RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
गोरी के बदन से फुट ती कशिश मुझे उसकी ओर खीचने लगी और फिर मैने आख़िर उसके रसीले लाल लाल होटो को अपने होटो से जोड़ ही लिया गोरी ने अपने निचले होठ को थोड़ा सा खोल दिया जिसे मैने अपने मूह मे दबा लिया और उसकी मिठास का अनुभव करने लगा उसने अपनी पकड़ मेरी पीठ पर और भी तेज कर दी बस फिर हमें कुछ याद ना रहा याद रहा तो उसके खुसबुदार सांसो की महक जो मेरे मूह मे घुलने लगी थी काफ़ी देर मैं उसको चूमता ही रहा फिर कही जाकर हम अलग हुवे
गोरी ने अपनी नज़रे चुराते हुवे कहा चलो देर हो रही है वापिस चलते है मैने कहा जैसी तुम्हारी मर्ज़ी फिर आते आते काफ़ी देर हो गयी जब हम उन लोगो के पास पहुचे तो पुष्पा और लखन हमारा ही इंतज़ार कर रहे थे लखन बोला मालिक किधर रह गये थे आप इस तरफ कुछ जनवरो का भी ख़तरा रहता है और अंधेरा भी हो गया है आप ऐसे अकेले ना निकला करें मैने कहा आगे से ध्यान रखूँगा फिर थोड़ी देर और बाते हुई लखन को कुछ पैसे दिए ताकि वो बचा हुआ काम भी जल्द से जल्द पूरा करवा सकें
मैने पुष्पा से कहा कि तुम यही रुकोगी या चलोगि तो वो बोली क्या मालिक आप भी घर तो जाना ही पड़ेगा ना फिर मैने कार स्टार्ट की और हम हवेली आ गये मैने गोरी से कहा कि तुम अंदर जाओ और खाने की तैयारी करो आज मैं तुम्हारे हाथ का खाना खाना चाहूँगा तुम जाओ मैं पुष्पा को घर छोड़ कर आता हू और फिर हम गाँव की ओर चल पड़े
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