Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
12-14-2018, 02:24 AM,
#33
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
" हां, उसने बिल्कुल ऐसा ही बोला..."मैं ताव से बोला"उसे हमारी पॉवेर दिखानी ही होगी, हॉस्टिल की पॉवेर दिखानी होगी.."और फिर थोड़ा रुक कर मैने तेज आवाज़ मे कहा"उसे आपकी पॉवेर दिखानी होगी, एमटीएल भाई..."
"कितने लड़को को लेकर जा रहा है..."
"वैसे तो मैं अकेले ही चला जाता, लेकिन फिर भी दो लड़के है साथ मे..."
"और यदि मैं सही हूँ,तो वो दो लड़के वही है...जो आज सुबह गर्ल्स हॉस्टिल मे घुसे थे,राइट..."
"आपको कैसे पता "मैने शॉक्ड होते हुए कहा, तो सीडार ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रक्खा और बोला"और कितने झूठ बोलेगा...सीधे-सीधे क्यूँ नही बोलता कि तेरा मन वेलकम पार्टी मे जाने का है..."
"ये भी पता है "
अभी मैं और सीडार सीनियर हॉस्टिल के बाहर कुर्सियो पर बैठे थे, और जैसा कि अक्सर होता था शाम ढलते ही आस-पास का महॉल ठंडी हवाओं से भर कर एक अजीब सा सुकून देता था, ऐसा सुकून,जो सिर्फ़ वही मिल सकता था....सीडार अपनी जगह से खड़ा हो गया...
"तू ये सोच रहा होगा कि, ये खबर मुझे तेरे खास दोस्त अरुण या फिर हमेशा सबकी न्यूज़ रखने वाले भू ने दी है....."
"नही..बिल्कुल नही, अरुण कभी नही बताएगा और वैसे भी हॉस्टिल मे हम तीनो के अलावा और भी कयि लोग रहते है,जिनमे से वो मोटा वॉर्डन भी है...."

सीडार कुछ देर तक मुझे ही देखता रहा,वो कुछ बताना चाहता था...कुछ कहना चाहता था,लेकिन अभी वो इस कशमकश मे था कि ,वो मुझे ये बताए या जाने दे...सीडार बहुत देर तक मुझे देखते रहा,जैसे वो मुझे पढ़ने की कोशिश कर रहा हो,अब वो बेचैन हो उठा और सिगरेट का एक कश लेकर उसे वही फेक दिया....अब मेरी नज़र सीडार से हटकर आधी ख़त्म हुई सिगरेट पर थी,जो तेज हवा के बहाव मे इधर-उधर दोलती हुई सुलग रही थी....वाहा सिगरेट के आलवा कुछ और भी ऐसा था जो सुलग रहा था....

"सुन, किसी को बताएगा तो नही..."वापस चेयर पर बैठ कर सीडार बोला"जब मैं फर्स्ट एअर मे था ,तब मैं बिल्कुल तेरी तरह था...मैं भी यहाँ सिर्फ़ और सिर्फ़ पढ़ने आया था...लेकिन फिर जैसा तेरे साथ हुआ...वैसा मेरे साथ भी हुआ था, मैं अपने लक्ष्य से भटक गया, और इसकी वजह थी एक लड़की...."

मेरा फील्ड भले ही अलग हो,लेकिन इतना तो मैं जानता था कि यदि कोई स्टोरी, कोई दास्तान ,या कोई हादसा,या फिर कोई ऐसा शक्स जो हमारी ज़िंदगी से रिलेटेड रहता है, उसमे अपने आप इंटेरेस्ट आने लगता है...मेरा भी इंटेरेस्ट बढ़ने लगा और मैने भी आधी जली हुई सिगरेट को एक कश मारकर वही फेक दिया.....
"एक लड़की..."मैं बोला...
"हां, फर्स्ट एअर मे मैं भी,उसके लिए पागल था....कयि बार कोशिश की उसे दिल की बात बताने की, और एक दिन जब मैने हिम्मत करके उससे अपनी मोहब्बत का इज़हार किया तो पता चला कि वो तो किसी और से सेट है...."

"फिर आपने क्या किया..."अब तो कसम से मुझे सीडार की इस स्टोरी मे इंटेरेस्ट आ गया था,मैं बोला"क्या वो लड़की...अब भी कॉलेज मे है..."
"गर्ल फ्रेंड-बाय्फ्रेंड तो आजकल हर हफ्ते बदलते रहते है,इसमे कोई बड़ी बात नही थी....लेकिन उसके कुछ दिनो के बाद ही पूरे कॉलेज मे ये न्यूज़ फैल गयी कि उन दोनो के बीच.....तू समझ सकता है मैं क्या कहना चाहता हूँ, "

"मतलब कि, सारी दूरिया ख़त्म...जो काम शादी के बाद होता है,वो पहले ही हो गया...है ना.."मैने पुछा...

"हां बिल्कुल..."सीडार के चेहरे पर उदासी बढ़ती जा रही थी,जिसे दूर करने के लिए उसने एक सिगरेट और सुलगाई और बोला"वो जानती थी कि मैं उससे प्यार करता हूँ ,इसलिए वो मुझे और जलाती थी...वो मुझे जब भी देखती तो अपने बाय्फ्रेंड से ऐसे चिपक जाती,जैसे बीसी दोनो को फ्विक्विक से जोड़ दिया गया हो....यदि मैं ग़लती से कभी कभार कॉलेज के गार्डेन मे चले जाता और हमारी मुलाक़ात हो जाती तो फिर वो सिर्फ़ मेरा कलेजा जलाने के लिए अपने बाय्फ्रेंड को मेरे सामने किस करने लगती..."

"नाम बताओ,साली का अभी छोड़ के आता हूँ..."मैं गुस्से से बोला और ये गुस्सा दिल से निकला था....

"इसके बाद भी बहुत कुछ हुआ, दोस्त...उस लड़की ने अपने बाय्फ्रेंड को जो की फाइनल एअर मे था,उसे बता दिया कि मैने उसे प्रपोज़ किया था और उसके बाद उसका बाय्फ्रेंड अपने दोस्तो के साथ मिलकर मुझे हर दिन टॉर्चर करते...कभी रिसेस मे तो कभी क्लास मे आकर सबके सामने....जिस लड़की को मैने प्रपोज़ किया था ,वो मेरे ही क्लास की थी...इसलिए शायद उसी के कहने पर उसका वो फाइनल एअर का बाय्फ्रेंड क्लास मे आकर मेरी बेज़्ज़ती करता...और एक दिन हद हो गयी, उन्ही के किसी दोस्त मे से जो कि मुझसे एक साल सीनियर था...उसने मुझे बुरी तरह पीटा, कयि घंटो तक पीटा, और फिर धमकी दी कि यदि मैने किसी को बताया तो वो हॉस्टिल मे घुसकर मुझे मारेगा और हॉस्टिल मे ही मुझे मेरे रूम के पंखे से लटका देगा....."

"फिर..."माँ कसम मुझे उस वक़्त बहुत गुस्सा आ रहा था, यदि वो लड़का जिसने सीडार के साथ ये सब किया था ,वो अभी मिल जाता तो मैं उसे पंखे से लटका देता....

"वही उसने ग़लती कर दी..."सीडार की बेचैनी अब थोड़ी कम हुई ,वो बोला"जिस वक़्त उसने कहा था कि वो मुझे हॉस्टिल मे आके मारेगा...उसी वक़्त मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया सूझा...और दूसरे दिन जब वो कॉलेज के बाइक स्टॅंड पर बैठा था तो मैने उसे उसके पूरे खानदान की गाली दी...और एक धांसु डाइलॉग भी मारा..."सीडार अब मुस्कुराते हुए बोला, शायद अब उसके अंदर की कड़वाहट हट रही थी...
"कौन सा डाइलॉग..."
"मैने कहा कि....यदि एक बार लंड फेक कर मारूँगा तो तेरा पूरा खानदान चुद जाएगा...."
"आगे की स्टोरी मैं,समझ गया...उसके बाद वो अपने कुछ दोस्तो के साथ हॉस्टिल मे घुसा होगा और आप सबने उन सबकी अच्छि-ख़ासी धुलाई की होगी..."
"ये तो सही है,लेकिन उसकी रियल पेलाइ तब हुई, जब मैं सेकेंड एअर मे था...न्सुई का एलेक्षन जीतने के बाद मैने उसे और उसके दोस्तो को उसी ग्राउंड पर ले गया जहाँ,उसने मुझे मारा था और उसके बाद सेम टू सेम वैसा ही हुआ...जैसा कि तूने वरुण के साथ किया था...और तू यकीन नही मानेगा उस दिन तूने डाइलॉग भी वही मारा था जो मैने आज से दो साल पहले मारा था...आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते...ये हमारा तकिया कलाम था..."
"उसके बाद..."
"उसके बाद हम ने शराब की एक एक बोतल उनके लिए मंगाई और हर एक की आधी बोतल खुद पीकर आधे मे और फिर जबरन उन सबको पिलाया...."
"रियली,...पहले क्यूँ नही बताया,वरना वरुण के साथ भी मैं वही करता...."
"अब मेरी छोड़ और अपनी बता, वो लड़की तुझे पसंद है ना...क्या नाम है उसका,...वो खुराना की लौंडिया..."
"एश..."मैने बुरी शकल बनाते हुए कहा"डॉन'ट कॉल हर लौंडिया ,एमटीएल भाई..."
"ओके, नही बोलूँगा....और सुन बिंदास जा...सिटी वाले कुछ नही करेंगे..."
"एलेक्षन जीत गया ,इसलिए क्या..."
"वो तुझे कुछ नही करेंगे वो इसलिए नही कि तू एलेक्षन जीत गया है..."जब मैं जाने के लिए खड़ा हुआ तो एमटीएल ने मेरे कंधे पर हाथ रक्खा और मेरे साथ चलने लगा
"फिर किसलिए वो मुझे कुछ नही करेंगे..."
"वो इसलिए क्यूंकी पार्टी कंट्री क्लब मे हो रही है, और सीसी का रास्ता ,हमारे हॉस्टिल के सामने से जाता है...लेकिन यदि फिर भी यदि उन्होने तुम तीनो मे से किसी को छुआ भी तो जस्ट आ मिस कॉल....फिर देखना उनका क्या हाल करूँगा..."
"मतलब,मैं बेफिकर जाउ..."
"अभी फ़ारसी मे समझाया क्या..."
"थॅंक्स एमटीएल भाई...."वहाँ से अपने हॉस्टिल की तरफ बढ़ते हुए अचानक ही मुझे कुछ याद आया, जो मैं भूल गया था...मैने पीछे पलट कर देखा तो सीडार भी अपने हॉस्टिल की तरफ बढ़ रहा था...
"एमटीएल ,भाई..."थोड़ी तेज आवाज़ मे मैने कहा"बुरा ना मानो तो,कुछ पुच्छ सकता हूँ क्या..."
"क्या..."
"जिस लड़की को आप पसंद करते थे, उसके बाय्फ्रेंड का क्या नाम था..."
"वरुण वेर्मा....."सीडार ने मुझे जोरदार झटका देते हुए एक झटके मे आन्सर दिया और वापस हॉस्टिल की तरफ बढ़ चला.....
"वरुण वो लड़का था, तो फिर उसकी गर्ल फ्रेंड जिस पर सीडार का दिल आया था...वो थी विभा..........

कितना अच्छा लगता है,जब कोई खोई हुई चीज़ वापस मिल जाती है तो....एक अजीब सी खुशी ने मेरे दिल को उस वक़्त घेर रक्खा था...क्यूंकी आज मेरा खास दोस्त अरुण मेरे दूसरे खास दोस्त वरुण के साथ था, और वो दोनो मेरे साथ थे....अपने फ्लॅट की बाल्कनी मे खड़े होकर,मैं बाहर होती बारिश को निहार रहा था और ना चाहते हुए भी मेरे आँखो के सामने वो नज़ारा आ रहा था जब मैं 8थ सेमेस्टर मे था और उसी की वजह से मुझसे कभी नाराज़ ना होने वाला मेरा दोस्त मुझसे इस कदर खफा हुआ कि उसने मुझसे बात तक नही की थी...और आज कॉलेज ख़त्म होने के 6 महीने बाद वो वापस मेरे पास आ गया था, उसने शायद अपने दिल को समझा लिया था कि जो कुछ भी 8थ सेमेस्टर मे हुआ था ,उसकी वजह मैं नही था, बाहर होती बारिश को मैं बाल्कनी से निहार ही रहा था कि मेरा मोबाइल बज उठा, आज दूसरा दिन था जब मैं काम पर नही गया था, इसलिए मैने सोचा कि कॉल इंडस्ट्री वालो की होगी.....जब मैने कॉल पिक अप नही की तो मोबाइल खुद ब खुद बजना बंद हो गया, और मैं फिर से बाहर होती बारिश को देखने लगा....अरुण और वरुण इस वक़्त शराब के चपेट मे आकर बिस्तर पर पड़े थे,..
"ये साले मेरे बगैर काम नही कर सकते क्या..."जब मोबाइल मे रिंग फिर से शुरू हुई तो खुन्नस मे मैने कहा, ये जानते हुए भी कि मेरी इस आवाज़ को सुनने वाला वहाँ कोई नही है....मैने दूसरी बार भी मोबाइल नही उठाया , मैने देखा तक नही की कॉल किसकी है, लेकिन जब तीसरी बार कॉल आई तो मैने स्क्रीन पर नंबर देखा...
"निशा...."मैं थोड़ा हैरान था कि निशा ने कैसे कॉल कर दी,क्यूंकी कल रात ही उसने हमारे सेक्स रीलेशन को ख़त्म कर दिया था....मैने कॉल उठाया"हेलो,..."
"क्या कर रहे हो, खाना खाया..."
"हां,..."घड़ी मे टाइम देखते हुए मैने कहा"शाम को चार बजे, दोपहर का खाना खिलाने का इरादा है या अड्वान्स मे रात का..."
"आक्च्युयली ,मुझे कुछ अजीब सा फील हो रहा है..."बोलते हुए वो रुक गयी और थोड़ी देर तक वो चुप ही रही...
"निशा...हेलो.."
"हां.."
"क्या बोल रही थी..."
"तुम्हे थोड़ा अजीब लगेगा ,लेकिन कल तुम्हारे जाने के बाद मैं तुम्हे ही याद कर रही थी..."
"व्हाई ? "
"आइ डॉन'ट नो...लेकिन कुछ अच्छा नही लग रहा आज..."
"व्हाई ? "मैने फिर इतना ही कहा...
"तुमसे मिलने का दिल कर रहा है, तुम्हे देखने का दिल कर रहा है...तुम्हे किस करने का दिल कर रहा है...."
मैं इस इंतेज़ार मे कुछ नही बोला कि वो अब लास्ट मे बोलेगी कि"तुमसे चुदने का दिल कर रहा है..."लेकिन वो चुप हो गयी,वो आगे कुछ नही बोली...
"आर यू ओके !!"
"नो, कुछ भी ओके नही है, आइ'म फीलिंग वेरी बॅड, कॅन यू कम हियर.."
"व्हाई ? "मैं इस बार बुरी तरह चौका,..क्यूंकी मुझे यकीन नही हो रहा था हर दो दिन मे नये लंड की तालश करने वाली निशा को आज क्या हो गया है....
"मम्मी-पापा आ गये क्या "
"वो कल आएँगे...इसीलिए तो तुम्हे बुला रही हूँ, अभी आ सकते हो क्या, आइ नीड टू टॉक...मुझे कुछ भी अच्छा नही लग रहा, "
"अभी...इस वक़्त..."बाहर तेज होती बारिश को देखकर मैने कहा"रात को मिलते है..."
"नो..नो...प्लीज़ अरमान ,अभी आओ,.."
"अभी, भीग जाउन्गा, बीमार हो जाउन्गा..."
"मैं कुछ नही जानती, तुम आओ बस"
"बाहर बारिश हो रही है और मेरे पास छाता भी नही है..."मैने टालते हुए कहा,क्यूंकी मेरा बिल्कुल भी मन नही था....
"भूलो मत कि तुम्हारे जिस्म के प्यास को मैने दूर किया था..."वो आवाज़ तेज करती हुए बोली"मैने कहा ना आओ..."

यदि आज से पहले यही बात निशा ने कहा होता तो मैं बिल्कुल जाता, खुशी से जाता...लेकिन आज मेरा मन बिल्कुल भी नही था...मैं जैसे अब ज़िंदगी मे आगे बढ़ना चाहता था, निशा से दूर जाना चाहता था...
"सॉरी निशा...मैं तुम्हारा गुलाम नही हूँ और अपनी आवाज़ की फ्रीक्वेन्सी कम करो..."
बहुत दिनो बाद मेरी आवाज़ मे इंजिनियरिंग की झलक दिखी थी,
"व्हाट सॉरी"
"पका मत यार, बाइ..."कहते हुए मैं कॉल कट की और अंदर आकर मोबाइल बिस्तर पर फेका और बिस्तर पर बैठ गया, और सोचने लगा कि ये सब क्यूँ और कैसे हुआ...मुझमे इतनी हिम्मत कैसे आ गयी आज....ये हिम्मत तो कयि दिनो पहले दम तोड़ चुकी थी....जैसा कि मुझे उम्मीद थी निशा ने फिर कॉल की ,लेकिन मैने अबकी बार मोबाइल ही स्विच ऑफ कर दिया..
"अब लगा साली फोन,..."
"क्या हुआ बे..."वरुण उठकर बिस्तर पर बैठ गया और अपनी आँखे मलते हुए टाइम पुछा और मुझे बोला कि मैं उसे आगे की स्टोरी बताऊ...
"एक-एक पेग और मार लेते है देन..."
"एक पेग मेरे लिए भी..."नींद मे ही अपना हाथ उपर उठाते हुए अरुण बोला......
.
सीडार से उस दिन मिलने के पहले मैं एश और अपनी लव स्टोरी को 1+1 ईक्वल टू 2 वेल क्वेस्चन की तरह बेहद ईज़ी समझ रहा था, लेकिन जबसे ये पता चला था कि सीडार किसी जमाने मे विभा से प्यार करता था ,तब यही 1+1=2 वाला क्वेस्चन बहुत हार्ड हो गया था,...क्यूंकी इसमे विभा शामिल थी, और मेरे प्लान के मुताबिक मैं विभा को किसी मोहरे की तरह इस्तेमाल करने वाला था, जिससे विभा की आँखो मे आँसू भी आ सकते थे और यदि विभा की आँखो मे आँसू देखकर सीडार का बरसो पुराना प्यार जाग गया तो फिर मेरी खटिया खड़ी हो जाती, उपर से गौतम भी मुझसे बदला लेता...और उसके साथ वरुण भी होता....एक पल तो ख़याल आया कि मैं ये सब छोड़ कर दूसरा प्लान सोचु, लेकिन दूसरा प्लान था ही नही...फिर मुझे सीडार की हालत दिखी कि वो कैसे विभा को वरुण के साथ वो सब कुछ करते हुए देखता होगा, कितना सहा होगा....जब उसके सामने आकर कोई बोलता होगा कि वरुण ने विभा को चोदा तो उसे कैसा फील होता होगा....मैं इस डर मे था कि कहीं यही सब कुछ मेरे साथ भी ना हो जाए, कहीं कल कोई मुझे ये न्यूज़ ना दे कि गौतम ने एश को........
"माँ चुदाये दुनियादारी,..."मैं अंदर ही अंदर बिलख पड़ा, मैं ये चाहता था कि सीडार मेरे रास्ते मे ना आए और वही दूसरी तरफ ये भी चाहता था कि विभा मेरे काम आए, घंटो सोचा, कॉपी पर एश,अरमान,गौतम,विभा,सीडार लिखकर कयि डाइयग्रॅम और प्लान भी बनाया...लेकिन कुछ भी नया आइडिया नही आया....

"जो होगा देखा जाएगा, फिलहाल तो वेलकम पार्टी का प्लान बनाया जाए..."जिस काग़ज़ मे मैने लिखा पढ़ी की थी उसे फाड़ते हुए अरुण को आवाज़ दी"कहाँ है बे, जल्दी चल...वरना देर हो जाएगी..."
.
एकदम तैयार होकर,सूट बूट और पर्फ्यूम मारकर हम तीनो कंट्री क्लब मे पहुचे , कंट्री क्लब के ग्रीन ग्राउंड मे स्टेज बनाया गया था और उसके नीचे बैठने का बंदोबस्त किया गया था,लगभग सभी वहाँ आ चुके थे, और जब हम तीनो ने वहाँ एंट्री मारी तो...वो नज़ारा देखने लायक था...सिटी वाले सीनियर्स का फेस मुझे देखते ही लाल हो गया, सिटी वाले सारे सीनियर्स को देखकर थोड़ा डर तो लगा लेकिन फिर सीडार की कही हुई बात याद आई तो मैने डर को अपने अंदर से निकाल फेका और आगे उस तरफ बढ़ा...जहाँ मेरे क्लास वाले बैठे थे....
"अबे तुम लोग "नवीन ने हमे देखकर अपनी आँखे फाडी,..
"मूह बंद कर वरना कोई मूत के चला जाएगा..."वही उसके बगल मे बैठ कर मैने कहा....
हमारे वहाँ आने से सीनियर्स के बीच डिस्कशन शुरू हो गया था, वरुण ने मुझे देखा ,घूरा और फिर वहाँ से चला गया...मुझे उस दिन अहसास हुआ कि मैं कितना फेमस हूँ कॉलेज मे 
"एश आई है क्या..."नवीन से मैने पुछा...
"आई तो थी, एकदम कर्री माल लग रही थी आज तो..."
"चुप कर वरना ,यही चोदुन्गा...ये बता वो है क्या..."
"वो देख..."इधर उधर कुछ देर तक अपनी नज़रें घुमाने के बाद नवीन ने कहा"वो देख ,सबसे आगे...दोनो हाथ मे हाथ डाल कर बैठे है..."


.
मैं वहाँ अपनी जगह पर बैठ कर उस मॉडर्न लड़की को निहार रहा था ,जो मुझे बहुत क्यूट,स्वीट लगती थी...इतनी क्यूट कि दुनिया का कूटेस्ट वर्ड भी उसकी क्यूटनेस को बयान ना कर पाए, जिसकी मुस्कान ऐसी थी कि जिसे देखकर मैं उसकी हँसी को अपने अंदर फील करने लगता था और मेरी वो फीलिंग ,उसकी हँसी की पहचान करा देती थी......

मैं वही अपनी जगह पर अपने दोस्त नवीन के बगल मे बैठकर उस एंजल को निहार रहा था जिसके लिए लिए मेरे पास शब्द नही थे, मैं उससे उस वक़्त सिर्फ़ लड़ना झगड़ना चाहता था,क्यूंकी यही वो एक ज़रिया था...जिससे हम दोनो...हम दोनो नही सिर्फ़ मैं उसके करीब आता था...

मैं वही अपनी जगह पर अपने सबसे खास दोस्त अरुण के बगल मे बैठकर उस लड़की को निहार रहा था, जो अभी किसी बात पर हंस रही थी,उसे हस्ते हुए देखकर ,दिल कर रहा था कि मैं बस वहाँ से उठकर सीधे उसके पास चला जाउ और दुनिया भर मे जितनी भाषा होती है ,उन तमाम भाषाओ मे अपने अरमानो को उस खूबसूरत मॉडर्न अप्सरा के सामने ज़ाहिर कर दूं....

लेकिन उस वक़्त मैं रुक गया,मैं अपनी जगह से हिला तक नही और अपने अरमानो को लेफ्ट साइड मे समेटे हुए वही बैठ कर उसे सिर्फ़ देखता रहा...मैं उसे निहार रहा था जिसे मेरी बिल्कुल भी परवाह नही थी, जिसे कोई फरक नही पड़ता कि मैं कौन हूँ, क्या हूँ और किसलिए उससे लड़ता फिरता हूँ, उसे परवाह है तो सिर्फ़ खुद की, खुद के प्यार की, खुद के अरमान की....उसके अरमान के सामने इस अरमान के अरमान कोई मायने नही रखते...कहीं ये मेरा वन साइड लव ,मेरे लेफ्ट साइड को इस कदर ना बर्बाद कर दे कि बड़ी सी बड़ी बर्बादी समुंदर मे एक बूँद पानी जैसी लगे....वो वहाँ बैठी हुई अपने सपनो के अरमान गौतम के साथ हंस रही थी और मैं वहाँ अपने खास दोस्त नवीन, भू और अरुण के साथ पीछे बैठ कर उसे निहार रहा रहा था...सिर्फ़ और सिर्फ़ निहार रहा था.....

"मैं अभी आया..."अपने तीनो दोस्तो से बोलकर मैं वहाँ से उठा, और उस रास्ते पर चलने लगा...जो एश की तरफ की जाता था...
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RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 12-14-2018, 02:24 AM

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