Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
12-15-2018, 01:23 AM,
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
मेरी बेरूख़ी और दीपिका मॅम को देखने की वरुण की चाह काम कर गयी....मैं अभी थोड़ी ही दूर आगे आया था कि वरुण ने कार आगे बढ़ा कर मेरे बगल मे रोक दी...

"अब जा ना लवडे,अपना आर्टिकल पूरा कर...यहाँ क्या मरवाने आया है..."वरुण को धिक्कार्ते हुए मैने अपना सीना ताना और बड़बड़ाते हुए आगे बढ़ा"जब मोबाइल नही था तब भी लौन्डे ,लौन्डियो से मिलने जाते थे...जब उन्हे कोई डर नही था तो फिर मुझे काहे का दर...दाई चोद दूँगा निशा के बाप की यदि साला बीच मे आया तो..."

"ओये रुक...."

"चूस..."

"अरमान रुक बे..."

"मन तो नही है तेरा मोबाइल लेने का लेकिन जब तू मुझसे इतनी मिन्नतें कर ही रहा है तो...ला दे मोबाइल,तू भी क्या याद रखेगा कि किस महान पुरुष से पाला पड़ा था..."

"मैने कब कहा कि मैं तुझे मोबाइल देने के लिए रोक रहा हूँ...और साले मैने मिन्नत कब की तेरे सामने...."कार से निकल कर वरुण मुझे धक्का देते हुए बोला....

"बेटा,मैं आसमान मे उड़ती हुई चिड़िया को देखकर ये बता सकता हूँ कि वो अब किस तरफ मुडेगी...फिर तू चीज़ ही क्या है...और यदि तुझे मुझे मोबाइल नही देना होता तो ,मोबाइल तेरे जेब मे होता ना कि तेरे हाथ मे..."

मेरे इस वर्ड वॉर से वरुण ने अपना मोबाइल वाला हाथ पीछे करते मुझसे कहा कि उसने मोबाइल टाइम देखने के लिए निकाला था....

"ये ले...इसका मतलब तो यही हुआ कि तू न्यूटन को ग्रॅविटी और आइनस्टाइन महोदय को रेलेटिविटी पढ़ा रहा है,वो भी कॉमर्स का होकर....तेरे हाथ मे बँधी घड़ी क्या खराब हो गयी है जो तूने टाइम देखने के लिए मोबाइल निकालने का कष्ट किया....अब सीधे से मोबाइल मुझे दे और यहाँ से चलता बन...बोर मत कर..."
.
इसके बाद वरुण की और कुच्छ बोलने की हिम्मत नही हुई, वो मेरे द्वारा अपनी इस घोर बेज़्जती पर गुस्सा तो बहुत था...लेकिन वो अब जान गया था कि आगे कुच्छ बोलने का मतलब ,खुद की और भी बेज़्जती कराना था...इसलिए वरुण अपने सारे गुस्से को दारू की तरह पी गया और चुप चाप मोबाइल मुझे देकर कार के अंदर गया, कार स्टार्ट की और स्लोली-स्लोली वहाँ से जाने लगा.....तभिच मैने सोचा कि जब लपेटे मे इसे ले ही लिया है तो पूरा नंगा किया जाए...क्यूंकी क्या पता दोबारा ऐसा मौका कब आए, इसलिए मैने वरुण के अंदर की आग भड़काने के लिए ज़ोर से चिल्लाया....
"सुन बे, खाना बना कर रखना...वरना इस महीने की पगार नही दूँगा..."

मेरे इन शब्दो ने वरुण के तपते जिस्म मे घी का काम किया और वरुण तुरंत जल उठा...उसने अपनी कार रोकी और बाहर निकल कर दौड़ते हुए मेरे पास आया....

"गान्ड मे बॅमबू डालकर एक लाख आर.पी.एम. की स्पीड से घुमाउन्गा...."

"ऐसा क्या...ले फिर आर.पी.एम. का फुल फॉर्म बता ,बेटा इंजिनियर के साथ रहकर कोई इंजिनियर नही बन जाता...इंजिनियर बनने के लिए चार साल तक टापना पड़ता है,तब ये काबिलियत आती है...तेरे जैसा कॉमर्स सब्जेक्ट का लौंडा ये नही समझ सकता"बोलते ही मैं वहाँ से भाग खड़ा हुआ,क्यूंकी मुझे मालूम था कि यदि एक पल और मैं वहाँ खड़ा रहता तो मेरा मर्डर हो जाता....
.
वरुण के पास से खिसकने के बाद मैं निशा के घर से थोड़ी दूर पर आकर रुक गया और नंबर. डाइयल किया.....
मैने कयि बार कोशिश की ,लेकिन निशा थी कि फोन उठाने का नाम ही नही ले रही थी,...

"इसकी तो...फिर इसे मोबाइल देने का फ़ायदा ही क्या हुआ,जब टाइम पे बात ही नही होनी है तो...."मोबाइल से बात करते हुए मैने कहा और कॉल लोग मे जाकर निशा के नंबर के नंबर पर मोबाइल की हरी बत्ती दबा दी....लेकिन नतीजा इस बार भी पहले वाला ही रहा...घंटी तो जा रही थी लेकिन मेरी घंटी(निशा ) कॉल रिसीव ही नही कर रही थी...इसके बाद मैने 5-6 बार और ट्राइ मारा और जब कोई कामयाबी नही मिली तो किसी थके -हारे हुए इंसान की तरह निशा के घर की तरफ देखा...तो मुझे निशा के घर के बाहर दो कार खड़ी दिखाई दी और जहाँ तक मैं जानता था ,वो दोनो कार मेरे ससुराल वालो की नही थी...यानी कि निशा के घर मे कोई बाहरी आदमी आया हुआ था और कार देखकर ही लग रहा था कि साला बहुत रहीस होगा.....
.
अब जब ये क्लियर हो गया की निशा के घर मे कयि बाहरी लोग है तो दिमाग़ ने ये भी थियरी बना डाली कि निशा ,ज़रूर उन्ही लोगो के सामने होगी ,इसीलिए वो मेरा कॉल रिसीव नही कर रही है....लेकिन अब सवाल ये पैदा हुआ कि निशा के घर आया कौन है....

शुरू मे सोचा कि चलकर निशा के घर की रखवाली करने वाले गार्ड से बातो ही बातो मे पुच्छ लिया जाए,लेकिन फिर जब ढंग का कुच्छ नही सूझा तो मैने अपना इरादा टाल दिया....

"कही साला डेविड और उसकी फॅमिली तो नही आई है..."एका-एक मेरे 1400 ग्राम के भेजे मे ये ख़याल कौधा और फिर ये ख़याल बीत रहे हर सेकेंड्स के साथ प्रबल होता गया...

.
निशा के घर के बाहर खड़ा मैं ,यही सोच रहा था कि यदि सच मे डेविड और उसके परिवार वाले ही अंदर होंगे तो फिर मुझे जल्द से जल्द कुच्छ सोचना पड़ेगा...वरना निशा हाथ से निकल जाएगी...

"हां बोल डायन...किस पर जादू टोना कर रही थी...जो मेरा फोन नही उठाया..."निशा ने कुच्छ समय बाद खुद मुझे कॉल किया ,तब मैं उसपर भड़कते हुए बोला"कहाँ है..."

"बाथरूम मे हूँ...बड़ी मुश्किल से कॉल कर पाई हूँ..."

"बाथरूम मे क्या कर रेली है ,ह्म्म"

"शट अप..."

"चल ठीक है,नही बताना तो मत बता ,वो तेरा पर्सनल मॅटर है...लेकिन ये बता कि अभी कौन आया हुआ है तेरे घर मे..."

"तुम्हे कैसे पता चला कि मेरे घर मे कोई आया हुआ है..."अचानक चौुक्ते हुए उसने अपनी आवाज़ तेज़ करके पुछा..

"बस ऐसे ही अंदाज़ा लगाया...क्या सच मे कोई आया है क्या..."

"हां...डेविड आया हुआ है और लंच के बाद वो मुझे शॉपिंग के लिए ले जाने वाला है...."

"डेविड....इसकी माँ का फिल इन दा ब्लॅंक्स...."फोन रखते हुए मैने आख़िरी लफ्ज़ निशा से कहे"विशिंग यू आ हॅपी मॅरीड लाइफ..."
.
मैने मोबाइल गुस्से से जेब मे घुसाया और सीधे अपने रूम की तरफ बढ़ा....मुझे गुस्सा इसलिए आ रहा था क्यूंकी जिस खुशी के साथ निशा ने डेविड के उसके घर आने और उसके साथ शॉपिंग पर जाने की बात कही थी...उससे मुझे यकीन नही हो रहा था कि ये वही निशा है,जो कुच्छ दिन पहले डेविड का नाम लेकर परेशान हो रही थी....उसकी आवाज़ मे ज़रा सा भी रूखापन नही था यानी कि डेविड के आने से वो बहुत ज़्यादा खुश थी....ऐसा मैने सोचा, लेकिन हक़ीक़त कुच्छ और हो सकती थी,यदि निशा ने मेरे कॉल डिसकनेक्ट करने के बाद मुझे रिटर्न कॉल किया होता तो लेकिन उसने ऐसा नही किया.... 

मैं पूरे रास्ते भर निशा के रिटर्न कॉल का वेट करते हुए अपने रूम की तरफ बढ़ रहा था और अपने रूम पर भी पहुच गया,लेकिन अभी तक निशा ने एक भी रिटर्न कॉल नही की थी....

वक़्त को बदलते हुए सबने देखा होगा लेकिन कभी-कभी वक़्त नही इंसान बदल जाते है,उनकी चाह बदल जाती है,जीने की वजह बदल जाती है....और ये सीधे हमारे लेफ्ट साइड यानी की दिल पर हमले के बराबर होता है और जब आपके दिल के सबसे करीबी शक्स ऐसा करे तो मानो दिल पर किसी ने परमाणु हमला कर दिया हो.....ऐसा लगता है.

एक बार तो ये परमाणु हमला मैं झेल चुका था और आगे भी झेल सकता था....लेकिन ,साला अबकी बार चूतिया बनने का मूड नही है.
.
रूम पर आया तो आज पिछले कुच्छ दिनो की तरह अरुण भी नही था ,जो गाली देकर पुच्छे कि 'कहाँ गया था लवडे...दारू लाया या ऐसे ही मुँह उठाकर आ गया ' .

अकेला वरुण ही था और वो भी इस वक़्त अपना लॅप टॉप पकड़े मरवा रहा था इसलिए वरुण को डिस्टर्ब किए हुए बिना मैं सीधे बाल्कनी पर जा पहुचा.सिगरेट की पॅकेट उलट-पुलट की लेकिन पॅकेट खाली निकली...इसलिए अब चुप-चाप होकर बाल्कनी मे खड़े रहने के सिवा मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नही था....

जब कुच्छ ठंडा हुआ तो सोचा कि कही मैं निशा को परखने मे जल्दबाज़ी तो नही कर रहा हूँ....हो सकता है वो किसी और बात से उस वक़्त खुश रही होगी....

"लेकिन उसे कम से कम एक रिटर्न कॉल तो करना ही चाहिए....मैं होता तो एक नही डूस रिटर्न कॉल करता...."मोबाइल पर निशा का नंबर देखते हुए मैं झल्लाया....

"ये लौन्डियो वाली हरकत मत कर, बी आ मर्द...."मैने तुरंत अपना ही विरोध किया.....
.
जब कुच्छ और समय गुज़रा तो मुझे खुद की ग़लती दिखने लगी और मुझे मेरे अंदर की वो बुराई नज़र आई ,जो मुझमे नही होनी चाहिए थी.....मैं हमेशा से कबीर दास का फॅन था और उनके एक ऑल टाइम फेवोवरिट डाइलॉग"काल करे सो आज कर, आज करे सो अब" पर चलता था...और इसी कारण मेरे अंदर सब्र नाम की चीज़ नही थी...अपनी आदत के विपरीत मैने एक बार सब्र किया...वो भी एक दिन, दो दिन नही...एक हफ्ते, दो हफ्ते नही...एक महीने ,दो महीने नही...यहाँ तक कि एक साल ,दो साल भी मेरे उस सब्र के समय सीमा के आगे कम पड़ गये....मैने पूरे चार साल तक सब्र किया लेकिन उस सब्र ने ही मेरी अच्छी तरह से मार ली....तब से शब्र नाम की चिड़िया मेरे आस-पास भी नही उड़ती.....
.
अपने हाथ मे मोबाइल पकड़े हुए मैं निशा के मोबाइल नंबर को देख रहा था और उस बात को आधा घंटा बीत जाने के बावजूद अभी तक इंतज़ार ही कर रहा था कि वो मुझे अब कॉल करेगी...अब कॉल करेगी...

दिल ने कहा कि वो नही करती तो तू खुद कर ले और मेरी बेचैनी को ख़तम कर्दे,लेकिन दिमाग़ ने कहा कि 'बेटा एक बार लौंडिया के चक्कर मे चुद चुके हो और अबकी बार वाला सीन भी कुच्छ वैसा ही बन रहा है...इसलिए ज़रा संभाल कर और उसे ही कॉल करने दो...."

ईच्छा तो बहुत हो रही थी कि अभिच मोबाइल की हरी बत्ती दो बार दबा दूं ,लेकिन फिर सोचा"जाने दो,साला अपनी भी कोई औकात है...खुद कॉल करेगी तो करे...मैं तो अब कॉल ही नही करूँगा...."
.
जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था वैसे-वैसे मेरा दिमाग़ भी सटक रहा था और जब पूरे दो घंटे तक बाल्कनी मे खड़े रहकर निशा की कॉल का इंतज़ार करते रहने के बाद भी जब उधर से कोई कॉल नही आया तो मैने गुस्से मे वरुण के मोबाइल को ही स्विच ऑफ कर दिया.....

"अरमान सर, ज़रा मेरा मोबाइल देने की कृपा करेंगे क्या...."

"ओह तेरी...गुस्से मे तो मैं ये भी भूल गया कि ये मोबाइल मेरा नही बल्कि वरुण का मोबाइल है..."फटाफट मोबाइल ऑन करते हुए मैने वरुण से दो मिनिट रुकने के लिए कहा और फिर जाकर बिस्तर पर उसका मोबाइल पटक दिया.....

"बड़े क्रोधित लग रहे हो महाशय...निशा से कुच्छ बात हुई क्या..."मेरे इस रवैये पर वरुण ने चुटकी ली....

"बात ही तो नही हुई...."इतना बोलकर मैं चुप हो गया...

वरुण ने बिस्तर से अपना मोबाइल उठाया और किसी को कॉल करके कहा कि उसने फलाना आर्टिकल भेज दिया है...वो जाकर चेक कर ले.....उसके बाद वरुण कुच्छ देर तक अपनी आँख मलता रहा और फिर आँख खोलकर बोला"चल बता दीपिका के बारे मे..."

"मूड नही है उस आर.दीपिका के बारे मे बात करने का..."

"तो मूड बनाओ श्रीमान...वरना हम तुम्हारी खटिया खड़ी कर देंगे..."

"अबे...पहले तो तू ये बक्चोद लॅंग्वेज मे बोलना छोड़..."

"चल अब नही बोलता....लेकिन एक बात बता, तुझे कभी अंदर से फीलिंग नही आई कि तूने अपने बदले की खातिर दीपिका का करियर बर्बाद कर दिया...मतलब कि उसने जो किया वो ग़लत था,मैं मानता हूँ...लेकिन दीपिका को कॉलेज से निकालने के आलवा भी तो कोई दूसरा रास्ता निकाल सकता था...इस तरह उसे बदनाम करना और फिर उसकी रोज़ी-रोटी पर लात मारना ,ये तो एक तरह से ग़लत हुआ ना...."

.
वरुण का सवाल जायज़ था लेकिन मेरे अंदर से कभी ये ख़याल ही नही आया कि मैने दीपिका मॅम के साथ जो किया ,वो ग़लत था....मैं बोला...

"तुझे पता है, फीमेल ब्लॅक स्पाइडर की एक ख़ासियत होती है कि वो संभोग के बाद मेल स्पाइडर को खा जाती है और दीपिका मॅम भी उसी ब्लॅक स्पाइडर की तरह थी ,जो किसी भी लड़के से चुदने के बाद उसे निगल जाती थी....यानी कि उस लड़के का करियर बर्बाद कर देती थी, इसलिए मुझे कभी इस बात पर पछ्तावा नही हुआ कि मैने उसे बुरी तरह बदनाम करके कॉलेज से निकाला....मेरे बर्बाद होने की बेशक ही कयि वजह रही हो, लेकिन सबसे पहली वजह दीपिका मॅम खुद थी..."थोड़ी देर रुक कर मैं आगे बोला"और वैसे भी दीपिका मॅम को मेरी इस हरकत से फ़ायदा ही हुआ,क्यूंकी आज कल वो एक मॉडेल है...."

"मॉडेल कहाँ....."

मैने पास मे रखी हुई एक मेग्ज़ीन को उठाया और कयि पन्ने पलटने के बाद एक लड़की का फोटो वरुण को दिखाया ,जो किसी बिकनी ब्रांड का अड्वरटाइज़ करने के लिए पोज़ दिए हुए थी.....

"यही है आर.दीपिका..."

"क्या..."मेरे हाथ से वो मेग्ज़ीन तुरंत छीन्कर वरुण ने अपने हाथ मे लिया और दीपिका मॅम की फोटो को उपर से लेकर नीचे तक अपनी आँखो से स्कॅन मारने के बाद बोला"बड़ी धाँसू आइटम है बे ये तो..."

"कॉलेज की नंबर. 1 माल ये पहले भी थी और अब भी है..."

"तब तो तू इसकी फ़ेसबुक आइडी भी जानता होगा..."

"जिस दिन इसने कॉलेज छोड़ा ,उसी दिन इसने अपनी फ़ेसबुक आइडी डीक्टिवेट कर दी...."
.
वरुण बहुत देर तक दीपिका मॅम की फोटो को ताकता रहा...और फिर लंबी साँस लेकर बोला"चल आगे बता..."

मैं अब वरुण को अपने कॉलेज की स्टोरी सुना-सुना कर बोर हुआ जा रहा था, इसलिए मैने डिसाइड किया कि...आज चाहे जो हो जाए.8थ सेमेस्टर की पूरी कहानी सुनाकर ही दम लूँगा...भले ही रात भर जागना क्यूँ ना पड़े और कल सुबह से अपने काम पर जाना शुरू कर दूँगा...क्यूंकी मुझे डर था कि कही इंडस्ट्री वाले मुझे निकाल ना दे...इसलिए मैने पहले ही वरुण से शर्त रखी कि जब तक 8थ सेमेस्टर ख़तम नही हो जाएगा ,वो सोएगा नही और मेरी इस शर्त पर उसने हामी भरी .....
.
.
"8थ सेमेस्टर की शुरुआत जैसे हुई ,उसके दो-तीन दिन बाद ही हमे पता चला कि विभा जानेमन...कॉलेज छोड़ रही है...और ये मेरे विभा को चोदने के अरमानो पर जबर्जस्त प्रहार था....जिसे मैं बर्दाश्त नही कर सकता था...."

जब ये खबर मुझे मिली तब मैं अपने दोस्तो के साथ हॉस्टिल मे था और जैसे ही ये खबर सुनी तो दिल किया कि खबर सुनाने वाले को अपने हॉस्टिल की छत से उल्टा लटका दूं या फिर डाइरेक्ट नीचे फेक दूं....

कयि साल पहले मैने ये पढ़ा था कि किसी चीज़ को 11.2 किलोमेटेर पर सेकेंड की वेलोसिटी से उपर फेकने पर वो चीज़ अर्त से पलायन कर जाती है और फिर कभी अर्त पर लौट कर नही आती...इसलिए इस वक़्त दिल तो ये भी किया कि खबर सुनाने वाले उस लौन्डे को 11.2किमी पर सेकेंड की रफ़्तार से आसमान मे फेक दूं ,जिससे वो अर्त से सीधे पलायन कर जाए और कभी लौटकर ना आ पाए....लेकिन मैं ऐसा नही कर पाया क्यूंकी ये खबर किसी और ने नही बल्कि हमारे पांडे जी ने सुनाई थी....

"खुद तो है ही मनहूस और खबर भी वैसी मनहूसो वाली लाता है...साले तू मर क्यूँ नही जाता और कितना जिएगा...."विभा से जुदाई के गम मे मैने कहा..

"क्या अरमान भाई...मैं तो सोचा था कि विभा के जाने से आप बहुत खुश होगे...लेकिन ये खबर सुनकर तो आप उल्टा मुझपर ही बरस पड़े..."

"इसे तू खुशख़बरी कहता है...साले पूरे कॉलेज मे ये एकलौती लड़की थी ,जो मुझसे बात करती थी...वैसे तू खुश क्यूँ है विभा के जाने से, उसने तेरी गान्ड मारी थी क्या..."

"गान्ड ही तो मार रही है...साली सेक्षनल मे चोद देती है मेरे को..."

"अब उसके क्लास मे राजश्री खाकर बैठेगा तो यही होगा...और बता भी रहा है तो अब, पहले बताया होता तो कुच्छ जुगाड़ भी जमाता, अब तो वो जा रही है..."

"अरे हटाओ विभा को और आज रात के दारू प्रोग्राम के बारे मे बात करते है...."
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RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 12-15-2018, 01:23 AM

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