Chodan Kahani छोटी सी भूल
11-13-2018, 12:49 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
“पता नही जतिन, मैं खुद हैरान हूँ कि में कैसे तुम्हे प्यार कर सकती हूँ, पर जो भी है ये सच है कि आइ लव यू, क्या तुम्हे पता है कि तुम मुझे क्यों प्यार करते हो” ---- ऋतु ने पूछा

मैने कहा, “नही पता, बस इतना पता है कि तुम्हारे बिना जी नही सकता, मेडिटेशन में बहुत गहरे अहसाश पा कर भी तुम्हे भुला नही पाया. अभी कुछ दीनो पहले मेरे साथ कुछ अजीब हुवा. में डाइनमिक मेडिटेशन करने के बाद शांति से आँख बंद करके बैठ गया, पता है मुझे अपने अंदर क्या दीखाई दिया”

“क्या दीखाई दिया जतिन” ---- ऋतु ने पूछा

“मुझे तुम दीखाई दी ऋतु, बड़े प्यार से मुश्कुरा रही थी. उष दिन मैने डिसाइड किया कि डाइनमिक मेडिटेशन ख़तम करके तुम्हे देखने मुंबई आउन्गा. और देखो आज मैं आ गया. पर आज पता चला कि वो भगवान का संकेत था कि जाओ, तुम्हारा प्यार तुम्हे बुला रहा है. देखो आज तुम आँखो में प्यार ले कर मेरे सामने खड़ी हो, लगता है मुझे सब कुछ मिल गया. आइ लव यू ऋतु, आइ रेआली लव यू आ लॉट” ---- मैने भावुक हो कर कहा

आखरी की लाइन्स बोलते हुवे मेरी आँखो में आंशु उतर आए.

“तुम्हारे इशी प्यार ने मेरे मन में प्यार जगाया है, वरना तो मैं तुमसे बहुत नफ़रत करती थी” ---- ऋतु ने भी भावुक हो कर कहा

मैने देखा की ऋतु की भी बोलते बोलते आँखे भर आई थी.

लव ईज़ रियली आ वेरी वोंडरफुल्ल गिफ्ट ऑफ गॉड. उस वक्त मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं चाँद पर पहुँच गया हूँ. खुद को बहुत हल्का महसूष कर रहा था.

मैने ऋतु के कंधे की ओर हाथ बढ़ाया

“नहीं, मुझे छूना मत, मैने कहा ना मेरे प्यार का ये मतलब नहीं है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” ----- ऋतु ने मेरी आँखो में देख कर कहा

मैने अपना हाथ वापिस खींच लिया. मैं बस उशे छू कर कहना चाहता था कि तुम मेरी जींदगी हो. पर उसकी बात मुझे बिल्कुल बुरी नही लगी. वैसे भी जो आपकी जान हो उसकी बात क्या कभी बुरी लगती है.

“ऋतु मुझ से शादी करोगी” ------- मैने बहुत भावुक हो कर पूछा

ऋतु थोड़ी देर तक मुझे देखती रही और फिर अपनी नज़रे झुका ली. मैं बड़ी बेसब्री से उशके जवाब का इंतेज़ार कर रहा था.

“जतिन मैं आज तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ, प्यार जो हो गया है तुमसे, पर एक बात से परेशान हूँ कि हमारी शादी का आधार क्या होगा” ---- ऋतु ने पूछा

“क्या इस प्यार के बाद किशी आधार की ज़रूरत रह गयी है ऋतु, ये अपने आप में सबसे बड़ा आधार है” ---- मैने कहा

“क्या लोग ये नही समझेंगे कि हमारी शादी का आधार हवश है” ---- ऋतु ने कहा

“क्या तुम्हे आज भी वो सब कुछ याद है जो हमने हवश में डूब कर किया था” ---- मैने पूछा

“नहीं मैं तो उशे बहुत पहले भुला चुकी हूँ, तभी तो तुम्हे बार बार कह रहीं हूँ कि मुझे छूना मत, मैं उस पाप को एक पल को भी याद नही करना चाहती” ---- ऋतु ने कहा

“मैं भी आज वो सब कुछ भुला चुका हूँ ऋतु. तभी मैने कहा कि वो बिल्लू मर चुका है. आज बस इस दिल में प्यार है.पीछले दीनो मैने कुछ याद किया तो वो दिन था जिस दिन तुमने मुझे यहा गले लगाया था. मैं भी उस पाप को याद नही करना चाहता. हम दोनो इस जींदगी में बहुत नीचे गिरे थे. आज बड़ी मुश्किल से संभलें हैं. यहा से हमें एक नयी शुरूवात करनी है. हमारी शादी का आधार ये प्यार है ऋतु और कुछ नहीं. तुम कहोगी तो मैं तुम्हे जींदगी भर नही छुउंगा, आज मेरे दिल में बस प्यार है, हवश को मैं बहुत पीछे छ्चोड़ चुका हूँ” ------ मैने कहा

“तुम्हारी बाते मेरे दिल को छू रही हैं जतिन, पर बहुत मुश्किलें हैं हमारी शादी में. मैं समझ नही पा रहीं हूँ कि अपने पापा को क्या कहूँगी. मैने आज तक उनकी बात नही टाली है. पापा मुझे सिधार्थ के साथ शादी करने को कह रहे थे. मैने उन्हे कह दिया था कि मैं सिधार्थ से शादी नही करूँगी और अपनी जींदगी का सफ़र अकेले तैय करूँगी. अब उन्हे किस मूह से कहूँगी क़ि मैं शादी करना चाहती हूँ, वो भी उस इंशान से जीशके कारण मेरी पहली शादी टूटी है. वो यही समझेंगे कि मैं हवश में आँधी हो गयी हूँ. उन्हे कैसे समझावँगी ये प्यार जो हमें खुद भी अभी तक समझ नही आया है. चलो हम तो फिर भी समझ ही रहे हैं, ये दुनिया कभी नही समझेगी जतिन. अब तुम ही बताओ कि क्या करूँ मैं” ------- ऋतु ने मेरी आँखो में देख कर कहा

ये शुन कर मेरी आँखे नम हो गयी. मैने कहा, “ तो इसका मतलब तुम मुझ से शादी नही करोगी, हैं ना, क्योंकि इस दुनिया को ये प्यार समझ नही आएगा. तुम मुझे ये बताओ कि आज तक किस का प्यार इस दुनिया को समझ आया है, जो हमारा आएगा. अगर सब लोग ऐसा सोचेंगे तो कोई प्यार को अंजाम तक ले जाने की हिम्मत नही करेगा. बड़ा दुख हुवा तुम्हारे मूह से ये सब सुन कर. पर चलो छ्चोड़ो”

“नहीं जतिन तुम मुझे ग़लत समझ रहे हो, मैने कहा ना कि मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगी, तुम्हे प्यार जो किया है, मैं तो बस अपनी दुविधा तुम्हे बता रही थी. प्लीज़ डॉन’ट माइंड. आइ लव यू. मैं तुम्हारी हूँ जतिन. प्लीज़ डॉन’ट टेक मी रॉंग” ----- ऋतु ने कहा

“क्या सच कह रही हो ऋतु ? प्लीज़ मैं तुम्हारे लिए बहुत एमोशनल हूँ, मुझे सॉफ सॉफ कह दो कि क्या तुम मुझ से शादी करोगी. मैं सच जान-ना चाहता हूँ. आइ डॉन’ट वांत टू फोर्स यू इंटो एनी थिंग नाउ. जो भी मन में हो बोल दो” मैने कहा

“बताओ कब करनी है शादी जतिन, मैं तैयार हूँ. मैं बस अपनी क्न्सर्न बता रही थी. मेरे लिए अपने घर वालो को समझाना मुश्किल होगा. ख़ासकर मेरे पापा ये बात नही समझेंगे. पर ये जींदगी मेरी है. तुम्हे अपना दिल दिया है. अब इस प्यार के लिए मैं किशी भी अंजाम तक जाने को तैयार हूँ. पता है तुम यहा नही थे तो मैं हर पल तुम्हे देखने के लिए तरसती थी. हर तरफ मेरी नज़रे तुम्हे ढून्दटी थी. आज भी जब खिड़की से तुम्हे जाते हुवे देखा तो भाग कर तुमसे मिलने यहा चली आई. जीतना तुम मुझे प्यार करते हो उतना ही मैं भी करती हूँ. जल्दी से डेट डिसाइड कर लो मैं तैयार हूँ. पर याद रखना शादी कोई खेल नही है. बहुत बड़ी ज़ीम्मेदारी होती है शादी के बाद. क्या तुम्हे यकीन है कि तुम ये ज़ीम्मेदारी नीभा पाओगे” ---- ऋतु ने कहा.

“बिल्कुल ऋतु मैने तो अपने परिवार के लिए बहुत कुछ सोच रखा है. मैं उमर में तुमसे छ्होटा सही पर तज़ुर्बें में तुमसे कहीं आगे हूँ. बहुत कुछ सीखा है इस छ्होटी से जींदगी में. तुम चिंता मत करो मैं एक पति के सारे फ़र्ज़ निभावँगा.” ---- मैने कहा

“पर जतिन, मुझे खुद पर यकीन नहीं है कि मैं एक पत्नी के सारे फ़र्ज़ निभा पाउन्गि या नही. मुझे एक मोका देना जतिन. मैं पूरी कोशिस करूँगी” ---- ऋतु ने कहा

ऋतु ने ये बात मेरी आँखो में देख कर कुछ इस तरह कही की मैं मदहोश हो गया.

मन कर रहा था कि ऋतु को गले लगा लूँ. पर मैं जानता था की वो ऐसा हारगीज़ नही करने देगी.

कुछ ना कुछ करने का मेरा मन तो था, जिस से की अपने दिल की भावनाओ को दीखा सकूँ.

मैने अपने अंगूठे को दांतो से चीर दिया और उसमें से जो खून निकला उसे झट से ऋतु की माँग में भर दिया

“जतिन ये क्या किया, पागल हो गये हो क्या” ? ऋतु ने थोड़ा गुस्से में कहा.

“मिटा दो अगर चाहो तो, पर तुम अब मेरी पत्नी हो, मुझे इस दुनिया से कोई मतलब नही है” ----- मैने कहा

“मैं इसे मिटाने को नही कह रहीं हूँ, मैं तो ये कह रही थी कि ये अंगूठा चीरने की क्या ज़रूरत थी तुम्हे. मैं वैसे भी अब तुम्हारी ही हूँ” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा

“बस तुम्हे गले लगाना चाह रहा था. समझ नही आ रहा था कि कैसे अपने दिल की भावना को तुम्हे दीखाउ. इश्लीए अपने खून से तुम्हारी माँग भर दी” ---- मैने कहा

उस वक्त हम थोड़ी देर बिना कुछ कहे खड़े रहे. हम दोनो की आँखो में आंशु थे. कुछ नही पता था कि हमारे रिस्ते का मतलब क्या है, पर हम दोनो एक दूसरे के साथ चलने को तैयार थे. प्यार भी अजीब चीज़ है. इश्को समझना सच में बहुत मुश्किल काम है.

कब रात के 9 बज गये पता ही नही चला.

“चलें अब जतिन, काफ़ी अंधेरा हो गया है, मुझे अंधेरे से डर लगता है” ----- ऋतु ने कहा

और इस तरह हमारी खामोसी टूटी.
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