे से अपने फेस को सॉफ किया और फिर खड़ी होकर बोली कि अब तुम भी ऐसे ही करो अपनी चूत की ओर इशारा करते हुए और अपनी टाँगो को चौड़ा करके खड़ी हो गयी अब बारी मेरी थी मैने उसकी टाँगो के बीच बैठा और उसकी झान्टो से भरी काली चूत की पंखुड़ियो को अपने हाथो से फैला दिया और उसकी लाल लाल चूत पर अपने होठ रख दिए
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