RE: Desi Chudai Kahani मस्त घोड़ियाँ
मनोहर सोफे पर आराम से बैठ गया और अपनी लूँगी से अपने तने हुए लंड को बाहर निकाल लिया उसके मोटे लंड
पर संध्या की जैसे ही नज़र पड़ी वह वही बैठ कर फर्श पर पोछा लगते हुए अपने ससुर का लंड देखने लगी
आज उसने पापा का लंड बहुत करीब से देखा था और उसकी चूत पूरी फूल गई थी, संध्या का मूह अपने ससुर की
तरफ था और उसके मसल मोटे-मोटे दूध उसकी ब्रा से आधे से ज़्यादा बाहर निकले हुए थे उसकी पेंटी उसकी फूली
हुई चूत की फांको मे फसि हुई थी और मनोहर अपने लंड को अपनी दोनो जाँघो के बीच दबाता हुआ अपनी बहू की
फूली चूत को उसकी पैंटी मे कसी देख रहे थे
तभी संध्या ने दूसरी और मूह करके पोछा लगाना शुरू कर
दिया और मनोहर अपनी बहू के भारी चूतादो को देख कर मस्त हो गया तभी संध्या वहाँ से थोड़ा उठी और
उसकी पेंटी उसकी गोरी और मस्त गंद की दरार मे फस गई और जब संध्या चलने लगी तो उसकी गंद बड़े मस्त अंदाज मे थिरक रही थी, तभी संध्या ने एक दम से अपनी गंद खुजलाते हुए फिर से पोछा करने बैठ गई और
मनोहर का लंड अपनी बहू के मस्ताने चूतादो को देख कर पागल हो गया,
दूसरी और संगीता झुकी हुई अपनी गंद अपने बाप की ओर करके झाड़ू मार रही थी और मनोहर अपनी बेटी की मासल
भरी हुई गंद और कसी हुई चुचिया जो ब्रा से छलक रही थी को देख कर मस्त हो रहा था, मनोहर ने गौर
किया कि उसकी बहू का पेट रोहित का लंड लेने से थोड़ा उठा हुआ नज़र आ रहा था जबकि उसकी बेटी संगीता का पेट अभीथोड़ा ही उभरा था, वही संगीता के चूतड़ बाहर की तरफ उठे हुए खूब कसे नज़र आ रहे थे और संध्या की
गंद थोड़ा चौड़ी नज़र आ रही थी, मनोहर दो-दो रंडियो की नंगी गंद देख कर अपने आपे से बाहर हो रहा
था,
संध्या और संगीता दोनो मंद-मंद मुस्कुराते हुए एक दूसरे को देख रही थी और कुछ ज़्यादा ही अपनी
गंद मटका -मटका कर काम कर रही थी,
तभी संगीता झाड़ू मारते-मारते अपने पापा के सोफे के पास पहुच कर नीचे बैठ जाती है और मनोहर अपनी बेटी
के मस्त बड़े-बड़े रसीले दूध को ब्रा मे कस देख कर मस्त हो जाता है
संगीता- पापा पेर उपर करो ज़रा सोफे के नीचे झाड़ू मार दू और फिर मनोहर ने जैसे ही पेर उपर उठाए
संगीता को अपने पापा का मोटा लंड नज़र आ गया जो पूरी तरह तना हुआ था और उसके नीचे उसके पापा के मस्त
गोते झूल रहे थे संगीता ने एक हाथ से सोफे के नीचे झाड़ू मारते हुए दूसरे हाथ से अपने पापा के मस्त गोटू
को पकड़ कर उनके लंड के टोपे पर अपना मूह झुका दिया और अपने पापा का लंड मूह मे भर कर चूस्ते हुए
झाड़ू देने लगी,
अपने पापा के लंड का मस्त टोपा चूस कर संगीता मस्त हो रही थी तभी संध्या ने उसे देख
लिया और अपनी मोटी गंद मतकाते हुए उनकी और आने लगी, मनोहर ने सामने देखा तो वह मस्त हो गया उसकी
बहू उसकी और मस्ताने अंदाज मे चल कर आ रही थी और उसकी चूत उसकी पेंटी के अंदर बहुत फूली हुई नज़र आ
रही थी,
संध्या- ने संगीता को उठाते हुए चलो ननद रानी अगर तुमने झाड़ू मार दी हो तो मैं भी सोफे के नीचे पोछा
लगा देती हू और फिर संगीता वहाँ से खड़ी हो गई और संध्या नीचे बैठ कर अपने ससुर के लंड को अपने मूह
मे भर लेती है और जब अपने गीले हाथो से मनोहर के गोटे सहलाती है तो मनोहर मस्त होकर संध्या की
मोटी चुचियो को कस कर मसल देता है,
तभी संगीता नीचे बैठ कर अपने पापा के गोटू को चूसने लगती है और संध्या अपने ससुर के लंड के टोपे को
चूसने लगती है और मनोहर दोनो रंडियो के एक-एक दूध को कस कर अपने हाथो से दबाता रहता है उसे अपनी
बेटी और बहू के दूध को एक साथ मसल्ने मे बड़ा मज़ा आ रहा था, उधर संगीता और संध्या अपने पापा की
एक-एक गोटियो को अपने हाथो से सहलाते हुए उनके लंड के फूले हुए सूपदे को अपनी जीभ निकाल कर एक साथ
चाटने लगती है और बीच-बीच मे उनकी जीभ एक दूसरे से जब टकराती है तो दोनो एक दूसरे की जीभ को चूसने
लगती है,
दोनो घोड़िया उकड़ू बैठी थी और अपने पापा का लंड चाट रही थी और जैसे ही उनकी जीभ आपस मे टकराई
दोनो ने एक दूसरे की जीभ चूस्ते हुए एक दूसरे की चूत मे हाथ डाल कर पेंटी के उपर से एक दूसरे की चूत
सहलाने लगी,
संगीता- ओह पापा क्या मस्त लंड है आपका, कितना मोटा है बिल्कुल डंडे की तरह तना हुआ है,
संध्या- पापा आपकी बहू ज़्यादा अच्छा चूस रही है या बेटी
मनोहर- तुम दोनो की रसीली जीभ बहुत मस्त है पर टेस्ट किसका कैसा है यह तो मुझे तुम्हारी जीभ चूसने
पर ही पता चलेगा, तभी दोनो रंडिया खड़ी होकर अपने पापा के आस पास बैट जाती है और एक साथ दोनो अपनी
जीभ निकाल कर अपने पापा को पिलाने लगती है, मनोहर उन दोनो की हर्कतो से पागल हो जाता है और दोनो की जीभ
अपने मूह मे भर कर पागलो की तरह चूमने लगता है,
संध्या-पापा आपको कैसा लगा हमारी जीभ का टेस्ट
मनोहर- दोनो के मोटे-मोटे दूध को उनकी ब्रा के उपर से कस कर मसलता हुआ, मेरी बेटियो बहुत रसीली हो तुम
दोनो और तुम्हारी जीभ भी बहुत रसीली है
संध्या-संगीता को देख कर मुस्कुराते हुए पापा अभी आपने मेरा और अपनी बेटी संगीता का असली रस तो पिया ही
नही है,
जब आपकी दोनो बेटियाँ एक साथ आपको अपना रस पिलाएगी तब आप कहेगे कि वाकई मेरी दोनो बेटियाँ बड़ी
रसीली है,
मनोहर- संगीता के होंठो को चूम कर संध्या की ओर देखता है और उसके गोरे गालो को खिचते हुए, तो फिर
बेटी देर किस बात की है,
संध्या- पापा अभी मम्मी सब्जिया लेने गई है और वह आती ही होगी और वैसे भी संगीता चाहती है कि जब आप
अपनी दोनो बेटियो का रस एक साथ पिए तब समय की कोई पाबंदी ना हो इसलिए अभी का समय ठीक नही है
मनोहर- पर बेटी तब तक मैं कैसे रह पाउन्गा,
तभी बाहर से कोई डोर बेल बजाता है और संगीता और संध्या दोनो दौड़ कर अपने रूम की ओर भाग जाती है और
मनोहर उन दोनो को पेंटी मे दौड़ता देख कर उनकी गुदाज गंद का दीवाना हो जाता है और उठ कर गेट खोलने
चल देता है,
रात के 10 बज रहे थे और संध्या और रोहित एक दूसरे के होंठो को किस कर रहे थे और संध्या अपनी जीभ बार-बार रोहित को दिखाती और रोहित लपक कर संध्या की जीभ पीने की कोशिश करता,
रोहित- जानेमन तुम बहुत तड़पाती हो
संध्या- रोहित का लंड मसल्ते हुए, पर तड़पाने के बाद सुख भी तो बहुत देती हू ना, अब आज ही देख लो कैसा मज़ा दिलवाया मैने तुम्हे जब संगीता को तुमसे चुदवा दिया,
क्रमशः......................
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