Chodan Kahani छोटी सी भूल
11-13-2018, 12:46 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
सारा दिन ऑफीस में बड़ा ही मुश्किल बीता. मन कर रहा था कि अभी घर चली जाउ, बिल्लू ज़रूर मेरे फ्लॅट के आस पास ही होगा. एक एक पल मेरा बड़ी मुश्किल से बीत रहा था. कविता का चेहरा भी बार बार मेरे मन में घूम रहा था. मैं ये भी सोच रही थी कि अगर बिल्लू इतना नेक है तो मेरे साथ इतनी घिनोनी हरकत क्यो की उसने. जो भी हो, मैं एक बार बिल्लू से मिलना चाहती थी.

मैने लंच टाइम में अपने ऑफीस के बाहर भी देखा, पर वो वाहा भी नज़र नही आया. मैने सोचा कि हो सकता है वो देल्ही चला गया हो. फिर ख्याल आया कि शाम को घर जाते वक्त वो ज़रूर सड़क पर मिल जाएगा.

इसी उधेड़बुन में मेरा हर पल बीत रहा था.

5:30 बजे में झट से सभी काम निपटा कर घर के लिए निकल पड़ी. बहुत बेचन थी मैं घर पहुँचने के लिए.

मेरा घर आ गया पर बिल्लू कही नज़र नही आ रहा था. मैने कार से उतर कर चारो और नज़र दौड़ाई पर दूर दूर तक मुझे बिल्लू की परछाई तक नही दीखी. मैने मन ही मन सोचा कहा चला गया आज वो ?

ड्राइवर ने पूछा, “मेडम किशी को ढूंड रहे हो क्या:”

“नही तुम जाओ और कल टाइम पर आ जाना” ---- मैने ड्राइवर से कहा.

मैं तेज़ी से अपने फ्लॅट की तरफ चल पड़ी. चलते चलते सोच रही थी कि ज़रूर बिल्लू ने आज भी कोई चिट छ्चोड़ी होगी

पर आज कोई चिट नही थी

“बिल्लू कहा गया, क्या वो वापस देल्ही चला गया, वैसे वो कह तो रहा था कि मेरी फाइनान्षियल पोज़िशन ठीक नही है, मैं यहा ज़्यादा देर नही ठहर सकता” ------- यही सब मेरे दीमाग में घूम रहा था.

फिर मुझे ख्याल आया कि गेट वे ऑफ इंडिया पर जाकर देखती हूँ, वो ज़रूर वही होगा.

सिधार्थ ने मुझे बताया था कि गेट वे ऑफ इंडिया तुम्हारे घर से वॉकिंग डिस्टेन्स पर है

मैने झट से घर को लॉक किया और पैदल ही लोगो से पूछते पूछते गेट वे ऑफ इंडिया की तरफ चल पड़ी.

और जैसा क़ि मुझे लग रहा था, बिल्लू मुझे वही मिला. वो गेट वे ऑफ इंडिया के पास जो समुंदर के चारो और दीवार बनी है उस से सॅट कर खड़ा था.

उसका चेहरा समुंदर की ओर था और ऐसा लग रहा था जैसे कि वो गहरे विचारो में खोया है.

मैं उशके करीब आ गयी. पर वो जैसे एक मूर्ति की तरह खड़ा था और एक तक समुंदर को देखे जा रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे की उसे होश ही नही है कि उसके आस पास क्या हो रहा है.

मैं बिल्कुल उशके पीछे खड़ी थी. समझ नही पा रही थी कि उसे कैसे बुलाउ.

“बिल्लू, कविता के बारें में सुन कर दुख हुवा” ---- मैने धीरे से कहा.

पर बिल्लू के शरीर में कोई हरकत नही हुई. वो वैसे ही मूर्ति की तरह वाहा खड़ा रहा

मैने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा, “बिल्लू मुझे कविता के लिए दुख है”

वो धीरे से मेरी और घुमा और मैने उसकी आँखो में आंशू देखे. यकीन ही नही हो रहा था कि बिल्लू रो भी सकता है. उसकी आँखो में आंशु देख कर मेरी आँखे भी नम हो गयी.

वो मेरे गले लग गया और फूट फूट कर रोने लगा और बोला, “ पता नही कहा गायब कर दिया मेरी दीदी को कमिनो ने ऋतु”

मैं भी भावुक हो गयी. मैने उसे रोकने की कोशिस नही की. बिल्लू आज एक बच्चा लग रहा था. मैं सोच भी नही सकती थी कि वो इस तरह रो सकता है.

मैं उसे चाह कर भी अपने सीने से नही हटा पाई. चारो और लोग हमें ही देख रहे थे. तभी मैने दूर से सिधार्थ को आते देखा. मैं सिधार्थ को देख कर हड़बड़ा गयी. सोच रही थी कि पता नही वो क्या सोचेगा मुझे बिल्लू के साथ ऐसी हालत में देख कर.

मैने बिल्लू से कहा, बिल्लू बस हट जाओ, लोग हमें ही देख रहे है

मैने उसके कंधो को पकड़ा और उसे दूर हटाने की कोशिस की पर तभी वो मेरे हाथ से छूट कर ज़मीन पर गिर गया.

“बिल्लू उठो….. क्या हो गया तुम्हे” ---- मैने बिल्लू को हिलाते हुवे कहा

तभी सिधार्थ भी वाहा आ गया.

“क्या हुवा इसे ऋतु” ---- सिधार्थ ने पूछा

पता नही सिधार्थ अभी मेरे गले लग कर बहुत रो रहा था, अचानक नीचे गिर गया

“ओह्ह ये बेहोश हो गया है. इसे हॉस्पिटल ले चलते है, हटो मैं इसे उठाता हूँ” ---- सिधार्थ ने मुझे बिल्लू के उपर से हटाते हुवे कहा.

सिधार्थ ने बिल्लू को अपने दौनो हाथो में उठा लिया और उठा कर अपनी कार की तरफ चल दिया और बोला, “जल्दी चलो ऋतु सोचने का वक्त नही है, पता नही इसे क्या हुवा है”

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या हो रहा है. पर ये सच था कि मैं बिल्लू के लिए बहुत परेशान थी. ऐसा क्यों था. इसका मेरे पास कोई जवाब नही है.

सिधार्थ ने बिल्लू को कार की पिछली शीट पर लेटा दिया और हम दौनो आगे बैठ गये.

“क्या कह रहा था बिल्लू” --- सिधार्थ ने पूछा

“कुछ नही उसने बस एक ही बात कही कि ‘पता नही कहा गायब कर दिया मेरी दीदी को कमिनो ने ऋतु’ और फिर फूट फूट कर रोने लगा” --- मैने सिधार्थ से कहा

“ह्म्म…… लगता है किसी गहरे शॉक में है वो” --- सिधार्थ ने कहा

“हां होगा ही सिधार्थ, उसकी दीदी गायब है 2 साल से” ---- मैने कहा

जल्दी ही सिधार्थ ने कार एक क्लिनिक के बाहर रोक दी.

सिधार्थ ने झट से बिल्लू को कार से बाहर निकाला और उसे उठा कर सीधा क्लिनिक में घुस्स गया.

पता नही सिधार्थ ये सब क्यो कर रहा था. पर इतना ज़रूर था कि इस से ये बात साबित हो रही थी कि सिधार्थ बहुत अछा इंशान है. क्योंकि वो उस लड़के की मदद कर रहा था जिसके कारण वो सुबह हर्ट हुवा था.

डॉक्टर ने बिल्लू को ग्लूकोस चढ़ाया और चेक करने के बाद कहा.

“लगता है कोई बहुत गहरा मेंटल शॉक लगा है इसे. पर इसे खाना तो ठीक से खिलाया करो आप लोग. लगता है 2-3 दिन से इसने कुछ नही खाया है” ---- डॉक्टर ने कहा

मैने मन ही मन में सोचा “ओह्ह गॉड क्या बिल्लू की फाइनान्षियल पोज़िशन इतनी खराब थी कि उसके पास खाने तक को पैसे नही थे”. और मेरी आँखो में आंशु भर आए. कैसी अजीब बात हो रही थी. मैं उस बिल्लू के लिए आंशु बहा रही थी जिसने मुझे बर्बाद किया था. जींदगी भी अजीब खेल खेलती है.

क्रमशः........................
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