RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
जखम खुलते ही खून की एक धार बह निकली और मैं वही पड़ा पड़ा कराहने लगा तो वो ही लड़की मेरी कराह सुनकर दौड़ते हुवे मेरे पास आई और बोली ये चोट कैसे लगी तुम्हे मैने कहा लंबी कहानी है बाद मे बताउन्गा पहले आप ज़रा मुझे खड़ा होने मे मदद कर दीजिए तो उसने मुझे सहारा दिया और बेंच पर बिठा दिया और बोली काफ़ी खून बह रहा है तुम्हारा तो
मैने दर्द भरी आवाज़ मे कहा कि बहुत दर्द हो रहा है तो वो कहने लगी दो मिनिट रूको मैं कुछ करती हू तो उसने मेरे जखम को सॉफ किया और फिर मेरी शर्ट की आस्तीन को फाड़ कर पट्टी सी बाँध दी और बोली कि जल्दी से किसी डॉक्टर को दिखा लेना मैने कहा ठीक है जी पर मेरी हालत ऐसी थी कि मुझसे खड़ा ही नही हुआ जा रहा था बहुत ही तेज दर्द हो रहा था
मैने कहा ज़रा सुनिए आप मेरी थोड़ी सी मदद और कर दीजिए उधर पास मे ही मेरी गाड़ी है आप मुझे प्लीज़ उधर तक छोड़ दीजिए तो वो बोली चलो ठीक है और फिर मुझे सहारा देते हुए वहाँ तक ले आई और मेरी शानदार कार को देखते हुए बोली इतनी महँगी कार तो मैने झूठ बोलते हुए कहा कि जी मेरे मालिक की है और फिर जैसे तैसे करके जल्दी से कार मे बैठ गया
उसके माथे पर उलझन की डोर मैने सॉफ देख ली थी और मेरा खुद ही बुरा हाल था तो घायल पैर की वजह से कार ड्राइव करने मे भी बड़ी ही मुश्किल हो रही थी पर आख़िर कार मैं हवेली के गेट तक पहुच ही गया, कार सीधी मैने अंदर लाकर रोकी और गेट खोलते ही नीचे गिर गया…
हवेली के करमचारी मुझे उठा कर अंदर ले गये और तुरंत ही डॉक्टर को बुलवाया गया उसने जल्दी से ड्रेसिंग की और पट्टी बाँधते हुवे बोला ठाकुर साहब आप को मना किया था कि ज़ख़्म ताजे है तो आप बस आराम ही करना पर आप बात मानते ही नही है देखो अब और भी नुकसान हो गया है अभी तो आपको बिल्कुल भी बिस्तर से नही उठना हैं , मैने कहा डॉक्टर, वो मेरा पाँव फिसल गया था तो बस फिर लग ही गयी लगी हुई जगहा पर
डॉक्टर बोला , पर वर कुछ नही
.......... डॉक्टर साहब
आप बस अभी आराम ही करेंगे और ये कुछ दवाइयाँ दिए जा रहा हूँ टाइम से खानी है इनके असर से दर्द कुछ कम हो जाएगा पर आप अपनी सेहत का ख़याल रखे तो बेहतर होगा फिर कुछ देर बाद डॉक्टर चला गया उसके जाते ही पुष्पा बोली मालिक आख़िर आप बात क्यो नही मानते है मैने कहा यार अब पता थोड़ी ना था कि चोट लग जाएगी तो वो पूछने लगी कि पर आप कहा गये थे तो मेरा ध्यान उस रूप दीवानी की तरफ चला गया
पल भर के लिए मेरी आँखे मूंद गयी और उसका वो चंद्रमा सा चमकता हुवा चेहरा मेरी आँखो के सामने आ गया तो मैं उस कशिश मे जैसे खोने सा लगा था तभी पुष्पा की आवाज़ से मैं वापिस ख़यालो से बाहर निकल कर वास्तविकता मे आया तो वो बोली कहाँ खो गये आप मैने कहा कुछ नही बस थोड़ी सी थकान हो रही है तो उसने कहा आप आराम करे मैं आती हू थोड़ी देर मे
पर वो बेचारी कहाँ जानती थी कि देव को अब कहाँ नींद आनी थी ज्यो ही वो आँखे बंद करता उसके सामने वो ही खूबसूरत चेहरा आने लगता था अब देव का हाल बुरा हुआ रात आधी से ज़्यादा बीत गयी थी पर वो बिस्तर पर पड़ा हुवा टेबल लॅंप का स्विच ऑन ऑफ करे उसकी आँखो से ख्वाब कहीं दूर उड़ चले थे मॅन बस करे कि उड़ चलूं और पहुच जाउ उस बाग़ीचे मे जहाँ उस सुंदरी के दर्शन किए थे
आँखो आँखो मे रात कट गयी सुबह जब नोकर जगाने आया तो उसने देखा कि देव तो जगा ही हुआ है तो वो वापिस चला गया इधर देव तो जैसे किसी शराब की बॉटल में डूब गया हो ऐसा हाल हुआ उसका खोया खोया सा लग रहा था वो जब पुष्पा ने उसको नाश्ता परोसा तो भी उसका ध्यान कही ओर ही था तो पुष्पा बोली मालिक नाश्ता कर लीजिए , लगता है आपको पसंद नही आया मैं कुछ और बना कर लाती हू,
देव- अरे नही ऐसी बात नही है
बस मेरा मन नही कर रहा है बात करते करते ही देव बिस्तर से उठने लगा तो पुष्पा टोकते हुए बोली मालिक आप उठ क्यो रहे है आपकी तबीयत फिर से बिगड़ जाएगी आप लेटे ही रहे पर उसने कोई ध्यान नही दिया और अपनी बेंत का सहारा लेकर बेड से नीचे उतर गया पर उतरते ही उसके पैर से साथ नही दिया और वो कराहते हुवे बिस्तर पर फिर से बैठ गया
पुष्पा- दर्द हुआ मालिक , आप से पहले ही कहा था कि मत उठिए
तो हार कर फिर से बिस्तर ही पकड़ना पड़ा पर मन जो था वो भटक रहा था एक अजनबी की ओर तो फिर कुछ याद ना रहा दवाई के असर से जल्दी ही नींद आ गयी फिर बस ऐसा ही चलता रहा 10-15 दिन बस ऐसे ही कट गये हालत मे भी काफ़ी सुधार सा हो गया था पर अभी भी बस बिस्तर पर ही पड़ा रहता था लक्ष्मी लगभग हर दोपहर मे आ ही जाया करती थी तो उस से बाते करके थोड़ा सा टाइम कट जाया करता था और फिर पुष्पा भी तो थी
पर फिर उस दोपहर कुछ ऐसा हो गया की उस तकलीफ़ मे भी मुझे हवेली से बाहर निकलना ही पड़ा आख़िर ठाकुर देव तड़प ही गये उस घटना से हुआ दरअसल ये था कि कुछ काम से गोरी अपनी सहेलियो के साथ शहर गयी थी तो जब वो जा रही थी तो रास्ते मे कुछ लड़को ने गोरी से बदतमीज़ी की और उसकी चुन्नि खीच ली थी गोरी ने रोते हुए सारी बात मुझे बताई
तो बस मैं तड़प कर ही रह गया मैने तुरंत ही बंदूक उठाई और अपने सारे दर्द को भूल कर चलते हुवे मैं बाहर आया और नंदू से कहा कि कार निकाल जल्दी से आज ये पहली बार थी जब मेरा स्वर गुस्से से भरा हुवा था तो नंदू ने बिना कुछ कहे तुरंत ही कार दरवाजे पर लगा दी मैने कहा गाड़ी को सहर के रास्ते पर ले पुष्पा मुझे टोकना चाहती थी पर गुस्से से दहक्ती हुई मेरी आँखो को देख कर वो चुप कर गयी
सहर से कुछ किलोमेटेर दूर मुझे गोरी और उसकी सहेलिया मिल गयी , गोरी दौड़कर मेरे सीने से लग गयी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी मैने कहा बस चुप हो जा मैं आ गया हू तू ये बता वो किस गाँव के थे तो उसने बता दिया मैने नंदू से पूछा की सुबह सहर जाने वाली बस वापिस कब तक आती है तो पता चला कि 3 साढ़े तीन तक वापिस आती है मैने कहा गाड़ी को रोड पर लगा दे नंदू
तीन बजने मे थोड़ी देर थी तो मुझे इंतज़ार ही करना था किसकी इतनी हिम्मत हो गयी जो गोरी की तरफ आँख उठा कर देखे, मेरी गोरी की इज़्ज़त को शर्मसार करे मुझे खुद पर भी गुस्सा आ रहा था कि ठाकुर देव बस अब नाम का ही ठाकुर रह गया क्या जो उसके होते हुवे गोरी को ये अपमान का घूँट पीना पड़ा गोरी के अपमान की आह मेरे सीने मे क्रोध की ज्वाला बनकर धधकने लगी थी
मैं गुस्से से पागल हो रहा था तभी मुझे दूर से बस आती दिखी तो मेरे नथुने फड़कने लगे चूँकि मेरी कार सड़क के बीचो बीच खड़ी थी तो बस ड्राइवर को बस मजबूरी मे रोकनी पड़ी, वो चिल्लाता हुवा बोला बाप का रोड समझा है क्या हटा कार यहाँ से तो मैने कहा साले चुप करके खड़ा होज़ा वरना अगले पल तेरी ज़ुबान हलक से खीच लूँगा तो वो सहम गया
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