Antarvasna kahani माया की कामुकता
12-13-2018, 02:12 AM,
#8
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
"उः.... ओह हां... उम्म.... " भार्गव ने बस इतना ही कहा कि शालिनी इस बार उसके पास आके बैठ गयी, उसका एक हाथ बुक के पेज पे, और एक हाथ उसने जान बुझ के भार्गव की जाँघ पे रखा..


"सर... यह समझाइये ना प्लीज़, मुझे तो दिमाग़ में घुस ही नहीं रहा यह सब" शालिनी अपने हाथों के साथ अपने चुचे हिलाती हुई बोल रही थी... शालिनी के हिलते चुचे देख भार्गव के लंड में उभार बढ़ता जा रहा था..


"उहह... हां यह दरअसल, यह ऐसा है के... उहह आक्च्युयली इसमे..." भार्गव शब्द खोजने लगा 


यह देख शालिनी ने मौके का फ़ायदा उठाते हुए कहा


"सर... आइ गेस यूआर नोट कंफर्टबल हाँ.... आप रिलॅक्स हो जाइए प्लीज़.. लेट मी हेल्प यू..." यह कहके शालिनी ने हल्के हल्के भार्गव के जांघों पे हाथ फिराते हुए, अपनी उंगलियों का जादू चलाने लगी...जांघों से होके शालिनी भार्गव के पैरो के पास जाके उसके जूते निकालने लगी... 


"फीलिंग बेटर सर..." शालिनी भार्गव के पैरो के बीच बैठी हुई थी..


"उम्म्म...यअहह" भार्गव बस इतना ही बोल पाया


"ओह्ह...इट्स डॅम हॉट हियर, कहके शालिनी अपनी जगह से उठी, और भार्गव का जॅकेट उतारने लगी.. जॅकेट उतारते उतारते शालिनी ज़्यादा से ज़्यादा अपने चुचों के दर्शन करवाने लगी.... एक एक कर सब बटन खुलते ही भार्गव के जॅकेट को शालिनी ने कोने में फेंका... भार्गव का खड़ा हुआ लंड अब शालिनी के नज़रों से छुपा हुआ नहीं था.. वो थोड़ा और टीज़ करना चाहती थी भार्गव को


"अरे सर, थोड़े और रिलॅक्स होइए ना..." कहके शालिनी ने भार्गव को धक्का दे दिया बेड पे और भार्गव के बेड पे गिरते ही, शालिनी उसके उपर चढ़ गयी... शालिनी की नंगी जाँघो को अब भार्गव का लंड सॉफ महसूस हो रहा था


"उम्म्म... आइ लव दा स्मेल ऑफ आ मॅन... सर" शालिनी अपने होंठ भार्गव के होंठों के पास ले जाती हुई बोली
शालिनी की गरम साँसें और उसकी तेज़ धड़कन को अब भार्गव महसूस कर रहा था... कुछ पल के लिए भार्गव और शालिनी की नज़रें एक दूसरे पे अटक ही गयी थी..

"ओह... ईवन आइ लव दा सेंट ऑफ आ वुमन माइ डियर.. ब्लू लेडी..." भार्गव ने अपने नाक से शालिनी की बगल को सूंघते हुए कहा

"ओह... आइ आम इंप्रेस्ड .... सर्र्र्र्र्र्ररर......" शालिनी ने कसकते हुए अंदाज़ में जवाब दिया

"पढ़ाई करें माइ डियर...." भार्गव ने शालिनी को अपने आप से कसते हुए कहा

"कौनसी पढ़ाई सर... मैं तो बस अब काम सुत्र में ही रूचि रखती हूँ..." कहके शालिनी भार्गव से अलग हुई और सामने पड़ी चेर पे जाके अपनी एक टाँग चढ़ा दी.. शालिनी ने अपनी नंगी जाँघो को दिखाते हुए अपने लिए एक सिगरेट जला ली और उसके कश मारते हुए आँखों से भास्कर को अपने पास बुला लिया... भास्कर ने न्योता स्वीकारा और बेड से उठके शालिनी के पास जाने लगा.. भास्कर के पॅंट में उसका लंड तंबू बनके झूलने लगा था जिसे शालिनी ने नोट कर लिया और उसकी कामुक मुस्कान और भी ज़्यादा फेल गयी.... 

"उफ़फ्फ़... इस मेंथोल फ्लेवर में तुमने अपने होंठों का रस मिला के मुझे और भी पागल बना दिया शालिनी बेटी..." भास्कर अब शालिनी के रंग में रंगते हुए उसके हाथ से ही सिगर्रेट का कश लेते हुए बोला

"आप अपनी बेटी के साथ भी ऐश करते हैं क्या सर..." शालिनी ने अपने कामुक अंदाज़ में अपनी जांघों पे उंगलियाँ फेरते हुए भास्कर से पूछा...

“हाअई…. जब ऐसी बेटी हो, मैं तो बेटीचोद बनने में एक पल भी नहीं सोचूँ बेटी… उसके साथ ऐश क्या, सब करने को रेडी हो जाउ मैं तो…” कहके भास्कर ने अपने लंड पे हाथ घमाया और एक नज़र से शालिनी को देख के मुस्कुराहट दी..


“उम्म्म्म… लगता है आपको अभी भी कंफर्ट नहीं आया.. पर सर, कल की एग्ज़ॅम के लिए मुझे तैयारी करनी है, तो आप बाद में आइए प्लीज़… मैं नहीं चाहती मैं कल फैल हो जाउ” शालिनी ने जान बुझ के सीरीयस होते हुए कहा और अपनी टाँगें और भी ज़्यादा चौड़ी कर दी… शालिनी की पैंटी देख, भास्कर के पॅंट में उसके लंड की अकड़न और भी ज़्यादा बढ़ने लगी जिसे शालिनी ने देखा और मन ही मन में वो खुश हुई के उसका प्लान सही जा रहा है..

“अरे नहीं , ऐसे कैसे मेरी बेटी फैल होगी हाँ…. पहले पापा को खुश करो, फिर मैं तुम्हे कल के एग्ज़ॅम में फैल नहीं होने दूँगा बेटी…” भास्कर अब खुल के चुदाई के लिए शालिनी से बोलने लगा

“अरे, ऐसे कैसे, मेरे पापा तो सबसे पहले मुझे जो चाहिए वो देते हैं और बदले में कुछ माँगते भी नहीं… तो आप को अगर मैं मज़ा दूं, पहले मुझे वो दीजिए जो मुझे चाहिए..” शालिनी अभी अपनी कुर्सी से उठी और जाके जीन्स पहनने लगी.. यह देख भास्कर को लगा उसकी ख्वाहिश आज भी अधूरी रह जाएगी..

“अरे नहीं शालिनी बेटी.. रूको, मैं अभी कुछ करता हूँ, तुम ऐसे ही रहो, मैं अभी आया” कहके भास्कर तुरंत शालिनी के कमरे से बाहर निकला और स्टाफ रूम की तरफ बढ़ने लगा… क्यूँ कि अंधेरा हो चुका था, उसको देखने वाला कोई नहीं था… एक लंबे से कॉरिडर से गुज़र कर भास्कर स्टाफ रूम पहुँचा और काफ़ी देर तक ड्रॉयर्स और कपबोर्ड सर्च करके उसे पार्सल मिल गया जिसकी उसको तलाश थी.. अपना काम फिनिश करके, भास्कर वापस शालिनी के कमरे में गया, जहाँ शालिनी उसी का इंतेज़ार कर रही थी.. भास्कर का लंड जो अब बैठ गया था, शालिनी को ऐसे पोज़ में देख, फिर उसका लंड उबलने लगा


शालिनी कपड़े बदल के अब एक स्कर्ट और टॉप में बैठी थी और सिगरेट के मज़े ले रही थी…
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RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता - by sexstories - 12-13-2018, 02:12 AM

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