RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
रात काफ़ी हो गयी थी फिर पता नही कब मेरी आँख लग गयी सुबह जब मैं उठा तो देखा कि दस बज रहे थे मैने एक जमहाई ली और कच्छे कच्छे मे ही बाथरूम की ओर चल पड़ा फ्रेश होकर बस चाइ ही पी रहा था कि पुजारी जी आ गये कुछ बातें उनके साथ हुई तो पता चला कि मंदिर सोमवार तक इस कंडीशन मे हो जाएगा कि पूजा की जा सके मैने कहा जी जैसा आप ठीक समझे
मैने कहा मैं शाम तक आता हू उधर थोड़ी देर और बाते करने के बाद वो चले गये पुष्पा ने पूछा कि खाना लगा दूं मैने कहा नही अभी भूख नही है मैने कहा चंदा कहाँ है तो पता चला कि वो झाड़ू-पोछा लगा कर अपने घर चली गयी थी मैने पुष्पा से कहा कि आज तुम यही पर रहना मुझे कुछ काम से बाहर जाना है पीछे से गोरी आएगी तो उसके खाने पीने का इंतज़ाम कर देना और उसके साथ ही रहना जब तक मैं नही आता
असल मे मैने उसको बताया नही था कि मेरा क्या प्लान है आज मैं अपनी उस ज़मीन को देखने जा रहा था जिसे नाहर गढ़ वालो ने दबाया हुआ था तो मैने कार निकाली और चल पड़ा उस ओर करीब आधे घंटे बाद मैं वहाँ पर पहुच ही गया गाड़ी पार्क की और पैदल ही बढ़ चला उस ओर तो थोड़ा सा आगे जाने पर मैने देखा कि एक बहुत बड़े भू-भाग पर फार्महाउस टाइप कुछ बनाया गया था
कुछ ज़मीन खेती के लिए थी पर ज़्यादातर खाली ही पड़ी थी एक बड़ा सा दरवाजा बनाया गया था अंदर जाने के लिए परंतु वो बंद नही था मैने एधर-उधर देखा और अंदर प्रवेश कर गया अंदर एक साइड मे कुछ पेड़ लगे हुवे थे तो मैं उधर ही घूमने लगा तभी कुछ 5-6 आदमी मेरे पास आए और बोले के तू यहाँ पर क्या कर रहा है मैने कहा जी भाई मैं एक मुसाफिर हू ऐसे ही इधर आ निकला
तभी उनमे से एक आदमी जो काफ़ी हॅटा-कट्टा सा था मुझे घूरते हुवे बोला कि चल जा अभी इधर से और दुबारा इधर ना आना क्या तुझे पता नही कि ये ज़मीन ठाकुर भुजबल सिंग की मिल्कियत है , ठाकुर भुजबल सिंग ये नाम मैने पहली बार ही सुना था मैने उनसे कहा कि पर भाई लोगो मैने तो सुना था कि ये ज़मीन अर्जुनगढ़ के ठाकुर यूधवीर सिंग की है
ये सुनकर वो चारो काफ़ी देर तक हंसते रहे और फिर वो ही बोला कि तुझे भाई किसने कह दिया अर्जुनगढ़ के ठाकूरो का खानदान तो बरसो पहले ख़तम कर दिया हमारे ठाकुर साहब ने पर तू अभी इधर से निकल जा छोटे साहब का इधर आने का टाइम हो गया है और उनका स्वाभाव बड़ा ही गुस्से वाला है और ख़ासतोर से वो अज्नबियो को पसंद नही करते है तू जा खामखाँ मारा जाएगा
मैने कहा आने दो तुम्हारे साहब को अब मैं जब खुद चल कर यहाँ आया हू तो उनसे भी ज़रा मिलता ही चलूं वो बोले भाई तू है कॉन मैने कहा अरे तुम इसकी फिकर ना करो कि मैं कॉन हूँ वो कुछ सोच मे पड़ गये और वो लोग बोले कि बस तेरी भलाई इसी मे है कि तू यहाँ से चला जा अगर उन्होने तुझे यहा देख लिया तो तेरे साथ साथ हमारी शामत भी आ जाएगी
अब तू जा भी या हम धक्के दे कर तुझे यहाँ से बाहर फेक दे मैने कहा गुस्सा ना कर भाई मैं जा ही रहा हू वैसे भी मैं पंगा नही करना चाहता था क्योंकि अभी मैं उस हालत मे नही था मैं आकर अपनी कार के पास खड़ा हो गया और कुछ सोचने लगा मेरे दिमाग़ मे कुछ सवाल घूमड़ आए थे जिनका जवाब मुझे बस राइचंद जी ही दे सकते थे तो उनका इंतज़ार ही करना था
शाम होते होते मैं वापिस हवेली आ गया तो देखा कि पुष्पा मेरा ही इंतज़ार कर रही थी मैने पूछा गोरी कहाँ है तो वो बोली कि वो तो खाना खाते ही सो गयी है मैने कहा ठीक है और मैं अपने कमरे मे जाने लगा तो पुष्पा बोली मालिक आप कहे तो मैं थोड़ी देर बाग मे हो आउ , उनसे भी मिल आउन्गि थोड़ी देर और मुझे आम खाने का भी बड़ा मन हो रहा है
मैने कहा एक काम करो गोरी को उठा दो फिर सब लोग साथ ही चलते है मैं भी उधर का चक्कर लगा आउन्गा मैने तब तक अपने कपड़े चेंज कर लिए थे फिर कोई आधे घंटे बाद हम लोग निकल पड़े बाग की तरफ वहाँ पहुचते ही लखन ने हमारा स्वागत किया था मैने देखा कि तार बंदी लगभग हो ही गयी थी और एक नया कमरा भी आधा बन ही गया था
पुष्पा को देख कर लखन कुश हो गया था तो मैने उन दोनो को वहाँ पर छोड़ा और गोरी और मैं आगे की तरफ बढ़ चले उसका नाज़ुक हाथ मैने अपने हाथ मे थमा हुवा था बात करते करते हम दोनो काफ़ी दूर निकल आए थे बाग के लास्ट वाले हिस्से मे काफ़ी घने पेड़ थे तो थोड़ी ठंड सी भी थी और अंधेरा सा भी था तभी मुझे वो वाला पेड़ दिखाई दिया जहाँ मैने लक्ष्मी को चोदा था तो मेरे चेहरे पे स्माइल सी आ गयी
गोरी पूछने लगी क्या हुआ बिना बात के ही मुस्कुरा रहे हो मैने कहा कि बस ऐसे ही अब उसको क्या बता ता कि इधर ही उसकी माँ चुदि थी मुझसे फिर हम थोड़ा और आगे चले तो बाग ख़तम ही हो गया और अब हम नदी किनारे पर आ गये थे बस ठंडी हवा चल रही थी तो एक जगह देख कर मैं और गोरी बैठ गये मैने कहा गोरी क्या बात है तू तो पहले से और भी सुंदर हो गयी है
वो बोली कहाँ तुम तो ऐसे ही कह रहे हो मैने कहा अरे नही सच्ची बोल रहा हूँ तो अपनी तारीफ सुनकर वो थोड़ा सा शरमा गयी उसके गाल सुर्ख हो गये मैं थोड़ा सा उसकी ओर और सरक गया गोरी बोली आज कहाँ गये थे तुम तो मैने उसे सबकुछ बताया वो बोली तुम्हारे पास पहले से ही सबकुछ है और फिर ना जाने कितनी ज़मीन तुम्हारी लोगो ने दबा ली है अब पहले जैसा वक़्त कहाँ रहा है और फिर तुम अकेले क्या क्या करोगे तो मेरी मानो तो जाने दो उस टुकड़े को
मैने कहा गोरी परंतु वो बस ज़मीन का टुकड़ा ही नही है मेरे पुरखो की विरासत है मैं उसको कैसे किसी और को दे दूं गोरी बोली मैने किताब मे पढ़ा है कि दुनिया मे जितनी भी लड़ाइयाँ हुई है वो या तो ज़मीन पर हुवी है या फिर औरत के लिए तुम इन पचड़ो मे ना पडो और आगे अपनी ज़िंदगी का सोचो मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया मैने कहा जाने दे ना अब इन बातों को अपनी बाते करते है
बाते करते करते समय का कुछ पता ही नही चला हल्का हल्का सा अंधेरा हो चला था मैने कहा आजा चल वापिस चलते है जब वो खड़ी हो रही थी तो उसका पाँव थोड़ा सा लड़खडाया और वो गिरने से बचने के लिए मेरी बाहों मे समाती चली गयी गोरी की नुकीली छातियाँ मेरे सीने मे दबाव देने लगी तो मुझ पर उसके बेपनाह खूबसूरत हुस्न का नशा सा चढ़ने लगा
|