Antarvasna kahani माया की कामुकता
12-13-2018, 02:25 AM,
#67
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
फ्लॅशबॅक... 

शालिनी के बाप के कमरे में


"अंकल.. मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूँ शालिनी के बारे में...इफ़ यू डॉन'ट माइंड प्लीज़" भारत ने सामने बैठे शालिनी के पिता से कहा


"हां बेटे प्लीज़ बोलो" शालिनी के बाप ने हामी भरी


"अंकल.. शालिनी दिन प्रति दिन फॅमिली से दूर होती जा रही है.. वो ना तो आपसे कुछ शेअर करती है ना ही आपकी कोई बात.. मुझे समझ नही आ रहा कि ऐसा क्या किया है आपने जो वो आपसे इतना दूर होती जा रही है.. आंड आप की बात छोड़ो, आज घर पे भी ऋतु आंटी से अच्छी तरह पेश नही आई.. " भारत ने चिंता जताते हुए कहा


"नहीं बेटे ऐसा कुछ नही है.. काम के सिलसिले में कभी टाइम नही दे पाया मैं शालिनी को. दोस्तों में ही वो अपना परिवार बना बैठी है.. लेकिन आज उसके नाम पे 3 फार्म हाउसस, 10 करोड़ की ज्यूयलरी.. और कपेटॉवन् में 2 रॉंच हाउस हैं.. अगर मैं काम नही करता तो यह सब कैसे देता इनको.. इन्हे कौन समझाए बेटा पैसे की एहमियत.. रिश्तों के नाम पे बस दर्द पसंद है इन्हे, प्रॅक्टिकल नही है यह लोग" शालिनी के बाप ने चिढ़ते हुए कहा


"अंकल.. शालिनी की जॉब यूएस में लगी है.. अगर वो यूएस गयी, तो आपसे दूर हो जाएगी और कभी लौट के नही आएगी.. मैं नही चाहता के शालिनी आपसे कभी दूर हो.. आइ केर फॉर हर अंकल..प्लीज़ ब्रिंग हर बॅक, उसे वापस अपने करीब लाइए..."



प्रेज़ेंट :-


"तू बोल... इसमे क्या ग़लत किया.. शालिनी को उसके डॅड के करीब ही ले गया ना, इसमे कुछ बुराई है क्या.." भारत ने सामने खड़ी रूबी को जवाब दिया

रूबी कुछ सोचने लगी.. उसे भारत पे विश्वास तो था नही, उसका ट्रॅक रेकॉर्ड ही कुछ ऐसा था, पर उसके पास कोई दूसरा रास्ता भी नही था भारत की बात को मानने के अलावा.. इसलिए उसने कुछ नही कहा


"और अब यह.. तुझे जॉब मिली तो तूने क्यूँ मना किया लेने को.. कॉलेज ने रेकमेंडेशन तो तेरा भेजा था ना.. फिर" रूबी को इस बात का दुख था कि वो भारत के पास नही रह सकेगी


"रूबी.. डार्लिंग, तू चिंता मत कर उसकी... रही बात यूएस की तो मैं उस कभी भी आ सकता हूँ, कभी भी जा सकता हूँ.. कोई भी नौकरी ले सकता हूँ कोई भी कंपनी में.. चिल्क्स बाबू.. आज रात तेरी पार्टी है ओके.." कहके भारत ने रूबी को हग किया.. हग करके जैसे ही दोनो अलग हुए, दोनो की नज़र सिद्धार्थ पे पड़ी...


"तो यह नौकरी मेरी काबिलियत की वजह से नही.. तेरे रहम की वजह से मिली है मुझे" सिद्धार्थ ने आगे बढ़ते हुए कहा


"प्रॅक्टिकल बन भाई.. आज भी तू वही है जो दो साल पहले यहाँ आया था.. तेरे यह जो उसूल और आदर्श हैं ना , इससे तुझे ज़िंदगी में घंटा भी कुछ हाथ नही आएगा.. रोना छोड़, और जाके यूएस के बॅग पॅक कर चल.. " कहके भारत वहाँ से निकल गया रूबी को कॉल करने का इशारा करके.. रूबी और सिद्धार्थ अब तक शॉक में थे कि कोई ऐसा चान्स खुद कैसे छोड़ सकता है... खैर, वहाँ से निकल के भारत ने एक कॉल किया


"इतनी अच्छी नौकरी को लात मरवाई आपने.. उपर से रूबी के साथ लिव इन रिलेशन्षिप भी गया और शालिनी को भी चीट किया.. यह सब क्या है" भारत ने फोन पे झल्ला के कहा


"लड़कियों को छोड़ो.. तुम काम पे फोकस करो.. कंप्यूटर इंजिनियर ढूँढा तुमने?" सामने शख्स ने उसे जवाब दिया


"नहीं.. अब तक प्रीति ने कुछ कहा नही है, उसके अलावा कोई नही है फिलहाल" भारत ने अपने रूम में घुसते हुए कहा


"ढूँढ लो जल्दी से.. और हां, अब नौकरी कहाँ ढुंढोगे तुम" सामने शख्स ने चिंतित स्वर में कहा


"पता नही.. अब लगता है वापस सेल्स में जाना पड़ेगा मुझे आपकी वजह से" भारत ने सिगरेट जलाते हुए कहा


"सेल्स में बिल्कुल नही.. मैं नही चाहता तुम फिर एक बार प्यार में पडो और धोखा खाओ.. आज तक उसकी वजह से तुमने सबको अपनी सरनेम तक लेने से मना किया हुआ है" 


इस बात से भारत को निधि की याद आने लगी और वो फिर अपनी यादों में खोने लगा.. उसकी आँखें धीरे धीरे नम होने लगी.. कुछ देर के लिए भारत खामोश रहा और उसकी खामोशी को सामने वाले शख्स ने भाँप लिया


"आइ आम सॉरी... मेरा यह मतलब नही था.. पर सेल्स में रहके हमारा मकसद पूरा नाज़ी होगा.. तुम क्रेडिट में ट्राइ करो या तो और कोई टीम... पर ध्यान रहे क्रेडिट ही हमारा मेन टारगेट है... समझ गये" सामने वाले शाकस ने अपनी कड़क आवाज़ में कहा


"यू गॉट मी... बाइ" कहके भारत ने फोन कट किया और कुछ वक़्त वहीं बैठा रहा.... उसकी आँखों के सामने आ गये वो दिन जब वो प्यार में था.. उसकी आँखों के आगे आ गया वो वक़्त..उसकी ज़िंदगी का शायद सबसे हसीन वक़्त.. उसकी ज़िंदगी के कुछ पल जो उसने निधि के साथ बिताए थे.. इन सब को याद करते करते कब उसकी आँख लग गयी उसे पता ही नही चला.. उसकी आँख खुली प्रीति के कॉल से.. 


"ह्म्म्म .. बोलो, क्या हुआ" भारत ने अपनी आँख मलते हुए कहा


"नही हुआ कुछ भी... मैने सॅलरी ज़्यादा माँग ली शायद


"ठीक है चल.. तो पुणे में ही कहीं सर्च कर ले.. एनी लोकल कंपनी विल डू.. मेरा ऑफर अब तक सेम है... " भारत ने अपने यूषुयल अंदाज़ में कहा


"ओके.. मैं ढूँढ के बताती हूँ.." कहके प्रीति ने फोन रख दिया.. प्रीति के फोन रखते ही भारत ने अपने मोबाइल में शेड्यूलर चेक किया...


"4 दिन में हॉस्टिल खाली... नौकरी जल्दी ढूँढनी पड़ेगी..." पर उससे पहले भारत ने कुछ सोचा और सब दोस्तों को एसएमएस किया..

" मीट इन 10 मिनट्स इन कॅंटीन.. लेट्स राक टुनाइट"
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